Month: जून 2019

खूंटियों को गिराना

जब मैंने अपने मित्र इरिन के टखने पर टैटू देखा जिसमें बॉल फेंककर खूटियों का गिरना दर्शाया गया था तो मेरे मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुयी l इरिन को इस अद्वितीय टैटू को प्राप्त करने की प्रेरणा सारा ग्रोव्स के गीत “सेटिंग अप द पिन्स” को सुनकर मिली थी l यह दक्ष गीतकाव्य श्रोताओं को अपने दोहराए जानेवाले, दिनचर्या में आनंद खोजने के लिए उत्साहित करता है जो कभी-कभी अपने हाथों से बार-बार उन खूंटियों को पुनः खड़ा करने की तरह व्यर्थ महसूस होता है, केवल फिर से किसी के द्वारा पुनः गिराए जाने के लिए l

कपड़े धोना, भोजन बनाना, मैदान साफ़ करना l जीवन कामों से भरा हुआ है जिन्हें, एक बार पूरा करने के बाद, पुनः दोहराया जाना है – बार-बार l यह कोई नया संघर्ष नहीं है परन्तु एक पुरानी निराशा, जिसके साथ पुराने नियम के सभोपदेशक पुस्तक में भी जूझा गया था l यह पुस्तक लेखक द्वारा शिकायत करते हुए आरम्भ होता है कि दैनिक मानव जीवन न ख़त्म होने वाले चक्र की भांति व्यर्थ है (1:2-3), अर्थहीन भी, क्योंकि “जो कुछ हुआ था, वही फिर होगा, और जो कुछ बन चुका है वही फिर बनाया जाएगा” (पद.9) l

फिर भी, मेरे मित्र की तरह, लेखक यह याद करके पुनः आनंद का भाव और अर्थ प्राप्त कर सका कि हमारी आखिरी तृप्ति “परमेश्वर का भय [मानना] और उसकी आज्ञाओं का पालन है” (12:13) l यह जानने से तसल्ली मिलती है कि परमेश्वर साधारण, कदाचित जीवन के नीरस पहलुओं को भी महत्त्व देता है और हमारी विश्वासयोग्यता को पुरुस्कृत करेगा (पद.14) l

आप निरंतर कौन सी “खुटियाँ” खड़ी कर रहे है? उन दिनों में जब दोहराए जानेवाले कार्य थकानेवाले महसूस हो, काश हम थोड़ा समय निकालकर हर एक कार्य को प्रेम के बलिदान के रूप में परमेश्वर को सौंपेंl

अवसर को जाने न दें

“अपने बच्चों को चाँद दिखाने का मौका कभी न चूकें!” उन्होंने कहा l इससे पूर्व कि सप्ताह के मध्य होनेवाली प्रार्थना सभा आरंभ हो, हमलोगों का एक समूह पिछली रात के शरद पूर्णिमा के विषय बातचीत कर रहे थे l पूर्णिमा अत्यधिक आकर्षक था, जब वह क्षितिज पर बैठा हुआ प्रतीत हो रहा था l श्रीमति वेब, परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ सृष्टि से प्रेम करनेवाली एक बुज़ुर्ग महिला, हमारी बातचीत में बुज़ुर्ग आवाज़ थी, l वह मेरी पत्नी को जानती थी और उस समय हमारे पास दो बच्चे थे, और वह हमारे बच्चों की उचित परवरिश में मेरी सहायता करना चाहती थी l  “अपने बच्चों को चाँद दिखाने का मौका कभी न चूकना!”

