Month: दिसम्बर 2017

यीशु मेसेल को प्रेम करता है

मेरी बहन मेसेल बचपन में अपने तरीके से एक परिचित गीत गाया करती थी : यीशु मुझसे करता प्यार, बाइबिल बताती मेसेल को l” इससे मैं अत्याधिक परेशान होती थी! क्योंकि उसकी बड़ी और बुद्धिमान बहन होने के कारण मैं जानती थी कि वास्तविक शब्द थे “यह सार,” न कि “मेसेल को l” किन्तु वह ज़िद  से अपने मन की गाती थी l

अब मैं सोचती हूँ कि मेरी बहन बिलकुल ठीक थी l बाइबिल सही में मेसेल से और हम सब से कहती है कि यीशु हम सब से प्यार करता है l हम बार-बार यह सच्चाई पढ़ते हैं, जैसे, हम यूहन्ना प्रेरित, “[चेला] जिससे यीशु प्रेम रखता था” (यूहन्ना 21:7,20) की पत्रियों में पढ़ते हैं l वह बाइबिल के एक सबसे अधिक जाने हुए पद में हमसे परमेश्वर के प्रेम के विषय बताता है : यूहन्ना 3:16, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनंत जीवन पाए l”

यूहन्ना 1 यूहना 4:10 में इस सन्देश का समर्थन करता है : “प्रेम इसमें नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया, पर इस में है कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए अपने को भेजा l” जैसे कि यूहन्ना जानता था कि यीशु उससे प्रेम करता था, हमें भी वही निश्चय है : यीशु अवश्य  ही हमसे प्रेम करता है l बाइबिल हमें यह बताती है l

मैकफेरसन गार्डन्स में क्रिसमस

हमारे पड़ोस, मैकफेरसन गार्डन्स, ब्लाक 72 (सिंगापुर) के क्षेत्र में लगभग 230 परिवार और व्यक्ति निवास करते हैं l हर एक के जीवन की अपनी कहानी है l दसवीं मंजिल पर एक बूढ़ी महिला रहती है जिसके बच्चे बड़े हो चुके हैं और विवाह करके अपने-अपने परिवार के साथ अलग रहने लगे हैं l यह महिला अकेले रहती है l उनके घर से दो एक घर छोड़कर एक युवा जोड़ा अपने दो छोटे बच्चों, एक बेटा और एक बेटी के साथ रहता है l और कुछ मंजिल नीचे एक युवा रहता है जो फ़ौज में नौकरी करता है l वह पहले चर्च भी जा चूका है; शायद वह क्रिसमस में भी चर्च जाए l इन लोगों से मेरी मुलाकात पिछले क्रिसमस के दिनों में हुई थी जब हम पड़ोसियों के घरों में क्रिसमस के गीत द्वारा क्रिसमस का आनंद बांटने गए थे l

जैसे कि प्रथम क्रिसमस में स्थिति थी आज भी प्रत्येक क्रिसमस के मौसम में ऐसे लोग हैं जो नहीं जानते कि परमेश्वर एक बालक के रूप में जिसका नाम यीशु है इस संसार में प्रवेश किया था (लूका 1:68; 2:21) l अथवा वे उस घटना का महत्त्व नहीं जानते हैं अर्थात् वह “बड़े आनंद का समाचार . . . जो सब लोगों के लिए होगा” (2:10) l जी हाँ, सब लोगों के लिए! हमारी राष्ट्रीयता, संस्कृति, लिंग, अथवा आर्थिक दशा से परे, यीशु हमारे लिए बलिदान होने और हमें पूर्ण क्षमा देने आया ताकि हमारा मेल उससे हो जाए और हम उसके प्रेम, आनंद, शांति, और आशा का आनंद ले सकें l सभी लोगों को यह अद्भुत समाचार सुनना ज़रूरी है जिसमें वह बूढ़ी महिला और वे सब सहयोगी शामिल हैं जिनके साथ हम भोजन करते हैं!

पहले क्रिसमस में, आनंद के समाचार को सुननेवाले स्वर्गदूत थे l आज, परमेश्वर की इच्छा है कि हम दूसरों को सुसमाचार सुनाएं l

इंतज़ार

“क्रिसमस में और कितना समय बाकी है?” जब मेरे बच्चे छोटे थे, वे बार-बार यह प्रश्न पूछते थे l वे क्रिसमस का दिन गिनने के लिए यीशु मसीह के जन्म से सम्बंधित दैनिक कैलेंडर का उपयोग करते थे l फिर भी इंतज़ार करना उनके लिए कष्टदायक होता था l

हम सरलता से समझ सकते हैं कि एक बच्चे के लिए इंतज़ार करना एक संघर्ष हो सकता है, किन्तु हम परमेश्वर के सभी लोगों के लिए इंतज़ार करने की चुनौती को कम आँक सकते हैं l उदाहरण के लिए, उन लोगों के विषय सोचें जिन्होंने मीका का सन्देश सुना था l मीका ने प्रतिज्ञा दी थी कि बैतलहम में से एक पुरुष निकलेगा जो “इस्राएलियों पर प्रभुता करनेवाला होगा” (5:2) जो “खड़ा होकर यहोवा की दी हुयी शक्ति से, ... उनकी चरवाही करेगा” (पद.4) l इस नबूवत की आरंभिक पूर्ति लोगों के 700 वर्षों तक इंतज़ार करने के बाद बैतलहम में यीशु के जन्म के रूप में हुयी (मत्ती 2:1) l किन्तु कुछ एक नबुवतों का पूरा होना अभी भी बाकी है l हम यीशु के वापस आने का इंतज़ार कर रहे हैं, जब परमेश्वर के सब लोग “सुरंक्षित रहेंगे’ और “वह पृथ्वी की छोर तक महान् ठहरेगा” (मीका 5:4) l उस समय हम अति आनंदित होंगे, क्योंकि हमारा इंतज़ार समाप्त हो जाएगा l

