जीभ को नियंत्रित करने वाले
वेस्ट विथ द नाईट(West with the Night) पुस्तक में लेखिका बेरिल मार्खैम एक अत्यंत शक्तिशाली घोडा, कैमसिसकैन के विषय विस्तार से बताती है जिसे उसे प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी मिली थी l उसे उसकी ही तरह जोड़ीदार कैमसिसकैन मिल गया था l हर प्रकार की रणनीति अपनाने के बावजूद भी, वह उस अक्खड़ घोड़े को पूरी तौर से वश में न कर सकी, और केवल उसकी अड़ियल इच्छा पर विजय पा सकी l
हममें से कितने लोग अपने जीभ को वश में करने के लिए संघर्ष करते हुए ऐसा अनुभव करते हैं? जबकि याकूब जीभ को घोड़े के मुँह में लगाम या जहाज के पतवार से तुलना करता हैं (याकूब 3:3-5), और वह खेद प्रगट करते हुए कहता है, “एक ही मुँह से धन्यवाद और शाप दोनों निकलते हैं l हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए” (पद.10) l
इसलिए, किस प्रकार हम जीभ पर विजय प्राप्त कर सकते हैं? प्रेरित पौलुस जीभ पर नियंत्रण प्राप्त करने की सलाह देता है l पहली बात केवल सच बोलना है (इफिसियों 4:25) l हालाँकि, यह कष्टपूर्वक कुंठित होना नहीं है l पौलुस आगे कहता है, “कोई गन्दी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वह निकले जो उन्नति के लिए उत्तम हो” (पद.29) l हम कूड़े को भी हटा सकते हैं : “सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निंदा, सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए” (पद.31) l क्या यह सरल है? यदि हम अपने बल पर करें तो यह संभव नहीं है l हम धन्यवादी हैं, हमारे पास पवित्र आत्मा है जो हमारी मदद करता है यदि हम उस पर निर्भर होते हैं l
जिस प्रकार मार्खैम ने सीखा, इच्छा की लड़ाई में कैमसिसकैन के साथ सामंजस्य की ज़रूरत थी l इसी प्रकार जीभ के नियंत्रण में भी होता है l
सदा से बेहतर
पेरिस में नोट्रे डेम कैथेड्रल(प्रधान गिरजाघर) एक भव्य ईमारत है l उसकी शिल्पकारी मंत्रमुग्ध करनेवाली है, और उसकी खिडकियों के रंगीन कांच एवं खुबसूरत आंतरिक विशेषताएँ असाधारण हैं l शताब्दियों से पेरिस के परिदृश्य में गगनचुंबी, उसे नवीनीकरण की आवश्यकता पड़ी – जो उस समय आरम्भ हुआ जब एक विनाशकारी आग ने उस शानदार पुराने इमारत को अत्यंत हानि पहुंचाई l
इसलिए इस आठ शताब्दी पुरानी ऐतिहासिक स्थल से प्रेम करनेवाले लोग इसे बचाने के लिए आ रहे हैं l इस इमारत के नवीनीकरण के लिए दस खरब डॉलर से अधिक बटोरा गया है l पत्थर की इस संरचना को दृढ़ करने की ज़रूरत है l क्षतिग्रस्त आंतरिक भाग और उसकी अभिलाषित शिल्पकृति की मरम्मत ज़रूरी है l यद्यपि, प्रयास उचित है, क्योंकि यह पुराना कैथेड्रल अनेक लोगों के लिए आशा का प्रतीक है l
जो इमारतों के लिए सच है वह हमारे लिए भी सच है l इस पुराने चर्च की तरह, हमारे शरीर, आख़िरकार धारण करने के लिए थोड़ा और खराब दिखाई देने लगेंगे! परन्तु जिस प्रकार प्रेरित पौलुस समझाता है, समाचार अच्छा है : जबकि हमारी जवानी की शारीरिक गूंज शनै-शनै कम होती जाएगी, हमारे व्यक्तित्व का सार/मूल –हमारा आत्मिक व्यक्तित्व – निरंतर नया होता जाता है और उन्नति करता है (2 कुरिन्थियों 4:16) l
जब हम पवित्र आत्मा पर हमें भरने और हमें नवीन बनाने के लिए “उसे भाते [रहने का लक्ष्य बनाते हैं]” (5:9), हमारी आत्मिक उन्नति को ठहरने की ज़रूरत नहीं है – चाहे हमारी “ईमारत” कैसी भी दिखाई दे l
मैं हानि से नहीं डरूंगा
