समीक्षात्मक प्रतिक्रिया
कठोर शब्दों से चोट लगी । इसलिए मेरे दोस्त - एक पुरस्कार विजेता लेखक - को इस बात से जूझना पड़ा कि उन्हें मिली आलोचना का कैसे जवाब दिया जाए । उनकी नई किताब ने पांच सितारा समीक्षाएँ और एक प्रमुख पुरस्कार अर्जित किया था । तब एक सम्मानित पत्रिका समीक्षक ने उनकी छद्दम प्रशंसा के साथ अपमानजनक टिपण्णी करते हुए, उनकी पुस्तक को अच्छी तरह से लिखी गई बताया और फिर भी उसकी कठोर आलोचना की l दोस्तों की ओर मुड़ते हुए उन्होंने पूछा, “मुझे कैसे जवाब देना चाहिए?”
एक दोस्त ने सलाह दी, “जाने दो ।“ मैंने पत्रिकाओं को लिखने से सलाह साझा की, जिसमें इस तरह की आलोचना को नजरअंदाज करना या काम करना और लिखना जारी रखते हुए भी इससे सीखना शामिल है ।
आख़िरकार, हालाँकि, मैंने पवित्रशास्त्र – जिसमें सभी के लिए अच्छी सलाह है – देखने का फैसला किया कि वह प्रबल आलोचना के प्रति किस तरह प्रतिक्रिया करने को कहती है l याकूब की पुस्तक सलाह देती है, “हर एक मनुष्य सुनने के लिए तत्पर और बोलने में धीर और क्रोध में धीमा हो” (1:19) । प्रेरित पौलुस हमें “आपस में एक सा मन [रखने] की सलाह” देता है (रोमियों 12:16) ।
नीतिवचन का एक पूरा अध्याय, हालांकि, विवादों पर प्रतिक्रिया देने के लिए विस्तारित ज्ञान प्रदान करता है । नीतिवचन 15:1 कहता है, “कोमल उत्तर सुनने से गुस्सा ठंडा हो जाता है l” “जो विलम्ब से क्रोध करनेवाला है, वह मुकद्दमों को दबा देता है” (पद.18) । इसके अलावा, “जो डांट को सुनता, वह बुद्धि प्राप्त करता है” (पद.32) । इस तरह की बुद्धिमत्ता को ध्यान में रखते हुए, परमेश्वर हमारी मदद कर सकता है कि हम अपनी जुबान पर लगाम दें, जैसा कि मेरे दोस्त ने किया । हालाँकि, सभी से अधिक, बुद्धि हमें “यहोवा का भय मानने” की शिक्षा देती है क्योंकि “महिमा से पहले नम्रता आती है” (पद.33) ।
अड़ियल स्वभाव
एक प्रसिद्ध अंग्रेजी एनीमेशन फिल्म में, कहानी दो अड़ियल एनिमेटेड जीवों के बारे में बताती है । इंसान जैसा जीव उत्तर में जाना चाहता है और दूसरा दक्षिण जाना चाहता है । वे दोनों एक घास के मैदान के बीच सीधे मिलते हैं, लेकिन ये दोनों अड़ियल चरित्र एक तरफ नहीं हटते हैं । पहला पात्र उसी जगह रहने की कसम खाता है - भले ही उससे “पूरी दुनिया स्थिर हो जाए l” (अबाधित, दुनिया चलती रहती है और उनके चारों ओर एक राजमार्ग बना देती है ।)
कहानी मानव स्वभाव की एक अविश्वसनीय रूप से सटीक तस्वीर पेश करती है । हमारे पास सही होने के लिए एक अनिच्छुक "आवश्यकता" है, और हम विनाशकारी तरीकों से उस वृत्ति के प्रति हठी होने की संभावना रखते हैं!
