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Articles by शेरिडन योयता

बहिष्कृत विश्वास

जून 1965 में, टोंगन के छह किशोर साहसिक कार्य की तलाश में अपने द्वीप घर से रवाना हुए। लेकिन जब पहली रात एक तूफान ने उनके मस्तूल और पतवार को तोड़ दिया, तो वे दक्षिण प्रशांत महासागर में 'अता' के निर्जन द्वीप पर पहुँचने से पहले बिना भोजन या पानी के कई दिनों तक बहते रहे। उनके मिलने से पहले 15 महिना हो सकता है. 

लड़कों ने 'जीवित रहने के लिए अटा ' पर एक साथ काम किया, एक छोटा सा खाद्य उद्यान स्थापित किया, बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए पेड़ों के तनों को खोखला किया, यहां तक कि एक अस्थायी व्यायामशाला भी बनाया। जब एक लड़के ने टीले से गिर कर अपना पैर तोड़ लिया, तो दूसरे ने उसे लाठी और पत्तों से खड़ा कर दिया। तर्कों को अनिवार्य मिलन के साथ व्यवस्थित किया गया, और प्रत्येक दिन गाना और प्रार्थना के साथ शुरू और समाप्त होता था। जब लड़के अपनी कठिन परीक्षा से स्वस्थ होकर निकले, तो उनके परिवार चकित रह गए—उनका अंतिम संस्कार हो चुका था। 

पहली शताब्दी में यीशु में विश्वासी होना एक अलग अनुभव हो सकता है। अपने विश्वास के लिए सताए गए और अक्सर परिवार से फंसे हुए, कोई भी अपने आप को असहाय महसूस कर सकता है। ऐसे बहिष्कृत लोगों के लिए प्रेरित पतरस का प्रोत्साहन अनुशासित और प्रार्थनापूर्ण बने रहना था (1 पतरस 4:7), एक दूसरे की देखभाल करना (पद. 8), और कार्य को पूरा करने के लिए जो भी योग्यताएं हैं उनका उपयोग करना (पद. 10-11)।  समय आने पर, परमेश्वर उन्हें " सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।” (5:10)  

परीक्षा के समय में, "त्याज्य विश्वास" की आवश्यक होता है। हम प्रार्थना करते और एकता में काम करते हैं, और परमेश्वर हमें उसमें से लाता है।

गो–कार्ट ठीक करना

मेरे बचपन के घर का गैरेज कई यादें समेटे हुए है। हर शनिवार की सुबह, मेरे पिताजी हमारी कार को गैरेज़ से निकालकर ड्राइववे में पार्क कर देते थे, ताकि  हमारे पास काम करने के लिए जगह हो जाये — मेरी पसंदीदा एक टूटी हुई गो–कार्ट(एक छोटी रेसिंग कार) को ठीक करने के लिये, जो हमें कहीं से मिली थी। उस गैराज में, हमने उसमें नए पहिए लगाये, प्लास्टिक की एक अच्छी विंडशील्ड लगाई, और जब मेरे पिताजी सड़क पर ट्रैफिक  को देख रहे होते थे तो मैं ड्राइववे पर  उत्तेजना के साथ दौड़ता था। ! पीछे मुड़कर देखता हूं, तो उस गैरेज में केवल गो–कार्ट को ठीक करने के अलावा और भी बहुत कुछ हो रहा था। एक युवा लड़के को उसके पिता द्वारा आकार दिया जा रहा था, बनाया जा रहा था, और इस प्रक्रिया में परमेश्वर की एक झलक दिखाई  दे रही थी।  

मनुष्यों को परमेश्वर के अपने स्वभाव के अनुरूप बनाया गया है(उत्पत्ति 1:27–28)। मानव पालन पोषण का मूल परमेश्वर में भी है, क्योंकि “वह पिता है, जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर हर एक घराने का नाम रखा जाता है” (इफिसियों 3:14–15) । जिस तरह माता पिता बच्चों को दुनिया में लाकर ईश्वर की जीवन देने वाली क्षमताओं का अनुकरण करते हैं, जब वे अपने बच्चों का पालन–पोषण और सुरक्षा करते हैं, तो वे अपने आप में नहीं बल्कि पिता ईश्वर में गुणों को व्यक्त करते हैं। वह एक ऐसा  नमूना (मॉडल) है जिस पर सभी परवरिश (पेरेंटिंग)आधारित हैं।

