Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by टॉम फेल्टेन

अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना

2021 में एक इंजीनियर की इच्छा थी  कि  वह इतिहास में किसी से भी अधिक दूर तक तीर चलाये ओर एक नया रिकार्ड़ बनाये।  इसलिये उसने 2028 फीट के रिकॉर्ड पर निशाना साधा। नमक के समतल पर अपनी पीठ के बल लेटे हुए, उसने अपने आप बनाये, पैर से चलाये जाने वाले धनुष की ड़ोरी को पीछे खींच लिया, और निशाना लगाने के लिए तैयार हो गया। उसे उम्मीद थी कि यह एक मील (5280 फीट) से अधिक की दूरी का एक नया रिकॉर्ड होगा। गहरी साँस लेकर उसने तीर छोड़ दिया। पर एक मील तो क्या वास्तव में वह एक फुट से भी कम दूरी तक ही गया – और उसके पैर में जा लगा —और ओह! उसने  काफी नुकसान पहुँचाया। 

कभी–कभी हम गलत महत्वकांक्षा के साथ लाक्षणिक (प्रतीकात्मक) रूप से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार सकते हैं (अपना नुकसान कर सकते हैं)। याकूब और यूहन्ना जानते थे कि महत्वाकांक्षी रूप से कुछ अच्छा चाहने का क्या मतलब होता है,लेकिन गलत कारणों (उद्देश्य) के लिए। उन्होंने यीशु से माँगा, कि “तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दहिने और दूसरा तेरे बांए बैठे।” (मरकुस 10:37)। यीशु ने शिष्यों से कहा था कि वे “बारह सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करेंगे।” (मत्ती 19:28)  इसलिए यह देखना आसान है कि उन्होंने यह अनुरोध क्यों किया। समस्या ? वे स्वार्थी रूप से मसीह की महिमा में अपना ऊंचा दर्जा और शक्ति की तलाश कर रहे थे। यीशु ने उनसे कहा कि उनकी महत्वाकांक्षा गलत है (मरकुस 10:38) बरन “जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने।” (पद 43)।

जब हम मसीह के लिए अच्छे और महान कार्य करने का लक्ष्य रखते हैं, तो क्या हम उसकी बुद्धि और मार्गदर्शन की तलाश कर सकते हैं — विनम्रतापूर्वक दूसरों की सेवा करें जिस प्रकार मसीह ने बहुत ही अच्छी तरह से किया (पद 45)।

खुले स्थान ढूँढना

अपनी पुस्तक मार्जिन(Margin) में, डॉ. रिचर्ड स्वेन्सन लिखते हैं, “हमारे पास सांस लेने के लिए थोड़ी जगह होनी चाहिए l हमें सोचने के लिए स्वतंत्रता और चंगा करने के लिए अनुमति चाहिए l हमारे रिश्ते वेग/गति से भूखे मर रहे हैं . . . हमारे बच्चे धरती पर घायल हैं, हमारे उच्च गति वाले नेक इरादों से कुचले जा रहे हैं l क्या ईश्वर अब थकान का समर्थक है? क्या वह अब लोगों को शांत जल के पास नहीं ले जाता? अतीत के उन पूर्ण खुले स्थानों को किसने लूटा, और हम उन्हें कैसे वापस ला सकते हैं?” स्वेन्सन कहते हैं कि हमें जीवन में कुछ शांत, उपजाऊ “भूमि” की ज़रूरत है जहाँ हम ईश्वर में विश्राम पाएँ और उससे मिल सकें l

क्या वह गूंजता है? खुली जगहों की तलाश करना मूसा अच्छी तरह से जानता था l “हठीले” लोगों की अगुवाई करते हुए (निर्गमन 33:5), वह अक्सर परमेश्वर की उपस्थिति में विश्राम और मार्गदर्शन के लिए अलग जाता था l अपने “मिलापवाले तम्बू” (पद.7) में “यहोवा मूसा से इस प्रकार आमने-सामने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से” (पद.11) l यीशु भी “जंगलों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था” (लूका 5:16) l दोनों ने पिता के साथ अकेले समय बिताने के महत्व को समझा l

