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Articles by एमी पिटरसन

अनदेखी वास्तविकताएँ

1876 ​​में,  मध्य इंडियाना में कोयला निकालने वाले पुरुषों ने सोचा कि उन्हें नरक के द्वार मिल गए हैं । इतिहासकार जॉन बार्लो मार्टिन की रिपोर्ट है कि छह सौ फीट पर, "भयानक आवाजों के बीच बदबूदार धूँआ निकल रहा था l” डर से कि उन्होंने “शैतान की गुफा के छत में छेद कर दिया था,” खनिकों ने अच्छी तरह से उस खदान/कूएं को बंद कर दिया और वापस घर चले गए l

बेशक, खनिक गलत थे - और कुछ साल बाद,  वे फिर से छेद करके प्राकृतिक गैस से समृद्ध होने वाले थे । भले ही वे गलत थे,  मैं खुद को उनसे थोड़ा ईर्ष्या करते हुए देखता हूँ l ये खनिक आध्यात्मिक संसार के बारे में जागरूकता के साथ जी रहे थे जो अक्सर मेरे खुद के जीवन से गायब है । मेरे लिए जीना आसान है जैसे कि अलौकिक और प्राकृतिक शायद ही कभी एक दूसरे की राह रोकते हैं और यह भूल जाना कि “हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और मांस से नहीं, परन्तु . . . उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं” (इफिसियों 6:12) l

जब हम अपने संसार में बुराई को जीतते हुए देखते हैं,  तो हमें उसके समक्ष समर्पण या अपनी सामर्थ्य से उससे लड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए । इसके बजाय, हम “परमेश्वर के सारे हथियार” बाँध लें (पद.13-18) l पवित्रशास्त्र का अध्ययन, अन्य विश्वासियों के साथ नियमित रूप से मिलना और दूसरों की भलाई को ध्यान में रखकर “शैतान की युक्तियों के सामने खड़े” रहें (पद.11) l पवित्र आत्मा से लैस,  हम किसी भी चीज़ के सामने दृढ़ रह सकते हैं (पद.13) ।

सुनहरे दाग़

नीदरलैंड में, फैशन डिजाइनरों का एक समूह "सुनहरा काष्ठकर्म/Golden Joinery” कार्यशाला प्रदान करता है । जापानी तकनीक किन्त्सुगी/Kintsugi से प्रेरित, जहां टूटे हुए चीनी मिट्टी के बरतन को सोने के साथ मरम्मत की जाती है, प्रतिभागी कपड़ों को उन तरीकों से जोड़ने में सहयोग करते हैं, जो इसे छिपाने की कोशिश करने के बजाय मरम्मत के कार्य को विशिष्टता/हाईलाइट प्रदान करती है l जिन्हें आमंत्रित किया जाता है, वे "एक प्रिय लेकिन फटे  हुए परिधान को लाते हैं और उन्हें सोने से मरम्मत करते हैं l जब वे अपने कपड़ों को मरम्मत कर देते हैं, वह मरम्मत सजावटी हो जाती है, "सुनहरा दाग़ ।"

कपड़े उन तरीकों से रूपांतरित होते हैं जो उन जगहों को उजागर करते हैं जहां वे फटे या घिसे हुए थे । शायद यह कुछ ऐसा ही है जैसा कि पौलुस का मतलब था जब उसने कहा कि वह अपनी कमजोरी दिखाने वाली चीजों में "घमंड" करता है । हालाँकि उसे "प्रकाशनों की बहुतायत”  का अनुभव था, लेकिन वह उनके बारे में डींग नहीं मारता था (2 कुरिन्थियों 12: 6) । वह कहता है, उसके “शरीर में एक काँटा चुभाया गया है” जिससे वह गर्व और अति आत्मविश्वास से बचाया जाता है (पद.7) l कोई नहीं जानता कि वह वास्तव में क्या कह रहा था - शायद अवसाद, मलेरिया का एक रूप, दुश्मनों से उत्पीड़न, या कुछ और । जो कुछ भी था, उसने परमेश्वर से इसे दूर करने के लिए विनती की । लेकिन परमेश्वर ने कहा, “मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (पड़.9) l

