Month: सितम्बर 2020

अपनी प्रार्थनाओं द्वारा दूसरों से प्रेम

यह पहला सवाल था जो एक मिशनरी ने अपनी पत्नी से पूछा जब भी उसकी पत्नी को जेल में उससे मिलने की अनुमति दी गई । उसे उसके विश्वास के लिए झूठा अभियुक्त बनाया गया था और दो साल के लिए कैद किया गया था l जेल में परिस्थितियों और विरोध के कारण उसका जीवन अक्सर खतरे में रहता था, और दुनिया भर के विश्वासियों ने उसके लिए ईमानदारी से प्रार्थना की थी । वह आश्वस्त होना चाहता था कि वे नहीं रुकेंगे, क्योंकि उसका मानना ​​था कि परमेश्वर उनकी प्रार्थनाओं का शक्तिशाली तरीके से उपयोग कर रहा था ।

दूसरों के लिए हमारी प्रार्थनाएँ - विशेष रूप से वे जो अपने विश्वास के लिए सताए जाते हैं - एक महत्वपूर्ण उपहार हैं । पौलुस ने यह स्पष्ट किया जब उसने कुरिंथुस में विश्वासियों को अपनी मिशनरी यात्रा के दौरान आने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखा । वह "भारी बोझ से दबा” हुआ था, यहाँ तक कि वह “जीवन से भी हाथ धो” बैठा था (2 कुरिन्थियों 1: 8) । लेकिन फिर उसने कहा कि परमेश्वर ने उसे छुडाया था और उस उपकरण का वर्णन किया जिसका उपयोग परमेश्वर ने उसे करने के लिए किया : “हमारी यह आशा है कि वह आगे को भी बचाता रहेगा l तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे” (पद 10–11 महत्व दिया) ।

परमेश्वर हमारी प्रार्थना के माध्यम से अपने लोगों के जीवन में महान भलाई करने के लिए आगे बढ़ता है। दूसरों से प्यार करने का एक सबसे अच्छा तरीका उनके लिए प्रार्थना करना है, क्योंकि हमारी प्रार्थनाओं के माध्यम से हम उस सहायता के द्वार को खोलते हैं जो केवल परमेश्वर दे सकता है l जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो हम उसकी सामर्थ्य में उनसे प्यार करते हैं । उससे बड़ा या अधिक प्रेम करने वाला कोई नहीं है ।

अभी, फिर अगला

मैं हाल ही में एक कॉलेज के दीक्षान्त में भाग लिया, जिसके दौरान वक्ता ने अपनी स्नातक डिग्री की प्रतीक्षा कर रहे युवा वयस्कों के लिए एक आवश्यक चुनौती प्रदान की l उन्होंने उल्लेख किया कि यह उनके जीवन का एक समय है जब हर कोई उनसे पूछ रहा है, “आगे क्या है?” वे आगे किस कैरियर/जीविका का पीछा करेंगे? वे आगे पढ़ाई कहाँ करेंगे या भविष्य में काम कहाँ करेंगे? तब उन्होंने कहा कि अधिक महत्वपूर्ण सवाल यह था कि वे अभी क्या कर रहे थे?

अपनी विश्वास यात्रा के संदर्भ में, वे कौन से दैनिक निर्णय ले रहे होंगे जो उन्हें यीशु के लिए जीने के लिए मार्गदर्शन करेंगे और खुद के लिए नहीं?

उनके शब्दों ने मुझे नीतिवचन की किताब की याद दिला दी, जो बताती है कि अब कैसे जीना है l उदाहरण के लिए : वर्तमान में, ईमानदारी का अभ्यास(11:1); वर्तमान में, सही मित्रों का चयन (12:26); वर्तमान में, ईमानदारी से जीना(13:6); वर्तमान में, अच्छा निर्णय लेना(13:15); वर्तमान में, समझदारी से बोलना(14: 3) l

