“बच्चे की आशा” ट्री
सफ़ेद चमकने वाली बत्तियों से क्रिसमस ट्री को लपेटने के बाद, मैंने उसकी डालियों पर गुलाबी और नीले बो बाँध कर उसे “बच्चे की आशा” क्रिसमस ट्री नाम दिया l हम दोनों पति-पत्नि चार वर्षों से अधिक समय से एक बच्चे को गोद लेना चाह रहे थे l निश्चय ही क्रिसमस के समय तक!
प्रति भोर मैं उस ट्री के निकट खड़ी होकर प्रार्थना करती हुयी, खुद को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता याद दिलाती थी l दिसम्बर 21 को हमें खबर मिली : क्रिसमस के समय तक कोई बच्चा नहीं l उजड़ा हुआ महसूस करते हुए, मैं ट्री के समक्ष ठहर गयी जो परमेश्वर के प्रावधान का चिन्ह बन गया था l क्या परमेश्वर अभी भी विश्वासयोग्य था? क्या मैं कोई गलती कर रही थी?
कभी-कभी परमेश्वर का प्रत्यक्ष रोकथान उसके प्रेममय अनुशासन का परिणाम है l दूसरे समयों में परमेश्वर का प्रेमी विलम्ब हमारे भरोसे को नूतन करने के लिए l विलापगीत में, यिर्मयाह नबी इस्राएल के लिए परमेश्वर के सुधार का वर्णन करता है l दर्द महसूस किया जा सकता है : “उसने अपने तीरों से मेरे हृदय को बेध दिया है” (3:13) l इन सब में भी, यिर्मयाह अपना अंतिम भरोसा परमेश्वर की विश्वासयोग्यता में दर्शाता है : “उसकी दया अमर है l प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान् है” (पद.22-23) l
मैंने उस क्रिसमस ट्री को क्रिसमस के काफी बाद तक खड़ा रहने दिया और अपनी सुबह की प्रार्थना करती रही l अंत में, ईस्टर सप्ताहांत में, हमें अपनी बेटी प्राप्त हुयी l परमेश्वर सर्वदा विश्वासयोग्य है, यद्यपि ज़रूरी नहीं कि हमारे समय में न ही हमारी इच्छानुकूल l
मेरे बच्चे अब तीस वर्ष के ऊपर हैं, किन्तु प्रत्येक वर्ष मैं उस क्रिसमस ट्री का छोटा रूप सजाती हूँ, और खुद को और दूसरों को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता याद दिलाती हूँ l
“रहस्य-नहीं” का रहस्य
एक सहयोगी ने मुझसे कुबूला कि उसकी सोच है कि वह “यीशु जैसा नहीं है l” उसके बताने पर मैंने ध्यान दिया जिसे वह अपना “आरामदायक, आत्मकेंद्रित” जीवन कहता था, और वह उसे किस प्रकार संतुष्ट नहीं कर पा रहा था l “किन्तु मेरी समस्या यह है, मैं अच्छा बनना चाहता हूँ, और चिंता करनेवाला भी, किन्तु बन नहीं पा रहा है l ऐसा महसूस होता है कि जो मैं करना चाहता हूँ, मैं कर नहीं पाता हूँ, और जो मैं नहीं करना चाहता हूँ, मैं करता रहता हूँ l”
उसने पूर्ण ईमानदारी के साथ मुझसे पूछा, “आपका रहस्य क्या है?” मैंने उत्तर दिया, “मेरा रहस्य है कि कोई रहस्य नहीं है l मैं तुम्हारी तरह परमेश्वर के मानक के अनुकूल जीने में सामर्थ्यहीन हूँ, इसलिए हमें यीशु की ज़रूरत है l”
मैंने बाइबल से “उसका” कथन दिखाया जैसे पौलुस ने रोमियों 7:15 में प्रगट किया है l पौलुस के निराशा के शब्द प्रायः जो मसीही थे और हैं की समझ में आती है जो खुद को परमेश्वर के लायक होने के लिए पर्याप्त होने का प्रयास करते हुए पाते हैं किन्तु कम पड़ते हैं l शायद आप भी समझते हैं l यदि हां, तो पौलुस की घोषणा कि मसीह हमारे उद्धार का कर्ता और उसके परिणामस्वरूप परिवर्तन है (7:25-8:2) आपको अवश्य ही रोमांचित करे l यीशु ने हमें खुद से घबराने वाली बातों से छुड़ाने के लिए पहले ही काम पूरा कर दिया है!