1957 में, मेल्बा पेटिलो बील्स “लिटिल रॉक नाइन(Little Rock Nine),” के एक सदस्य के रूप में चुनी गयी, जो नौ अफ्रीकन अमेरिकन विद्यार्थियों का एक समूह था जिन्होनें अरकंसास, लिटिल रॉक के सेंट्रल हाई स्कूल को सबसे पहले श्वेतों और अश्वेतों दोनों ही के लिए अनिवार्य कर दिया और जो पूर्व में केवल श्वेत लोगों के लिए था l अपने 2018 के वृतांत, आई विल नॉट फियर : माई स्टोरी ऑफ़ ए लाइफटाइम ऑफ़ बिल्डिंग फैथ अंडर फायर (I Will Not Fear: My Story of a Lifetime of Building Faith under Fire), में बील्स उस अन्याय और उत्पीड़न का एक मर्मस्पर्शी वर्णन करती है जिसका सामना वह पंद्रह वर्ष की छात्रा के रूप में प्रतिदिन संघर्ष करते हुए साहस के साथ करती थी l
परन्तु उसने परमेश्वर में अपने गहरे विश्वास के विषय भी लिखा l अपने सबसे अंधकारपूर्ण पलों में, जब भय ने उसे पूर्ण रूप से पराजित करना चाहा, बील्स ने बाइबल के लोकप्रिय पदों को दोहराया जो उसने बचपन में अपनी दादी से सीखे थे l उनको दोहराते समय, उसे अपने साथ परमेश्वर की उपस्थिति याद आई, और वचन ने उसे दृढ़ रहने के लिए साहस दिया l
बील्स अक्सर भजन 23 को दोहराती थी, “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुयी तराई में होकर चलूँ, तौभी हानि से न [डरूंगी]; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है” (पद.4) और इसे अंगीकार करके आराम पाती थी l उसकी दादी का प्रोत्साहन उसके कानों में गूंजता था और उसे आश्वासन देता था कि परमेश्वर “अति निकट है, और तुम केवल उससे ही सहायता मांग सकती हो l”
यद्यपि हमारी ख़ास स्थितियाँ भिन्न हो सकती हैं, कदाचित हम सब कठिन संघर्षों एवं अभिभूत करनेवाली स्थितियों को सहन करेंगे जो हमें भयभीत करके आसानी से हार मानने के लिए उत्प्रेरित करेंगी l आपका हृदय इस सच्चाई में उत्साहित हो कि परमेश्वर की सामर्थी उपस्थिति हमेशा हमारे साथ है l
जब हम विजेता को जानते हैं
मेरा सुपरवाइजर किसी कॉलेज बास्केटबॉल टीम का बहुत बड़ा प्रशंसक है l इस वर्ष, उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत ली, इसलिए एक अन्य सहकर्मी ने उसे बधाई दी l केवल एक समस्या थी कि मेरे बॉस को अभी था फाइनल मैच देखने का अवसर नहीं मिला था! उन्होंने कहा कि वे पहले से ही परिणाम जानकार निराश थे l परन्तु, उन्होंने स्वीकार किया कि, कम से कम जब वे खेल देख रहे थे वे घबराए हुए नहीं थे जब अंक(score) अंत के करीब आया l उनको मालूम था कौन जीता!
कल क्या होगा हम वास्तव में कभी नहीं जानते हैं l कुछ दिन नीरस और थकाऊ महसूस होते हैं, जबकि दूसरे दिन आनंद से भरे हुए होते हैं l और भी अन्य समयों में, जीवन लम्बे समय के लिए दुष्कर, अत्यंत दुखदायी हो सकता है l
परन्तु जीवन के अप्रत्याशित उत्तार-चढ़ाव के बावजूद, हम परमेश्वर की शांति में मजबूती से जड़वत रह सकते हैं l क्योंकि, मेरे सुपरवाइजर के समान, हम कहानी का अंत जानते हैं l हम जानते हैं कौन “जीतता है l”
बाइबल की अंतिम पुस्तक, प्रकाशितवाक्य, इस भव्य समापन के विषय पर्दा उठाता है l मृत्यु और बुराई की अंतिम हार के बाद (20:10,14), युहन्ना एक खुबसूरत विजय दृश्य का वर्णन करता है (21:1-3) जहां परमेश्वर अपने लोगों के साथ निवास करता है (पद.3) और “उनकी आँखों से आँसू पोंछ [डालता है]” ऐसे संसार में जहां “मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी” (पद.4) l
कठिन दिनों में, हम इस प्रतिज्ञा से लिपटे रह सकते हैं l और कोई हानि या विलाप नहीं l क्या-होगा-यदि या टूटे हृदय अब और नहीं l इसके बदले, हम अपने उद्धारकर्ता के साथ अनंत बिताएँगे l वह कितना महिमामयी उत्सव होता!