Month: सितम्बर 2021

होटल कोरोना

यरूशलेम में 2020 में द डैन होटल(The Dan Hotel) एक भिन्न नाम──”होटल कोरोना” नाम से जाना जाने लगा l सरकार ने इस होटल को कोविड-19 से स्वस्थ होने वाले मरीजों के लिए समर्पित कर दिया, और वह होटल एक कठिन समय में आनंद और एकता का असाधारण स्थान बन गया l इसलिए कि वहां के आवासियों में वायरस मौजूद था, वे मिलकर गीत गाने, नाचने और हंसने के लिए स्वतंत्र थे l और उन्होंने ऐसा किया! एक देश जहाँ विभिन्न राजनैतिक और धार्मिक समूहों में तनाव ऊँचाई पर रहता है, साझा संकट ने ऐसा स्थान बनाया जहाँ लोग पहले एक दूसरे को मानव के रूप में देखना सीख सकते थे──और मित्र भी बन सकते थे l 

हमारे लिए उनकी ओर आकर्षित होना, जिन्हें हम अपने समान पाते हैं स्वाभाविक है, और सामान्य भी, लोग जिन्हें हम महसूस करते हैं कि वे हमारे समान अनुभव और मूल्यों का एहसास करते हैं l लेकिन जैसे कि प्रेरित पौलुस ने अक्सर बल दिया है, सुसमाचार मानवों के बीच किसी भी बाधा के लिए जिसे हम “सामान्य” के रूप में देखते हैं चुनौती है (2 कुरिन्थियों 5:15) l सुसमाचार की आँखों से, हम अपनी भिन्नताओं से परे एक बड़ी तस्वीर देखते हैं──साझा किया हुआ टूटापन और साझा की हुई  इच्छा और परमेश्वर के प्रेम में चंगाई को अनुभव करने की आवश्यकता l 

यदि हम विश्वास करते हैं कि “एक सब के लिए मरा,” तो हम दूसरों के विषय में सतह-स्तर की धारणाओं से भी संतुष्ट नहीं हो सकते l इसके बजाए, जिन्हें परमेश्वर हमारी कल्पना से अधिक प्रेम करता है──उनके साथ उसके प्रेम और मिशन/उद्देश्य को साझा करने के लिए हम सब को, “मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है” (पद.14) l 

मुझे भेज

जब स्वीडन वासी मिशनरी एरिक लुंड को 1890 के दशक के अंत में मिशन का काम करने के लिए स्पेन जाने के लिए परमेश्वर की बुलाहट महसूस हुई , तो उन्होंने तुरंत मान लिया l उन्होंने वहाँ थोड़ी सफलता देखी, लेकिन परमेश्वर के आह्वान के अपने दृढ़ विश्वास में अटल रहे l एक दिन, उनकी मुलाकात फिलिपीन्स के एक व्यक्ति ब्रौलियो मानिकन से हुई , और उनके साथ सुसमाचार साझा किया l लुंड और मानिकन ने मिलकर, बाइबल को फिलिपीन्स की एक स्थानीय भाषा में अनुवाद किया, और बाद में उन्होंने फिलिपीन्स में पहला बैप्टिस्ट मिशन स्टेशन शुरू किया l बहुत से लोग यीशु की ओर मुड़नेवाले थे──केवल इसलिए कि लुंड ने, यशायाह नबी की तरह, परमेश्वर की बुलाहट का प्रत्युत्तर दिया l 

यशायाह 6:8 में, परमेश्वर ने वर्तमान और भविष्य की आशा के लिए अपना निर्णय घोषित करने के लिए एक इच्छुक व्यक्ति से इस्राएल जाने के लिए कहा l यशायाह ने साहसपूर्वक कहा : “मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज!” उसने नहीं सोचा कि वह योग्य था, क्योंकि उसने पहले ही कबूल किया था : “मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूँ” (पद.5) l लेकिन उसने स्वेच्छा से जबाब दिया क्योंकि उसने परमेश्वर की पवित्रता को देखा था, अपनी खुद की पाप को पहचान लिया था, और अपनी शुद्धता प्राप्त की (पद.1-7) l 

क्या परमेश्वर आपको उसके लिए कुछ करने के लिए बुला रहा है? क्या आप रोक रहे हैं l यदि ऐसा है, तो सब कुछ याद रखें जो परमेश्वर ने यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा किया है l उसने हमारी मदद और मार्गदर्शन के लिए पवित्र आत्मा दिया है (यूहन्ना 14:26; 15:26-26), और वह हमें उसके आह्वान का उत्तर देने के लिए तैयार करेगा l यशायाह की तरह, हम भी प्रत्युत्तर दें, “मुझे भेज!”

