Month: मई 2021

चमकते तारे

मैं अपनी आँखें बंद कर सकता हूं और अतीत में उस घर में जा सकता हूँ जहाँ में बड़ा हुआ था l मुझे अपने पिता के साथ तारों को निहारना याद है l हम बारी बारी उनकी दूरबीन से अधखुली आँखों से, प्रज्वलित बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करते थे जो टिमटिमाते थे ओर चमकते थे l ऊष्मा और अग्नि से उत्पन्न प्रकाश की ये सूक्ष्म बिन्दुएँ, साफ़ और स्याह से काले आकाश में स्पष्ट दिखाई दे रहे थे l 

क्या आप खुद को एक चमकता तारा मानते हैं?  मैं मानव उपलब्धि की ऊंचाइयों तक पहुंचने के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ,  लेकिन टूटेपन और बुराई की एक अंधेरे पृष्ठभूमि के खिलाफ स्पष्ट खड़ा होने के बारे में l प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों के विश्वासियों को बताया कि परमेश्वर उनमें होकर और उनके द्वारा चमकेगा जब वे “जीवन का वचन लिए [रहेंगे]” और न कुड़कुड़ाएंगे और न बहस करेंगे (फिलिप्पियों 2:14–16) l

अन्य विश्वासियों के साथ हमारी एकता और ईश्वर के प्रति हमारी विश्वासयोग्यता हमें संसार  से अलग कर सकती हैं l समस्या यह है कि ये चीजें स्वाभाविक रूप से नहीं आती हैं l हम लगातार आजमाइशों को दूर करने का प्रयास करते हैं ताकि हम ईश्वर के साथ एक करीबी रिश्ता बनाए रख सकें l हम अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों के साथ सद्भाव रखने के लिए स्वार्थ के खिलाफ कुश्ती करते हैं l

लेकिन फिर भी,  आशा है l प्रत्येक विश्वासी में जीवित रहनेवाला  परमेश्वर का आत्मा हमें आत्म-नियंत्रित,  दयालु, और विश्वासयोग्य रहने के लिए समर्थ करता है (गलतियों 5:22–23) l  जिस तरह हमें अपनी स्वाभाविक क्षमता से परे रहने के लिए कहा गया है,  ईश्वर की अलौकिक मदद यह संभव बनाती है (फिलिप्पियों 2:13) l  यदि प्रत्येक विश्वासी आत्मा की शक्ति के द्वारा एक “एक "चमकता हुआ तारा” बन जाए,  तो जरा सोचिए कि ईश्वर का प्रकाश हमारे साथ अंधेरे को कैसे दूर भगाएगा!

शामिल किया गया

मेरा बूढ़ा कुत्ता मेरे पास बैठता है और दूर आसमान को घूरता है l बताओ तुम क्या सोच रहे हो l एक बात मुझे पता है कि वह मरने के बारे में नहीं सोच रहा है क्योंकि कुत्ते “समझते” नहीं हैं l वे भविष्य की चीजों के बारे में नहीं सोचते हैं l लेकिन हम सोचते हैं l कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारी उम्र या स्वास्थ्य या धन क्या है,  हम किसी बिंदु पर मृत्यु के बारे में सोचते हैं l यह इसलिए क्योंकि भजन 49:20 के अनुसार,  जानवरों के विपरीत, हमारे पास, “समझ” है l हम जानते हैं कि हम मरेंगे,  और इसके बारे में हम कुछ नहीं कर सकते l “कोई अपने भाई को किसी भाँति छुड़ा नहीं सकता है; और न परमेश्वर को उसके बदले प्रायश्चित में कुछ दे सकता है” (पद.7) l किसी के पास इतना पैसा नहीं है कि वह खुद को कब्र से बाहर निकाल सके l

लेकिन मृत्यु की अंतिम स्थिति से बाहर निकलने का एक तरीका है : “परमेश्वर मेरे प्राण को अधोलोक के वश से छुड़ा लेगा, क्योंकि वही मुझे ग्रहण कर अपनाएगा” (पद.15) l (शाब्दिक रूप से, “वह मुझे शामिल कर लिया”) l रॉबर्ट फ्रॉस्ट(अमरीकी कवि) ने कहा, “ घर वह स्थान है जहाँ, जब आपको जाना होगा, तो उन्हें आपको अंदर ले लेना होगा l” परमेश्‍वर ने हमें अपने पुत्र के द्वारा मृत्यु से छुड़ाया है, “जिसने अपने आप को सब के छुटकारे के दाम में दे दिया” (1 तीमुथियुस 2:6) l इस प्रकार यीशु ने वादा किया कि जब हमारा समय आएगा,  वह हमारा स्वागत करेगा और हमें शामिल कर लेगा (यूहन्ना 14:3) l

जब मेरा समय आएगा, तो यीशु,  जिसने परमेश्वर को मेरे जीवन की कीमत दी, वह खुले बाहों से अपने पिता के घर में मेरा स्वागत करेगा l