मेरे पिता पूरी तरह से ठीक तो नहीं थे। हर पिता और माता की तरह उनका पालन–पोषण कभी कभी स्वर्ग की नकल करने में विफल रहा। लेकिन जब अक्सर परमेश्वर की नकल की, तो इसने मुझे परमेश्वर के अपने पालन–पोषण और सुरक्षा की एक झलक दिखाई — ठीक वहीं पर जंहा  जब हमने गैराज के फर्श पर गो–कार्ट ठीक करी।

मौसम

हाल ही में मुझे एक सहायक शब्द मिला: शीतकाल। जिस प्रकार से सर्दियों का मौसम अधिकांश प्राकृतिक संसार के धीमे हो जाने का समय होता है, लेखिका कैथरीन मे जीवन के “ठंडे” मौसमों के दौरान विश्राम करने और स्वस्थ होने की हमारी आवश्यकता का वर्णन करने के लिए इस शब्द का उपयोग करती हैं। मैंने अपने पिता को कैंसर की बीमारी से खो देने के बाद उस समरूपता को सहायक पाया, जिसने मुझे महीनों तक मुझे शक्तिहीन बना कर  रखा। इस जबरदस्ती की धीमी गति से नाराज होकर, यह प्रार्थना करते हुए मैंने अपनी सर्दी से लड़ाई लड़ी कि गर्मी का जीवन वापस लौट आए । परन्तु मुझे तो बहुत कुछ सीखना था।

सभोपदेशक की पुस्तक प्रसिद्ध रूप से कहती है कि “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है”— अर्थात् बोने और काटने का समय, रोने और हँसने का, शोक मनाने और नाचने का समय (3:1-4)। वर्षों से मैंने इन वचनों को पढ़ा था, परन्तु इन्हें समझना मैंने अपने शीतकाल में ही आरम्भ किया। क्योंकि यद्यपि हमारा उन पर थोड़ा नियंत्रण हो भी, तौभी प्रत्येक मौसम सीमित होताहै और जब उसका कार्य पूरा हो जाएगा तो वह बीत जाएगा। और जबकि हम हमेशा यह नहीं समझ सकते कि यह क्या हुआ, परमेश्वर उनके द्वारा हमारे भीतर कुछ महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है (पद 11)। मेरा शोक का समय समाप्त नहीं हुआ था। परन्तु जब यह समाप्त होगा तो आनन्द लौट आयेगा । जैसे पौधे और पशु सर्दी से संघर्ष नहीं करते, वैसे ही मुझे भी आवश्यकता थी कि विश्राम करूँ और उसे अपना नवीनीकरण का काम करने दूँ।

मेरे एक मित्र ने प्रार्थना की,“हे प्रभु, क्या आप इस कठिन समय में शेरिडन के जीवन में अपना भला काम करेंगे।” यह प्रार्थना मेरी प्रार्थना से बेहतर थी। क्योंकि परमेश्वर के हाथों में, मौसम तो उद्देश्यपूर्ण वस्तुएँ हैं। आइए हम हर एक के जीवन में उसके नवीनीकरण के कार्य के प्रति समर्पित हो जाएँ।

सत्य ढूंढने वाले

एक महिला ने एक बार मुझे एक असहमति के बारे में बताया था जो उसके कलीसिया को तोड़ रही थी। "असहमति किस बारे में है?" मैंने पूछ लिया। "क्या पृथ्वी चपटी है," उसने कहा। कुछ महीने बाद, एक मसीही व्यक्ति के बारे में खबर आई जो एक रेस्तरां में घुसा था, हथियारों से लैस, बच्चों को बचाने के लिए जिनके पीछे के कमरे में कथित रूप से दुर्व्यवहार किया जा रहा था। पीछे कोई कमरा नहीं था, और उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों ही मामलों में, शामिल लोग साजिश के सिद्धांतों(झूठा समाचार) पर काम कर रहे थे जो उन्होंने इंटरनेट पर पढ़े थे।

यीशु में विश्वासियों को अच्छा नागरिक होने के लिए बुलाया गया है (रोमियों 13:1-7), और अच्छे नागरिक गलत खबर नहीं फैलाते हैं। लूका के दिनों में, यीशु के बारे में बहुत सी कहानियाँ प्रचलित थीं (लूका 1:1), उनमें से कुछ गलत थीं। उसने जो कुछ भी सुना, उसे बताने के बजाय, लूका अनिवार्य रूप से एक खोजी पत्रकार बन गया, चश्मदीद गवाहों से बात कर रहा था (पद. 2), “शुरुआत से सब कुछ” पर शोध कर रहा था (पद. 3), और अपने निष्कर्षों को एक ऐसे सुसमाचार में लिख रहा था जिसमें नाम, उद्धरण, और ऐतिहासिक तथ्य प्रत्यक्ष ज्ञान वाले लोगों पर आधारित हैं, असत्यापित दावे नहीं।

