Month: जून 2021

दिव्य बचाव

टेलिफोन पर एक चिन्तित नागरिक से एक आपातस्थिति की सूचना मिलने के बाद, एक पुलिस ऑफिसर रेल की पटरी के साथ-साथ अपनी गाड़ी चलाते हुए, अपना खोज-दीप(floodlight) अँधेरे में उस समय तक चमकाते हुए आगे बढ़ा, जब तक कि उसने उस वाहन को रेल पटरी के बीच खड़े हुए नहीं देखा l जैसे ही एक ट्रेन कार की तरफ बढ़ी एक नजदीकी कैमरा ने खौफनाक दृश्य को कैद कर लिया । “वह ट्रेन तेजी से आ रही थी,” ऑफिसर ने कहा, “पचास से अस्सी मील प्रति घंटा l” इससे पहले कि ट्रेन उस कार में टक्कर मारती, मात्र कुछ क्षणों में ही बिना किसी संकोच के कार्य करते हुए उसने कार के अन्दर से एक बेहोश व्यक्ति को खींच कर निकाला l

पवित्रशास्त्र परमेश्वर को बचाने वाले के रूप में बताती है──अक्सर उस समय जब सब खोया हुआ लगता है । मिस्र में फंसे हुए और दम घुटनेवाली उत्पीड़न में नष्ट होते हुए,  इस्राएलियों ने वहाँ से बचने की कल्पना भी नहीं की थी । हालाँकि, निर्गमन में हम देखतें हैं कि परमेश्वर ने उन्हें आशा से भरपूर गुंजायमान शब्द बोले : “मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में है, उनके दुःख को निश्चय देखा है,” उसने कहा “और उनकी . . . चिल्लाहट . . . भी मैंने सुना है, और उनकी पीड़ा पर मैं ने चित्त लगाया है” (3:7) और परमेश्वर ने केवल देखा ही नहीं──परमेश्वर ने कार्य किया l “मैं उतर आया हूँ कि उन्हें छुडाऊँ” (पद.8) l  परमेश्वर ने इस्राएलियों को दासत्व से बाहर निकाला । यह एक दिव्य बचाव था ।

परमेश्वर का इस्राएलियों को बचाना परमेश्वर के हृदय को प्रकट करता है──और उसकी सामर्थ्य──-हम सब जो ज़रूरतमंद हैं उनकी सहायता करने के लिए l वह हम में से उन लोगों की सहायता करता है जिनका बर्बाद होना निश्चित है जब तक कि ईश्वर हमें बचाने के लिए नहीं आता l यद्यपि हमारी स्थिति खौफनाक या असंभव हो सकती है, हम अपनी आँखें और हृदय ऊपर उठाकर उस पर निगाहें रख सकते हैं जो बचाना चाहता है l

एक बुद्धिमान निर्माता

सोजर्नर ट्रूथ, जिसका जन्म का नाम इसाबेला बौम्फ्री था, का जन्म 1797 में न्यूयॉर्क में एक दासी के रूप में हुआ था l यद्यपि, लगभग उसके सभी बच्चे दास के रूप में बेचे गये थे, वह 1826 में एक बेटी के साथ भाग कर स्वतंत्र हुई और एक परिवार के साथ रही जो उसकी स्वतंत्रता के लिए पैसा चुकाए थे । अपने परिवार को अलग रखने के अन्यायपूर्ण व्यवस्था में सहमति की जगह, उसने अपने छोटे बेटे पीटर को फिर से हासिल करने के लिए कानूनी कार्यवाई की──उन दिनों में एक अफ़्रीकी अमेरिकी महिला के लिए एक अद्भुत साहसिक कार्य l यह जानते हुए कि वह अपने बच्चों की परवरिश परमेश्वर के मदद के बिना नहीं कर सकती थी, वह मसीह में एक विश्वासी बन गयी और बाद में उसने अपना नाम सोजर्नर ट्रूथ रखा । यह दिखाने के लिए कि उसके जीवन की नींव परमेश्वर की सच्चाई पर बनी थी ।