परमेश्वर और हमारे बीच की दीवार, पाप की दीवार, हमारे द्वारा किये गए किसी काम के विना हटा दी गयी है l उद्धार –और हमारे विकास की प्रक्रिया में पवित्र आत्मा द्वारा लाया गया परिवर्तन – यही वह है जो परमेश्वर सब के लिए चाहता है l वह हमारी आत्माओं के द्वार पर दस्तक देता है l उसके लिए दरवाजा खोलें l यह कोई रहस्य नहीं है कि वह उत्तर नहीं है!
मुक्तिदाता की अपेक्षा करें
मैकेनिक हमारी कार जो स्टार्ट नहीं हो रही थी, के समाधान के लिए बहुत युवा दिखाई दिया l मेरे पति, डैन, ने शक प्रगट करते हुए फुसफुसाया, “वह तो बच्चा है
l” उस युवा में उसका अविश्वास नासरत के कुड़कुड़ाहट की तरह महसूस हो रहा था जहाँ नगरवासियों ने शक किया कि यीशु कौन है l
यीशु द्वारा आराधनालय में शिक्षा देते वक्त उन्होंने पूछा, “क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं?” (मत्ती 13:55) l वे उपहास करते हुए, सुनकर आश्चर्यचकित हुए कि जिसे वे जानते थे वह चंगाई और शिक्षा देता था l उन्होंने पूछा, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले? (पद.54) l यीशु में भरोसा करने के बजाय, वे उस अधिकार से नाराज थे जो उसने प्रदर्शित किया (पद.15,58) l
इस प्रकार, हम भी विशेषकर अपने दैनिक जीवनों के परिचित और साधारण विवरणों में अपने उद्धारकर्ता की बुद्धि और सामर्थ्य में विश्वास करने में संघर्ष कर सकते हैं l उसकी सहायता की उम्मीद करने में नाकाम रहने के बाद, हम उसके जीवन रूपांतरण करने के आश्चर्य से चूक जा सकते हैं जो हमारे जीवन को बदल सकता है (पद.58) l
जैसे डैन, मेरा पति चाहता था, उसका मदद उसके सामने थी l अंततः उस युवा की सहायता स्वीकार करने के बाद, मेरे पति ने उसे हमारी पुरानी कार की बैटरी देखने दिया l केवल एक बोल्ट बदलने के बाद, मैकेनिक ने कार को कुछ ही क्षणों में स्टार्ट कर दिया- इंजन चालु हो गया और बत्तियां जलने लगीं l “वह तो क्रिसमस की तरह चमक उठा,” डैन बोला l
इसी प्रकार हम भी उम्मीद और अनुभव करते हैं कि मुक्तिदाता ताज़ा प्रकाश, जीवन और हमारे दैनिक यात्रा में अपने साथ मदद लेकर आएगा l
“यहोवा का”
इन दिनों टैटू (tattoos) लगा कर लोगों की नज़रों में आना सामान्य है l कुछ टैटू इतने छोटे होते हैं कि दूसरे उसे शायद ही देख सकें l अन्य लोग जैसे खिलाड़ी, अभिनेता/अभिनेत्री से लेकर सामान्य लोग भी अपने शरीर का अधिकाँश भाग शब्दों, और डिजाईनों से बहुरंगी बना लेते हैं l ऐसी प्रवृति जो शायद स्थायी दिखाई देता है, प्रवृति जिसने 2014 में 3 अरब डॉलर राजस्व कमाने के साथ-साथ टैटू हटाने के लिए अलग से 66 करोड़ डॉलर कमाया l