जिस तरह पुराने कपड़ों में चीरा और फटन ख़ूबसूरती की जगहें बन सकते हैं, जब वे डिजाइनरों द्वारा पुनः बना दिए जाते हैं, हमारे जीवन में टूटी हुई और कमजोर जगह वे स्थान बन सकते हैं जहां परमेश्वर की शक्ति और महिमा चमक सकती है । वह हमें एक साथ रखता है, हमें बदल देता है, और हमारी कमजोरियों को सुंदर बनाता है ।

प्रेम में जड़वत

“इसमें बस इतना ही करना है!” मैगी ने कहा । उसने अपने फूल के पौधे से एक तने को काट लिया था, उसने कटे हुए सिरे को शहद में डुबो दिया, और उसे कम्पोस्ट खाद से भरे बर्तन में गाड़ दिया । मैगी मुझे सिखा रही थी कि कैसे इन फूलों को बढ़ाया जाए : कैसे एक स्वस्थ पौधा से कई पौधे बनाए जाएँ, ताकि मेरे पास दूसरों के साथ साझा करने के लिए फूल हों । शहद, उसने कहा, छोटे पौधे की जड़ें उगाने में मदद करता है ।

उसको काम करते हुए देखकर, मुझे आश्चर्य हुआ कि किस तरह की चीजें हमें आध्यात्मिक जड़ें जमाने में मदद करती हैं । विश्वास के मजबूत, फलने-फूलने में परिपक्व लोग होने में हमें क्या मदद करती है? क्या हमें मुरझाने नहीं देती या विकास करने में मदद करता है? पौलुस, इफिसियों को लिखते हुए कहता है कि हम “प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डालकर” जड़वत हैं (इफिसियों 3:17) । यह प्रेम परमेश्वर से आता है, जो हमें पवित्र आत्मा देकर हमें मजबूत बनाता है । मसीह हमारे दिलों में निवास करता है l और जब हम “समझने की शक्ति [पाते हैं] कि उसकी(मसीह का प्रेम) चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी है” (पद.18), तो हम परमेश्वर की उपस्थिति का एक समृद्ध अनुभव प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि हम “परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण” हैं (पद.19 AMP) ।

आध्यात्मिक रूप से बढ़ने में परमेश्वर के प्रेम में जड़वत होना जरूरी है - इस सत्य का ध्यान करते हुए कि हम परमेश्वर के प्रिय हैं जो “हमारी विनती और समझ से कही अधिक काम कर सकता है” (पद.20) । हमारे विश्वास का कितना अविश्वसनीय आधार!

समय-यात्रा पत्र (Time-Traveling Letters)

प्रत्येक वर्ष दस लाख से अधिक युवा अंतर्राष्ट्रीय पत्र-लेखन प्रतियोगिता में भाग लेते हैं l 2018 में, प्रतियोगिता का विषय था “कल्पना कीजिए कि आप समय के रास्ते यात्रा करने वाले एक पत्र हैं l आप अपने पाठकों को क्या सन्देश देना चाहेंगे?”

बाइबल में, हमारे पास पत्रों का एक संग्रह है जो समय के रास्ते हम तक पहुंचे हैं – पवित्र आत्मा की प्रेरणा और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद l जैसे-जैसे मसीही कलीसिया बढ़ती गई, यीशु के शिष्यों ने यूरोप और एशिया माइनर के स्थानीय कलीसियाओं को लिखा कि लोगों को  मसीह में अपने जीवन को समझने में मदद करें; उनमें से बहुत से पत्र बाइबल में एकत्र किये गए जो आज हम पढ़ते हैं l

ये पत्र-लेखक पाठकों को क्या सन्देश देना चाहते थे? यूहन्ना अपने पहले पत्र में बताता है, कि वह “उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हम ने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ” के विषय लिख रहा था (1 यूहन्ना 1:1) l वह जीवित मसीह के साथ अपने सामना के विषय लिख रहा है (1 यूहन्ना 1:1) l वह लिखता है ताकि उसके पाठक एक दूसरे के साथ और “पिता के साथ और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ,” “सहभागी हों (पद.3) l जब हम परस्पर संगति करते हैं, वह लिखता है कि हमारा आनंद पूरा हो जाता है (पद.4) l बाइबल में पाए जाने वाले पत्र हमें ऐसी संगति में निकट लाते हैं जो समय के पार है – अनंत परमेश्वर के साथ संगति l