राजा सुलैमान, नीतिवचन 14 का लेखक, कहता है कि “हर बुद्धिमान स्त्री अपने घर को बनाती है” (पद.1), इसके विपरीत, एक बुद्धिहीन स्त्री “ढा देती है ।“ यह निर्माण का रूपक परमेश्वर द्वारा सुनने के लिए इच्छुक लोगों को दी गयी बुद्धि को दर्शाता है । कोई अपना घर बुद्धि से कैसे बनाता है? ऐसा करने के द्वारा “जो [दूसरों की] उन्नति के लिए उत्तम हो” (इफिसियों 4:29; 1 थिस्सलुनीकियों 5:11 भी देखें) कोई कैसे ढा देता है? नीतिवचन 14 उत्तर देता है, “मूढ़ के मुँह में गर्व का अंकुर [होता है]” (पद.3) l

सोजर्नर के पास अशांत समय में दृढ़ “शरणस्थान” (पद.26) था, परमेश्वर की बुद्धिमत्ता के लिए धन्यवाद । शायद आपको कभी अपने बच्चों को अन्याय से छुड़ाना न पड़े । परन्तु आप अपना घर उसी नींव पर बना सकते हैं जिस पर सोजर्नर ने बनाया──परमेश्वर की बुद्धिमत्ता l

हमारा सच्चा व्यक्तित्व

मेरे माता-पिता के पुराने फोटो एल्बम में एक युवा लड़के की तस्वीर है । उसका चेहरा गोल है, चेहरे पर दाने और सीधे बाल । उसे कार्टून पसंद है, कुछ फल नापसंद है, और कुछ अजीब संगीत पसंद है । उसी एल्बम के अंदर एक किशोर की कई तस्वीरें हैं । उसका चेहरा लम्बा है, गोल नहीं; उसके बाल लहरदार है, सीधे नहीं हैं, उसके चेहरे पर दाने नहीं हैं, कुछ फल पसंद है, कार्टून की जगह फिल्में देखता है, और वह कुछ अजीब संगीत सुनना कभी स्वीकार नहीं करेगा । वह लड़का और किशोर थोड़े एक जैसे है । विज्ञान के अनुसार उनकी अलग त्वचा, दांत, खून, और हड्डियाँ हैं । फिर भी वह दोनों मैं ही हूँ । यह मिथ्याभास दार्शनिकों को अचम्भित कर रखा हैं । इसलिए कि हम जीवन भर बदलते है, हमारा सच्चा व्यक्तित्व क्या है?

बाइबल इसका उत्तर देती है । जिस पल से परमेश्वर ने हमें गर्भ में रचना शुरू किया (भजन 139:13-14), हम अपने अद्वितीय रचना में बढ़ते गये । जबकि हम यह कल्पना नहीं कर सकते, कि हम आखिरकार क्या बनेंगे, हम जानते हैं कि यदि हम परमेश्वर की सन्तान है तो अंत में हम यीशु की तरह बनेंगे (1 यूहन्ना 3:2)──हमारा शरीर उसके स्वभाव के साथ, हमारा व्यक्तित्व लेकिन उसका चरित्र, हमारे सभी उपहार चमकते हुए, हमारे सभी पाप मिटे हुए l 

उस दिन तक जब यीशु वापस नहीं आ जाता, हम इस भावी व्यक्तित्व की ओर आकर्षित  किए जा रहे हैं l उसके कार्यों के द्वारा, क्रमिक रूप से, हम उसकी छवि को और अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिम्बित कर सकते है (2 कुरिन्थियों 3:18) । हम अभी तक जो हमें होना चाहिए नहीं हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम उसके सामान होते जाते है, हम अपने सच्चे व्यक्तित्व में ढलते जाते हैं l

आशा में इंतजार करना

हमारे एक वेटर के रूप में रोगेलिओ ने हमारे सप्ताह भर की छुट्टी के दौरान हमारी सेवा की l एक बातचीत में, उसने आशीष के रूप में मजबूत विश्वास वाली दयालु पत्नी, केली के लिए यीशु को श्रेय दिया l उनके पहले बच्चे के बाद, परमेश्वर ने उनको उनकी भांजी की देखभाल करने का मौका दिया जिसे बौद्धिक विकलांगता(Down syndrome) थी l जल्द ही, रोगेलिओ की सास को वहीँ रहकर देखभाल की ज़रूरत थी l

