लोग भूल जाते हैं
एक महिला ने अपने पास्टर से शिकायत की कि उसने उनके धर्मोपदेशों में बहुत दोहराव देखा है । "आप ऐसा क्यों करते हैं”? उसने प्रश्न क्या l उपदेशक ने उत्तर दिया, "लोग भूल जाते हैं।"
हमारे भूलने के अनेक कारण हैं - समय, उम्र में बढ़ना, या बस व्यस्त होने के कारण । हम पासवर्ड, लोगों के नाम भूल जाते हैं, या यहां तक कि जहां हमने अपनी कार पार्क की थी l मेरे पति कहते हैं, "केवल इतना ही मैं अपने मस्तिष्क में रख सकता हूं । मुझे कुछ नया याद करने से पहले कुछ हटाना होगा ।”
उपदेशक सही था । लोग भूल जाते हैं । इसलिए हमें अक्सर याद दिलाने के लिए ताकीद की ज़रूरत है कि परमेश्वर ने हमारे लिए क्या किया है । इस्राएलियों में उसी तरह की प्रवृत्ति थी । यहां तक कि उनके द्वारा देखे गए कई चमत्कारों के बावजूद, उन्हें अभी भी उसकी देखभाल की याद दिलाने की आवश्यकता थी । व्यवस्थाविवरण 8 में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को याद दिलाया कि उन्हें जंगल में भूख का अनुभव करने दी गयी, लेकिन फिर हर दिन उनके लिए एक अद्भुत सुपरफूड दिया गया - मन्ना । उसने ऐसे कपड़े दिए जो कभी नहीं पुराने हुए l उसने जंगल में उनका नेतृत्व किया जहाँ साँप और बिच्छू थे और एक चट्टान से पानी पिलाया l उन्होंने विनम्रता सीखी, क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वे किस प्रकार परमेश्वर की देखभाल और प्रावधान पर पूरी तरह से निर्भर थे (पद.2–4, 15-18) ।
परमेश्वर की विश्वसनीयता “पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है” (भजन 100: 5) । जब भी हम अपने आप को भूलते हुए पाते हैं, हम उन तरीकों के बारे में सोच सकते हैं जैसे उसने हमारी प्रार्थनाओं के उत्तर दिए हैं, और यह हमें उसकी अच्छाई और भरोसेमंद वादों की याद दिलाता है ।
परमेश्वर पर परिणाम छोड़ दें
वर्षों पहले, मुझे विश्वविद्यालय के एक छात्रावास में रहनेवालों से बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था । वे असभ्य व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थे इसलिए मैं समर्थन के लिए एक दोस्त को साथ ले गया था । वे एक जश्न मनाने के मूड में थे, क्योंकि उन्होंने अभी-अभी एक फुटबॉल चैम्पियनशिप जीता था । रात के खाने में, अराजकता का प्रभाव था! आखिरकार, छात्रावास के अध्यक्ष ने घोषणा की : "यहां दो लोग हैं जो ईश्वर के बारे में बात करना चाहते हैं ।"
मैं रबड़ के समान शक्तिहीन टांगों पर खड़ा हुआ, और उन्हें ईश्वर के प्रेम के बारे में बताने लगा, और कमरा शांत हो गया । आनन्दमय ध्यानाकर्षण दिखायी दिया l उसके बाद एक जोरदार और ईमानदार प्रश्नोत्तरी का समय आया l बाद में, हमने वहाँ बाइबल अध्ययन शुरू किया और बाद के वर्षों में कईयों ने यीशु में उद्धार पाया ।
मैं ऐसे कई दिनों को याद करता हूँ जब मैंने “शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरा हुआ देखा” (लूका 10:18), लेकिन अन्य दिन भी थे जब मैं गिरा था – मुँह के बल l
लूका 10 यीशु के शिष्यों को एक मिशन से लौटकर एक महान सफलता की सूचना देते हुए बताता है l कईयों को राज्य में लाया गया था, दुष्टात्माएं भाग गए, और लोग चंगे हुए l शिष्य उत्तेजित हुए! यीशु ने उत्तर दिया, "मैंने देखा कि शैतान स्वर्ग से बिजली की तरह गिर रहा है ।" लेकिन फिर उन्होंने एक चेतावनी जारी की : "आनन्द मत करो कि आत्माएं तुम्हारे वश में हैं, परन्तु इस से आनंदित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं” (पद.20) ।