हममें से ज़यादातर लोगों के लिए इंतज़ार कठिन होता है, किन्तु हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर हमारे साथ रहने की अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरी करेगा (मत्ती 28:20) l इसलिए कि जब यीशु ने छोटे बैतलहम में जन्म लिया, वह जीवन की  संपूर्ण परिपूर्णता में अर्थात् दण्ड रहित जीवन में  प्रवेश किया (देखें यूहन्ना 10:10) l हम वर्तमान में हमारे साथ उसकी उपस्थिति का आनंद लेते हुए उत्सुकता से उसके वापस आने का इंतज़ार करते हैं l

गोश्त और अन्डे

मुर्गी और बकरे की कहानी में, दोनों ही एक रेस्टोरेंट खोलने की बात करते हैं l भोजन सूची में, मुर्गी की सलाह थी कि हम गोश्त और अन्डे परोसेंगे l बकरे ने यह कहकर तुरंत  आपत्ति जतायी, “बिलकुल नहीं l इसमें मुझे पूरी तौर से समर्पित होना पड़ेगा, किन्तु इसमें तुम केवल शामिल होगी l”

यद्यपि बकरा थाली में अपने आपको रखने में सहमत नहीं हुआ, समर्पण के विषय उसकी समझ शिक्षाप्रद है जिससे मैं पूरे मन से परमेश्वर का अनुसरण करना सीखता हूँ l

यहूदा के राजा, आसा ने अपने राज्य को बचाने के लिए, इस्राएल और आराम के राजाओं के साथ संधि को तोड़ना चाहा l उसने आराम के राजा, बेन्हदद का समर्थन पाने के लिए, अपने धन के साथ-साथ “यहोवा के भवन  ... में से चाँदी-सोना [निकालकर]” उसके पास भेजा(2 इतिहास 16:2) l बेन्हदद सहमत हो गया और उनकी संयुक्त सेना ने इस्राएल को मार भगाया l

किन्तु नबी हनानी ने आसा को परमेश्वर पर, जिसने दूसरे शत्रुओं को उनके अधीन कर दिया था, की जगह मानवीय सहायता पर भरोसा करने के कारण उसे मुर्ख संबोधित किया l हनानी ने दावा किया, “यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिसका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए l पद.9) l

अपनी लड़ाई और चुनौतियों का सामना करते हुए, हमेशा याद रखें कि परमेश्वर ही हमारा सबसे उत्तम मित्र है l जब हम पूरे मन से उसके लिए समर्पित होते हैं वह हमें सामर्थी बनाता है l

पिछला पहला होगा

हाल ही में मैं एक बड़े विमान में चढ़नेवाला अंतिम यात्री था जिसे कोई सीट भी नहीं मिली थी l विमान के अन्दर उसके पंख के पास दो सीटों के बीच में एक सीट मुझे मिली किन्तु मुझे अपना सामान बिलकुल पीछे की कतार के सीट के ऊपर बने स्थान में रखना पड़ा l अर्थात् सब लोगों के बाहर निकलने के बाद ही मैं अपना सामान निकाल सकता था l

मैं अपनी सीट पर बैठते समय मुस्कराने लगा और उसी समय मानों प्रभु की ओर से एक विचार आया : “ठहरने से तुम्हारी कुछ भी हानि नहीं होगी l इससे तुम्हारा भला होगा l” इसलिए मैंने अतिरिक्त समय का आनंद उठाने का निर्णय किया, और विमान के उतरने के बाद दूसरे यात्रियों को उनके सामान उतरवाने में और एक विमान परिचारक को सफाई करने में सहायता भी की l जब मैंने अपना बैग उतारा, मुझे फिर हंसी आयी क्योंकि किसी ने सोचा कि मैं विमान-कंपनी के लिए काम करता था l

उस दिन के अनुभव से मैं यीशु द्वारा शिष्यों से कहे गए शब्दों पर विचार करने को विवश हुआ : “यदि कोई बड़ा होना चाहे, तो सब से छोटा और सब का सेवक बने” (मरकुस 9:35) l

मैं ठहरा रहा क्योंकि मेरी मजबूरी थी, किन्तु यीशु के “उलटे” राज्य में, उनके लिए आदर का एक स्थान है जो अपने आप से आगे बढ़कर दूसरों की ज़रूरतों में सहायता करते हैं l

यीशु हमारे उतावली, और जहां लोग पहले सेवा की मांग करते हैं, वाले संसार में “इसलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, परन्तु इसलिए आया कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिए आने प्राण दे” (मत्ती 20:28) l हम दूसरों की सेवा करके ही उसकी सर्वोत्तम सेवा कर सकते हैं l हम जितना झुकेंगे, उतना ही उसके निकट रहेंगे l