रोगेलिओ आनंद के साथ काम करता है, अक्सर दो-पारियों में, यह निश्चित करने के लिए कि उसकी पत्नी घर पर रहकर उन लोगों की देखभाल कर सकेगी जिन्हें परमेश्वर ने उनको सौंपा है l जब मैंने साझा किया कि कैसे उन दोनों ने अपने परिवार के सदस्यों की सेवा करने के लिए अपने हृदय और घर को खोलने के तरीके से मुझे बेहतर प्यार करने के लिए प्रेरित किया, तो उसने कहा, “उनकी सेवा करना . . . और आपकी मेरे लिए आनंद की बात है l”

रोगेलिओ का जीवन हमें उदारता के साथ जीना और परमेश्वर पर प्रबंध करने के लिए भरोसा को दृढ़ करता है जब हम निस्वार्थ भाव से परस्पर सेवा करते हैं l प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर के लोगों से “प्रेम . . . आशा में आनंदित . . . क्लेश में स्थिर [रहने और] प्रार्थना में नित्य लगे” रहने का आग्रह किया जब हम “पवित्र लोगों को जो कुछ आवश्यक हो, उसमें उनकी सहायता [करते हुए] पहुनाई करने में लगे [हैं]” (रोमियों 12:10-13) l

हमारे जीवन पल भर में बदल सकते हैं, और हमें या हमारे प्रियों को ऐसी परिशितियों में डाल सकते हैं जो असहनीय महसूस होते हैं l लेकिन जब हम परमेश्वर का इंतज़ार करते हुए सब कुछ जो उसने दिया है साझा करने को तैयार हो जाते हैं, तो हम मिलकर उसके स्थायी प्यार में जुड़ सकते हैं l

सिद्ध न्याय

1983 में, एक 14 साल के युवा की हत्या के आरोप में तीन किशोर गिरफ्तार किये गये । समाचार के अनुसार, छोटे किशोर को, “उसके (एथलेटिक) जैकेट के कारण . . . गोली मारी गयी थी l” जेल में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद, और सबूत द्वारा उनकी निरपराधता प्रगट होने से पूर्व तीनों ने सलाखों के पीछे छत्तीस साल गुज़ारे l एक दूसरे व्यक्ति ने अपराध किया था । न्यायधीश ने उन्हें मुक्त व्यक्तियों के रूप में छोड़ने से पहले एक क्षमायाचना अपील जारी की ।

हम चाहे कितना भी कठिन प्रयास क्यों न करें (और चाहे हमारे अधिकारियों द्वारा कितनी भी भलाई की गयी हो), इन्सानी न्याय में हमेशा त्रुटी होती है l हमारे पास कभी भी पूरी जानकारी नहीं होती है । कभी-कभी बेईमान लोग सत्य में हेरफेर करते है । कभी-कभी हम महज गलत हैं l और अक्सर, बुराई सही होने में वर्षों ले सकती है, यदि वे हमारे जीवनकाल में हैं l शुक्र है, अस्थिर इंसानों के विपरीत, परमेश्वर सिद्ध न्याय करता है । मूसा कहता है, “उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है” (व्यवस्थाविवरण 32:4) l परमेश्वर चीजों को ऐसे देखता है जैसे वे वास्तव में है । समय आने पर, हमारे बदतर प्रयास के बाद, परमेश्वर अंत में परम न्याय करेगा । यद्यपि समय के विषय अनिश्चित, हमें भरोसा है क्योंकि हम जिसकी सेवा करते है वह “सच्चा ईश्वर है, उसमें कुतिनता नहीं, वह धर्मी और सीधा है” (पद.4) l  

हम क्या सही या गलत है के सम्बन्ध में अनिश्चितता द्वारा उदास हो सकते है l हम डरते हैं कि हमारे साथ या हमारे प्रियों के साथ जो अन्याय हुआ है कभी भी सही नहीं किया जा सकेगा l लेकिन हम न्याय के परमेश्वर पर भरोसा कर सकते है कि वह एक दिन न्याय करेगा──इस जीवन में या अगले जीवन में──हमारा न्याय जरूर चुकाएगा l