हम भी ऐसा ही कर सकते हैं। चूँकि झूठी जानकारी कलीसियाओं को विभाजित कर सकती है और जीवन को जोखिम में डाल सकती है, तथ्यों की जाँच करना अपने पड़ोसी से प्रेम करने का एक कार्य है (10:27)। जब कोई सनसनीखेज कहानी हमारे पास आती है, तो हम उसके दावों को योग्य, जवाबदेह विशेषज्ञों के साथ सत्यापित कर सकते हैं, सत्य की तलाश करने वाले—त्रुटि फैलाने वाले नहीं। ऐसा कार्य सुसमाचार में विश्वसनीयता लाता है। आखिरकार, हम उसकी आराधना करते हैं जो सत्य से परिपूर्ण है (यूहन्ना 1:14)।

किराय-का -मित्र?

दुनिया भर में कई लोगों के लिए जीवन अकेला होता जा रहा है। 1990 के बाद से अमेरिकियों की संख्या चौगुनी हो गई है, जिनका कोई दोस्त नहीं है। कुछ यूरोपीय देशों में उनकी आबादी का 20 प्रतिशत तक अकेलापन महसूस कर रहा है, जबकि जापान में, कुछ बुजुर्ग लोगों ने अपराध का सहारा लिया है ताकि वे जेल में कैदियों की संगति कर सकें।

उद्यमी इस अकेलेपन की महामारी के लिए एक "समाधान" लेकर आए हैं- रेंट-ए-फ्रेंड। घंटे के हिसाब से किराए पर लिए गए, ये लोग आपसे बात करने या किसी पार्टी में आपके साथ जाने के लिए एक कैफे में मिलेंगे। ऐसे ही एक "दोस्त" से पूछा गया कि उसका ग्राहक कौन था। "अकेला, 30- से 40 वर्षीय पेशेवर," उसने कहा, "जो लंबे समय तक काम करते हैं और कई दोस्त बनाने के लिए समय नहीं है।"

सभोपदेशक 4 एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन करता है जो बिल्कुल अकेला है, जिसके पास "बेटा या भाई" नहीं है। इस कार्यकर्ता के परिश्रम का "अंत नहीं" है, फिर भी उसकी सफलता पूर्ण नहीं है (पद. 8)। “मैं किसके लिए मेहनत कर रहा हूँ। . . ?” वह अपनी दुर्दशा के प्रति जागते हुए पूछता है। रिश्तों में निवेश करना कहीं बेहतर है, जो उसके काम का बोझ हल्का कर देगा और परेशानी में मदद करेगा (पद.9-12)। क्योंकि, अंततः, मित्रता के बिना सफलता "अर्थहीन" है (पद. 8)।

सभोपदेशक हमें बताता है कि जो दोरी तीन तागे से बटी हो जल्दी नहीं टूटती (पद. 12)। लेकिन न तो यह जल्दी से बुनी जाती है। चूँकि सच्चे दोस्त किराए पर नहीं लिए जा सकते हैं, आइए हम उन्हें बनाने के लिए आवश्यक समय का निवेश करें, परमेश्वर को हमारे तीसरे सूत्र के रूप में, हमें एक साथ मजबूती से बुनते हुए।

आप कौन हैं

निःसंतानता के एक दशक के बाद, 2011 में, मेरी पत्नी और मैंने एक नए देश में नए सिरे से शुरुआत करना चुना। जैसे वह जगह-बदलाव रोमांचक था, इसके लिए मुझे मेरा प्रसारण का करियर छोड़ना ज़रूरी था, जो मुझे याद आया। खोया हुआ महसूस करते हुए, मैंने अपने मित्र लियं से सलाह माँगा।  

“मुझे नहीं पता कि मेरी बुलाहट अब क्या है,” मैंने लियं को विषादपूर्वक कहा। तुम यहाँ प्रसारण नहीं कर रहें? उसने पूछा। मैंने कहा कि मैं नहीं कर रहा था। 

“और तुम्हारा वैवाहिक जीवन कैसा है?”असके विषय के बदलाव पर आश्चर्यचकित, मैंने लियं से कहा की मेर्र्यन और मैं अच्छे हैं। हमने एक साथ बड़े दुःख का सामना किया था पर इसके कारण से हम और करीब हो गए..“प्रतिबद्धता सुसमाचार का मूल है,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “ओह, दुनिया को तुम्हारे जैसे प्रतिबद्ध विवाहों को देखना चाहिए! हो सकता है तुम उस प्रभाव को महसूस न कर सको जो तुम्हारे द्वारा पहले ही से पड़ रहा है, इससे परे कि तुम क्या करते हो, बस तुम जो हो, उसके होने से,”

