अच्छी तरह विश्राम करें
घड़ी ने सुबह की 1.55 बजायी l देर रात तक एक टेक्स्ट(text) बातचीत से बोझिल, नींद नहीं आ रही थी l मैंने अपनी चादरों को जो ममी(mummy) जैसी लिपटी हुई थी खोलकर उन्हें तह करके पलंग पर रख दी l मैं यह जानने के लिए कि नींद आने के लिए क्या करना है गूगल की लेकिन इसके स्थान पर मुझे यह मिला कि क्या नहीं करना है : झपकी न लें या कैफीन वाला पेय न लें अथवा दिन में देर तक काम करें l चेक करें l अपने टेबलेट पर आगे पढ़ते हुए, मुझे “स्क्रीन टाइम” बहुत देर तक उपयोग नहीं करने की भी सलाह दी गयी l उफ़ l टेक्स्ट करना एक अच्छा विचार नहीं था l जब अच्छी तरह से आराम करने की बात आती है, तो सूचियाँ क्या नहीं करने की है l
पुराने नियम में, परमेश्वर ने विश्राम करने के लिए सब्त के दिन क्या न करें, से सम्बंधित नियम दिए थे l नये नियम में, यीशु ने एक नया तरीका पेश किया l नियमों पर जोर देने के बजाय, यीशु ने शिष्यों को रिश्ते में बुलाया l “हे सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती 11:28) l इससे पहले वाले पद में, यीशु ने अपने पिता के साथ अपने स्वयं के निरंतर सम्बन्ध के बारे में बताया──जिसे उसने हमारे सामने प्रगट किया l यीशु ने पिता से निरंतर सहायता के प्रबंध का आनंद लिया, यही वह है जिसका अनुभव हम भी कर सकते हैं l
जबकि हम ख़ास अतीत से बचना चाहते हैं जो हमारी नींद में खलल डाल सकती है, मसीह में अच्छी तरह आराम करने की सार्थकता नियम से अधिक रिश्ते से है l मैंने अपने रीडर(reader) को बंद कर दिया और यीशु के निमंत्रण के तकिये पर अपना बोझिल हृदय रख दिया : “मेरे पास आओ . . . l”
परमेश्वर जानता है हम एहसास करते हैं
पूर्ण पराजित महसूस करते हुए, सिमरा अपने पुत्र की नशे से लड़ाई से अत्यंत दुखित थी l “मैं बुरा महसूस करती हूँ,” वह बोली l “क्या परमेश्वर सोचता है कि मेरे पास विश्वास नहीं है क्योंकि मैं प्रार्थना करते समय अपने आंसू नहीं रोक सकती?”
“मैं नहीं जानता कि परमेश्वर क्या सोचता है,” मैंने कहा l लेकिन मैं जानता हूँ कि वह वास्तविक भावनाओं को संभाल सकता है l यह ऐसा नहीं है कि वह हमारी भावनाओं को नहीं जानता है l” मैंने प्रार्थना की और सिमरा के साथ आंसू बहाए जब हमने उसके बेटे के छुटकारे के लिए विनती की l
बाइबल में परमेश्वर के साथ मल्लयुद्ध करते हुए अनेक लोगों का उदहारण निहित है जब वे संघर्ष कर रहे थे l भजन 42 का लेखक परमेश्वर की शांति की निरंतर और शक्तिशाली उपस्थिति का अनुभव करने के लिए गहरी इच्छा प्रगट करता है l उसने जो दुःख सहा उसके लिए अपने आँसू और उदासी को स्वीकार करता है l जब वह खुद को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता का याद दिलाता है, उसका आंतरिक उथल-पुथल, कम होता है और भरोसेमंद प्रशंसा के साथ प्रवाहित होता है l अपने “प्राण” को उत्साहित करते हुए भजनकार लिखता है, “परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है” (पद.11) l वह परमेश्वर के बारे में क्या सच है और अपनी अभिभूत करनेवाली भावनाओं की निर्विवाद वास्तविकताओं के बीच आगे पीछे खींचा जाता है l
परमेश्वर हमें अपने स्वरुप में और भावनाओं के साथ अभिकल्पित किया है l दूसरों के लिए हमारे आँसू गहरा प्रेम और तरस प्रगट करते हैं, ज़रूरी नहीं की विश्वास की कमी l हम परमेश्वर तक अपने कच्चे घाव अथवा पुराने दाग़ लेकर जा सकते हैं क्योंकि वह जानता है कि हम आभास करते हैं l हर एक प्रार्थना, चाहे वह शांत, सिसकती हुई , या भरोसे के साथ ऊंची आवाज़ में है, सुनने और हमारी देखभाल की उसकी प्रतिज्ञा में हमारे भरोसे को प्रदर्शित करती है l