वर्तमान में परमेश्‍वर के लिए पवित्र आत्मा की अगुवाई में जीना, आगे के लिए निर्णय लेना सरल बना देता है l “बुद्धि यहोवा ही देता है; . . . वह सीधे लोगों के लिए खरी बुद्धि रख छोड़ता है . . . जो खराई से चलते हैं, उनके लिए वह ढाल ठहरता है . . . और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है” (2:6-8) l परमेश्वर वर्तमान में उसके दिशानिर्देशों के अनुकूल जीवन जीने के लिए हमारे ज़रूरतों का प्रबंध करे, और आगे उसके आदर के लिए क्या है में हमारा मार्गदर्शन करें l 

पुनः पराजित

अपने धर्मोपदेश लेखन के दिनों में मैंने कई रविवार की सुबह खुद को एक महत्वहीन क्रीमी की तरह महसूस किया l उससे पहले के सप्ताह में, मैं एक सर्वोत्तम पति, पिता, या मित्र नहीं था l  मुझे लगा कि इससे पहले कि परमेश्वर मुझे फिर से इस्तेमाल करे मुझे सही जीवन जीने का ट्रैक रिकॉर्ड(पिछली उपलब्द्धियाँ) स्थापित करना होगा l इसलिए मैं धर्मोपदेश द्वारा सबसे अच्छा करने की प्रतिज्ञा की और मैं आने वाले सप्ताह को बेहतर ढंग से जीने की कोशिश की l

यह सही दृष्टिकोण नहीं था l गलातियों 3 में यह कहा गया है कि परमेश्वर लगातार हमें अपनी आत्मा देता है और एक मुफ्त उपहार के रूप में हमारे द्वारा शक्तिशाली रूप से काम करता है - इसलिए नहीं कि हमने कुछ किया है या इसके लायक हैं l

अब्राहम का जीवन इसे दर्शाता है l कई बार वह एक पति के रूप में असफल रहा l उदाहरण के लिए, उसने दो बार खुद को बचाने के लिए झूठ बोलकर सारा का जीवन खतरे में डाल दिया (उत्पत्ति 12:10-20; 20:1–18) l फिर भी उसका विश्वास “धार्मिकता गिनी गई ” (गलातियों 3:6) l अब्राहम ने अपनी असफलताओं के बावजूद खुद को परमेश्वर के हाथों में डाल दिया, और परमेश्वर ने उसके वंश के द्वारा संसार में उद्धार लाने के लिए उसका उपयोग किया l

बुरा बर्ताव करने का कोई औचित्य नहीं है l यीशु ने हमें आज्ञाकारिता में उसका अनुसरण करने को कहा है, और वह ऐसा करने के लिए साधन देता है l एक कठोर, पश्चाताप नहीं किया हुआ हृदय हमारे लिए उसके उद्देश्यों को हमेशा बाधित करेगा, लेकिन हमें इस्तेमाल करने की उसकी क्षमता अच्छे व्यवहार के लंबे नमूने पर निर्भर नहीं करती है l यह पूरी तरह से हमारे द्वारा काम करने की परमेश्वर की इच्छा पर आधारित है जैसे हम हैं : अनुग्रह से बचाए हुए और अनुग्रह द्वारा उन्नति करते हुए l आपको उसके अनुग्रह के लिए मेहनत नहीं करनी होगी – यह मुफ्त है l

परमेश्वर समझता है

हाल ही में एक बदलाव के बाद, माधुरी के सात वर्षीय बेटे, रोहित ने परेशान किया, जब वह अपने नए स्कूल में अतिरिक्त कक्षाओं में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहा था l माधुरी ने उसे प्रोत्साहित किया, उसे आश्वस्त करते हुए कि वह समझती है कि बदलाव कठिन था l लेकिन एक सुबह, रोहित का चारित्रिक रवैया का रूखापन अत्यधिक महसूस हुआ l करुणा के साथ, माधुरी ने पूछा, “बेटा, तुम्हें कौन सी बात परेशान कर रही है?”

