ठीक अपने पिता के समान
मैंने अपने पिता के पुराने जूतों को जिन्हें वे घुडसवारी के समय पहनते थे, अपने अध्ययन कक्ष के फर्श पर रखा है, जो मुझे ऱोज याद दिलाते हैं कि वे कैसे व्यक्ति थे।
अन्य कामों के साथ, वह घोड़ों को पालते और उन्हें प्रशिक्षित करते थे। उन्हें काम करते देख मुझे अच्छा लगता और आश्चर्य होता था कि वह कैसे इतना कुछ कर लेते थे। बचपन में, मैं उन्हीं के समान बनना चाहता था। अब मैं अस्सी वर्ष से ऊपर हूँ, और उनके जूते भरने के लिए मेरे पाँव आज भी बहुत छोटे हैं।
अब मेरे पिता स्वर्ग में हैं, परन्तु मुझे एक और पिता का अनुसरण करना है। उनकी भलाई और प्रेम की सुगन्ध से भर कर मैं उनके समान बनना चाहता हूँ। परन्तु भरे जाने के लिए उनके जूते मेरे लिए बहुत बड़े हैं।
प्रेरित पतरस ने यह कहा: “अब परमेश्वर...आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।” (1 पतरस 5:10)।
हमारी कमियां, हमें हमारे स्वर्गीय पिता के समान बनने से रोकती हैं। इस जीवन में तो हम उनके स्वरूप को इतनी अच्छी तरह से नहीं दिखा पाते, परन्तु स्वर्ग में हमारे पाप और दुःख नहीं रहेंगे और तब हम उनके तेजस्वी रूप को पूर्णतः प्रकट कर सकेंगे! “परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह” यही है। (पद 12)
विशेषज्ञों का कहना क्या है?
बोस्टन ग्लोब पत्रिका में जैफ जैकोबी “विशेषज्ञों द्वारा बातों का निराशाजनक, रूप से गलत अनुमान लगाने की विलक्षण क्षमता” के उपर व्यंग लिखते हैं। हाल के इतिहास से स्पष्ट है कि वे सही कहते हैं। विशेषज्ञों की अनगिनत भविष्यवाणियाँ बुरी तरह चूक गईं हैं। स्पष्ट है प्रतिभाशाली व्यक्ति की भी सीमा होती है।
केवल एक ही हैं जो पूरी तरह से विश्वास योग्य है, और कुछ तथाकथित विशेषज्ञों के लिए उनके पास कठोर शब्द थे, उस समय के धार्मिक अगुवे जो दावा करते थे कि उन्हें सत्य की पहचान थी। इन विद्वानों और धर्मशास्त्रियों की धारणा थी कि वे जानते हैं कि जब उद्धारकर्ता मसीहा आएगा तो वो कैसा होगा।
यीशु ने उन्हें चेताया कि किस तरह वे लोग विषय की तह तक नहीं पहुँच पा रहे थे, “तुम पवित्र शास्त्र में ढूंढ़ते हो...यह पवित्र शास्त्र वही है, जो मेरी गवाही देता है”। (यूहन्ना 5:39-40)
नए वर्ष से पहले, हमें भयभीत से लेकर बेहद आशावादी बनाने वाली सभी प्रकार की भविष्यवाणियां सुनने को मिल जाएंगीं। उनमें से बहुत सी बड़े विश्वास और अधिकार से कही जाएंगी। चिंतित मत होना। हमारा विश्वास एक में ही रहता है जो बाइबिल का मुख्य आधार है। हम सभी पर और हमारे भविष्य पर उसकी एक मज़बूत पकड़ है।
मंत्रमुग्ध करने वाली महिमा
यूरोप की यात्रा में लैंडस्केप को रंग-बिरंगा बनाने वाले ग्रैंड कैथेड्रल्स का दौरा करने का अपना आनंद है। ये गगनचुम्बी भव्य इमारतें अद्भुत रूप से सुन्दर हैं। इन भवनों की वास्तुकला और यहाँ प्रयुक्त प्रतीकात्मकता विस्मय और वैभव का मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव देती हैं।
