Month: फरवरी 2017

पिनाटा से बेहतर

पिनाटा अर्थात् टोफियों और मिठाइयों से भरा गत्ते का एक डिब्बा अथवा मिट्टी के पात्र के बगैर मिक्सिको का उत्सव अधुरा है l बच्चे एक छड़ी से उसे तोड़कर टोफियाँ आदि पाने का प्रयास करते हैं l  

मठवासी पिनाटा द्वारा सोलहवीं शताब्दी में मैक्सिकों के मूल निवासियों को सिखाते थे l पिनाटा सात भयंकर पाप दर्शानेवाले सात बिंदु वाले तारे होते थे l पिनाटा को तोड़ना बुराई से लड़ाई दर्शाता था, और उसके अन्दर की वस्तुएं बाहर गिर जाती थीं, लोग उसे विश्वास को बचाए रखने के पुरुस्कार के तौर पर अपने घर ले जाते थे l

किन्तु हम बुराई से नहीं लड़ सकते l परमेश्वर अपनी करुणा दिखाने के लिए हमारे प्रयास नहीं चाहता l इफिसियों हमें शिक्षा देता है कि “ विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है  ... वरन् परमेश्वर का दान है” (2:8) l हम नहीं; मसीह ने पाप को हराया है l  

बच्चे पिनाटा के अन्दर की मोमबत्तियों चाहते हैं, किन्तु परमेश्वर के वरदान हमें यीशु में विश्वास से मिलते हैं l परमेश्वर ने “हमें ... सब प्रकार की आत्मिक आशीष दी हैं” (1:3) l हमारे पास पाप क्षमा, छुटकारा, लेपलाकपन, नया जीवन, आनंद, प्रेम, और बहुत कुछ है l ये आत्मिक आशीषें हमें विश्वास को बचाने और मजबूत बने रहने से नहीं किन्तु यीशु में विश्वास से मिली हैं l आत्मिक आशीषें केवल अनुग्रह अर्थात् जिसके हम योग्य नहीं हैं, से आतीं हैं l

ज्योतिस्तंभ

रुवान्डा में सेवा केंद्र “लाइट हाउस” अपने अस्तित्व से ही छुटकारा को दर्शाता है l यह उस भूमि पर स्थित है जहाँ 1994 में हुए जातिसंहार के दौरान देश के राष्ट्रपति का भव्य मकान था l नया भवन, हालाँकि, मसीहियों ने ज्योति और आशा के ज्योतिस्तंभ के रूप में बनाया है l वहां नयी पीढ़ी के मसीही अगुए तैयार करने के लिए एक बाइबिल संस्थान के साथ एक होटल, रेस्टोरेंट, और समाज के लिए अन्य सेवाएँ उपलब्ध हैं l राख में से नया जीवन आया l “लाइट हाउस” को बनानेवाले यीशु को अपनी आशा और छुटकारे का श्रोत मानते हैं l

यीशु जब सब्त के दिन नासरत के आराधनालय में गया, उसने यशायाह की पुस्तक पढ़कर घोषणा की कि प्रभु की प्रसन्नता की घोषणा करने वाला अभिषिक्त वही है (देखें लूका 4:14-21) l वह ही कुचलों को छुड़ाने और छुटकारा और क्षमा देने आया l यीशु में हम राख से सुन्दरता निकलते देखते हैं (यशा. 61:3) l

हम रुवान्डा के जातिसंहार की क्रूरता देखते हैं, जब जनजातियों के बीच लड़ाई में पाँच लाख से अधिक लोग मारे गए, भयानक और खौफनाक, और हम इसके विषय कुछ नहीं कह सकते l फिर भी हमें ज्ञात है कि प्रभु  क्रूरता से छुटकारा दे सकता है-इस पृथ्वी पर या स्वर्ग में l विलाप के बदले हर्ष का तेल देनेवाला हमें अंधकारमय स्थितियों के मध्य आशा देता है l

कल की ओर दृष्टि

मुझे खुला नीला आसमान देखना पसंद है l आसमान हमारे महान सृष्टिकर्ता की श्रेष्ठ कृति का एक सुन्दर भाग है l कल्पना करें पायलट इस दृश्य को कितना पसंद करते होंगे l वे उड़ान भरने के लिए खुले आसमान का वर्णन करने के लिए अनेक वैमानिक शब्दों का उपयोग करते हैं, किन्तु मेरा पसंदीदा है, “कल की ओर दृष्टि l”