खिड़की से बाहर झांकते हुए रोहित ने अपने कंधे सिकोड़े l “माँ, मैं नहीं जानता l मेरे अन्दर बहुत सारी भावनाएँ हैं l”

रोहित को ढाढ़स देते हुए माधुरी का दिल दुखा l उसकी मदद करने के लिए बेताब, उसने साझा किया कि उसके लिए भी वह कदम उठाना कठिन था l उसने रोहित को विश्वास दिलाया कि परमेश्वर उसके करीब रहेगा, वह सब कुछ जानता है, तब भी जब वे अपनी कुंठाओं को समझ नहीं सकते या आवाज़ नहीं दे सकते l “आओ स्कूल शुरू होने से पहले तुम्हारे मित्रों के साथ एक मुलाकात करें,” उसने कहा l उन्होंने योजनाएँ बनाईं, आभारी होते हुए कि परमेश्वर समझता है उस समय भी जब उसके बच्चों में “बहुत अधिक भावनाएं” होती हैं l

भजन 147 के लेखक ने अपनी विश्वास यात्रा में भावनाओं का अत्यधिक अनुभव किया और सर्वज्ञानी सृष्टिकर्ता और सभी का संभालनेवाला, शारीरिक और भावनात्मक घावों को चंगा करनेवाला की प्रशंसा करने के लाभों को मान्यता दी (पद.1-6) l वह परमेश्वर के प्रबंध करने के तरीकों के लिए उसकी प्रशंसा करता है और “जो उसकी करुणा की आशा लगाए रहते हैं” उनसे प्रसन्न होता है (पद.11) l 

जब हम अपनी बदलती भावनाओं को सार्थक बनाने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं, तो हमें अकेला या हतोत्साहित नहीं होना चाहिये l हम अपने न बदलने वाले परमेश्वर के शर्तहीन प्यार और असीमित समझ में आराम कर सकते हैं l

साहसपूर्वक बोलिए!

बानू ने रेस्तरां में अपने सहकर्मी से कहा, “वह आदमी है! वह आदमी है!” वह मेल्विन का जिक्र कर रही थी, जिसने भिन्न परिस्थितियों में पहली बार उसका सामना किया l जब वह अपने चर्च के लॉन में काम कर रहा था, तब आत्मा ने उसे एक स्त्री के साथ बातचीत शुरू करने के लिए कहा, जो एक वेश्या जान पड़ती थी l चर्च में आमंत्रित करने पर उसका जवाब था : “क्या तुम जानते हो कि मैं क्या करती हूँ? वे मुझे वहां पसंद नहीं करेंगे l” जब मेल्विन ने उसे यीशु के प्यार के बारे में बताया और उसकी सामर्थ्य के विषय उसे आश्वस्त किया जो उसकी जिंदगी बदल सकती थी, उसके चेहरे पर आंसू बह निकले l अब, कुछ हफ्ते बाद, बानू एक नए वातावरण में काम कर रही थी, जो जीवन को बदलने के लिए यीशु की सामर्थ्य का जीवित प्रमाण था l

विश्वासियों को प्रार्थना के लिए समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित करने के संदर्भ में, प्रेरित पौलुस ने एक दुहरा अनुरोध किया : “हमारे लिए भी प्रार्थना करते रहो कि परमेश्वर हमारे लिए वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे, कि हम मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें जिसके कारण मैं कैद में हूँ, और उसे ऐसा प्रगट करूँ, जैसा मुझे करना उचित है” (कुलुस्सियों 4:3-4) l

क्या आपने यीशु के लिए साहसपूर्वक और स्पष्ट रूप से बोलने के अवसरों के लिए प्रार्थना की है? कितनी सटीक प्रार्थना है! ऐसी प्रार्थनाएँ मेल्विन की तरह उनके अनुयायियों को अनापेक्षित स्थानों और अनापेक्षित लोगों से उसके विषय बात करने में मार्गदर्शन कर सकती हैं l यीशु के लिए बोलना असहज लग सकता है, लेकिन पुरस्कार - परिवर्तित जीवन - हमारी असुविधाओं की भरपाई कर सकते हैं l