श्रीमति वेब एक अच्छी भजनकार हो सकती थी l उनके प्रकार का आकर्षण दाऊद के खगोलीय पिंडों के वर्णन में प्रतिबिंबित है जिनकी “न तो कोई बोली है  . . . [फिर भी] उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है,  और उनके वचन जगत की छोर तक पहुँच गए हैं” (भजन 19:3-4) l न भजनकार और न ही श्रीमति वेब चाँद अथवा तारों की उपासना करने का इरादा रखते थे, किन्तु इसके बदले उनके पीछे रचनात्मक हाथों की l कायनात और अन्तरिक्ष पूरी तौर से परमेश्वर की महिमा प्रगट करते हैं (पद.1) l

हम भी अपने चारोंओर के लोगों – छोटे बच्चों और किशोर से लेकर पति-पत्नियों और पड़ोसियों - तक को हमारे चारोंओर परमेश्वर की महिमा की घोषणाओं और प्रकाशनों को ठहरकर, देखने, और सुनने के लिए उत्साहित कर सकते हैं l उसके हाथों के कार्यों की ओर आकर्षण हमें समस्त प्रभाव के पीछे उस अद्भुत परमेश्वर की उपासना करने की ओर नेतृत्व  करता है l कभी भी अवसर को जाने न दें l

मरुभूमि में पुष्पित

दूसरी मरुभूमियों की तरह माहावी मरुभूमि(Mojave Desert) में रेत के टीले, निर्जल घाटियाँ, ढलुआ पठार, और पहाड़ सम्मिलित हैं l परन्तु अमरीकी जीवविज्ञानी एडमण्ड जेगर ने देखा कि कुछ वर्षों के बाद होनेवाली व्यापक बारिश का परिणाम “ढेर सारे फूलों का खिलना होता है कि लगभग एक फुट रेत या कंकरीली मिटटी के नीचे ढेर सारे फूल छिपे होते हैं l” यद्यपि, माहावी के जंगली फूलों का दिखाई देना वार्षिक घटना नहीं है l शोधकर्ता पुष्टि करते हैं कि इससे पहले कि मरुभूमि चमकीले रंगों के फूलों से ढक जाए, बिलकुल ठीक समय में सुखी भूमि को आँधी-पानी और सूर्य की गर्मी से भीगना ज़रूरी होता है l

निर्जल भुभाग के बावजूद जीवन उत्पन्न करने वाला परमेश्वर की यह छवि मुझे यशायाह का स्मरण कराता है l समस्त राष्ट्रों को परमेश्वर के न्याय का सन्देश पहुँचाने के बाद वह  आशा के एक उत्साहवर्धक दर्शन साझा करता है (यशायाह 35) l एक भविष्य युग का वर्णन करते हुए जब परमेश्वर सब बातों को ठीक कर देगा, नबी ने कहा, “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर के समान फूलेगी” (पद.1) l उसने घोषित किया कि परमेश्वर के बचाए हुए लोग उसके राज्य में “जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएँगे, और उनके सिर पर सदा का आनंद होगा l वे हर्ष और आनंद पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा” (पद.10) l

परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं में सुरक्षित अनंत भविष्य के साथ, हम जीवन के शुष्क और तर करनेवाले अतिवृष्टि के ऋतुओं में उसपर भरोसा कर सकते हैं l हम उसके प्रेम में जड़वत होकर, बिलकुल ठीक समय तक, बढ़ते हुए, जब यीशु लौटेगा और सभी बातों को ठीक कर देगा, उसकी समानता में पुष्पित हो सकते हैं l

धन की खोज

जॉन और मेरी अपनी भूसंपत्ति में अपने कुत्ते को घुमा रहे थे जब वे एक जंग लगे कनस्तर से जो हाल ही की बारिश के कारण धरती से थोड़ा बाहर दिखाई दे रहा था, ठोकर खाकर लड़खड़ा गए l उन्होंने उस कनस्तर को घर ले जाकर खोला, और उसमें उनको सौ साल से भी पुराने सोने के सिक्कों का गुप्त भण्डार मिला! दम्पति पुनः उस स्थान पर लौटकर सात और कनस्तरों को ढूँढ निकाला जिनमें कुल मिलकर 1,427 सिक्के थे l उसके बाद उन्होंने अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए दूसरी जगह गाड़ दिया l