“कल की ओर दृष्टि” हमारे देखने से परे है l हम कभी-कभी आज क्या होगा भी जानने अथवा समझने में संघर्ष करते हैं l बाइबिल कहती है, “और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा ... जीवन है ही क्या? तुम तो भाप के सामान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है फिर लोप हो जाती है” (याकूब 4:14) l

किन्तु हमारी सीमित दृष्टि निराशा का कारण नहीं l इसके बिल्कुल विपरीत l हमारा विश्वास हमारे कल को पूरी तौर से देखने वाले परमेश्वर पर है-और हमारे भविष्य की चुनौतियों की ज़रूरतों को जाननेवाला l प्रेरित पौलुस यह जानता था l इसलिए पौलुस आशापूर्ण शब्दों से उत्साहित करता है, “हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं” (2 कुरिन्थियों 5:7) l

जब हम अपने आज और आनेवाले कल के लिए परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, हम अपने जीवन में आनेवाली किसी बात के लिए चिंतित नहीं होते l हम भविष्य जानने वाले के साथ चलते हैं l वह भविष्य को सँभालने में सामर्थी और बुद्धिमान है l

कबाड़खाना निपुण

नोआ प्युरिफोय ने “संग्रह” कलाकार के रूप में लॉस एंजेल्स के वाट्स क्षेत्र में 1965 के

दंगे के बाद इकट्ठी की गई तीन टन मलबा से अपना कार्य आरंभ किया l साइकिल के टूटे पहिये और फेंकने योग्य गेंद से लेकर अलग किये गए टायर्स और ख़राब टी.वी.-अनुपयोगी वस्तुएं-उसने  और उसके सहयोगी ने आधुनिक समाज में ठुकराए हुए लोगों के साथ व्यवहार के विषय सशक्त सन्देश देने वाली प्रतिमाएँ बनाईं l एक संवाददाता ने श्री पुरिफोय को “कबाड़खाना निपुण” संबोधित किया l

यीशु के काल में बीमार और शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त लोग परमेश्वर द्वारा दण्डित पापी माने जाते थे l उनको अस्वीकृत और उपेक्षित माना जाता था l किन्तु यीशु और उसके शिष्यों के जन्म से दृष्टिहीन एक व्यक्ति से मुलाकात के बाद, यीशु ने बताया कि उसकी स्थिति पाप का परिणाम नहीं है, किन्तु परमेश्वर की सामर्थ्य देखने का एक अवसर l “जब तक मैं जगत में हूँ , तब तक जगत की ज्योति हूँ” (यूहन्ना 9:5) l यीशु के निर्देशों के अनुसरण पश्चात, दृष्टिहीन देखने लगा l

धार्मिक अधिकारीयों के प्रश्न करने पर, उस व्यक्ति ने सरलता से जवाब दिया, “मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अँधा था और अब देखता हूँ”(पद.25) l

यीशु आज भी संसार में  “कबाड़खाना निपुण” है l हम सब पाप द्वारा बिगड़े हुए हैं, किन्तु वह हमारे टूटे जीवन को नयी सृष्टि बनाता है l

छोटी झूठ और बिलौटे

माँ ने चार वर्षीय एलियास को नवजात बिलौटों के पास से भागते हुए देखा l क्योंकि उसे छूने को मना किया था l पूछने पर एलियास झूठ बोला l

माँ के फिर पूछने पर कि क्या वे मुलायम थे?

उसने कहा, “हाँ और काला वाला म्याऊँ करता है l”

हम बच्चे के ऐसे झूठ पर हँसते हैं l किन्तु यह अनाज्ञाकारिता मानव स्थिति है l चार वर्षीय बच्चे को कोई झूठ बोलना नहीं सिखाता l “दाऊद अपने आदर्श पापस्वीकार में लिखता है, “मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, “[हाँ] पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा” (भजन 51:5) l प्रेरित पौलुस ने कहा, जब आदम ने पाप किया, पाप [संसार] में प्रवेश किया l उसके पाप से ... मृत्यु फ़ैल गई, ... क्योंकि सबने पाप किया” (रोमि. 5:12 NLT) l यह निराजनक खबर सब पर लागू है l

