हम पर प्रेम का नियंत्रण
अधिकांश युवा समोन लड़के (ऑस्ट्रेलिया के तट से दूर एक टापू) को एक टैटू मिलता है जो उनके लोगों और उनके प्रमुख के प्रति उनकी जिम्मेदारी का संकेत देता है l स्वाभाविक रूप से, तब, निशान समोन पुरुषों की रग्बी टीम के सदस्यों की बाहों को ढके होते हैं l जापान की यात्रा जहाँ टैटू नकारात्मक धारणाओं को ले जा सकता है, टीम के साथियों ने महसूस किया कि उनके प्रतीकों ने उनके मेजबानों के लिए एक समस्या पेश की l दोस्ती के एक उदार कार्य में, समोन लड़को ने डिजाइनों को ढकनेवाली त्वचा के रंग की आस्तीन पहन ली l टीम के कप्तान ने समझाया, “हम जापानी तरीके के प्रति आदरकारी और सावधान हैं l “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो हम प्रदर्शित कर रहे हैं वह ठीक होगा l”
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति पर जोर देने वाले युग में, आत्मसीमन(self-limitation) का सामना करना उल्लेखनीय है─एक अवधारणा जिसे पौलुस ने रोमियों की पुस्तक में लिखा l उसने हमें बताया कि कभी-कभी प्रेम हमसे दूसरों के लिए अपने अधिकार छोड़ने को कहता है l प्रेरित ने बताया कि कैसे चर्च के कुछ लोगों का मानना था कि “सब कुछ खाना उचित है,” लेकिन दूसरे केवल “साग पात ही” खाते थे (रोमियों 14:2) l हालांकि यह एक मामूली बात की तरह लग सकती है, पहली शताब्दी में, पुराने नियम के आहार संबंधी नियमों का पालन विवादास्पद था l पौलुस ने सभी को निर्देश दिया कि वे स्वतंत्र रूप से खाने वाले लोगों के लिए विशेष शब्दों के साथ निष्कर्ष निकालने से पहले “एक दूसरे पर दोष न लगाएँ” (पद.13) l “भला तो यह है कि तू माँस न खाए और न दाखरस पीये, न और कुछ ऐसा करे जिससे तेरा भाई [या बहन] ठोकर खाए” (पद.21) l
कई बार, दूसरे को प्यार करने का मतलब हमारी अपनी आज़ादी को सीमित करना है l हमें हमेशा वह सब नहीं करना होगा जो हम करने के लिए स्वतंत्र हैं l कभी-कभी प्यार हमें सख्ती से नियंत्रित करता है l
सुख दुःख में
28 जनवरी, 1986 को, यूएस स्पेस शटल चैलेंजर(Challenger) उड़ान(take-off) के सैंतालीस सेकंड के बाद टूटकर बिखर गया l राष्ट्र को सांत्वना के एक भाषण में, राष्ट्रपति रीगन ने “हाई फ्लाइट(HighFlight)” कविता से उद्धृत किया, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के पायलट जॉन गिलेस्पी मैगे ने “अंतरिक्ष की उच्च अपराजित पवित्रता” और अपना हाथ बढ़ाकर “परमेश्वर का चेहरा” स्पर्श करने के भाव के विषय लिखा था l
हालाँकि, हम सचमुच ईश्वर के चेहरे को छू नहीं सकते हैं, लेकिन हम कभी-कभी मोहक सूर्यास्त या प्रकृति में ध्यान की एक ऐसी जगह का अनुभव करते हैं जो हमें एक बड़ा अभिभूत करने वाला आभास देता है कि वह निकट है l कुछ लोग इन क्षणों को “संकरा स्थान(thin places)” कहते हैं l स्वर्ग और पृथ्वी को अलग करने वाला अवरोध थोड़ा कम होता हुआ महसूस होता है l परमेश्वर थोड़ा और निकट महसूस होता है l