जब एक कठिन कार्य परिस्थिति ने तीमुथियुस को निराश कर दिया, प्रेरित पौलुस ने आजीविका के लक्ष्य नहीं दिए। बल्कि उसने तीमुथियुस को वचन, और चाल–चलन, और प्रेम, और विश्‍वास, और पवित्रता में आदर्श बनने और एक धर्मी जीवन, जीने को प्रोत्साहित किया, (4:12-13, 15)। वह विश्वासयोग्ता से जीने के द्वारा दूसरों को सर्वोत्तम रूप से प्रभावित करता।

अपने आजीविका की सफलता के आधार पर अपने जीवन को महत्व देना आसान है जबकि जो सबसे ज्यादा मायने रखता है वह हमारा चरित्र है। मैं यह भूल गया था। लेकिन एक सत्य वचन, एक दयालु कार्य, एक प्रतिबद्ध शादी भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकते है—क्योंकि उसके द्वारा परमेश्वर की स्वयं की भलाई का कुछ दुनिया को छूता है।

मेरे संग चलें

कुछ साल पहले, एक लोकप्रिय गीत सबसे अधिक हिट (प्रसिद्ध) हुआ, जिसमें सुसमाचार संगीत मण्डली(choir) ने एक वृन्दगान (कोरस/chorus) गाया, “यीशु मेरे साथ चलता है(Jesus walks with me) l”  इस गीत के पीछे एक जबरदस्त कहानी है l 

इस संगीत मण्डली का आरम्भ जैज़ संगीतकार(Jazz Musician) कर्टिस लुंडी ने किया था जब उन्होंने कोकीन(नशीला पदार्थ) की लत के लिए एक उपचार कार्यक्रम में प्रवेश किया था l उन्होंने साथी व्यसनियों(अडिक्टस/addicts) को एक साथ आकर्षित किया और एक पुराने भजन से प्रेरणा पाते हुए, उन्होंने उस कोरस को पुनर्वसन(रिहेब/rehab) में उन लोगों के लिए आशा के एक गीत के रूप में लिखा l “हम अपने जीवन के लिए गा रहे थे,” एक गाना बजानेवाले ने इस  गीत के बारे में कहा l “हम यीशु से हमें बचाने के लिए कह रह थे, ताकि हमें नशीले पदार्थों से बाहर निकलने में सहायता मिले l” एक अन्य ने पाया कि जब उसने गाना गाया तो उसका पुराना दर्द कम हो गयाl उस गाने को गानेवाले सिर्फ एक कागज़ पर लिखे शब्द नहीं गा रहे थे बल्कि छुटकारे के लिए अधीरता/उतावलेपन से प्रार्थना कर रहे थे l 

आज का बाइबल पाठ उनके अनुभव का बखूबी वर्णन करता है l मसीह में, हमारा परमेश्वर सभी लोगों को उद्धार देने के लिए प्रकट हुआ है (तीतुस 2:11) l जबकि अनंत जीवन इस उपहार का हिस्सा है (पद.13), परमेश्वर अब हम पर कार्य कर रहा है, हमें आत्म-संयम प्राप्त करने के लिए, सांसारिक वासनाओं को इंकार या ना कहने के लिए,और हमें उसके साथ जीवन के लिए छुट्कारा पाने के लिए सशक्त कर रहा हैI पद.12, 14) l जैसे कि गायक मंडली ने पाया, यीशु न केवल हमारे पापों को क्षमा करता है—वह हमें विनाशकारी जीवन शैली से भी मुक्त करता है l 

यीशु मेरे साथ चलता है l और आपके साथ भी l और जब कोई भी उससे सहायता मांगता है l भविष्य के लिए आशा और उद्धार देने के लिए, वह अभी, इसी समय हमारे साथ है l 

बहन भाई से

जब एक अगुवे ने पूछा कि क्या मैं उसके साथ निजी तौर पर बात कर सकता हूँ, मैंने कैरेन को रिट्रीट सेंटर परामर्श कक्ष में लाल आंखों और गीले गाल में पाया। बयालीस साल की, करेन शादी करना चाहती थी, और एक आदमी वर्तमान में उसमें दिलचस्पी दिखा रहा था। लेकिन यह आदमी उसका बॉस था- और उसकी पहले से ही एक पत्नी थी।