नए जीवन का मुर्ख मार्ग

कुछ चीजें जब तक आप उनको अनुभव न करें बिलकुल समझ में नहीं आती हैं l जब मैं अपने पहले बच्चे के साथ गर्भवती थी, तो मैंने बच्चे के जन्म के बारे में कई किताबें पढ़ीं और दर्जनों महिलाओं से उनकी प्रसव पीड़ा की कहानियाँ सुनीं l लेकिन मैं अभी भी वास्तव में कल्पना नहीं कर सकती थी कि अनुभव कैसा होगा l मेरा शरीर जो करने वाला था वह असंभव लग रहा था!

1 कुरिन्थियों में पौलुस लिखता है कि परमेश्वर के राज्य में जन्म लेना, उद्धार जो परमेश्वर मसीह के द्वारा हमें देता है, समान रूप से उनके लिए समझ से परे है जिन्होंने उसका अनुभव नहीं किया है l यह कहना “मुर्खता” सी लगती है कि क्रूस के द्वारा उद्धार मिल सकता था – निर्बलता, हार और अपमान द्वारा चिन्हित एक मृत्यु l फिर भी यह “मुर्खता” ही वह उद्धार था पौलुस ने जिसका प्रचार किया!

यह ऐसा नहीं था जिसकी कोई कल्पना कर सकता है l कुछ लोगों ने सोचा कि उद्धार एक मजबूत राजनैतिक नेता या एक चमत्कारी संकेत के द्वारा आयेगा l दूसरों ने सोचा कि उनकी अपनी शैक्षिक या दार्शनिक उपलब्धियां उनका उद्धार बनेंगी (1 कुरिन्थियों 1:22) l लेकिन परमेश्वर ने सभी को इस तरह से उद्धार दिलाकर आश्चर्यचकित कर दिया, जो केवल उन लोगों की समझ में आता है जिन्होंने इसे अनुभव किया l

परमेश्वर ने कुछ शर्मनाक और दुर्बल वस्तु लिया – क्रूस पर एक मृत्यु – और उसे बुद्धिमत्ता और सामर्थ्य का आधार बना दिया l परमेश्वर अकल्पनीय करता है l वह जगत के मूर्खों और निर्बलों को चुनता है कि ज्ञानवानों को लज्जित करे (पद.27) l

और उसका चकित करनेवाले, असंगत तरीके हमेशा ही सर्वोत्तम तरीके होते हैं l

हस्तांतरित प्रेम

मेरी बेटी नैन्सी ड्रियू (एक जासूसी उपन्यास श्रृंखला) से मोहित हो गयी है l पिछले तीन हफ़्तों में, उसने कम से कम एक दर्जन उपन्यास पढ़े, जिसमें एक जासूस लड़की का वर्णन है l वह जासूसी कहानियों से अपने लगाव/प्रेम को ईमानदारी से दर्शाती है : मैं जब छोटी थी उस समय  भी इन पुस्तकों से प्रेम करती थी, और नीली जिल्द वाली प्रतियां जो मेरी माँ 1960 के दशक में पढ़ती थी अभी भी उनके घर के एक शेल्फ में सजी हुई हैं l

इस स्नेह को स्थानांतरित होते देख मुझे आश्चर्य होता है कि मैं और क्या स्थानांतरित कर रहा हूँ l तीमुथियुस को लिखे अपने दूसरे पत्र में, पौलुस ने लिखा है कि जब उसने तीमुथियुस के बारे में सोचा, तो उसे “निष्कपट विश्वास” याद आया जो तीमुथियुस की दादी और माँ में था l मुझे आशा है कि रहस्यों/जासूसी से प्रेम के साथ, मेरी बेटी विश्वास की विरासत भी प्राप्त कर रही है – और वह सेवा” भी करेगी जैसे उसके नाना-नानी ने भी की है, कि वह प्रार्थना करेगी, और कि वह “उस जीवन की प्रतिज्ञा के अनुसार जो मसीह यीशु में है” थामे रहेगी l (2 तीमुथियुस 1:1) l