इस्राएलियों ने एक “संकरा स्थान” का अनुभव किया होगा जब उन्होंने रेगिस्तान के जंगल में परमेश्वर की निकटता को महसूस किया था l परमेश्वर ने मरुभूमि में उनकी अगुवाई करने में दिन में बादल का एक स्तंभ और रात में आग के खंभे का प्रबंध किया (निर्गमन 40:34-38) l जब वे डेरे में ठहरे हुए थे, “यहोवा का तेज निवासस्थान में भर गया” (पद.35) l अपनी सारी यात्रा के दौरान, वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है l
जब हम ईश्वर की रचना के अविश्वसनीय सौंदर्य का आनंद लेते हैं, तो हम सचेत हो जाते हैं कि वह हर जगह मौजूद है l जब हम प्रार्थना में उसके साथ बात करते हैं, उसे सुनते हैं, और पवित्रशास्त्र पढ़ते हैं, हम कभी भी और कहीं भी उसके साथ संगति का आनंद ले सकते हैं l
मसीह में मित्र
द हार्वर्ड स्टडी ऑफ़ एडल्ट डेवलपमेंट(The Harvard Study of Adult Development) दशकों से चली आ रही एक परियोजना है जिससे स्वस्थ्य संबंधों के महत्व की अधिक समझ का परिणाम निकला है l शोध 1930 के दशक में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में 268 द्वितीय वर्ष के छात्रों के एक समूह के साथ शुरू हुआ और बाद में इसका विस्तार, 456 अन्य लोगों के बीच हुआ l शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के साथ साक्षात्कार आयोजित किया और हर कुछ वर्षों में उनके मेडिकल रिकॉर्ड बताए l उन्होंने पाया कि खुशी और स्वास्थ्य के भविष्य में करीबी रिश्ते सबसे बड़े कारण हैं l यह पाया गया कि यदि हम अपने आप को सही लोगों के बीच रखते हैं, तो हम संभवत: आनंद की गहरी अनुभूति करेंगे l
यह प्रगट करता है कि प्रेरित पौलुस फिलिप्पियों 1 में क्या वर्णन कर रहा है l जेल से लिखते हुए, पौलुस अपने मित्रों को यह बताने से खुद को रोक न सका कि वह हर बार परमेश्वर को धन्यवाद देता है, जब वह उनके लिए “आनंद के साथ” विनती करता है (पद.4) l लेकिन ये सिर्फ कोई मित्र नहीं हैं; ये यीशु में भाई और बहन हैं जो सुसमाचार में परमेश्वर के “अनुग्रह में” पौलुस के “सहभागी” हैं (पद.7) l उनका रिश्ता साझेदारी और पारस्परिकता का था─परमेश्वर के प्रेम और स्वयं सुसमाचार द्वारा आकार दी गयी सच्ची संगति l
जी हाँ, मित्र महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मसीह में साथी एक सच्चे और गहन आनंद के उत्प्रेरक हैं l ईश्वर की कृपा हमें एक साथ बांध सकती है जैसे और कुछ नहीं बाँध सकती है l और यहां तक कि जीवन के सबसे अँधेरे काल के दौरान भी, उस बंधन से आने वाला आनंद बना रहेगा l
सच्चाई में लंगर डाले हुए
मेरा परिवार लगभग एक सदी पुराने घर में रहता है जिसमें बहुत सारी खासियत हैं, जिसमें शानदार बनावट वाली प्लास्टर की हुई दीवारें भी हैं l एक बिल्डर ने मुझे आगाह किया कि इन दीवारों पर एक तस्वीर को लटकाने के लिए, मुझे या तो लकड़ी के सहारे एक कील को ड्रिल करना होगा या सहारे के लिए प्लास्टर एंकर का उपयोग करना होगा l अन्यथा, मुझे उस तस्वीर के फर्श पर गिरकर टूटने का जोखिम है, और साथ में एक बदसूरत छेद भी बना रह जाएगा l
