ग्रहण
मैं आँखों की सुरक्षा, देखने का एक आदर्श स्थान, और घर के बने अल्पाहार के साथ तैयार था। लाखों लोगों के साथ मेरा परिवार और मैंने पूर्ण सूर्यग्रहण की पूरी घटना को देखा - चाँद द्वारा पूरे सूर्य को ढक देना।
ग्रहण ने गर्मी के एक सामान्य उज्जवल दोपहर को असामान्य अँधेरे से ढक दिया। हालाँकि हमारे लिए यह ग्रहण एक मजेदार उत्सव और सृष्टि पर परमेश्वर की अविश्वसनीय शक्ति का स्मरण था (भजन 135:6-7), पूरे इतिहास में दिन में अँधेरा असामान्य और पूर्वाभास/अनिष्ट दर्शन के रूप में देखा गया है (निर्गमन 10:21); मत्ती 27:45), एक संकेत है कि सब कुछ वैसा नहीं है जैसा होना चाहिये।
प्राचीन इस्राएल में विभाजित राज्य के समय नबी, आमोस के लिए यह अँधेरा यही दर्शाता है। आमोस ने उत्तरी राज्य को चेतावनी दी कि यदि वे परमेश्वर से दूर होते रहे तो विनाश होगा। एक संकेत के रूप में, परमेश्वर “सूर्य को दोपहर के समय अस्त [करेगा], और इस देश को दिन दुपहरी अँधियारा कर [देगा]” (आमोस 8:9) l
लेकिन परमेश्वर की अंतिम इच्छा और उद्देश्य था – और है भी - सभी चीजों को सही बनाना। यहाँ तक कि जब लोगों को निर्वासन में ले जाया गया था, तब परमेश्वर ने एक दिन यरूशलेम, में लोगों के एक बचे हुए भाग को लाने का और “गिरी हुई झोपड़ी को खड़ा [करने], और उसके बाड़े के नाकों को [सुधारने], और उसके खंडहरों को फिर [बनाने]” वादा किया (आमोस 9:11)।
यहाँ तक कि जब जीवन अपने सबसे अँधेरे में हो, तो इस्राएल की तरह, हम यह जानने में आराम पा सकते हैं कि परमेश्वर – सभी लोगों के लिए – ज्योति और आशा वापस लाने का कार्य कर रहा है (प्रेरितों 15:14-18) l
जो देखता है
“अरे नहीं!” रसोई में कदम रखते ही मेरी पत्नी की आवाज़ सुनायी दी। जिस क्षण वह बोली, हमारे नब्बे पाउंड का लैब्राडोर “मैक्स” कमरे से उत्तर दिया। मांस का वह टुकड़ा गायब था जो पटल के किनारे बहुत निकट रखा था। मैक्स ने उसे खा लिया था, और खाली बर्तन छोड़ दिया था। वह पलंग के नीचे छिपने का प्रयास कर रहा था। लेकिन केवल उसका सिर और उसके कंधे उसमें समा सके। उसके शरीर का खुला हुआ पिछला भाग और पूँछ ने उसके छिपने को धोखा दिया था जब मैं उसको खोजने गया।
“ओह, मैक्स,” मैं धीमी आवाज़ में बोला, “तुम्हारा ‘पाप’ तुम्हें ढूंढ़ निकालेगा।” यह वाक्यांश मूसा से लिया गया है, जब वह इस्राएल के दो गोत्रों को परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहने और अपना वचन पूरा करने को समझाता है। उसने उनसे कहा : “परन्तु यदि तुम ऐसा न करोगे, तो प्रभु के प्रति पाप करोगे। इस बात को जान लो, तुम्हारा पाप तुम्हें ढूंढ़ निकालेगा” (गिनती 32:23 – Hindi-CL)।
पाप एक क्षण के लिए अच्छा लग सकता है, परन्तु यह परमेश्वर से अलग होने के अंतिम पीड़ा का कारण बनता है। मूसा अपने लोगों को याद दिला रहा था कि परमेश्वर कुछ भी नहीं भूलता है। जिस तरह बाइबल का एक लेखक कहता है, “सृष्टि की कोई वस्तु उससे छिपी नहीं है वरन् जिस से हमें काम है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट है” (इब्रानियों 4:13)
यद्यपि, सभी कुछ देखकर, हमारा पवित्र परमेश्वर हमें प्रेम से अपने पाप को स्वीकार करने के लिए, उससे मन फिराने के लिए (उससे मुँह मोड़ने के लिए), और उसके साथ सही तरीके से चलने के लिए बुलाता है (1 यूहन्ना 1:9)। आज हम प्रेम में होकर उसका अनुसरण करें।