मैं यहाँ उन लोगों के लिए भी आशा रखता हूँ जिनके पास यीशु को जानने वाले माता-पिता या नाना-नानी/दादा-दादी नहीं हैं l यद्यपि तीमुथियुस के पिता का उल्लेख नहीं किया गया है, पौलुस तीमुथियुस को अपना “प्रिय पुत्र” (पद.2) कहता है l जिन लोगों के पास विश्वास स्थानांतरित करने वाले परिवार नहीं है, वे अभी भी चर्च में माता-पिता और दादा-दादी/नाना-नानी ढूंढ सकते हैं – ऐसे लोग जो हमें यह जानने में मदद करेंगे कि “पवित्र जीवन” (पद.9) कैसे जिया जाए, और परमेश्वर द्वारा दिए गए “सामर्थ्य और प्रेम और संयम” के उपहारों को ग्रहण किया जाए l हमें (पद.7) l सचमुच, हम सभी के पास एक सुन्दर विरासत है l

अपने आँसू परमेश्वर के पास ले जाएँ

पिछली गर्मियों में, तलेक्वा(Talequah) नामक एक व्हेल (मछली) ने जन्म दिया l हत्यारे व्हेल(killer whales) तलेक्वा जलीय स्तनधारियों (aquatic mammals) का समूह लुप्तप्रायः (endangered) था, और उसका नवजात भविष्य के लिए उनकी आशा थी l लेकिन उसका बच्चा एक घंटे से कम तक जीवित रहा l दुःख के इस दृश्य में जिसे दुनिया भर के लोग देख रहे थे, तलेक्वा ने अपने मृत बच्चे को छोड़ने से पहले सत्रह दिनों तक प्रशांत महासागर के ठन्डे पानी में धकेलती रही l
कभी-कभी मसीह में विश्वासियों को यह जानने में कठिनाई होती है कि दुःख के साथ क्या किया जाए l शायद हम डरते हैं कि हमारा दुःख आशा की कभी की तरह दिख सकता है l लेकिन बाइबल हमें मनुष्यों के कई उदाहरण देती है जो दुःख में परमेश्वर को पुकारते हैं l विलाप और आशा दोनों एक वफादार प्रतिक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं l
विलापगीत पांच कविताओं की पुस्तक है जो उन लोगों के दुःख को व्यक्त करती है जो अपना घर खो चुके हैं l वे दुश्मनों द्वारा अहेर किये गए थे और मृत्यु के निकट थे (3:52-54). और वे रोते हैं और भगवान् से न्याय करने के लिए पुकारते हैं( पद.64) l वे परमेश्वर से न्याय लाने के लिए रोते और उसको पुकारते हैं l वे परमेश्वर को इसलिए नहीं पुकारते हैं कि उन्होंने आशा खो दी है, परन्तु इसलिए कि वे भरोसा करते हैं कि परमेश्वर सुन रहा है l और जब वे पुकारेंगे, परमेश्वर अवश्य ही निकट आता है (पद. 57) l
हमारे संसार में और अपने जीवन में टूटी वस्तुओं के विषय विलाप करना गलत नहीं है l परमेश्वर हमेशा सुन रहा है, और आप निश्चित हो सकते हैं की परमेश्वर स्वर्ग से नीचे देखेगा और आपको देखेगा l

आपके मांगने से पहले ही

मेरे मित्र रॉबर्ट और कॉलिन ने दशकों तक एक स्वस्थ विवाह का अनुभव किया है, और मुझे उन्हें बातचीत करते हुए देखना अच्छा लगता है l रात्री भोजन के समय मांगने से पहले ही उनमें से एक आगे बढ़कर दूसरे को मक्खन देगा l दूसरा बिलकुल ठीक समय पर गिलास को भर देगा l जब वे कहानी बताएँगे, वे एक दूसरे के वाक्यों को पूरा करते हैं l कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि वे एक दूसरे के मन को पढ़ सकते हैं l 

