वह हमारी सुनता है
अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंक्लिन डी. रूज़वेल्ट ने व्हाइट हाउस में अक्सर उनसे मुलाकात करने आए लोंगों को सहन किया जो लम्बी पंक्तियों में खड़े इंतज़ार करते थे l जैसे एक खबर में बताया गया, उन्होंने शिकायत की कि जो भी कहा जाता था कोई भी उन बातों पर ध्यान नहीं देता है । तो उन्होंने एक अभिनन्दन(reception) में एक प्रयोग करने का निर्णय लिया । हर एक से जिसने पंक्ति से गुज़रते हुए उनसे हाथ मिलाया, उन्होंने कहा, “आज सुबह मैंने अपनी दादी की हत्या कर दी l” आगंतुकों ने कुछ इस तरह के वाक्यांशों में उत्तर दिया, “बेहतरीन! अपने नेक काम जारी रखें l महोदय, ईश्वर आपको आशीष दे l” पंक्ति के अंत में, बोलिविया के राजदूत का अभिवादन करते समय वह समय आया, जब वास्तव में उनके शब्द सुन गए l स्तंभित, राजदूत ने फुसफुसाया, “वह उसके लायक थी l”
क्या आप कभी आश्चर्य करते हैं कि लोग सचमुच सुनते है? या इससे भी बदतर, क्या आप डरते है कि परमेश्वर नहीं सुन रहा है? हम लोगों के प्रत्युत्तर या आँख के संपर्क के आधार पर कह सकते हैं कि वे सुन रहे हैं l पर हम कैसे जानते है कि परमेश्वर सुन रहा है? क्या हमें भावनाओं पर आश्रित होना चाहिए? या देखना चाहिए कि क्या परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है?
बेबीलोन में 70 सालों की बँधुआई के बाद, परमेश्वर ने अपने लोगों को वापस यरूशलेम लौटा ले आने और उनके भविष्य को सुरक्षित करने की प्रतिज्ञा की (यिर्मयाह 29:10-11) । जब उन्होंने उसे पुकारा, उसने उनकी सुनी (पद.12) । वे जानते थे कि परमेश्वर उनकी प्रार्थनाएँ सुन ली थी क्योंकि उसने सुनने की प्रतिज्ञा की थी l और यह हमारे लिए भी सच है (1 यूहन्ना 5:14) । हमें यह जानने के लिए कि परमेश्वर हमारी सुनता है अपनी भावनाओं पर आश्रित होने की या परमेश्वर की ओर से किसी चिन्ह का इंतजार करने की जरूरत नहीं है । उसने सुनने की प्रतिज्ञा की है, और वह हमेशा अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी करता है (2 कुरिन्थियों 1:20) l
परमेश्वर की सन्तान
मैंने एक बार निःसंतान दंपतियों के लिए सामयिक सम्मेलन में बोला । अपने बांझपन से दुखी, कई उपस्थित लोग अपने भविष्य को लेकर निराश थे । खुद संतानहीनता के मार्ग पर चलते हुए भी, मैंने उन्हें प्रोत्साहित करने की कोशिश की l “माता-पिता बने बिना आपकी एक सार्थक पहचान हो सकती है,” मैंने कहा l “मेरा मानना है कि आप भयानक और अद्भुत रीति से रचे गए हैं, और आपके लिए खोजने के लिए एक नया उद्देश्य है l”