हमें भी अपने जीवन में मार्जिन/गुंजाइश बनाना चाहिए, विश्राम में और ईश्वर की उपस्थिति में बिताए कुछ अधिक और खुले स्थान l उसके साथ समय बिताने से हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी—हमारे जीवन में स्वस्थ सीमाएं और हदें ऐसी होंगी ताकि हमारे पास उसे और दूसरों को अच्छी तरह से प्यार करने के लिए बैंडविड्थ/bandwidth उपलब्ध हो l

आइए आज हम खुले स्थानों में ईश्वर की खोज करें l

व्यक्तिगत जिम्मेदारी

मैं जो महसूस कर रहा था मेरे मित्र के आँखों ने प्रकट किया—डर! हम दोनों किशोरों ने खराब व्यवहार किया था और अब शिविर निदेशक के सामने डर रहे थे। वह व्यक्ति, जो हमारे पिताओं को अच्छी तरह से जानता था, उसने प्यार से लेकिन स्पष्ट रूप से बताया कि हमारे पिता बहुत निराश होंगे। अपने अपराध के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी का भार महसूस करते हुए —हम मेज के नीचे छुपना चाह रहे थे। 

परमेश्वर ने सपन्याह को यहूदा के लोगों के लिए एक संदेश दिया जिसमें पाप के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी के बारे में शक्तिशाली वचन था (सपन्याह 1:1, 6-7)। यहूदा के शत्रुओं के विरुद्ध जो न्याय लाएगा (अध्याय 2) का वर्णन करने के बाद वह, अपनी आँखें अपने दोषी, फुदकते लोगों की ओर फेरा (अध्याय 3)। “हाय बलवा करनेवाली और अशुद्ध और अंधेर से भरी हुई नगरी!” परमेश्वर ने घोषणा किया, “...परन्तु वे सब प्रकार के बुरे-बुरे काम यत्न से करने लगे।”  (पद 7)।

उसने अपने लोगों के ठंडे हृदयों को देखा था—उनकी आत्मिक उदासीनता, सामाजिक अन्याय, और बदसूरत लालच—और वह प्रेमपूर्ण अनुशासन ला रहा था। और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि व्यक्ति "नेता," "न्यायाधीश," "भविष्यद्वक्ता" था (पद. 3-4)—हर कोई उसके सामने दोषी था।  

प्रेरित पौलुस ने यीशु के उन विश्वासियों को जो पाप में बने रहे, निम्नलिखित लिखा, “पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिये, जिसमें परमेश्‍वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा, अपने लिये क्रोध कमा रहा है। वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।” (रोमियों 2:5-6)। इसलिए, यीशु की सामर्थ में, आइए हम ऐसे तरीके से जिएं जो हमारे पवित्र, प्यारे पिता का सम्मान करे और हमें कोई पछतावा न हो। 

स्वतंत्र आज्ञाकारिता

युवा किशोरी के चेहरे पर चिंता और शर्म झलक रही थी। 2022 के शीतकालीन ओलंपिक की ओर बढ़ते हुए, एक प्रसिद्ध स्केटर के रूप में उसकी सफलता बहुत बेजोड़ थी। एक के बाद एक मिली चैंपियनशिप की श्रृंखला ने उसे स्वर्ण पदक जीतने का कारण बना दिया था। लेकिन तभी एक जांच के नतीजे से उसके  शरीर में एक अवैध (प्रतिबंधित)पदार्थ का पता चला। उम्मीदों और निंदा के भारी बोझ के दबाव के साथ, वह अपने फ्री–स्केट कार्यक्रम के दौरान कई बार गिरी और इसका परिणाम हुआ कि वह विजेता मंच पर खड़ी नहीं हुई— उसने कोई पदक नहीं जीता । घोटाले से पहले उसने बर्फ पर अपनी कला और रचनात्मकता का स्वतंत्र प्रर्दशन किया था, लेकिन अब नियम तोड़ने के आरोप ने उसके सपनों को कुचल दिया।