भविष्यवक्ता यशायाह ने एल्याकिम नाम के एक मामूली बाइबल चरित्र का वर्णन करने के लिए एक दीवार में मजबूती से गाड़ी गयी कील के काल्पनिक चित्र का उपयोग किया l भ्रष्ट अधिकारी शेबना के विपरीत (यशायाह 22:15-19), इस्राएल के लोग भी─जो खुद पर ताकत के लिए भरोसा करते थे (पद.8-11)—एल्याकिम परमेश्वर में भरोसा करता था l राजा हिजकिय्याह के लिए महल के प्रशासक के रूप में एल्याकिम की पदोन्नति की पुष्टि करते हुए, यशायाह ने लिखा कि एल्याकिम को “दृढ़ स्थान में खूँटी के समान [गाड़ा जाएगा] (पद.23) l परमेश्वर की सच्चाई और अनुग्रह में सुरक्षित रूप से लंगर डाले जाने के कारण एल्याकिम अपने परिवार और अपने लोगों के लिए एक खम्भा होगा (पद.22-24) l
फिर भी यशायाह ने इस नबूवत का अंत एक निरुत्साहित करने वाली ताकीद के साथ किया कि कोई भी व्यक्ति मित्रों या परिवार के लिए अंतिम सुरक्षा नहीं हो सकता है─हम सभी विफल होते हैं (पद.25) l हमारे जीवनों के लिए एकमात्र पूर्ण भरोसेमंद लंगर यीशु है (भजन 62:5-6; मत्ती 7:24) l जब हम दूसरों की परवाह करते हैं और उनके बोझ को साझा करते हैं, हम उन्हें उसकी ओर इंगित भी करें, जो कभी विफल नहीं होने वाला लंगर है l
बगीचे में
मेरे पिताजी पुराने भजन गाना बहुत पसंद करते थे l उनके पसंदीदा में से एक “इन द गार्डन(In the Garden)” था l कुछ साल पहले, हमने इसे उनके अंतिम संस्कार में गाया था l कोरस सरल है : “और वह मेरे साथ चलता है, और वह मेरे साथ बात करता है, और वह मुझसे कहता है कि मैं उसका अपना हूँ, और वहाँ ठहरकर जो आनंद हम साझा करते हैं, कोई और नहीं जानता है l” इस गीत से मेरे पिताजी खुश होते थे – और उसी तरह मैं भी खुश होता हूँ l
गीत के लेखक सी. ऑस्टिन माइल्स का कहना है कि उन्होंने यूहन्ना के सुसमाचार के अध्याय 20 को पढने के बाद यह गीत 1912 के वसंत ऋतु में लिखा l “जब मैं इसे उस दिन पढ़ रहा था, मैंने महसूस हुआ कि मैं उस दृश्य का हिस्सा हूँ l मैं मरियम के जीवन में उस नाटकीय क्षण का एक मूक गवाह बन गया जब वह अपने प्रभु के सामने घुटने टेक कर पुकारी, ‘रब्बूनी![गुरु] l’ ”
यूहन्ना 20 में, हम मरियम मगदलीनी को यीशु की खाली कब्र के पास रोते हुए पाते हैं l वहाँ उसकी मुलाकात एक आदमी से हुई जिसने पूछा कि वह क्यों रो रही थी l यह सोचकर कि वह माली था, वह जी उठे उद्धारकर्ता से बोली─यीशु! उसका दुख आनंद में बदल गया, और वह शिष्यों को बताने के लिए दौड़ी, “"मैंने प्रभु को देखा!” (पद.18) l
हमारे पास भी यह आश्वासन है कि यीशु जी उठा है! वह अब पिता के साथ स्वर्ग में है, लेकिन उसने हमें अपने उपर नहीं छोड़ा है l मसीह में विश्वासी अपने अन्दर उसकी आत्मा को रखे है, और हमारे पास यह जानने का आश्वासन है कि वह हमारे साथ है, और हम “उसके अपने हैं l”