अत्यधिक जल

रिपोर्ट में अत्यधिक सूखे,  गर्मी और आग की "गंभीर कहानी" बताया गया था l वर्णन में केवल अल्प वर्षा के साथ एक भयावह वर्ष का वर्णन किया गया था,  जिसमें सूखी झाड़ियाँ ईंधन में बदल गईं l भड़की आग ने ग्रामीण इलाकों को जला दिया l मछलियाँ मर गईं l फसलें बर्बाद हो गईं l सब कुछ क्योंकि उनके पास एक साधारण संसाधन नहीं था, हम जिसका महत्व् नहीं समझते हैं─जल, जिसकी आवश्यकता हम सब को जीने के लिए होती है l

इस्राएल ने खुद को भयानक दुविधा में पाया l जब लोगों ने धूल,  बंजर रेगिस्तान में डेरा डाला, हमने इस खतरनाक पंक्ति को पढ़ा : “लोगों को पीने का पानी न मिला” (निर्गमन 17:1) l लोग भयभीत थे l उनके गले सूख गए थे l रेत गर्म हो गई l उनके बच्चों को अत्यधिक प्यास लगी l भयभीत,  लोगों ने “मूसा से वादविवाद किया,” “हमें पीने का पानी दे” (पद.2) l लेकिन मूसा क्या कर सकता था?  वह केवल परमेश्वर के पास जा सकता था l

और परमेश्वर ने मूसा को अजीब निर्देश दिए : “लोगों . . . को . . . साथ ले ले . . . चट्टान पर [मार], तब उसमें से पानी निकलेगा, जिससे ये लोग पीएँ” (पद.5-6) l इसलिए मूसा ने चट्टान को मारा,  और बहुत पानी फूट निकला, जो लोगों और उनके पशुओं के लिए बहुत था l उस दिन, इस्राएल जान गया कि उनका परमेश्वर उनसे प्रेम करता था l उनका परमेश्वर उनके लिए अत्यधिक जल का प्रबंध किया l

यदि आप जीवन में सूखा या निष्फलता का सामना कर रहे हैं,  तो जान लें कि परमेश्वर इसके बारे में जानता है और वह आपके साथ है l जो कुछ भी आपकी जरूरत है,  आपकी जो भी कमी है, आप उसके प्रचुर जल में आशा और ताजगी प्राप्त कर सकते हैं l

नवीकृत दर्शन

मेरी बाईं आंख में एक दर्दनाक मामूली सर्जरी के बाद,  मेरे डॉक्टर ने दृष्टि परीक्षण की सिफारिश की l आत्मविश्वास के साथ,  मैंने अपनी दाहिनी आंख को ढक लिया और चार्ट पर प्रत्येक पंक्ति को आसानी से पढ़ा l अपनी बाईं आंख को ढँकने पर,  मैं धक से रह गयी l मैं कैसे महसूस नहीं कर सकी कि मैं इतनी अंधी थी?

नए चश्मे और नवीनीकृत दृष्टि के साथ तालमेल बिठाते हुए,  मैंने सोचा कि कैसे दैनिक अभ्यास मुझे अक्सर आध्यात्मिक निकट दृष्टि वाली बना दी l केवल उसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करना,  जिसे मैं अति निकट देख सकती थी—मेरे दर्द और हमेशा बदलती परिस्थितियाँ —मैं अपने शाश्वत और अपरिवर्तनीय परमेश्वर की ईमानदारी के प्रति अंधी हो गयी l इस तरह के सीमित परिप्रेक्ष्य के साथ,  आशा एक अप्राप्य धुंधलापन बन गया l

पहला शमूएल 1 एक अन्य महिला की कहानी बताता है जो अपनी वर्तमान पीड़ा,  अनिश्चितता और नुकसान पर ध्यान केंद्रित करते हुए परमेश्वर की विश्वसनीयता को पहचानने में विफल रही l सालों तक, हन्ना ने अपने पति एलकाना की दूसरी पत्नी पन्निना से संतानहीनता और अंतहीन पीड़ा को सहन किया l हन्ना के पति ने उसे स्वीकार किया,  लेकिन संतोष उससे दूर रहा l एक दिन,  उसने अत्यधिक ईमानदारी के साथ प्रार्थना की l जब एली याजक ने उससे पूछा,  तो उसने अपनी स्थिति बताई l जब वह चली गई,  तो उसने प्रार्थना की कि परमेश्वर उसके अनुरोध को स्वीकार करे (1 शमूएल 1:17) l  हालाँकि हन्ना की स्थिति में तुरंत बदलाव नहीं आया,  लेकिन वह आत्मविश्वास की उम्मीद के साथ वापस गयी (पद.18) l

1 शमूएल 2:1-2 में हन्ना की प्रार्थना उसके ध्यान में बदलाव दर्शाती है l उसकी परिस्थितियों में सुधार होने से पहले,  हन्ना के नए दर्शन ने उसके दृष्टिकोण और उसके व्यवहार को बदल दिया l वह परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति में आनन्दित थी─उसकी चट्टान और और हमेशा की आशा l