हमारे लिए खुशी की बात है, परमेश्वर प्यार से अड़ियल मानव दिलों को नरम करने का चुनाव करता है l प्रेरित पौलुस यह जानता था, इसलिए जब फिलिप्पी की कलीसिया के दो सदस्य झगड़ा कर रहे थे, तो उनसे अधिक प्यार करने के कारण वह उनको अलग बुलाया (फिलिप्पियों 4: 2) । तब, पूर्व में विश्वासियों को मसीह (2:5–8) के सदृश आत्मत्यागी प्रेम रखने वाला वैसा ही . . . स्वाभाव” रखने का निर्देश देते हुए, पौलुस ने उन्हें इन “स्त्रियों की सहायता” करने को कहा जो उसके साथ सुसमाचार साझा करने में सच्ची सहकर्मी थीं l यह टीम के प्रयास के लिए शांतिदायक और बुद्धिमान समझौता बुलाहट महसूस होता है l
बेशक, कई बार कड़ा रुख अख्तियार करना पड़ता है, लेकिन मसीह के समान व्यवहार एक हठीली आत्मा की तुलना में बहुत अलग दिखाई देगा! जीवन में बहुत सी चीजों पर आपस में लड़ना उचित नहीं हैं । हम एक दूसरे के साथ हर नगण्य बात पर झगड़ा कर सकते हैं जबतक हम अपने को बर्बाद न कर दें (गलातियों 5:15) l या हम अपने अभिमान को निगल सकते हैं, विनम्रतापूर्वक बुद्धिमान परामर्श प्राप्त कर सकते हैं, और अपने भाइयों और बहनों के साथ एकता की तलाश कर सकते हैं ।
क्या हम मायने रखते हैं?
कुछ महीनों से मैं एक ऐसे युवा के साथ पत्रव्यवहार कर रहा हूं, जो विश्वास के बारे में गहराई से सोच रहा है । एक अवसर पर उसने लिखा, “हम इतिहास के समय पर नन्हा, छोटा, अतिसूक्ष्म प्रकाश बिंदु से अधिक नहीं हैं । क्या हम मायने रखते हैं?”
इस्राएल का नबी, मूसा, सहमत होगा : “हमारी आयु के वर्ष . . . जल्दी कट [जाते] हैं और हम जाते रहते हैं” (भजन 90:10) l जीवन की लघुता हमें चिंतित कर सकती है और हमें सोचने पर विवश कर सकती है कि क्या हम मायने रखते हैं l
हम मायने रखते हैं l हम इसलिए मायने रखते हैं क्योंकि हमें रचनेवाला परमेश्वर हमसे गहराई से और अनंत रूप से प्यार करता है l इस भजन में, मूसा प्रार्थना करता है, “हमें अपनी करुणा से तृप्त कर (पद.14) । हम इसलिए मायने रखते हैं क्योंकि हम परमेश्वर के लिए मायने रखते हैं ।
हम इसलिए भी मायने रखते हैं क्योंकि हम दूसरों को परमेश्वर का प्यार दिखा सकते हैं । यद्यपि हमारे जीवन छोटे हैं, वे निरर्थक नहीं हैं यदि हम परमेश्वर के प्रेम की विरासत छोड़ते हैं l हम पैसे कमाने और स्टाइल में सेवानिवृत होने के लिए धरती पर नहीं हैं, लेकिन दूसरों को परमेश्वर का प्रेम दिखाकर “उसको दिखाने” के लिए हैं l
और अंततः, हालांकि यहां पृथ्वी पर जीवन क्षणिक है, हम अनंत काल के प्राणी हैं । क्योंकि यीशु मृतकों में से जी उठा, हम हमेशा के लिए जीवित रहेंगे । मूसा का यही मतलब था जब उसने हमें आश्वासन दिया था कि परमेश्वर “भोर को हमें अपनी करुणा से तृप्त [करेगा] l” “उस सुबह” हम जीवित रहने और प्रेम करने और प्रेम किये जाने के लिए जीवित रहेंगे l और अगर इसमें अर्थ नहीं दिखाई देता है, तो मुझे नहीं मालूम किसमें अर्थ दिखाई देगा l
आप उसे पुनः देखेंगे