बाद में एक महिला रोती हुयी मुझसे मिली l उसने कहा, धन्यवाद l मैंने निःसंतान होने के कारण व्यर्थ महसूस किया है और यह सुनने की ज़रूरत है कि मैं भयभीत और आश्चर्यजनक रूप से बनी हूँ l” मैंने उस महिला से पूछा कि क्या वह यीशु में विश्वास रखती है l “मैं वर्षों पहले ईश्वर से दूर चली गयी,” उसने कहा l “लेकिन फिर से मुझे उसके साथ रिश्ता चाहिए l”
“इस तरह के समय मुझे याद दिलाते हैं कि सुसमाचार कितना अथाह है । कुछ पहचान, जैसे “माता” और “पिता,” कुछ के लिए प्राप्त करना कठिन होता है l अन्य, जैसे जो आजीविका पर आधारित होते हैं, बेरोजगारी के द्वारा गवां सकते हैं l परन्तु यीशु के द्वारा हम परमेश्वर के “प्रिय [बालक] बन जाते हैं──एक ऐसी पहचान जिसे कोई चुरा नहीं सकता (इफिसियों 5:1) । और तब हम “प्रेम में” चल सकते है──एक जीवन उद्देश्य जो किसी भी भूमिका या रोजगार की स्थिति से बढ़कर है (पद.2) l
सब मनुष्य “भयानक और अद्भुत रीति से रचे गए हैं” (भजन 139:14), और जो यीशु के पीछे हो लेते हैं वह परमेश्वर की सन्तान बन जाते है (यूहन्ना 1:12-13) l एक बार निराशा में, वह महिला आशा में छोड़ दी गयी थी──इस संसार की तुलना में अब उससे बड़ी पहचान और उदेश्य पाने के निकट है l
अपना विश्वास साझा करना
जब लेखक और सुसमाचार प्रचारिका बेकी पिप्पर्ट आयरलैंड में रहती थी, वह यीशु का सुसमाचार दो सालों से हेदर के साथ साझा करने के लिए ललायित थी जो एक ब्यूटी पार्लर में काम करती थी l लेकिन हेदर थोड़ा भी रूचि नहीं लेती हुयी प्रतीत होती थी l बातचीत आरंभ करने में असमर्थ महसूस करते हुए, बेकी ने नियोजित मुलाकात से पहले प्रार्थना की l
एक दिन पार्लर में, बेकी एक पुरानी पत्रिका के पन्ने उलटती हुयी एक मॉडल की तस्वीर पर ठहर गयी । जब हेदर ने पूछा कि वह इतनी आकर्षित क्यों है, बेकी ने उससे कहा कि वह तस्वीर एक करीबी दोस्त की थी जो वर्षों पहले वोग(Vogue) पत्रिका का कवर मॉडल रह चुकी थी l बेकी ने अपने दोस्त का परमेश्वर के विश्वास में आने की कुछ कहानियाँ भी बतायी जिसे हेदर ने ध्यान से सुना ।
बेकी यात्रा पर निकल गयी, और बाद में जब वह आयरलैंड लौटी, उसे पता चला कि हेदर एक नए स्थान पर चली गयी थी l बेकी ने याद किया, ‘‘मैंने परमेश्वर से सुसमाचार बाँटने का एक मौका माँगा था, और उसने दिया!’’
बेकी ने प्रेरित पौलुस से प्रेरणा पाकर, अपनी कमजोरी में मदद के लिए परमेश्वर की ओर देखा l जब पौलुस कमजोर था और परमेश्वर से अपने शरीर के काँटे को निकालने की विनती की, तो प्रभु ने कहा, “मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (2 कुरिन्थियों12:9) l पौलुस ने──बड़ी या छोटी──सब बातों में परमेश्वर पर भरोसा करना सीखा था l
जब हम परमेश्वर पर अपने आस पास के लोगों से प्यार करने के लिए मदद करने हेतु निर्भर होते है, हम भी प्रमाणिक रूप से अपना विश्वास साझा करने के लिए सुअवसर ढूँढ लेंगे ।
यह कल्पना करे!