टैटू के विषय आप क्या महसूस करते हैं के बावजूद, यशायाह 44 अलंकारिक रूप से लोगों का अपने हाथों पर कुछ लिखने के विषय कहता है : “यहोवा का” (पद.5) l यह आत्म-टैटू सम्पूर्ण परिच्छेद का उत्कर्ष है जो परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए उसकी देखभाल दर्शाता है (पद.1) l वह उसकी देखभाल पर भरोसा कर सकते थे (पद.2); और उनकी भूमि और वंशजों को आशीष के लिए चिन्हित किया गया था (पद.3) l दो साधारण, शक्तिशाली शब्द, “यहोवा का,” निश्चित कर दिया कि परमेश्वर के लोग जानते थे वे उसकी संपत्ति हैं और कि वह उनकी देखभाल करेगा l
यीशु मसीह में विश्वास करके परमेश्वर के पास आनेवाले अपने विषय दृढ़ता से बोल सकते हैं, “यहोवा का!” हम उसके लोग, उसकी भेड़, उसकी संतान, उसकी मीरास, उसका निवास स्थान हैं l हम अपने जीवन के विभिन्न ऋतुओं में इन बातों को ही थामें रहते हैं l यद्यपि हमारे पास कोई बाहरी चिह्न या टैटू नहीं होगा, हमें यह भरोसा है कि हमारे हृदयों में परमेश्वर की आत्मा की गवाही है कि हम उसके हैं (देखें रोमियों 8:16-17) l
दृढ़ प्रेम
“मैं तुमसे प्यार करता हूँ!” मेरे पिता बोले जब मैं कार के दरवाजे को ज़ोर से बंद करके स्कूल की ओर चल दी l मैं छठी कक्षा में थी, और महीनों से हर सुबह एक ही स्थिति थी l स्कूल पहुँचने पर पिता कहते थे, “तुम्हारा दिन अच्छा हो! मैं तुमसे प्यार करता हूँ!” और मैं केवल कहती थी, “अलविदा l” मैं उनसे नाराज़ नहीं थी या उनकी उपेक्षा नहीं करती थी l अपने विचारों में अत्यधिक मशगूल होने के कारण मैं उनके शब्दों पर ध्यान नहीं देती थी l फिर भी, मेरे पिता का प्रेम दृढ़ बना रहा l
परमेश्वर का प्रेम ऐसा ही है – उससे भी अधिक l वह सदा स्थिर रहता है l इस प्रकार के प्रेम के लिए इब्रानी शब्द हेसेद है l पुराना नियम में यह शब्द बार-बार दोहराया गया है, और केवल भजन सहिंता 136 में छब्बीस बार! कोई भी आधुनिक शब्द इसका अर्थ स्पष्ट नहीं कर सकता है; हम इसका अर्थ “दयालुता,” “करुणा,” “दया,” या निष्ठा” लगाते हैं l हेसेद ऐसा प्रेम है जो वाचा प्रतिबद्धता पर आधारित है; प्रेम जो निष्ठावान और विश्वासयोग्य है l परमेश्वर के लोगों द्वारा पाप करने के बावजूद, वह उनसे प्रेम करने में विश्वासयोग्य था l दृढ़ प्रेम परमेश्वर के चरित्र का एक अभिन्न भाग है (निर्गमन 34:6) l
जब मैं बच्ची थी, मैं अपने पिता के प्रेम को अनुदत्त/स्वीकार्य मान लेती थी l कभी-कभी वर्तमान में भी मैं अपने स्वर्गिक पिता के प्रेम के साथ ऐसा ही करती हूँ l मैं परमेश्वर की नहीं सुनती हूँ और उत्तर नहीं देती हूँ l मैं धन्यवादी होना भूल जाती हूँ l फिर भी मैं जानती हूँ कि मेरे लिए परमेश्वर का प्रेम दृढ़ है – एक सच्चाई जो मेरे पूरे जीवन के लिए एक निश्चित आधार है l