आपसे प्रेम और आपके लिए प्रार्थना करनेवाले की आवाज़ सुनना मधुर है l किसी मित्र का आपके लिए करुणा और परमेश्वर द्वारा प्रदत्त अंतर्दृष्टि से प्रार्थना करते सुनना स्वर्ग का पृथ्वी को स्पर्श करने जैसा है l 

यह जानना कितना अच्छा है कि हमारे प्रति परमेश्वर की भलाई के कारण हमारी प्रार्थनाएँ स्वर्ग को भी स्पर्श कर सकती हैं l कभी-कभी प्रार्थना करते समय हम शब्दाभाव और अयोग्यता महसूस करते हैं, किन्तु यीशु ने अपने अनुगामियों को सिखाया कि हमें “ [सदा] प्रार्थना  करना [चाहिए] और हियाव न[हीं] छोड़ना चाहिए” (लूका 18:1) l परमेश्वर का वचन हमें दिखाता है कि ऐसा संभव है, क्योंकि “मसीह … हमारे लिए निवेदन भी करता है” (रोमियों 8:34) l

हम कभी भी अकेले प्रार्थना नहीं करते, क्योंकि यीशु हमारे साथ प्रार्थना करता है l वह हमें प्रार्थना करते हुए सुनकर हमारे पक्ष में पिता से बातें करता है l हमें अपने वाक्पटुता की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यीशु की तरह हमें कोई नहीं समझता l वह हर प्रकार से हमारी मदद करके हमारी ज़रूरतें परमेश्वर के समक्ष प्रस्तुत करता है l वह सिद्ध बुद्धिमत्ता और प्रेम के साथ हमारे प्रत्येक निवेदन का सही उत्तर सही समय पर देना जानता है l

यीशु सही प्रार्थना सहयोगी है-मित्र जो हमारे लिए असीमित दया के साथ विनती करता है l हमारे लिए उसकी प्रार्थना का हम ब्यान नहीं कर सकते, और इसलिए हम धन्यवादी होकर प्रार्थना करने का उत्साह प्राप्त करें l