हम सफलता में खुश होते हैं । लेकिन जब हम असफल होने लगते हैं तो हम निराश हो सकते हैं । ईश्वर ने आपको जो करने के लिए कहा है, उसे करते रहिए और उसके परिणामों को उस पर छोड़ दीजिए । उसने आपका नाम अपनी पुस्तक में रखा है l
सबसे अच्छी फसल
जब हमने अपना घर खरीदा, तो हमें एक लगी हुई दाखलता विरासत में मिली । बागवानी की नौसिखियों के रूप में, मेरे परिवार ने यह जानने के लिए काफी समय निवेश किया कि किस तरह उसे छांटना, पानी देना, और उसकी देखभाल करना है । जब हमारी पहली फसल आई, तो मैंने लता से एक अंगूर अपने मुँह में डाला - केवल एक अप्रिय, खट्टा स्वाद से निराश होने के लिए ।
मैंने एक दाखलता की कड़ी मेहनत से देखभाल के हताशा को महसूस किया, केवल एक कड़वी फसल के लिए, जो यशायाह 5 के स्वर को प्रतिध्वनित करता है l वहाँ हम इस्राएल राष्ट्र के साथ परमेश्वर के सम्बन्ध का एक रूपक पढ़ते हैं । एक किसान के रूप में चित्रित परमेश्वर ने पहाड़ियों से मलबे को साफ किया था, अच्छी दाखलता लगाए थे, सुरक्षा के लिए एक गुम्मट बनाया था और अपनी फसल के परिणामों का आनंद लेने के लिए एक कोल्हू बनाया था (यशायाह 5:1-2) । इस्राएल का प्रतीक, दाख की बारी, स्वार्थ, अन्याय और उत्पीड़न के खट्टे अंगूर उत्पन्न कर किसान की निराशा बनी (पद.7) l आखिरकार, परमेश्वर ने अवशेष को बचाते हुए अनिच्छा से दाख की बारी को नष्ट कर दिया कि किसी दिन अच्छी फसल पैदा होगी ।
यूहन्ना के सुसमाचार में, यीशु ने दाख की बारी का चित्रण करते हुए कहा, “मैं दाखलता हूँ : तुम डालियाँ हो l जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है” (यूहन्ना 15:5) l इस समानांतर कल्पना में, यीशु, उसमें जुड़े रहने वाले विश्वासियों को दाख की शाखाओं के रूप में मुख्य दाखलता जो वह खुद है, से जुड़ा हुआ चित्रित करता है l अब, जब हम यीशु से उसकी आत्मा पर प्रार्थनापूर्ण निर्भरता के माध्यम से जुड़े हुए हैं, हमारे पास आध्यात्मिक पोषण के लिए सीधी पहुंच है जो सभी के लिए सबसे अच्छे फल का उत्पादन करेगा, अर्थात् प्रेम ।
इस घर को ढा दो
अमेरिका में, एक गिराव कंपनी(demolition company) ने गलत इमारत को बुलडोज़र से गिरा दिया । जांचकर्ताओं का मानना है कि गिराए जाने वाले घर के मालिक ने विध्वंस से बचने के लिए पड़ोसी के घर पर अपने स्वयं के घर की संख्या लगा दी थी l
यीशु ने इसके विपरीत किया । वह अपने "घर" को दूसरों की खातिर ढाने के लिए एक मिशन पर था । दृश्य की कल्पना करें और यीशु के अपने शिष्यों सहित हर कोई कितना भ्रमित हुआ होगा । उन्हें एक दूसरे पर नज़र रखते हुए कल्पना कीजिये क्योंकि उसने धर्म के अगुओं को चुनौती दी थी : “इस मंदिर को ढा दो,” मसीह ने कहा, “और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा” (यूहन्ना 2:19) l अगुओं ने नाराजगी जताते हुए कहा, “इस मंदिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हैं, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?” (पद.20) l परन्तु यीशु जानता था कि वह अपने शरीर के मंदिर का उल्लेख कर रहा था (पद.21) l वे नहीं जानते थे l
उन्होंने यह नहीं समझा कि वह यह दिखाने के लिए आया है कि हम खुद को और एक दूसरे को जो नुकसान पहुंचाते हैं, वह अंततः वही उठाएगा l वह इसके लिए प्रायश्चित करेगा ।
परमेश्वर हमेशा हमारे दिलों को हमसे बेहतर जानता है l इसलिए उसने अपनी योजनाओं की पूर्णता उन लोगों को भी नहीं दी, जिन्होंने उसके आश्चर्यकर्मों को देखा था और उसमें विश्वास किया था (पद. 23-25) । फिर जैसा कि अब वह धीरे-धीरे यीशु के शब्दों में प्यार और अच्छाई को प्रकट कर रहा था, जो हम समझ नही सकते थे, यदि वह हमें बता भी देता l