वर्षों पूर्व, मैं एक ऐसे विवाह में शामिल हुआ जिसमें भिन्न देशों के दो लोगों का विवाह हुआ l संस्कृतियों का ऐसा मिलन खुबसूरत हो सकता है, किन्तु इस समारोह में मसीही परम्पराओं के साथ ऐसे विश्वास की रीति रिवाजों का समावेश था जिसमें अनेक देवताओं की उपासना शामिल थी l

नबी सपन्याह ने एक सच्चे परमेश्वर में विश्वास के साथ दूसरे धर्मों की मिलावट(जिसे कभी-कभी समन्वयता[syncretism] कहा जाता है) की स्पष्ट रूप से निंदा की l यहूदा के लोग एक सच्चे परमेश्वर की उपासना के साथ-साथ मोलेक देवता पर भी  भरोसा करते थे (स्पन्याह 1:5) l स्पन्याह उनके द्वारा मूर्तिपूजक संस्कृति को अपनाने का वर्णन करते हुए(पद.8) चेतावनी देता है कि इसके परिणाम स्वरुप परमेश्वर यहूदा के लोगों को उनके अपने देश से निर्वासित कर देगा l
इसके बावजूद भी परमेश्वर ने अपने लोगों से प्रेम करना नहीं छोड़ा l उसका न्याय यह प्रगट कर रहा था कि उनको उसकी ओर लौटना होगा l इसलिए स्पन्याह यहूदा के लोगों से कहता है “धर्म को ढूढों, नम्रता को ढूढों” (2:3) l उसके बाद परमेश्वर ने कोमल शब्दों में उनकी पूर्ण पुनर्स्थापन की प्रतिज्ञा की : “उसी समय मैं तुम्हें ले जाऊँगा, और उसी समय मैं तुम्हें इकठ्ठा करूँगा” (3:20) l
जिस विवाह में मैं शामिल हुआ था उसमें प्रगट धर्मों की मिलावट के उदहारण की निंदा करना सरल है l किन्तु वास्तविकता में, हम सभी  परमेश्वर की सच्चाई को हमारी संस्कृति की मान्यताओं के साथ सरलता से मिला देते हैं l हमें सच्चाई पर भरोसा और प्रेम के साथ खड़े रहने हेतु अपने विश्वास की जांच पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में और परमेश्वर के वचन की सत्यता के प्रकाश में करनी होगी l हमारा पिता हरेक को गले लगाता है जो आत्मा और सच्चाई से उसकी उपासना करता है (देखें यूहन्ना 23-24) l