जब मैंने जैकी के बिस्तर के पास एक कुर्सी खींची, कमरे में कम रौशनी थी और कमरा शांत था l कैंसर के साथ तीन साल की लड़ाई से पहले, मेरी सहेली एक फुरतीली व्यक्ति थी l मैं अब भी उसे हंसती हुई देख सकती हूँ – जीवन से भरी आँखें, मुस्कराहट से चमकता हुआ उसका चेहरा l अब वह निःशब्द और शांत थी, और मैं एक विशेष देखभाल सुविधा केंद्र में उससे मिलने आई थी l
नहीं जानते हुए कि बोलना है, मैंने पवित्रशास्त्र के कुछ भाग पढ़ने का फैसला किया l मैंने अपने पर्स से अपनी बाइबल निकाली और 1 कुरिन्थियों से एक संदर्भ निकालकर पढ़ने लगी l
उससे मुलाकात के बाद अपनी खड़ी कार में अकेले में, मेरे मन में एक विचार आया जिसने मेरी आँखों के आँसू कम कर दिए : तुम उसे फिर देखोगी l अपने दुःख के बीच, मैं भूल गयी थी कि विश्वासियों के लिए मृत्यु केवल अस्थायी है (1 कुरिन्थियों 15:21-22) l मुझे पता था कि मैं फिर से जैकी को देखूँगी क्योंकि हम दोनों ने हमारे पापों की क्षमा के लिए यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान पर भरोसा किया था (पद.3-4) l जब यीशु अपने क्रूसीकरण के बाद जीवित हुआ, तो मृत्यु ने विश्वासियों को एक दूसरे से और परमेश्वर से अलग करने की अपनी अंतिम शक्ति खो दी l हमारे मरने के बाद, हम परमेश्वर के साथ पुनः स्वर्ग में रहेंगे और हमारे सभी आत्मिक भाई और बहन भी - हमेशा के लिए l
क्योंकि यीशु आज जीवित है, उसके विश्वासियों के पास नुक्सान और दुःख के समय में आशा है l जय ने मृत्यु को निगल लिया (पद.54) l
अंत से शुरू करें
“आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं?” मुझसे एक बच्चे के रूप में अक्सर यह सवाल पुछा जाता था l और जबाब हवा की तरह बदल जाते थे l एक चिकित्सक l दमकर कर्मी l एक मिशनरी l किसी आराधना का अगुआ l एक भौतिक विज्ञानी – या एक पसंदीदा टीवी चरित्र l अब, चार बच्चों के पिता के रूप में, मुझे लगता है कि उनसे ये सवाल पूछना कितना मुशिकल होगा l ऐसे समय होते हैं जब मैं कहना चाहता हूँ, “मुझे पता है कि तुम किसमें महान बनोगे!” माता-पिता कभी-कभी अपने वच्चों में अधिक देख सकते हैं, जो बच्चे स्वयं में नहीं देख सकते हैं l
फिलिप्पियों के विश्वासियों में पौलुस ने जो देखा, उससे यह समझ में आता है – वे जिनसे वह प्यार करता था और जिनके लिए प्रार्थना करता था (फिलिप्पियों 1:3) l वह अंत देख सकता था; वह जानता था कि जब सब कहा और किया जाएगा तो वे कैसे होंगे l बाइबल हमें कहानी के अंत का भव्य दर्शन देती है - पुनरुत्थान और सभी चीजों का नवीकरण (देखें 1 कुरिन्थियों 15 और प्रकाशितवाक्य 21) l लेकिन यह हमें यह भी बताती है कि कहानी कौन लिख रहा है l
पौलुस ने जेल से लिखे एक पत्र की शुरूआती पंक्तियों में, फिलिप्पी की कलीसिया को याद दिलाया कि “जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा” (फिलिप्पियों 1:6) l यीशु ने काम शुरू किया और वही इसे पूरा करेगा l शब्द पूरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है – कहानी सिर्फ पूरी नहीं होती, क्योंकि परमेश्वर कुछ भी अधुरा नहीं छोड़ता है l