परमेश्वर की महिमा और उनके महानतम वैभव को प्रदर्शन करने वाले इन भवनों को देखकर, मैं सोचने लगा कि परमेश्वर की भव्यता का अनुभव हम अपने मन और मस्तिष्क में किस प्रकार पुनः संभव बना सकते हैं जिससे उनकी महानता हमें स्मरण रहे। हमें मानव निर्मित भव्य इमारतों से बड़कर उस महान रचना पर विचार करना चाहिए जिसे परमेश्वर ने रचा है। तारों से टिमटिमाती रात परमेश्वर के सामर्थ को दिखाती है, जिन्होंने अपने शब्द से सृष्टि की रचना की। किसी नवजात शिशु को बाँहों में उठाकर जीवन के चमत्कार के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें। अलास्का के बर्फ़ीले पहाड़ों या विशालकाय अटलांटिक महासागर को देखें जो लाखों प्राणियों से भरे हैं जिनकी रचना परमेश्वर ने की है और ईकोसिस्टम चलाने वाली शक्ति की कल्पना करें।
ऊँची इमारतों से आकाश की ऊंचाईयां छूना गलत नहीं है, परन्तु हमारी सच्ची प्रशंसा परमेश्वर के लिए होनी चाहिए, जैसे लिखा है, "हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरे ही हैं।" (1 इतिहास 29:11)
दौड़ ज़ारी रखना
अपने कार्यालय की इमारत के पास कंक्रीट स्लैब की दरार में से एक खूबसूरत फूल को पनपते देखकर मैं आश्चर्यचकित था। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस नन्हें पौधे को पैर जमाने का स्थान मिल गया था। सूखी दरार में जड़े जमाकर यह फल-फूल रहा था। मैंने देखा कि पौधे के ठीक ऊपर लगे एक एयर कंडीशनिंग यूनिट से पूरे दिन उसपरर पानी गिरता रहता है। विपरीत परिवेश में भी पौधे को उस पानी से वह मदद मिल गई थी जिसकी उसे आवश्यकता थी।
मसीही जीवन में कभी-कभी विकास कठिन लगता है परन्तु जब हम मसीह के साथ दृढ़ता से बने रहेंगे तब बाधाएं पार करना आसन होगा। चाहे हमारी परिस्थितियां प्रतिकूल हों और हम निराश हों तो भी परमेश्वर के साथ अपने संबंध में आगे बढ़ते रहने से हम उस पौधे के समान फलवंत हो सकते हैं। गंभीर कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना होने पर भी प्रेरित पौलुस ने हार नहीं मानी (2 कुरिन्थियों 11:23-27)। “मैं...उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ता हूं...,” उसने लिखा “मैं निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि इनाम पाऊं।” (फिलिप्पियों 3:12,14)
पौलुस ने अनुभव किया कि वह प्रभु में...सब कुछ कर सकते हैं (4:13), हम भी उनकी मदद से दौड़ जारी रख सकते हैं जो हमें सामर्थ देते हैं।
फिर आरम्भ करना
क्रिसमस के बाद, अक्सर मैं आने वाले वर्ष के बारे सोचती हूँ और परखती हूँ कि पिछला वर्ष मुझे कहाँ लाया और अगले में कहाँ पहुँचने की मैं आशा कर सकती हूँ। एक नए वर्ष के आरम्भ की बात मुझे आशा और अपेक्षा से भर देती है। लगता है, कि पिछले साल में चाहे जो भी हुआ हो, मेरे पास फिर से आरम्भ करने का अवसर है।
नए आरम्भ की मेरी कल्पना उस आशा के समाने फ़ीकी पड़ जाती है जिसे इस्राएलियों ने तब अनुभव किया होगा जब बाबुल में सत्तर साल की लम्बी बंधुआई के बाद उनके देश यहूदा लौट जाने के लिए उन्हें मुक्त किया गया था। पिछले राजा नबूकदनेस्सर ने इस्राएलियों को उनके अपने देश से निर्वासित कर दिया था। परन्तु परमेश्वर ने राजा कुस्रू से बंधकों को यहोवा के भवन के पुनर्निर्माण के लिए उनके घर यरूशलेम भेज देने को कहा (एज्रा 1: 2-3)। कुस्रू ने उन्हें वे खजाने भी लौटा दिए जिन्हें यहोवा के भवन से लाया गया था। पापों के कारण बाबुल में कठिन और लंबा समय बिताने के बाद उनके जीवन का नया आरम्भ उस स्थान पर हुआ जिसे परमेश्वर ने उनके लिए ठहराया था।
अतीत में किए अपने पापों का जब हम अंगीकार करते हैं, परमेश्वर हमें क्षमा और नया आरम्भ देते हैं।