Month: जनवरी 2021

खोद कर बाहर निकालें

जब रेबेका के भाई और भाभी को शादी की समस्या होने लगी,  तो रेबेका ने उनके सुलह के लिए ईमानदारी से प्रार्थना की l लेकिन उन्होंने तलाक दे दिया l तब उसकी भाभी ने बच्चों को राज्य से बाहर ले गयी और उनके पिता ने विरोध नहीं किया l रेबेका ने फिर कभी भी भतीजियों को नहीं देखा जिनसे वह बहुत प्यार करती थी l वर्षों बाद उसने कहा, “ "इस दुःख को अपने दम पर संभालने की कोशिश करने के कारण,  मैंने अपने दिल में कड़वाहट की एक जड़ उगने  दी,  और यह मेरे परिवार और दोस्तों में फैलने लगी l”

रूथ की किताब नाओमी नाम की एक महिला के बारे में बताती है जो दुःख के साथ संघर्ष करती है जो कड़वाहट में बदल जाती है l उसके पति की एक विदेशी भूमि में मृत्यु हो गई, और दस साल बाद उनके दोनों बेटों की मृत्यु हो गई l वह अपनी बहुओं,  रूत और ओरपा (1:3–5) के साथ बेसहारा रह गई थी l जब नाओमी और रूत नाओमी के स्वदेश लौटे,  तो पूरा शहर उन्हें देखने के लिए उत्साहित था l लेकिन नाओमी ने अपने दोस्तों से कहा : “सर्वशक्तिमान ने मुझ को बड़ा दुःख दिया है . . . . सर्वशक्तिमान ने मुझे दुःख दिया है” (पद.20-21) l यहां तक ​​कि उसने उन्हें उसे “मारा,” संबोधित करने को कहा अर्थात् कड़वाहट l

किसे निराशा का सामना नहीं करना पड़ा और कड़वाहट की ओर ललचाया गया?  कोई व्यक्ति कुछ आहत करनेवाली बात कहता है, कोई अपेक्षा पूरी नहीं होती, अथवा दूसरों की मांग हमें क्रोधित कर देता है l जब हम अपने आप के और परमेश्वर के सामने स्वीकार करते हैं कि हमारे दिल की गहराई में क्या हो रहा है,  तो हमारा दयालु माली कड़वाहट की किसी भी जड़ को खोदकर निकालने में मदद कर सकता है - चाहे वे अभी भी छोटे हैं या वर्षों से बढ़ रहे हैं - और उनके स्थान पर एक मधुर,  हर्षित आत्मा दे सकता है l

अदृश्य का परमेश्वर

“कभी-कभी मुझे लगता है जैसे मैं अदृश्य हूँ l लेकिन मैं इस कारण चाहता हूँ कि परमेश्वर मेरा उपयोग करें l”

मैं जिस होटल में ठहरा था ऐन उसके व्यायाम कक्ष को ठीक-ठाक कर रही थी  जब हमदोनों के बीच बातचीत शुरू हो गयी l जब हम बात कर रहे थे, मुझे पता चला कि उसके पास एक अद्भुत कहानी थी l

“मैं सड़कों पर रहने वाली एक ज़ोरदार व्यसनी(addict) और वेश्या हुआ करती थी,”  उसने कहा l “लेकिन मुझे पता था कि परमेश्वर चाहता था कि मैं अपनी सिगरेट/आदत छोड़ दूँ और उसके साथ चलूँ l कई साल पहले एक दिन मैंने यीशु के चरणों में घुटने टेक दिए,  और उसने मुझे आज़ाद कर दिया l”

मैंने ऐन को साझा करने के लिए धन्यवाद दिया कि परमेश्वर ने उसके लिए क्या किया था और उसे आश्वस्त किया कि वह अदृश्य नहीं है - उसने हमारी बातचीत में उसका इस्तेमाल खूबसूरत तरीके से किया था ताकि मुझे जीवन बदलने की अपनी सामर्थ्य की याद दिला सके l

परमेश्वर उन लोगों का उपयोग करना पसंद करता है जिनको दूसरे नज़रंदाज़ कर सकते हैं l  प्रेरित अन्द्रियास अपने भाई पतरस की तरह लोकप्रिय नहीं है,  लेकिन बाइबल यह बताती है कि “उसने पहले अपने सगे भाई शमौन [पतरस] से मिलकर उस से कहा, ‘हम को ख्रिस्त, अर्थात् मसीह, मिल गया l’ [और] वह उसे यीशु के पास लाया” (यूहन्ना 1:41-42) l

पतरस की मुलाकात यीशु से अन्द्रियास के द्वारा हुयी l जो यूहन्ना बपतिस्मादाता का एक शिष्य, अन्द्रियास ने यीशु के विषय यूहन्ना से सुना, वह यीशु का अनुयायी बना और विश्वास किया – और तुरंत अपने भाई को बताया l अन्द्रियास की शांत विश्वासयोग्यता का प्रभाव था जो संसार को हिला देने वाला था l

