क्या हमारे कार्य महत्वपूर्ण हैं?
मैंने अपने माथे को एक आह के साथ अपने हाथ पर झुखा दिया, “मुझे नहीं पता कि मैं इसे कैसे पूरा कर पाऊंगा l” मेरे मित्र की आवाज़ फोन पर चिटकी : “आपको खुद को कुछ श्रेय देना होगा l आप बहुत कुछ कर रहे हैं l” फिर उसने उन चीजों को सूचीबद्ध किया जो मैं करने की कोशिश कर रहा था – एक स्वस्थ्य जीवन शैली को बनाए रखना, काम, ग्रेजुएट स्कूल में अच्छे से पढ़ना, लिखना और बाइबल अध्ययन में भाग लेना l मैं परमेश्वर के लिए इन चीजों को करना चाहता था, लेकिन मैं काम कैसे कर रहा था के बजाय अपने काम पर ध्यान दिया – या शायद मैं बहुत अधिक करने की कोशिश कर रहा था l
पौलुस ने कुल्लुसे की कलीसिया को याद दिलाया कि उन्हें परमेश्वर को महिमा देने वाले तरीके से जीना था l अंततः, उसने दिन-प्रतिदिन के आधार पर जो विशेष रूप से किया वह उतना महत्वपूण नहीं था जितना कैसे उन्होंने किया l उन्हें अपना काम “बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता” के साथ करना था (कुलुस्सियों 3:12) “अपराध क्षमा” करना था, और “सब के ऊपर प्रेम” करना था (पद.13-14) और सब काम “प्रभु यीशु के नाम से” करना था (पद.17) l उनके काम मसीह के जीवन शैली से अलग नहीं होने थे l
हमारे काम मायने रखते हैं, लेकिन हम इसे कैसे, क्यों, और किसके लिए करते हैं मायने रखता है l हर दिन हम एक तनावग्रस्त तरीके से या ऐसे तरीके से काम करने का चुनाव कर सकते हैं जो परमेश्वर का सम्मान करता है और वह अर्थ निकालने का प्रयास करता है जो यीशु हमारे काम को देता है l जब हम बाद की बातों का पीछा करते हैं, हम संतुष्टि पाते हैं l

मर्सी का विलाप
उसके पिता ने अपनी बीमारी को जादू टोना का दोषी ठहराया l यह एड्स था l जब उनकी मृत्यु हुयी, उनकी बेटी, दस वर्षीय मर्सी, अपनी माँ के और भी करीब हो गयी l लेकिन उसकी माँ भी बीमार थी, और तीन साल बाद उसकी मृत्यु हो गयी l तब से, मर्सी की बहन ने पांच भाई-बहनों की परवरिश की l उसी समय से मर्सी ने अपने दर्द की एक दैनिकी रखना शुरू किया l
नबी यिर्मयाह ने भी अपने दर्द का रिकॉर्ड रखा l विलापगीत की पुस्तक में उसने बेबीलोन की सेना द्वारा यहूदा पर किये गए अत्याचारों के विषय में लिखा l यिर्मयाह का हृदय विशेष रूप से सबसे कम उम्र के पीड़ितों के लिए दुखी था l उसने विलाप किया, “मेरे लोगों . . . के विनाश के कारण मेरा कलेजा फट गया है . . . क्योंकि बच्चे वरन् दूध-पीते बच्चे भी नगर के चौंकों में मूर्छित होते हैं” (2:11) l यहूदा के लोगों का परमेश्वर को अनदेखा करने का इतिहास था, लेकिन उनके बच्चे भी इसकी कीमत चुका रहे थे l “अपने प्राण अपनी अपनी माता की गोद में छोड़ते हैं” (पद.12) l
हम शायद यिर्मयाह से उम्मीद कर सकते थे कि वह इस तरह की पीड़ा के सामने परमेश्वर को अस्वीकार कर देगा l इसके बजाय, उसने बचे लोगों से आग्रह किया, “प्रभु के सम्मुख अपने मन की बातों को धारा के समान उंडेल . . . [अपने बालबच्चों के] प्राण के निमित्त आने हाथ उसकी ओर फैला” (पद.19) l
यह अच्छा है, जैसा कि मर्सी और यिर्मयाह ने किया, हमारे दिलों को परमेश्वर के सामने उंडेलने के लिए l विलाप मानव होने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है l यहाँ तक कि जब परमेश्वर इस तरह के दर्द की अनुमति देता है, तो वह हमारे साथ दुखी होता है l जैसा कि हम उसके स्वरुप में रचे गए हैं, उसे भी विलाप करना चाहिए!