किन्तु आशा बहुत है! “पौलुस लिखता है, “[व्यवस्था] इसलिए दी गई जिससे सब देख सकें कि वे ... कितने असफल रहे हैं l परन्तु जितना अधिक हम अपनी पापमय अवस्था को देखते हैं, उतना ही अधिक हम परमेश्वर के अपार अनुग्रह पर ध्यान करते हैं” (रोमि.5:20 NLT) l

परमेश्वर हमारी गलती करने के लिए ठहरता नहीं कि वह हम पर झपट्टा मारे l वह अनुग्रह, क्षमा, और पुनःस्थापन करता है l हमें केवल जाने कि हमारे पाप सुन्दर और बहाने के योग्य नहीं और हमें विश्वास और पश्चाताप में उसके निकट आना है l

प्रेम का प्रगटीकरण

श्रृंखलाबद्ध संकेत “मैं तुमसे प्रेम करता हूँ,” वेल्लैंड, ओंटारियो शहर में रहस्मय ढंग से दिखने पर स्थानीय संवाददाता मेरियन फ़र्थ पता लगाना चाही l परिणाम शून्य था l हफ़्तों बाद, नए संकेत में तिथि और समय के साथ एक स्थानीय पार्क का नाम दिखाई दिया l

फ़र्थ, निश्चित समय पर शहर के जिज्ञासु लोगों के संग पार्क पहुंची l वहां उसकी मुलाकात सूट पहने और चेहरा छिपाए हुए एक व्यक्ति से हुई l उसके आश्चर्य के विषय कल्पना करें जब उसने उसे फूलों का एक गुलदस्ता देकर विवाह प्रस्ताव रखा l रहस्यमय पुरुष उसका प्रेमी, रेयान सैंट डेनिस था l उसने खुशी से स्वीकार किया l

सैंट डेनिस का अपनी प्रेमिका के समक्ष प्रेम प्रदर्शन कुछ अजीब प्रतीत हो सकता है, किन्तु हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम का प्रगटीकरण बेमेल नहीं था l “जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ” (1 यूहन्ना 4:9) l

यीशु, एक व्यक्ति की ओर से दूसरे को दिया गया एक गुलाब की तरह, मात्र प्रेम का एक प्रतीक नहीं है l वह दिव्य मानव है जिसने खुद ही अपना जीवन बलिदान किया ताकि उद्धार हेतु उस पर विश्वास करनेवाला परमेश्वर के साथ अनंत वाचा का सम्बन्ध बना सके l एक मसीही को “परमेश्वर के प्रेम से” कुछ भी “अलग [नहीं] कर” सकती है (रोमि. 8:39) l

सन्देह की मृत्यु

हम उसे संदेही थोमा कहते हैं (देखें यूहन्ना 20:24-29), किन्तु यह नाम बिल्कुल ठीक नहीं है l आख़िरकार, हममें से कितने विश्वास किये होते कि हमारा मृतक अगुआ पुनरुथित हुआ है? हम उसे “साहसी थोमा” भी पुकार सकते हैं l आखिरकार, यीशु के अपनी मृत्यु की ओर उद्देश्यपूर्ण ढंग से बढ़ते समय, थोमा ने प्रभावशाली साहस दर्शाया l

लाजर की मृत्यु के बाद, यीशु ने कहा था, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें” (यूहन्ना 11:7), शिष्यों ने जिसका विरोध किया l “हे रबी,” उन्होंने कहा, “अभी तो यहूदी तुझ पर पथराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?” (पद.8) l थोमा ने ही बोला था, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें” (पद. 16) l

थोमा का विचार उसके कार्य से उत्तम था l यीशु की गिरफ़्तारी पश्चात, पतरस और यूहन्ना को छोड़कर जो मसीह के संग महायाजक के आंगन तक गए, थोमा बाकी के साथ भाग गया (मत्ती 26:56) l केवल यूहन्ना ही यीशु के संग क्रूस तक गया l

लाजर को जीवित देखकर भी (यूहन्ना 11:38-44), थोमा क्रूसित प्रभु की मृत्युंजय पर विश्वास नहीं किया l मानवीय-संदेही थोमा-पुनरुथित यीशु को देखने के बाद ही विश्वास करके बोला, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर” (यूहन्ना 20:28) l संदेही को यीशु ने निश्चय दिया और हमें अपार सुख l “तू ने मुझे देखा था, क्या इसलिए विश्वास किया है? धन्य वे हैं जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया?” (पद. 29) l

