एक बुद्धिमान मित्र ने मुझे सलाह दी कि “तुम हमेशा” या “तुम कभी नहीं” जैसे बोल कभी न बोलूँ विशेष रूप से परिवार के साथ। हमसे प्रेम करने वाले लोगों की आलोचना करना तथा और उनके प्रति उदासीनता का भाव रखना कितना आसान होता है। परंतु हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम अपरिवर्तित रहता है।

भजन संहिता 145 शब्द सभों शब्द से भरा हुआ है। ” यहोवा सभों के लिये…”(पद 9)। “यहोवा अपने सभी वायदों…”। “यहोवा सब गिरते हुओं…(13,14)

इस भजन में हमें एक दर्जन बार याद दिलाया गया है कि परमेश्वर का प्रेम असीम और अपक्षपाती है। और नया नियम बताता है कि इसकी सबसे बड़ी अभिव्यक्ति यीशु मसीह में दिखती है: “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। ” (यूहन्ना 3:16)

भजन संहिता 145 घोषणा करता है कि “जितने उसे पुकारते हैं, अर्थात जितने उसे सच्चाई से पुकारते हें; वह उन सभों के निकट रहता है। वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, ओर उनकी दोहाई सुन कर उनका उद्धार करता है। “(पद 18-19)      

हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम सदा बना है, और कभी विफल नहीं होता!