मानवता के शुरुआती दिनों से, जब हम अपनी स्वतंत्र इच्छा से चलते हैं तो परमेश्वर ने आज्ञाकारिता के महत्व को प्रकट किया है । अनाज्ञाकारिता ने आदम, हव्वा, और हम सभी के लिए विनाशकारी प्रभावों को जन्म दिया, क्योंकि पाप ने हमारे संसार को खंडित किया और मृत्यु का प्रवेश हुआ (उत्पत्ति 3:6–19) ऐसा नहीं होना चाहिए था। परमेश्वर ने आदम और हव्वा से कहा था, “तुम किसी भी वृक्ष का फल बेखटके खा सकते हो परन्तु एक का नहीं” (2:16–17)। यह सोचते हुए कि उनकी आंखें खुल जायेगीं, और वे परमेश्वर के तुल्य होंगे, उन्होंने मना किये गये अच्छे और बुरे के ज्ञान के वृक्ष में से खाया (3:5; 2:17) और इससे पाप, लज्जा और मृत्यु संसार में आई। 

परमेश्र्वर अनुग्रह करके हमें स्वतंत्रता देते हैं और आनन्द लेने के लिए और बहुत सी अच्छी वस्तुओं को देते हैं (यूहन्ना 10:10) । प्रेम में वह हमें हमारी भलाई के लिए उसकी आज्ञा मानने के लिए भी कहते है। वह हमें आज्ञाकारिता चुनने और आनंद से भरा और शर्म से मुक्त जीवन पाने में मदद करे।

अनुग्रह और परिवर्तन

अपराध चौंकाने वाला था, और इसे करने वाले व्यक्ति को जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद के वर्षों में, एकान्त कारावास में मनुष्य ने मानसिक और आध्यात्मिक चंगाई की प्रक्रिया शुरू की। यह पश्चाताप और यीशु के साथ एक बहाल रिश्ते की ओर ले गया। इन दिनों उन्हें अन्य कैदियों के साथ सीमित बातचीत की अनुमति दी गई है। और, परमेश्वर के अनुग्रह से, उसकी गवाही के द्वारा कुछ साथी कैदियों ने मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण किया है—उसमें क्षमा पाकर।

मूसा, हालाँकि अब विश्वास के एक महान व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है, उसने एक चौंकाने वाला अपराध भी किया। जब उसने "एक मिस्री को एक इब्री को पीटते हुए" देखा, तब उसने "यहाँ और उस ओर" देखा और "मिस्री को घात किया" (निर्गमन 2:11-12)। इस पाप के बावजूद, परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में अपने अपूर्ण सेवक के साथ कार्य समाप्त नहीं किया। बाद में, उसने अपने लोगों को उनके अत्याचार से मुक्त करने के लिए मूसा को चुना (3:10)। रोमियों 5:14 में, हम पढ़ते हैं, "तौभी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया। " परन्तु निम्नलिखित पदों में पौलुस कहता है कि "परमेश्‍वर का अनुग्रह" हमारे लिए संभव करता है, चाहे हमारे पिछले पाप कुछ भी क्यु न हों, हम उसके साथ परिवर्तित और सही किए जा सकते हैं (पद. 15-16)।

हम सोच सकते हैं कि हमने जो किया है वह हमें परमेश्वर की क्षमा को जानने और उसके सम्मान के लिए उपयोग किए जाने से अयोग्य बनाता है। लेकिन उनकी कृपा के कारण, यीशु में हम बदल सकते हैं और दूसरों को हमेशा के लिए बदलने में मदद करने के लिए स्वतंत्र हो सकते हैं।

सतह के नीचे

जोस, यीशु में एक युवा विश्वासी, अपने भाई के चर्च में जा रहा था। जैसे ही उसने सेवा से पहले पवित्र स्थान में प्रवेश किया, उसे देखते ही उसके भाई का चेहरा उतर गया। जोस के टैटू, दोनों बाहों को ढंकते हुए, टी-शर्ट पहनने के कारण से दिखाई दे रहे थे। उसके भाई ने उसे घर जाने और एक लंबी बाजू की शर्ट पहनने को कहा, क्योंकि जोस के कई टैटू उसके अतीत के तौर-तरीकों को दर्शाते थे। जोस को अचानक गंदा लगा। लेकिन एक अन्य व्यक्ति ने भाइयों की बातचीत सुन ली और जोस को पादरी के पास लाया, उसे बताया कि क्या हुआ था। पादरी मुस्कुराय और अपनी कमीज के बटन खोल दिए, जिससे उनकी छाती पर एक बड़ा सा टैटू दिखाई दे रहा था—जो उनके अपने अतीत का था। उन्होंने जोस को आश्वासन दिया कि क्योंकि परमेश्वर ने उसे अंदर बाहर से शुद्ध किया है, उसे अपनी बाहों को ढंकने की जरूरत नहीं है।