ट्रैक(पटरी) पर कैसे रहें
संसार के सबसे तेज दृष्टिहीन धावक के रूप में, यु.एस. पैरालिम्पिक टीम के डेविड ब्राउन ने अपनी जीत का श्रेय परमेश्वर, अपनी माँ की प्रारंभिक सलाह (“यहाँ वहाँ बैठना नहीं”), और अपने साथ दौड़ने वाले मार्गदर्शक – अनुभवी तेज़ धावक जेरोम एवरी को दिया l ब्राउन की उँगलियों के साथ एक रस्सी से बंधे हुए रहकर एवरी शब्दों और स्पर्शों के साथ ब्राउन के दौड़ जीतने को निर्देशित करता है l
ब्राउन कहता है, “यह उनके संकेतों को सुनने के बारे में है,” 200 मीटर की दौड़ में जहाँ ट्रैक मुड़ता है, वह व्यापक रूप से घूम सकता है l ब्राउन कहते हैं, “हम दिन-प्रतिदिन, दौड़ रणनीतियों को दोहराते हैं, परस्पर संवाद करते हैं – केवल मौखिक संकेत नहीं, बल्कि भौतिक संकेत l”
हमारे अपने जीवन की दौड़ में, हम एक दिव्य मार्गदर्शक को पाकर धन्य हैं l हमारा सहायक, पवित्र आत्मा, हमारे क़दमों का नेतृत्व करता है जब हम उसका अनुसरण करते हैं l यूहन्ना ने लिखा, “मैं ने ये बातें तुम्हें उन के विषय में लिखी हैं, जो तुम्हें भरमाते हैं” (1 यूहन्ना 2:26) l “परन्तु तुम्हारा वह अभिषेक जो उसकी ओर से किया गया, तुम में बना रहता है; और तुम्हें इसका प्रयोजन नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए, वरन् वह अभिषेक जो उसकी ओर से किया गया तुम्हें सब बातें सिखाता है, और यह सच्चा है और झूठा नहीं; और जैसा उसने तुम्हें सिखाया है वैसे ही तुम उसमें बने रहते हो” (पद.27) l
यूहन्ना ने इस ज्ञान को अपने समय के विश्वासियों पर प्रबल किया, जिन्होंने “ख्रीस्त विरोधियों” का सामना किया जिन्होंने पिता का इन्कार किया और कि यीशु ही मसीह है (पद.22) l हम आज भी इस तरह के इन्कार करनेवालों का सामना करते हैं l लेकिन पवित्र आत्मा, हमारा मार्गदर्शक, यीशु का अनुसरण करने में हमारा साथ देता है l उसके हमें सच्चाई के साथ छूने के लिए और हमें ट्रैक पर रखने के लिए उसके मार्गदर्शन पर भरोसा कर सकते हैं l

परमेश्वर के बराबर प्रेम
मैंने एक बार डोमिनिकन रिपब्लिक में सैंटो डोमिंगो के एक गरीब पड़ोस का दौरा किया l घरों को नालीदार लोहे से बनाया गया था, जिसके ऊपर बिजली के जीवित तार लटक रहे थे l वहाँ मुझे परिवारों का साक्षात्कार करने और यह सुनने का सौभाग्य मिला कि चर्च कैसे बेरोजगारी, नशीली दवाओं के उपयोग और अपराध का मुकाबला करने में मदद कर रहे थे l
एक गली में मैं एक माँ और उसके बेटे का साक्षात्कार लेने के लिए एक छोटे कमरे में जाने के लिए एक छोटी सी सीढ़ी पर चढ़ गया l लेकिंग एक पल के बाद किसी ने कहा, “हमें अब चलना चाहिए l” एक हथियार-बनाने वाले गिरोह (machete-wielding gang) के नेता जाहिर तौर पर हम पर घात लगाकर आक्रमण करने के लिए एक भीढ़ इकठ्ठा कर रहे थे l