उन सिक्कों के भण्डार (मूल्य $10 लाख) को सैडल रिज होर्ड(Saddle Ridge Hoard) कहा जाता है, जो अमरीकी इतिहास में अपने प्रकार की सबसे बड़ी खोज है l यह कहानी असाधारण रूप से यीशु द्वारा बताए गए एक दृष्टांत की याद दिलाता है :  “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनंद के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया” (मत्ती 13:44) l

गड़े हुए धन की कहानियाँ सदियों से कल्पनाओं को जीती हैं, यद्यपि इस प्रकार की खोज बिरले ही होती है l परन्तु यीशु एक ऐसे धन के विषय बताते हैं जो उन सब की पहुँच में है जो अपने पापों का अंगीकार करते हैं और उसको ग्रहण करते हैं और उसका अनुसरण करते हैं (यूहन्ना 1:12) l

हम उस धन का थाह कभी नहीं लगा सकते हैं l जब हम अपने पुराने जीवन को छोड़ते हैं और परमेश्वर और उसके उद्देश्यों का पीछा करते हैं, हम उसके मूल्य जो जान जाते हैं l परमेश्वर हमारी कल्पना से परे हमें “अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु मे हम पर है, आनेवाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन”(इफिसियों 2:7) – उसके पुत्र और पुत्री के रूप में नया जीवन, इस पृथ्वी पर नया उद्देश्य, और उसके साथ समझ से बाहर अनंतता का आनंद - देता है l

क्या हम आराम कर सकते हैं?

डार्नेल यह जानते हुए भौतिक चिकित्सक(Physical therapist) के कार्यालय में प्रवेश किया कि वह अत्यधिक दर्द का अनुभव करेगा l चिकित्सक ने उसकी बाहों को खींचा/फैलाया और उनको उन स्थितियों में मोड़े जो मैंने अपने चोट लगने के समय से अभी तक नहीं किये थे  l प्रत्येक असुविधाजनक स्थिति में कुछ क्षणों तक रखते हुए, उसने कोमलता से उससे बोली : “ठीक है, आप आराम कर सकते हैं l” उसने बाद में कहा, “मैं सोचता हूँ कि हर एक थेरेपी सत्र में मैंने कम से कम पचास बार उस बात को सुना : ‘ठीक है, आप आराम कर सकते हैं l’ ”

उन शब्दों पर विचार करते हुए, डार्नेल ने महसूस किया कि ये शब्द उसके सम्पूर्ण जीवन में भी लागू हो सकते हैं l वह चिंता के बदले परमेश्वर की भलाई और विश्वासयोग्यता में आराम कर सकता था l

जब यीशु अपनी मृत्यु के निकट पहुँचा, वह जानता था कि उसके शिष्यों को यह जानना ज़रूरी था l जल्द ही वे उथल-पुथल और सताव का सामना करेंगे l यीशु ने उनको उत्साहित करने के लिए कहा, वह पवित्र आत्मा को उनके साथ रहने और उसकी शिक्षा को उनको याद दिलाने के लिए भेजेगा (यूहन्ना 14:26) l और इसलिए वह कह सका , “मैं तुम्हें शांति दिए जाता हूँ, अपनी शांति तुम्हें देता हूँ . . . तुम्हारा मन व्याकुल न हो, और न डरे” (पद.27) l

हमारे दैनिक जीवनों में बहुत कुछ है जिसके विषय हम ईमानदार हो सकते हैं l किन्तु हम खुद को याद दिलाते हुए परमेश्वर में अपने भरोसे में उन्नति कर सकते हैं कि उसका आत्मा हमारे अन्दर बसता है – और वह अपनी शांति हमें देता है l जब हम उसकी सामर्थ्य पर निर्भर होते हैं, हम चिकित्सक के शब्दों में उसकी सुन सकते हैं : “ठीक है, तुम आराम कर सकते हैं l”