जो कुछ भी
प्रत्येक शुक्रवार की शाम, मेरा परिवार जो राष्ट्रीय समाचार देखता है वह अपना प्रसारण एक प्रेरक कहानी को हाईलाइट करके समाप्त करता है l यह हमेशा ताज़ी हवा का श्वास है l हाल ही के एक “शुभ” शुक्रवार की कहानी एक रिपोर्टर के ऊपर केन्द्रित थी जो कोविड-19 से बीमार होकर, पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी थी, और उसके बाद दूसरों की वायरस के विरुद्ध उनकी लड़ाई में सम्भवतः मदद करने के लिए प्लाज्मा दान करने का निर्णय ली थी l उस समय, न्याय समिति यह फैसला करने की कोशिश कर रही थी कि एंटीबोडी कितनी प्रभावशाली होगी l लेकिन जब हममें से अनेक खुद को असहाय महसूस किये और (सूई द्वारा) प्लाज्मा दान करने की बेचैनी के प्रकाश में भी, उसने महसूस किया कि वह “संभावित अदाएगी के लिए एक छोटी कीमत थी l”
उस शुक्रवार के प्रसारण के बाद, मेरा परिवार और मैं प्रोत्साहित महसूस हुए──हिम्मत के साथ मैं कहता हूँ आशा से भरपूर l “जो कुछ भी” की सामर्थ्य यही है जिसका वर्णन पौलुस फिलिप्पियों 4 में करता है : “जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं” (पद.8) l क्या पौलुस के मन में प्लाज्मा दान करना था? जी नहीं l लेकिन क्या उसके मन में दूसरे ज़रुरतमंदों के लिए लाभहीन कार्य थे──दूसरे शब्दों में, मसीह के समान व्यवहार? मुझे कोई शक नहीं कि उत्तर हाँ है l
लेकिन उस आशापूर्ण समाचार का पूरा प्रभाव नहीं होता यदि वह प्रसारित नहीं होता l यह हमारा विशेषाधिकार है कि हम अपने चारों ओर “जो कुछ भी” को देखने और सुनने के लिए परमेश्वर की भलाई के साक्षी हैं और फिर दूसरों के साथ उस अच्छी खबर को साझा करें जिससे वे प्रोत्साहित हो सकते हैं l
स्वतंत्रता में उछलना कूदना
एक तीसरी पीढ़ी का किसान, बाला तब इतना अधिक द्रवित हुआ जब उसने पढ़ा “तुम्हारे लिए जो मेरे नाम का भय मानते हो . . . तुम निकलकर पाले हुए बछड़ों के समान कूदोगे और फाँदोगे”(मलाकी 4:2) कि उसने यीशु के अनंत जीवन के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए प्रार्थना की l जब बाला ने अपने बछड़ों को अपने तंग गौशालों से तीव्र गति से निकलकर उत्साह से उछल-कूद करने को सजीव ढंग से याद किया तो उसने आखिरकार परमेश्वर के वास्तविक स्वतंत्रता के वादे को समझ लिया l
बाला की बेटी ने मुझे यह कहानी बतायी क्योंकि हम मलाकी 4 में काल्पनिक चित्र पर विचार कर रहे थे, जहाँ पर नबी ने जो परमेश्वर का भय मानते हैं, या उसके प्रति विश्वासयोग्य है, और जो केवल खुद पर भरोसा करते हैं के बीच एक भेद करता है (4:1-2) l नबी एक ऐसे समय में इस्राएलियों को परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करता है जब बहुत सारे लोग, जिसमें धार्मिक अगुए भी शामिल थे, परमेश्वर और वफादार रहन-सहन के मानक को भूल गए थे (1:12-14; 3:5-9) l मलाकी ने एक आनेवाले समय के कारण जब परमेश्वर दोनों समूहों के बीच एक अंतिम भेद करेगा के कारण लोगों को विश्वासयोग्यता से जीने का आह्वान किया l इस सन्दर्भ में, मलाकी ने बयान से बाहर आनंद का वर्णन करने के लिए एक उछलते-कूदते हुए बछड़े का एक अनापेक्षित चित्र उपयोग किया जो विश्वासी समूह अनुभव करेगा जब “धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे” (4:2) l
यीशु इस प्रतिज्ञा का असली पूर्णता है, सुसमाचार को लानेवाला कि सभी लोगों के लिए वास्तविक स्वतंत्रता उपलब्ध है (लूका 4:16-21) l और एक दिन, परमेश्वर के नवीकृत और पुनर्स्थापित सृष्टि में, हम इस स्वतंत्रता का पूर्ण अनुभव करेंगे l वहाँ उछल-कूद करने का आनंद कितना अवर्णनीय होगा!