सामुदायिक स्मृति
अपनी पुस्तक रेस्टलेस फैथ(Restless Faith) में, धर्मशास्त्री रिचर्ड मू अतीत के पाठों को याद करने के महत्त्व के बारे में बात करते हैं। वह समाजशास्त्री रोबर्ट बेला का हवाला देते हैं, जिसने कहा कि “स्वस्थ राष्ट्रों को ‘सामुदायिक स्मृति’” होना चाहिए। बेला ने उस सिद्धांत को अन्य सामाजीय बंधन जैसे परिवारों तक बढ़ाया है। याद रखना समुदाय में रहने का तू महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पवित्रशास्त्र भी सामुदायिक स्मृति के मूल्य को सिखाता है। इस्राएलियों को फसह का पर्व उनको याद दिलाने के लिए दिया गया था कि परमेश्वर ने उनको मिस्र के दासत्व से निकालने के लिए क्या किया था (देखें निर्गमन 12:1-30) l आज भी, संसार के सभी भागों से यहूदी लोग हर बसंत के मौसम में उस समृद्ध सामाजिक स्मृति को देखने आते हैं।
फसह का पर्व मसीह के अनुयायियों के लिए भी महान अर्थ रखता है, क्योंकि फसह हमेशा क्रूस पर मसीह(Messiah) के कार्य की ओर इंगित किया है। यह फसह का समय था, क्रूस पर जाने से पूर्व रात्रि को, कि यीशु ने अपना स्मारक मेज स्थापित किया। लूका 22:19 लिखता है, “उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए दी जाती है : मेरे स्मरण के लिए यही किया करो l”
हर समय जब हम प्रभु भोज मनाने के लिए प्रभु की मेज के समीप इकठ्ठा होते हैं, हम याद करते हैं कि मसीह ने हमें पाप के दासत्व से बचाया है और हमें अनंत जीवन दिया है। काश यीशु के प्रेम का बचाने वाला प्रेम हमें स्मरण दिलाए कि उसका क्रूस – मिलकर - याद करने करने के योग्य है।
शाखाओं में निवास
जैसा कि मैंने अपने परामर्शदाता के साथ अपनी भावनाओं के उतार-चढ़ाव को एक तनाव-भरे सप्ताह के बाद साझा किया, उसने सोच समझकर सुना। फिर उसने मुझे खिड़की से बाहर पेड़ों को देखने के लिए बुलाया, संतरों से भरे हुए, और जिसकी शाखाएं हवा से झूल रही थी।
यह बताते हुए कि तना हवा में बिलकुल नहीं हिल रही थी, मेरे परामर्शदाता ने समझाया, “हम भी कुछ इसी प्रकार हैं। जब जीवन हर दिशा से हम पर प्रहार कर रहा हो, तो निश्चित ही हमारी भावनाएं ऊपर और नीचे और चारों-ओर जाएंगी। हमारा लक्ष्य आपको अपना जड़ या तना खोजने में मदद करना है। इस तरह, जब जीवन हर तरफ से खींच रहा हो, तो आप अपनी शाखाओं में नहीं रह सकते हैं फिर भी आप सुरक्षित और स्थिर रहेंगे।"
यह एक छवि है जो मेरे साथ रहा; और यह पौलुस द्वारा इफिसियों के नए विश्वासियों को दी गयी छवि से मिलती जुलती है। परमेश्वर के अविश्वसनीय उपहार की याद दिलाते हुए अर्थात् अद्भुत उद्देश्य और महत्त्व का नया जीवन (इफिसियों 2:6-10), पौलुस ने अपनी तीव्र इच्छा साझा किया कि वे मसीह के प्रेम में “जड़ पकड़कर और नेव डाल कर” स्थापित हो चुके थे (3:17), और “उपदेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर-उधर घुमाए”(4:14) नहीं जाते थे।
अपने दम पर, अपने डर और असुरक्षाओं से ग्रसित, असुरक्षित और नाजुक महसूस करना आसान है, लेकिन जब हम मसीह में अपनी वास्तविक पहचान में बढ़ते हैं (पद.22-24), हम परमेश्वर के साथ और एक दूसरे के साथ गहरी शांति का अनुभव करते हैं (पद.3), मसीह की सामर्थ्य और सुन्दरता द्वारा पोषित और संभाले हुए (पद.15-16) l