यह तसल्लीदायक है कि परमेश्वर जानता है और किसी भी व्यक्ति की तुलना में जिसे हम जानते हैं और प्रेम करते हैं हमारी अधिक देखभाल करता है l जब नबी यशायाह आनेवाले राज्य में परमेश्वर और उसके लोगों के बीच संबंध का वर्णन करता है, तो वह एक कोमल, अन्तरंग रिश्ता का वर्णन करता है l परमेश्वर अपने लोगों के बारे में कहता है, “उनके पुकारने से पहले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूँगा” (यशायाह 65:24) l 

लेकिन यह कैसे सच हो सकता है? ऐसी चीजें हैं जिनके विषय बिना प्रत्युत्तर प्राप्त किये मैंने सालों तक प्रार्थना की है l मेरा मानना है कि जैसे-जैसे हम परमेश्वर के साथ अंतरंगता में बढ़ते हैं, अपने दिलों को उसके साथ जोड़ते हैं, हम उसके समय और देखभाल पर भरोसा करना सीख सकते हैं l हम वही इच्छा करना शुरू कर सकते हैं जो परमेश्वर चाहता है l जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हम अन्य चीजों में से उन चीजों को मांगते हैं जो परमेश्वर के राज्य का हिस्सा हैं जैसा कि यशायाह 65 में वर्णित है : दुःख का अंत (पद.19) l सभी लोगों के लिए सुरक्षित घर और भर पेट भोजन और सभी के लिए अर्थपूर्ण काम (पद.21-23) l स्वाभाविक संसार में शांति (पद.25) l जब परमेश्वर का राज्य अपने पूर्णता में आएगा, तब परमेश्वर पूर्ण रूप से इन प्रार्थनाओं का उत्तर देगा l 

कछुआ के साथ इंतज़ार

हर शरद् ऋतु में, जब पेंटेड कछुआ(Painted Turtle - एक प्रजाति का कछुआ) को सर्दी आने का अहसास होता है, वह अपने आप को मिट्टी और कीचड़ में दफ़न करते हुए तालाब की तलहटी में पहुँचा देती है l वह अपने कवच में सिमट जाती है और शांत हो जाती है : उसकी हृदय गति धीमी हो जाती है l उसके शरीर का तापमान गिरता है, जमाव बिंदु से ठीक ऊपर रहता है l वह साँस लेना बंद कर देती है, और इंतज़ार करती है l छह महीने तक, वह दफ़न रहती है, और उसका शरीर उसकी हड्डियों से कैल्शियम को उसके रक्तप्रवाह में छोड़ता है, जिससे वह धीरे-धीरे अपने आकार को भी खोने लगती है l 

लेकिन जब तालाब का बर्फ पिघलेगा, वह फिर से तैरेगी और साँस लेगी l उसकी हड्डियों में सुधार होगा, और वह अपने कवच पर सूरज की गर्मी महसूस करेगी l 

जब मैं परमेश्वर के इंतज़ार के बारे में भजनकार के विवरण को पढ़ती हूँ, तो मैं पेंटेड कछुआ के विषय सोचती हूँ l भजनकार “दलदल” की “कीच” में पड़ा है, परन्तु परमेश्वर उसकी सुनता है (भजन 40:2) l परमेश्वर उसे बाहर निकालता है, और उसे खड़े होने के लिए एक दृढ़ स्थान देता है l वह गाता है, परमेश्वर “मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है” (पद.17) l 

शायद ऐसा महसूस होता है कि आप सदा से कुछ चीज़ के बदलने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं – अपनी जीविका में एक नयी दिशा के लिए, एक रिश्ते को बहाल करने के लिए, एक बुरी आदत को तोड़ने के लिए इच्छाशक्ति के लिए, या एक कठिन परिस्थिति से छुटकारे के लिए l पेंटेड कछुआ और भजनकार हमें परमेश्वर में भरोसा करने के लिए याद दिलाने के लिए यहाँ हैं : वह सुनता है, और वह छुटकारा करेगा l