यीशु के कार्य देखें

वह आठ वर्षीय छोटा लड़का अपने माता-पिता के मित्र, वोली से बोला, “मैं यीशु से प्रेम करता हूँ और किसी दिन विदेश में परमेश्वर की सेवा करना चाहता हूँ l” आनेवाले दस वर्षों में वोली उसको बढ़ता देखकर उसके लिए प्रार्थना किया l जब वह युवक द्वारा माली जाकर सेवा करने हेतु एक मिशन एजेंसी में आवेदन किया, वोली ने उससे कहा, “समय हो गया है! मैंने तुम्हारी इच्छा जानकार, इस उत्तेजक खबर का इंतज़ार करते हुए, तुम्हारे लिए थोड़े पैसे जमा करना आरंभ किया l” वोली दूसरों की चिंता करता है और लोगों तक परमेश्वर का सुसमाचार पहुँचाना चाहता है l

परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाते हुए एक नगर और गाँव से दूसरे तक जाते समय यीशु और उसके शिष्यों को आर्थिक साहयता चाहिए थी (लूका 8:1-3) l दुष्टात्मा और बीमारियों से छुटकारा प्राप्त स्त्रियों ने “अपनी सम्पति से” उनकी मदद की (पद.3) l एक सात दुष्टात्माओं से छुड़ाई गई मरियम मगदलीनी थी l दूसरी हेरोदेस के भंडारी खोजा की पत्नी, योअन्ना थी l सूसन्नाह और “बहुत से अन्य [स्त्रियों]” के विषय ज्ञात नहीं है (पद.3), किन्तु हमें मालूम है कि यीशु ने उनकी आत्मिक ज़रूरतें पूरी किये थे l अब उन्होंने आर्थिक संसाधन से उनकी मदद की l

यीशु के कार्य पर ध्यान देकर दूसरों के लिए उसकी इच्छा हमारी इच्छा बन जाती है l परमेश्वर से पूँछें वह आपको किस तरह उपयोग करना चाहता है l

मैं सब जानता हूँ

निमोनिया और अत्यधिक खाँसी के कारण मेरे पुत्र और बहु मेरे पौत्र, कैमेरोन को हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी समझे l उन्होंने हमसे उनके पाँच-वर्षीय बेटे, नेथन को स्कूल से घर ले जाने का आग्रह किया जिसे हमदोनों करने में खुश थे l

मार्लिन ने नेथन से कार में पूछा, “क्या तुम चकित हो कि आज हम तुम्हें लेने आए?” वह बोला, “नहीं!” पूछने पर कि क्यों नहीं, उसने उत्तर दिया, “क्योंकि मैं सब जानता हूँ!”

एक पाँच-वर्षीय बच्चा सब कुछ जाने का दावा करता है, किन्तु हम बड़े उम्र वाले उससे कुछ बेहतर जानते हैं l हमारे पास अक्सर उत्तर से अधिक प्रश्न होते हैं l हम जीवन के क्यों, कब, और कैसे पर सोचते हैं-अक्सर यह भूलकर कि यद्यपि हम सब कुछ नहीं जानते, हम सर्वज्ञानी परमेश्वर को जानते हैं l

भजन 139:1,3 सर्वज्ञानी परमेश्वर का हमें घेरनेवाला और अतिनिकट प्रेम के विषय बताता है l दाऊद कहता है, “तू ने मुझे जांचकर जान लिया है ... मेरे चलने और लेटने की तू भली-भांति छानबीन करता है, और मेरे पूरे चालचलन के भेद जानता है l” परमेश्वर हमसे सम्पूर्ण प्रेम करता है, आज हम किसका सामना करेंगे पूर्णरूपेण जानता है, और हमारे जीवन की हर परिस्थिति में हमारी पूर्ण मदद करना जानता है l यह जानना कितना आरामदायक है l

हमारा ज्ञान सदा सीमित रहेगा, किन्तु परमेश्वर को जानना ही सर्वाधिक अर्थपूर्ण है l हम उस पर भरोसा रख सकते हैं l