वह तुम्हारे लिए लड़ेगा
उस घायल घोड़े का नाम ड्रमर बॉय रखा गया था, जो ब्रिटिश सैनिकों को प्रसिद्ध चार्ज ऑफ़ द लाइट ब्रिगेड(Charge of the Light Brigade) के दौरान युद्ध में ले जाने वाले 112 घोड़ों में से एक था l इस घोड़े ने इतनी वीरता और शक्ति दिखाई कि उसका नियुक्त कमांडर, लेफ्टिनेंट कर्नल डी सेलिस, ने निर्णय लिया कि उसका घोडा उसके बहादुर सैनिकों की तरह मैडल का हक़दार था l यह तब भी किया गया जब दुश्मन सेना के विरुद्ध उनकी सैन्य कारवाई विफल रही l फिर भी घुड़सवार सेना की वीरता, उनके घोड़ों के साहस से मेल खाती हुयी, संघर्ष को ब्रिटेन के सबसे महान सैन्य क्षणों में से एक के रूप में स्थापित किया, जिसे आज भी मनाया जाता है l
हालाँकि, यह टकराव बाइबल की एक प्राचीन कहावत की बुद्धिमत्ता को प्रगट करता है : “युद्ध के दिन के लिये घोड़ा तैयार तो होता है, परन्तु जय यहोवा ही से मिलती है” (नीतिवचन 21:31) पवित्रशास्त्र इस सिद्धांत की स्पष्ट रूप से पुष्टि करता है l “क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे शत्रुओं से युद्ध करने और तुम्हें बचाने के लिये तुम्हारे संग संग चलता है” (व्यवस्थाविवरण 20:4) । वास्तव में, मृत्यु के डंक के विरुद्ध भी, प्रेरित पौलुस ने लिखा, “परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है” (1 कुरिन्थियों 15:57) l
यह जानते हुए, अभी भी हमारा कार्य जिन्दगी की कठिन परीक्षाओं के लिए तैयार रहना है । एक सेवकाई को स्थापित करने के लिए, हम अध्ययन करते हैं, काम करते हैं और प्रार्थना करते हैं । एक सुंदर कला बनाने के लिए हम एक कौशल में महारत हासिल करते हैं । एक पहाड़ को जीतने के लिए, हम अपने उपकरणों को प्राप्त करते हैं और अपनी शक्ति बढ़ाते है । फिर तैयार होकर, हम मसीह के सामर्थी प्रेम में जयवंत से भी बढ़कर हैं l
परमेश्वर के साथ समय बिताना
ए रिवर रन्स थ्रू इट(A River Runs Through It) नॉर्मन मेक्लीन की दो लड़कों की बेहतरीन कहानी है जो अमेरिका के एक पश्चिमी राज्य में अपने पिता, एक प्रेस्बिटेरियन पास्टर के साथ बड़े हो रहे थे । रविवार की सुबह, नॉर्मन और उसका भाई, पॉल, चर्च जाते थे जहाँ वे अपने पिता को उपदेश देते हुए सुनते थे l रविवार की शाम, एक दूसरी आराधना होती थी और उनके पिता फिर से उपदेश देते थे l लेकिन उन दोनों आराधनाओं के बीच, वे उसके साथ पहाड़ियों और नदियों की सैर करने के लिए स्वतंत्र थे, “जब वह अपने आप को ताज़ा करते थे ।“ उनके पिता जानबूझकर अपने आप को “शाम के उपदेश के लिए अपनी आत्मा को नया करने और पुनः भरकर उमंडने के लिए” अलग करते थे l
सुसमाचारों में हर जगह, यीशु पहाड़ों पर और शहरों में भीड़ को शिक्षा देते हुए और बीमारों और अस्वस्थ लोगों को चंगा करते हुए दिखाई देता है जो उसके पास लाये जाते थे l यह सब परस्पर क्रियाएँ मनुष्य के पुत्र का मिशन/उद्देश्य “खोए हुओं को ढूँढने और उनका उद्धार करने” के अनुकूल था (लूका 19:10) l लेकिन यह भी ध्यान दिया गया है कि वह अक्सर “जंगलों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था” (5:16) l उसका समय वहाँ पर पिता के साथ बातचीत करने में व्यय होता था, जिससे वह तरोताज़ा और नवीकृत होकर फिर से अपने मिशन में कदम रख सके l
सेवा करने के हमारे विश्वासयोग्य प्रयासों में, हमारे लिए यह याद रखना जरूरी है कि यीशु “अक्सर” अलग जाता था । यदि यह अभ्यास यीशु के लिए जरूरी था, तो हमारे लिए और कितना अधिक है? हम नियमित रूप से अपने पिता के साथ समय बिताएँ, जो हमें फिर से उमड़ने तक भर सकता है ।
