परमेश्वर के पुनर्स्थापित मार्ग
अंग्रेजी संगीत में सबसे अधिक हृदय स्पर्शी गानों में से एक द ग्रेटेस्ट शोमैन (TheGreatestShowman) तब गया जाता है जब मुख्य चरित्र को पीड़ादायक आत्मबोध होता है कि उसके पास घायल परिवार और मित्र हैं, यह गाना घर वापसी का जश्न मनाता है और यह जानना कि जो हमारे पास पहले से है वह पर्याप्त से अधिक है l
होशे की किताब एक समान स्वर के साथ अंत करता है——उस पुनर्स्थापन के प्रति सरगर्म ख़ुशी और आभार, जो परमेश्वर उनके लिए सम्भव बनाता है जो उसके पास लौटते हैं l किताब के अधिकतर भाग, परमेश्वर और उसके लोगों के बीच सम्बन्ध की तुलना एक बेवफा जीवनसाथी के साथ करता है, इस्राएल का उससे प्रेम करने और उसके लिए जीने में विफल होने पर दुखित होता है l
लेकिन अध्याय 14 में, होशे प्रभु के असीम प्रेम, अनुग्रह और पुनर्स्थापन की प्रतिज्ञाओं की प्रशंसा करता है——जो उनके लिए आसानी से उपलब्ध थीजो उसे त्याग देने के बावजूद टूटे दिल से उसके पास लौटते हैं (पद.1–3) l “मैं उनके भटक जाने की आदत को दूर करूंगा, “परमेश्वर वायदा करता है, “मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा” (पद.4) l और जो मरम्मत के परे टूटा हुआ लग रहा था वह एक बार फिर पूर्णता और प्रचुरता पाएगा, जब ओस के समान परमेश्वर का अनुग्रह, उसके लोगों को “सोसन के समान [फूलने-फलने]” और “अनाज के समान [बढ़ने]” का कारण होगा (पद.5-7) l
जब हमने दूसरों को चोट पहुँचाया है या अपने जीवन में परमेश्वर की भलाइयों का महत्व नहीं समझा है, तो यह मान लेना आसान हो जाता है कि जो अच्छे उपहार हमें मिले हैं हमने उन्हें हमेशा के लिए बिगाड़ दिया है l लेकिन जब हम नम्रता से उसकी ओर मुड़ते हैं, हम पाते हैं कि उसका प्रेम गले लगाने और पुनर्स्थापित करने के लिए हमेशा पहुंचता है l
पक्षपात और क्षमा
अन्याय सुधारने के बारे में एक संदेश सुनने के बाद, चर्च का एक सदस्य रोते हुए पास्टर के पास गया, क्षमा माँगी और स्वीकार किया कि उसने छोटी जाति के सेवक को अपने स्वयं के पूर्वाग्रह के कारण अपने चर्च के पास्टर होने के पक्ष में मतदान नहीं किया था l “मैं सच में चाहता हूँ कि आप मुझे क्षमा कर दें l मैं नहीं चाहता कि जातिवाद और पक्षपात का कचरा मेरे बच्चों में पहुँच जाए l मैंने आपको वोट नहीं दिया और मैं गलत था l” उनके आँसू और स्वीकारोक्ति सेवक के आँसू और क्षमा के साथ मिले l एक सप्ताह बाद, परमेश्वर ने उसके हृदय में कैसे कार्य किया था, इस बारे में उस व्यक्ति की गवाही सुनकर सम्पूर्ण कलीसिया आनंदित हुयी l
यीशु का चेला, और आरम्भिक कलीसिया का एक मुख्य अगुआ, को भी गैर-यहूदीयों के प्रति गलत धारणा के कारण सुधार की जरूरत पड़ी l गैर-यहूदियों के साथ खाना और पीना (जो अशुद्ध माने जाते थे), सामाजिक और धार्मिक नियम(प्रोटोकॉल) का उल्लंघन था । पतरस ने कहा,“तुम जानते हो, अन्यजाति की संगति करना या उसके यहां जाना यहूदी के लिये अधर्म है” (प्रेरितों 10:28) l उसे यकीन दिलाने के लिए कि वह “किसी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न [कहे]” परमेश्वर की अलौकिक गतिविधि (पद.9-23) से कम कुछ भी नहीं लगा l
पवित्रशास्त्र का प्रचार, आत्मा की अभिशंसा, और जिन्दगी के अनुभवों द्वारा, परमेश्वर मनुष्य के हृदयों में दूसरों के प्रति हमारे भ्रष्ट परिपेक्ष्य को सुधारने का काम जारी रखता है l वह हमें देखने में मदद करता है कि “परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता” (पद.34) l
जिन्दगी के तूफान पार करना
16 जुलाई 1999 को, जॉन.एफ़. कैनेडी जूनियर (अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति के पुत्र) द्वारा चालित छोटा विमान अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया । जांचकर्ताओं ने दुर्घटना की वजह एक सामान्य त्रुटी बतायी जिसे स्थान-सम्बन्धी भटकाव कहा जाता है l यह घटना तब होती है जब, कम दृश्यता की वजह से पायलट भटक जाते हैं और अपने गंतव्य तक सफलतापूर्वक पहुँचने के लिए अपने उपकरणों पर सहाहता के लिए भरोसा करना भूल जाते हैं l
जब हम जिन्दगी की सफ़र करते हैं, तो कई बार जिन्दगी काफी कठिन हो जाता है, हम गुमराह महसूस करते हैं l कैंसर का लक्षण, किसी प्रिय की मृत्यु, नौकरी की हानि, मित्र द्वारा विश्वासघात——जीवन की अनापेक्षित त्रासदियाँ हमें भूला हुआ और भ्रमित छोड़ जाती हैं l