एक ऐसा भाई जो उसे क्रूरता से छेड़ता और एक स्नेह रहित पिता के साथ, कैरन को जल्द ही पता चल गया था कि वह अतिसंवेदनशील थी पुरुषों का उसका फायदा उठाने के लिए । विश्वास के नवीनीकरण ने उसे जीने के लिए नई सीमाएँ दी थीं, लेकिन उसकी लालसा बनी रही, और प्रेम की यह झलक जो उसे नहीं मिल सकती थी, वह एक पीड़ा थी।

बात करने के बाद, करेन और मैंने अपना सिर झुकाया। और एक सच्ची और शक्तिशाली प्रार्थना में, करेन ने अपने प्रलोभन को स्वीकार किया, अपने बॉस को निषिद्ध ठराया, अपनी लालसा को परमेश्वर को सौंप दिया, और कमरे से बहार हल्का महसूस करती हुई निकली।

उस दिन, मुझे विश्वास में भाइयों और बहनों के रूप में एक दूसरे के साथ व्यवहार करने की पौलुस की सलाह की चमक का एहसास हुआ (1 तीमुथियुस 5:1-2)। हम लोगों को कैसे देखते हैं, यह निर्धारित करता है कि हम उनके साथ कैसे बातचीत करते हैं, और एक ऐसी दुनिया में जो वस्तुनिष्ठता और कामुकता के लिए त्वरित है, विपरीत लिंग को परिवार के रूप में देखने से हमें उनके साथ देखभाल और औचित्य के साथ व्यवहार करने में मदद मिलती है। स्वस्थ भाई-बहन एक-दूसरे के साथ दुर्व्यवहार या बहकाते नहीं है।

केवल ऐसे ही पुरुष को जानने के कारण, जो उसे नीचा दिखाते, इस्तेमाल करते, या उसकी उपेक्षा करते थे, करेन को एक ऐसे की आवश्यकता थी जिससे वह एक बहन से भाई वाली बातचीत कर सके। सुसमाचार की सुंदरता यह है कि यह हमें यही प्रदान करता है -हमें नए भाई -बहन देता है हमारी जीवन की समस्याओं का सामना करने के लिए। 

कहानी अभी खत्म नहीं हुआ

जब ब्रिटिश नाटक लाइन ऑफ़ ड्यूटी का समापन हुआ, रिकॉर्ड संख्या ने देखा की संगठित अपराध के विरूद्ध उसकी लड़ाई कैसे खत्म होगी। लेकिन कई दर्शक तब निराश हुए थे जब समापन यह होता कि बुराई अंततः जीत जाएगी। एक प्रशंसक ने कहा "मैं चाहता था कि बुरे लोगों को न्याय मिले।" "हमें वह नैतिक अंत चाहिए था"

समाजशास्त्री पीटर बर्जर ने एक बार लिखा की हम आशा और न्याय के लिए भूखे हैं —आशा की एक दिन बुराई पर जित होगी और यह की जिन लोगों ने इसे किया, उन्हें उनके अपराधों का सामना करना पड़ेगा। एक दुनिया जहाँ हम जानते हैं कि दुनिया को कैसे काम करना चाहिए, बुरे लोग जित के उसके खिलाफ जाते हैं। इसे एहसास किये बिना की, वे निराश प्रशंसक दुनिया को फिर से ठीक का मानवता की गहरी लालसा व्यक्त कर रहे थे। 

प्रभु की प्रार्थना में, यीशु बुराई के बारे में वास्तविक हैं। यह न केवल हमारे मध्य मौजूद रहता, (12) क्षमा की आवश्यकता है। परन्तु बड़े पैमाने पर, छुटकारे की आवश्यकता है (13)। हालंकि, यह यर्थाथ, आशा के साथ मेल खाता है। एक जगह है जहाँ बुराई बास नहीं करता—स्वर्ग—और वह स्वर्गीय राज्य पृथ्वी पर आ रहा है (10)। एक दिन परमेश्वर का न्याय पूरा होगा, उसका "नैतिक अंत" आयेगा, और बुराई भलाई के लिए दूर किया जाएगा (प्रकाशितवाक्य 21:4)।

इसलिये जब वास्तविक जीवन में बुरे लोग जीतते और निराशा होता है, हम यह याद रखें: जब तक परमेश्वर की इच्छा “जैसे स्वर्ग में है पृथ्वी पर” पूरी न हो जाती हमेशा आशा है—क्योंकि कहानी अभी खत्म नहीं हुआ।