मसीह में सम्पूर्ण

एक लोकप्रिय फिल्म में, एक अभिनेता एक सफलता-चालित स्पोर्ट्स एजेंट की भूमिका निभाता है, जिसका विवाह टूटना आरम्भ हो जाता है l अपनी पत्नी को वापस जीतने का प्रयास करते हुए, वह उसकी आँखों में देखता है और कहता है, “तुम मुझे पूरा करो l” यह एक हृदय को छू लेनेवाला सन्देश है जो एक लोक कहानी को प्रतिध्वनित करता है l उस कल्पित के अनुसार, हममें से हर एक “आधा” हैं जिसे पूर्ण होने के लिए अपने “दूसरे आधा” भाग को खोजना है l 

यह विश्वास कि एक रोमांटिक पार्टनर हमें पूरा करता है अब एक लोकप्रिय संस्कृति बन गयी है l लेकिन क्या यह सच है? मैं कई विवाहित जोड़ों से बात करता हूँ जो अभी भी अधूरा महसूस करते हैं क्योंकि उनके बच्चे उत्पन्न नहीं हुए हैं और दूसरे जिनके पास बच्चे हैं उपरान्त महसूस करते हैं कि कुछ कमी है l आख़िरकार, कोई मानव हमें पूरी तौर से सम्पूर्ण नहीं कर सकता है l 

प्रेरित पौलुस एक और समाधान देता है l “और तुम उसी में भरपूर हो गए हो” (कुलुस्सियों 2:9-10) l यीशु हमें केवल क्षमा और स्वतंत्र ही नहीं करता है l वह हमारे जीवनों में परमेश्वर को लाकर हमें सम्पूर्ण भी करता है (पद.13-15) l 

विवाह अच्छा है, लेकिन वह हमें सम्पूर्ण नहीं कर सकता है l केवल यीशु ही वह कर सकता है l किसी व्यक्ति, आजीविका, या किसी और चीज़ से हमें सम्पूर्ण करने की अपेक्षा करने के बजाए, हम परमेश्वर के निमंत्रण को स्वीकार करें ताकि उसकी परिपूर्णता हमारे जीवनों में अधिकधिक भर सके l  

परमेश्वर में सुरक्षित विश्राम

मैंने अपने प्रत्येक बच्चे को पत्र लिखा जब वे किशोरावस्था में प्रवेश कर रहे थे l एक पत्र में मैंने मसीह में हमारी पहचान के विषय बात की, यह याद करते हुए कि जब मैं किशोर था, मैं अपने को असुरक्षित और खुद में भरोसे की कमी महसूस करता था l मुझे सीखना था कि मैं परमेश्वर का प्रिय था─उसका बच्चा l मैंने उस पत्र में कहा, “जानना कि आप कौन हैं उस बात से आता है कि आप किसके हैं l” क्योंकि जब हम समझते हैं कि परमेश्वर ने हमें बनाया है और हम उसका अनुसरण करने के लिए समर्पित होते हैं, तो हम जिसके लिए उसने हमें रचा है के साथ शांति में हो सकते हैं l और हम यह भी जानते हैं कि हर दिन वह हम को और भी अपने समान बनने के लिए बदलाव करता है l 

परमेश्वर के बच्चों के रूप में हमारी पहचान के विषय पवित्रशास्त्र का एक बुनियादी परिच्छेद व्यवस्थाविवरण 33:12 है : “यहोवा का वह प्रिय जन, उसके पास निडर वास करेगा; और वह दिन भर उस पर छाया करेगा, और वह उसके कन्धों के बीच रहा करता है l” मूसा की मृत्यु से ठीक पहले, उसने बिन्यमीन के गोत्र पर आशीष की घोषणा की जब परमेश्वर के लोग उस देश में जो उसने उनको देने का वादा किया था में प्रवेश करने के लिए तैयारी कर रहे थे l परमेश्वर चाहता था कि वे हमेशा याद रखें कि वे उसके परमप्रिय थे और उसके बच्चों के रूप में जो उनकी पहचान थी उसमें में विश्राम करें l 

परमेश्वर के बच्चों के रूप में अपनी पहचान को जानना सभी के लिए बराबर से महत्वपूर्ण है──जो किशोर हैं, जो मध्य उम्र में हैं, और जो लम्बे समय तक जीवित रहे हैं l जब हम यह समझते हैं कि परमेश्वर हमें बनाया है और हमारी देखभाल करता  है, हम सुरक्षा, आशा और प्रेम प्राप्त कर सकते हैं l