जब हम अपने को ऐसी परिस्थितियों में पाते है, हम भजन 43 की प्रार्थना करने की कोशिश कर सकते हैं l इस भजन में, भजनकार व्याकुल है और गुमराह महसूस कर रहा है क्योंकि वह बुराई और अन्याय से घिरा हुआ महसुस कर रहा है l निराशा में, भजनकार परमेश्वर से अपने इच्छित गंतव्य, परमेश्वर की उपस्थिति (पद.3-4) तक सुरक्षित पहुँचने के लिए मार्गदर्शन और मदद की गुहार लगाता है l भजनकार जानता है कि परमेश्वर की उपस्थिति में वह नवीकृत आशा और हर्ष प्राप्त करेगा ।
कौन से उपकरण हैं जो भजनकार मार्गदर्शन के लिए आग्रह करता है? पवित्र आत्मा के द्वारा सत्य की ज्योति और परमेश्वर की उपस्थिति का आश्वासन l
निश्चित प्रार्थना
एक बच्चे को पाने के लिए वर्षों कोशिश करने के बाद, जब रीता गर्भवती हुई तो विश्वास और रीता उत्तेजित हुए । लेकिन उसकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बच्चे के लिए जोखिम बन गया, इसलिये विश्वास हर रात अपनी पत्नी और बच्चे के लिए प्रार्थना करते हुए जागता था l एक रात, विश्वास ने महसूस किया कि उसे इतनी परिश्रमशीलता से प्रार्थना करने की जरूरत नहीं, क्योंकि परमेश्वर ने देखभाल करने का वायदा किया है । लेकिन एक सप्ताह बाद रीता का गर्भपात हो गया । विश्वास बर्बाद हो गया । वह सोचने लगा, क्या वे बच्चा इसलिये खो दिए क्योंकि उसने परिश्रमशीलता से प्रार्थना नहीं की थी?
पहले पठन में हम सोच सकते हैं कि आज का दृष्टान्त यही सिखाता है । इस कहानी में, एक पड़ोसी (कभी कहा जाता है कि यह परमेश्वर को दर्शाता है) अपने मित्र के कष्टकर जिद्द करने के कारण ही उसकी मदद करने बिस्तर से बाहर आता है (लुका 11:5-8) । इसे इस तरीके से पढें, यह दृष्टान्त सुझाता है कि हमें जो चाहिए परमेश्वर हमें तभी देगा जब हम उसे परेशान करेंगे l और यदि हम काफी गंभीरता से प्रार्थना नहीं करेंगे, शायद परमेश्वर हमारी मदद नहीं करेगा l
परन्तु बाइबल के प्रसिद्ध टिप्पणीकार मानते हैं कि यह दृष्टान्त को गलत समझना है——इसका मुख्य बिंदु यह है कि यदि पड़ोसी अपने स्वार्थी कारणों से हमारी मदद कर सकते हैं, तो हमारा निस्वार्थी पिता और कितना अधिक करेगा l तो हम पूरे आत्मविश्वास से मांग सकते हैं (पद.9-10), यह जानते हुए कि परमेश्वर दोषपूर्ण इंसानों से महान है (पद.11-13) । वह दृष्टान्त में पड़ोसी नहीं है, लेकिन उसके विपरीत है l
“मुझे नहीं पता तुमने अपना बच्चा क्यों खोया,” मैंने विश्वास से कहा, “लेकिन मैं जनता हूँ यह इसलिये नहीं हुआ क्योंकि तुमने काफी ‘परिश्रमशीलता’ से प्रार्थना नहीं की थी l प्रभु वैसा नहीं है ।”
सुने और सीखें
सड़क के एक तरफ एक घर मालिक अपने प्रांगन में शान से एक बड़ा राजनीतिक झंडा फहराता है l एक बड़ा ट्रक सड़क पर खड़ा है l उसके बगल की खिड़की पर झंडा पेंट किया हुआ है और पीछे का बम्पर देशभक्ति स्टीकर से भरा हुआ है l सड़क के ठीक उस पार एक पडोसी के अहाते में कुछ चिन्ह हैं जो समाचार में सामाजिक न्याय के सामयिक मामलों के स्लोगन्स को विशिष्टता से दर्शा रहे हैं l
क्या इन घरों में रहने वाले लोग शत्रु हैं या ये मित्र हैं? हमें सन्देह हो सकता है । क्या यह सम्भव है कि दोनों परिवार यीशु में विश्वासी हैं? परमेश्वर हमें याकूब 1:19 के शब्दों को जीने के लिए बुलाता है : “हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीर और क्रोध में धीमा हो ।” बहुतबार हम अपने विचारों को पकड़ के हठ करते हैं और जो दूसरे सोच रहें है उनकी सोच पर विचार करने के लिए इक्छुक नहीं होते हैं । मैथ्यू हेनरी की टीका का यह कहना है कि “हमें सब तरफ से कारण और सच्चाई सुनने के लिए तत्पर, और बोलने में धीमा . . . और, जब हम बोलते हैं, तो क्रोध होना ही नहीं चाहिए l”
किसी ने कहा है, “सीखने के लिए सुनने की आवश्यकता होती है l” याकूब की पुस्तक में परमेश्वर के व्यवहारिक शब्द तब ही पूरे किये जा सकते हैं जब हम परमेश्वर के प्रेमी आत्मा से भरे हुए हैं और दूसरों का आदर करने का चुनाव करते हैं l वह हमें हमारे दिल और व्यवहार में बदलाव लाने में मदद करने के लिए इच्छुक है । क्या हम सुनने और सीखने के लिए तैयार हैं?