एक लेखन अंतिम-तिथि मेरे सामने थी, जबकि सुबह हम पति-पत्नी में हुई बहस मेरे मन में थी l मेरी आँखें कर्सर पर, उंगलियाँ की-बोर्ड पर थीं l प्रभु, वह भी गलत था l

कंप्यूटर का स्क्रीन बंद होने पर, मेरा प्रतिबिम्ब भौं चढ़ाता दिखा l मेरी अस्वीकृत गलतियां मेरे कार्य में अधिक नुकसानदायक थीं l हम दोनों और परमेश्वर के साथ रिश्ते में कठिनाई हो रही थी l  

मैंने अहंकार छोड़कर, क्षमा मांग ली l मेल की शांति का स्वाद लेते हुए मेरे पति ने भी क्षमा मांग ली l मेरा लेखन समय पर पूरा हुआ l   

इस्राएलियों ने व्यक्तिगत पाप का दर्द और पुनर्स्थापन का आनंद अनुभव किया l यहोशू ने परमेश्वर के लोगों से यरीहो की लड़ाई से समृद्ध बनाने को मना किया(यहोशू 6:18), किन्तु आकान ने अधिग्रहित वस्तुओं को चुराकर अपने तम्बू में छिपा दिया (7:1) l उसके पाप के खुलासे और कार्यवाही पश्चात (पद. 4-12) ही राष्ट्र ने परमेश्वर की शांति का आनंद उठाया l

आकान की तरह, हम सर्वदा विचार नहीं करते कि “अपने तम्बू में पाप छिपाना” हमारे हृदयों को परमेश्वर से दूर करके हमारे आस-पास को प्रभावित करता है l यीशु को प्रभु मानकर, पाप स्वीकार करके, क्षमा ढूँढना परमेश्वर और दूसरों के साथ स्वस्थ्य और विश्वासयोग्य सम्बन्ध स्थापन की बुनियाद है l हम प्रतिदिन प्रेमी सृष्टिकर्ता और पालनहार के प्रति समर्पण द्वारा मिलकर उसकी सेवा और उपस्थिति का आनंद ले सकते हैं l