दाऊद ने परमेश्वर द्वारा शुद्ध किए जाने के आनंद का अनुभव किया था। उसके सामने अपने पाप का अंगीकार करने के बाद, राजा दाऊद ने लिखा, “क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ापा गया हो!” (भजन संहिता 32:1 एनएलटी)। वह अब दूसरों के साथ “आनन्द से जयजयकार” कर सकता था “जिनके हृदय शुद्ध हैं!” (वी। 11 एनएलटी)। प्रेरित पौलुस ने बाद में रोमियों 4:7-8 में भजन संहिता 32:1-2 को उद्धृत किया, एक भाग जो बताता है कि यीशु में विश्वास उद्धार और उसके सामने एक शुद्ध प्रस्तुत होने की ओर ले जाता है (रोमियों 4:23-25 देखें)।

यीशु में हमारी पवित्रता सतह से कहीं अधिक है, क्योंकि वह हमारे हृदयों को जानता और शुद्ध करता है (1 शमूएल 16:7; 1 यूहन्ना 1:9)। आज हम उसके शुद्धिकरण के कार्य में आनन्दित हों।

विश्वास से दृढ़ खड़े रहना

1998 में नोकिया दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली मोबाइल फोन कंपनी बनी और 1999 में लगभग चार अरब डॉलर की वृद्धि मुनाफे में देखी गई। लेकिन 2011 तक बिक्री घट रही थी और जल्द ही असफल फोन ब्रांड को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। नोकिया के मोबाइल विभाजन की विफलता का एक कारक भय आधारित कार्य संस्कृति थी जिसके कारण विनाशकारी निर्णय हुए। नौकरी से निकाले जाने के डर से प्रबंधक नोकिया फोन के घटिया ऑपरेटिंग सिस्टम और अन्य डिजाइन समस्यायों के बारे में सच्चाई बताने के लिए अनिच्छुक थे।

यहूदा का राजा आहाज और उसके लोग भयभीत थे-“ ... ऐसा काँप उठा जैसे वन के वृक्ष वायु चलने से काँप जाते हैं।” (यशायाह 7:2)। वो जानते थे की इस्राएल और आराम (सीरिया) के राजा ने संधि कर ली, और उनकी संयुक्त सेना यहूदा पर अधिकार करने को चढ़ाई कर रही थी (पद 5-6)। भले ही प्रभु ने आहाज को प्रोत्साहित करने के लिए यशायाह का इस्तेमाल किए यह कहकर कि उसके शत्रुओं की शत्रुतापूर्ण योजनाएँ “नहीं होंगी” (पद 7), 

मूर्ख अगुवे ने डर के मारे अश्शूर के साथ मित्रता करना और महाशक्ति के राजा को सौंपना चुना (2 राजा 16:7-8)। उसने परमेश्वर पर भरोसा नहीं किया, जिन्होंने कहा था, “यदि तुम लोग इस बात की प्रतीति न करो; तो निश्‍चय तुम स्थिर न रहोगे।” (यशायाह 7:9)

इब्रानियों का लेखक हमें विचार करने में मदद करता है की आज विश्वास में दृढ़ रहना कैसा होता है: “आओ हम अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें, क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा की है, वह सच्‍चा है;” (10:23)।  जैसा पवित्र आत्मा हमें यीशु पर भरोसा करने के लिए सामर्थ देता है हम आगे बढ़ेने वाले हो पीछे “हटनेवाले नहीं” (पद 39)।

चेतावनी की ध्वनि

आपका करैत साँप(रैटटल स्नेक/rattle-snake) से कभी निकट से सामना हुआ है? यदि हाँ, तो आपने देखा होगा कि जैसे-जैसे आप करैत साँप के निकट जाते हैं, खड़खड़ाहट की आवाज़ और तेज हो जाती है l शोध बताता है कि जब कोई खतरा आ रहा होता है तो साँप अपनी खड़खड़ाहट का वेग बढ़ा देते हैं l यह “उच्च आवृत्ति मोड(हाई फ्रिकुएंसी मोड/ high frequency mode)” के कारण हम यह सोचने लगते है कि वे जितना निकट सुनाई दे रहा हैं उससे भी अधिक निकट हैं l जैसे कि एक शोधकर्ता ने कहा, “श्रोता द्वारा दूरी की गलत व्याख्या . . . दूरी सुरक्षा अंतर(डिस्टेंस सेफ्टी मार्जिन/distance safety margin) उत्पन्न करता है l”