हमने एक दूसरे पड़ोस का दौरा किया, लेकिन वहाँ हमें कोई समस्या नहीं थी l बाद में मुझे पता चला क्यों l जैसा कि मैंने प्रत्येक घर का दौरा किया, एक गैंग लीडर हमारी सुरक्षा के लिए बाहर खड़ा था l यह पता चला कि उनकी बेटी को चर्च द्वारा खिलाया और शिक्षित किया जा रहा था, और क्योंकि विश्वासी उस बेटी के साथ खड़े थे, वह हमारे पक्ष में खड़ा था l
पहाड़ी उपदेश में, यीशु प्रेम का एक मानक प्रस्तुत करता है जो तुलना से परे है l इस तरह का प्यार न केवल “योग्य” बल्कि जो लायक नहीं हैं (मत्ती 5:43-45) को भी गले लगाता है, परिवार और दोस्तों से परे उन तक पहुँचने के लिए जो हमें प्यार नहीं कर सकते या बदले में प्यार नहीं करेंगे (पद.46-47) l यह परमेश्वर के बराबर प्रेम है (पद.48) – इस तरह का जो सभी को आशीषित करता है l
जैसे कि सैंटो डोमिंगो में विश्वासियों ने इस प्यार को जीया है, पड़ोस में बदलाव आना शुरू हो गया है l कठिन हृदय उनके कारण स्नेही होने लगे हैं l परमेश्वर के बराबर प्रेम का शहर में आने पर यही होता है l

पवित्र अग्नि
कई वर्षों के सूखे और जंगल की आग के बाद, दक्षिणी केलिफोर्निया, अमेरिका के कई लोगों ने सोचा कि यह ईश्वर का कृत्य था l जब समाचार सूत्रों ने इसे पवित्र अग्नि उद्धृत करना आरम्भ किया, तो यह विचलित करनेवाली धारणा प्रबल हुयी l हालाँकि बहुतों को यह नहीं पता था कि इस क्षेत्र को “पवित्र जिम घाटी(Canyon) क्षेत्र,” कहा जाता था और इसलिए यह नाम है l
युहन्ना बप्तिस्मा दाता के “पवित्र आत्मा और आग” का सन्दर्भ भी अपनी कहानी और स्पष्टीकरण (लूका 3:11) के साथ आया था l पीछे मुड़कर देखें, तो वह संभावित रूप से मसीहा(अभिषिक्त) एवं मीका नबी द्वारा परिस्कृत करनेवाली आग के बारे में सोच रहा था (3:1-3; 4:1) लेकिन परमेश्वर की आत्मा के हवा और आग के रूप में यीशु के अनुयायियों पर आने के बाद ही मलाकी और युहन्ना के शब्द साफ़ दिखाई दिए (प्रेरितों 2:1-4) l
युहन्ना ने जिस आग के विषय भविष्वाणी की थी, वह अपेक्षित नहीं थी l परमेश्वर के सच्चे कार्य के रूप में, यह एक अलग तरह के मसीहा(अभिषिक्त) और पवित्र आग्नि की घोषणा करने के लिए साहस के साथ आया था l यीशु की आत्मा में, इसने हमारे निरर्थक मानवीय प्रयासों को उजागर किया और भस्म किया – प्रेम, आनंद, शांति, धैर्य, अच्छाई, दया, विश्वास, सौम्यता, और पवित्र आत्मा के आत्म-नियंत्रण के लिए जगह बनाते हुए (देखें गलतियों 5:22-23) l वे परमेश्वर के काम हैं जो वह हम में करना चाहता है l