लोकप्रिय टी.वी. कार्यक्रम घर नवीकरण के श्रृंखला के दौरान, दर्शक अक्सर मेजबान को यह कहते हुए सुनते हैं, “यह कल्पना करें!” फिर वह खुलासा करती है कि क्या होता है जब पुरानी चीज़े सुधार दी जातीं हैं और बेरंग दीवारें और फर्श को रंग और रंगत दे दी जाती हैं l एक एपिसोड में, नवीकरण के बाद गृहस्वामी इतना खुश हुआ कि, उत्साह के अन्य भावनाओं के साथ, शब्द “यह सुंदर है!” उसके होठों से तीन बार निकले l
एक अचम्भित करनेवाला परिच्छेद “यह कल्पना करें!” बाइबल में यशायाह 65:17-25 में है l पुनः सृजन का चकाचौंध करने वाला एक दृश्य! आकाश और पृथ्वी का भावी नवीकरण दृष्टि में है (पद.17), और यह केवल सुन्दरता बढ़ानेवाला नहीं है l यह गहरा और वास्तविक है, जीवन-परिवर्तन करनेवाला और जीवन संरक्षित करनेवाला है l “वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियाँ लगाकर उनका फल खाएँगे” (पद.21) l हिंसा अतीत की चीज होगी : “मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा” (पद.25) l
जबकि यह बदलाव जो यशायाह 65 में कल्पना की गयी है, भविष्य में पूर्ण होगा, वह परमेश्वर जो सार्वभौमिक नवीनीकरण को संयोजित करेगा इस समय जीवन-परिवर्तन के काम में है l प्रेरित पौलुस हमें आश्वस्त करता है, “इसलिये यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नई हो गई हैं” (2 कुरिन्थियों 5:17) । नवीनीकरण की जरूरत है? क्या आपकी जिन्दगी संदेह, अवज्ञा, और पीड़ा से टूटी हुयी है? यीशु के द्वारा जीवन-परिवर्तन वास्तविक और सुंदर है और हर एक माँगनेवाले और विश्वास करनेवाले के लिए उपलब्ध है l
परमेश्वर वहां है
ऑब्रे ने अपने बुजुर्ग पिता के लिए ऊन का धारीदार कोट ख़रीदा, पर वह उसे पहनने से पहले ही गुजर गये । तो ऑब्रे ने एक प्रोत्साहन के नोट के साथ $20(बीस डॉलर) का एक नोट पॉकेट में डाला और उस जैकेट को दानी संस्था में दान कर दिया ।
90 मील दूर, अपने परिवार की दुष्क्रियाओं को सहने में असमर्थ, 19 साल का केली बिना कोट लिए अपना घर छोड़ दिया । वह मुड़ने के लिए सिर्फ एक जगह जानता था──अपनी दादी का घर जो उसके लिए प्रार्थना करती थी l घंटों बाद वह बस से उतरा और अपनी दादी के बाँहों में सिमट गया । उसे ठंडी हवा से बचाते हुए, उन्होंने कहा, “हमें तुम्हारे लिए एक कोट लाना होगा!” मिशन स्टोर में, केली ने एक कोट पहनकर देखा जो उसे पसंद आ गया । जैसे ही उसने अपने हाथ पॉकेट में डाले, उसे एक लिफाफा मिला──ऑब्रे की पर्ची के साथ $20(बीस डॉलर) का नोट l
याकूब ने अपने जीवन के डर से दुष्क्रियाओं से पूर्ण अपने परिवार को छोड़ा (उत्पति 27:41-45) । जब वह रात के लिए रुका, तो परमेश्वर ने स्वयं को याकूब के सपने में प्रकट किया । परमेश्वर ने उससे कहा, “मैं तेरे संग रहूँगा, और जहाँ कहीं तू जाए वहाँ तेरी रक्षा करूँगा” (28:15) । याकूब ने सपथ खाई, “यदि परमेश्वर . . . मुझे खाने के लिये रोटी, और पहिनने के लिये कपड़ा दे . . . तो यहोवा मेरा परमेश्वर ठहरेगा” (पद.20-21) l
याकूब ने एक मौलिक वेदी बनायी और उस जगह का नाम “परमेश्वर का भवन” रखा (पद.22) । केली जहाँ भी जाता है अपने साथ ऑब्रे की पर्ची और $20 ले जाता है l और प्रत्येक एक यादगार के रूप में काम करता है कि हम जहाँ भी भागते हैं, परमेश्वर वहाँ है ।