हमारी समस्यायों से बड़ा
आप क्या सोचते हैं जब डायनासोर जीवित थे तब कैसे दिखते थे? बड़े दांत? छिलकेदार त्वचा? लम्बी पूँछ? एक कलाकार इन विलुप्त जीवों को बड़े-बड़े भित्ती चित्रों में फिर से बनाता है l उसकी एक चित्रावली 20 फीट से अधिक ऊँची और 60 फीट लम्बी है l इसके आकार के कारण, इसे खण्डों में स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों के एक दल की आवश्यकता थी जहाँ यह प्राकृतिक इतिहास के सैम नोबल ओक्लाहोमा संग्रहालय में है l
डायनासोर द्वारा बौना महसूस किये बिना इस भित्ति-चित्र के सामने खड़ा होना कठिन होगा l जब मैं उस शक्तिशाली जानवर “जलगज” के बारे में परमेश्वर का वर्णन पढ़ता हूँ मुझे उसी तरह का अनुभव होता है (अय्यूब 40:15) । यह बड़ा जानवर बैल के समान घास चबाता था और उसकी पूँछ पेड़ के तने के आकार की थी l उसकी हड्डियाँ लोहे के पाइप की तरह थीं l वह पहाड़ों पर चरता था, और कभी-कभी स्थानीय कीचड़ के गड्ढों में आराम करने के लिए ठहरता था l जब बाढ़ का पानी बढ़ता था, जलगज ने कभी भी चिंता या असहमति नहीं दर्शायी l
उसके सिरजनहार के सिवाय──कोई भी इस अविश्वसनीय प्राणी को वश में नहीं कर सकता था (पद.19)। परमेश्वर ने अय्यूब को इस सच्चाई की याद ऐसे समय में दिलायी जब उसकी समस्याओं ने उसके जीवन पर अशुभ छाया डाली l दुःख, विस्मय और कुंठा ने उसके दर्शन के क्षेत्र को भर दिया जब तक उसने परमेश्वर से प्रश्न करना शुरू नहीं किया l किन्तु परमेश्वर के प्रत्युत्तर ने अय्यूब को चीजों के वास्तविक आकार को देखने में मदद की l परमेश्वर अपने मुद्दों से बड़ा था और उन समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए काफी शक्तिशाली था जिनका समाधान अय्यूब स्वयं नहीं कर सकता था l अंत में, अय्यूब ने स्वीकारा, ‘‘मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है’’ (42:2) l
शांति का जीवन
पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में, शालोम हाउस नाम की एक जगह है जहाँ नशे की लत से जूझ रहे लोग मदद ढूंढने के लिए जाते है । शालोम हॉउस में, वे देखभाल करने वाले कर्मचारियों से मिलते है, जो उन्हें परमेश्वर के शालोम (इब्रानी में शांति) से परिचित कराते हैं l ड्रग्स, शराब, जुआ और अन्य हानिकारक लतों के नीचे कुचले हुए जीवन, और दूसरे विनाशकारी व्यवहार परमेश्वर के प्रेम से रूपांतरित किये जा रहे हैं l
इस रूपांतरण का केंद्र क्रूस का संदेश है । शालोम हॉउस के टूटे हुए लोग यह समझते हैं कि यीशु के पुनरुत्थान के द्वारा, वे अपने जीवन को पुनरुत्थित महसूस कर सकते है । मसीह में, हम सच्ची शांति और चंगाई हासिल करते हैं ।
शांति केवल टकराव/द्वन्द् की उनुपस्थिति नहीं है; यह परमेश्वर की सम्पूर्णता की उपस्थिति है l हम सब को इस शालोम की जरूरत है, और यह सिर्फ मसीह और उसकी आत्मा में पाया जाता है । इसलिये पौलुस ने गलातियों को आत्मा के परिवर्तनकारी काम की ओर इंगित किया जिसमें प्रेम, आनंद, धीरज, और अतिरिक्त शामिल है (गलतियों 5:22-23) । वह हमें उस सच्ची, स्थायी शांति का अत्यावश्यक अंश देता है ।
जब आत्मा हमें परमेश्वर के शालोम में रहने के लिए सक्षम बनाता है, हम अपने जरूरतों और चिंताओं को अपने स्वर्गीय पिता के पास लाना सीखते हैं । यह बदले में हमें ‘‘परमेश्वर की शांति [देता है], जो सारी समझ से परे है”──वह शांति जो ‘‘[हमारे] हृदय और [हमारे] विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी” (फिलिप्पियों4:7) l
मसीह के आत्मा में, हमारे हृदय सच्चा शालोम अनुभव करते हैं l