लोग कभी-कभी कठोर शब्दों के साथ तेज आवाज़ का उपयोग करते हैं जो झगड़े के दौरान दूसरों को दूर धकेलते हैं—क्रोध दर्शाना और चीख का सहारा लेना l नीतिवचन का लेखक ऐसे समय के लिए कुछ बुद्धिपूर्ण परामर्श साझा करता है : “कोमल उत्तर सुनने से गुस्सा ठंडा होता है, परन्तु कटुवचन से क्रोध भड़क उठता है” (नीतिवचन 15:1) l वह आगे कहता है कि “शांति देनेवाली” और “बुद्धिपूर्ण” शब्द “जीवन-वृक्ष” है और वे “ज्ञान फैलाते हैं” (पद.4,7) l 

यीशु ने बुनियादी ज्ञान/अंतर्दृष्टि प्रदान की है कि जिनके साथ हमारा टकराव/झगड़े की स्तिथि उत्पन्न होती है उनसे नम्रता से आग्रह करने के लिए: ताकि प्रेम का विस्तार करते हुए हम उसकी संतान के रूप में प्रकट होI (मत्ती 5:43-45) और सुलह/मेल करने की तलाश—“[उन्हें राज़ी कर लेना]” (18:15) l और जैसे परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा हमारा मार्गदर्शन करता है झगड़े के दौरान अपनी आवाज़ तेज करना या निर्दयी/कठोर शब्दों का उपयोग करने के स्थान पर, हम दूसरों को सभ्यता, ज्ञान और प्रेम दिखाएँI

आपदा द्वारा खींचा जाना

१७१७ में, एक विनाशकारी तूफान कई दिनों तक चला, जिससे उत्तरी यूरोप में व्यापक बाढ़ आ गई। नीदरलैंड, जर्मनी और डेनमार्क में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई। इतिहास कम से कम एक स्थानीय सरकार द्वारा उस समय के लिए एक दिलचस्प और प्रथागत प्रतिक्रिया का खुलासा करता है। डच शहर ग्रोनिंगन के प्रांतीय अधिकारियों ने आपदा के जवाब में "प्रार्थना दिवस" ​​का आह्वान किया। एक इतिहासकार बताता है कि नागरिक चर्चों में इकट्ठा होते थे और “वचन सुनते थे, भजन गाते थे, और घंटों प्रार्थना करते थे।”

भविष्यवक्ता योएल यहूदा के लोगों द्वारा सामना की गई एक भारी आपदा का वर्णन करता है जो उन्हें प्रार्थना की ओर ले गयी। टिड्डियों के एक बड़े झुंड ने देश को ढँक दिया था और "[उसकी] दाखलताओं को उजाड़ दिया था और [उसके] अंजीर के पेड़ों को नष्ट कर दिया था" (योएल १:७)। जब वह और उसके लोग तबाही से घबराए हुए थे, योएल ने प्रार्थना की, “हे प्रभु, हमारी सहायता कर!” (१:१९)। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, उत्तरी यूरोप और यहूदा दोनों के लोगों ने आपदाओं का अनुभव किया जो पाप और इस पतित संसार के प्रभाव से उत्पन्न हुई (उत्पत्ति ३:१७-१९; रोमियों ८:२०-२२)। परन्तु उन्होंने यह भी पाया कि इन समयों ने उन्हें परमेश्वर को पुकारने और प्रार्थना में उसकी खोज करने के लिए उन्हें प्रेरित किया (योएल १:१९)। और परमेश्वर ने कहा, “अब भी . . . पूरे मन से मेरी ओर फिरो" (२:१२)।

जब हम कठिनाइयों और विपत्ति का सामना करते हैं, तब हम परमेश्वर की ओर मुड़े —हो सकता है पीड़ा में, हो सकता है पश्चाताप में। "दयालु" और "प्रेम से भरपूर" (पद १३), वह हमें अपनी ओर खींचता है—वह आराम और सहायता प्रदान करता है जिसकी हमें आवश्यकता है।