परमेश्वर प्रसिद्धि के ऊपर विश्वासयोग्य सेवा को महत्व देता है l वह हमें शक्तिशाली रूप से वहां उपयोग कर सकता है जहाँ हम हैं – तब भी जब कोई नहीं देख रहा हो l

तुरहियों की आवाज़

“टैप्स(Taps)” अमेरिकी सेना द्वारा दिन के अंत में और अंतिम संस्कार में बजाई गई एक ट्रम्पेट कॉल(तुरही का आह्वान) है । जब मैंने गीत के अनौपचारिक शब्द पढ़े तो मैं चकित रह गई कि बहुत से पदों का अंत वाक्यांश “God is nigh”( ईश्वर निकट है)  के साथ होता है । चाहे प्रत्येक रात का अंधेरा होने से पहले या किसी प्रिय के खोने पर शोक व्यक्त करते हुए,  गीत सैनिकों को सुंदर आश्वासन देता है कि ईश्वर निकट है ।

पुराने नियम में,  तुरहियाँ इस्राएलियों के लिए भी एक ताकीद थीं कि परमेश्वर निकट है l उत्सव और त्यौहारों को मनाने के बीच में जो परमेश्वर और इस्राएल देश के बीच वाचा समझौते का हिस्सा थे, यहूदियों को “तुरहियों को फूँकना” था (गिनती 10:10) l तुरही बजाना न केवल परमेश्वर की उपस्थिति के लिए एक अनुस्मारक था,  बल्कि यह भी कि वह तब उपलब्ध था जब उन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी - और वह उनकी मदद करने के लिए अभिलाषित था l

आज,  हमें अभी भी ताकीद की आवश्यकता है कि परमेश्वर निकट है l और उपासना की अपनी शैली में,  हम भी प्रार्थना और गीत में परमेश्वर को पुकार सकते हैं l शायद हमारी प्रार्थनाओं को तुरही के रूप में माना जा सकता है कि परमेश्वर हमारी मदद कर l और सुंदर प्रोत्साहन यह है कि परमेश्वर हमेशा उन पुकारों को सुनता है (1 पतरस 3:12) l हमारी प्रत्येक अनुनय में,  वह अपनी उपस्थिति के आश्वासन के साथ प्रतिक्रिया करता है जो जीवन की कठिनाइयों और दुखों में हमें मजबूत करता हैं और सुकून देता है l

प्रेम की गहराईयाँ

तीन साल का एक लड़का, हाल ही में तैरना सीखा था जब वह अपने दादा के पिछवाड़े के आँगन में एक चालीस फुट गहरे, पत्थर की दीवार वाले कुएं में एक ढके हुए सड़े प्लाईवुड के पुट्ठे से फिसलकर गिर गया । वह दस फीट पानी में तब तक रहने में कामयाब रहा जब तक कि उसके पिता उसे बचाने के लिए नहीं उतरे । अग्निशामकों ने लड़के को निकालने के लिए रस्सियाँ लाईं,  लेकिन पिता अपने बेटे के बारे में इतना चिंतित था कि पहले से निश्चित करने के लिए कि उसका बेटा सुरक्षित है वह फिसलन वाली चट्टानों से नीचे उतर गया l

ओह, एक माता-पिता का प्यार! ओह, वह लंबाई (और गहराई) जहाँ तक हम अपने बच्चों के लिए जाएंगे!

जब प्रेरित यूहन्ना आरम्भिक कलीसिया में विश्वासियों को लिखता हैं जो अपने विश्वास के लिए पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे जब उनके चारोंओर झूठी शिक्षा व्याप्त थी,  तो उसने इन शब्दों को एक जीवन-रक्षक की तरह पहुँचाया : “देखो, पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है कि हम परमेश्वर की संतान कहलाएं; और हम हैं भी” (1 यूहन्ना 3:1) l यीशु में विश्वासियों को परमेश्वर की “संतान” संबोधित करना एक अंतरंग और कानूनी नाम-पत्र लगाना था जो उन सभी के लिए वैधता लाया जो उस पर भरोसा करते हैं l

ओह, वह लंबाई और गहराई जहाँ तक परमेश्वर अपने बच्चों के लिए जाएगा!

ऐसे कदम होते हैं जो माता-पिता केवल अपने बच्चे के लिए उठाते हैं – जैसे कि यह पिता जो अपने बेटे को बचाने के लिए कुएँ में उतरता है l और हमारे स्वर्गिक पिता के अंतिम कार्य की तरह, जिसने अपने इकलौते बेटे को हमें अपने हृदय के करीब लाने के लिए भेजा और हमें अपने साथ जीवन देने के लिए किया (पद.5-6) l