Month: अक्टूबर 2021

दुःख उठाने में एक उद्देश्य

“तो आप जो कह रहे हैं, यह मेरी गलती नहीं हो सकती l” उस महिला के शब्दों ने मुझे चकित कर दिया l उसके चर्च में एक अतिथि उपदेशक होने के नाते, अब हम विमर्श कर रहे थे कि मैंने उस सुबह क्या साझा किया था l “मुझे एक पुरानी बीमारी है,” उसने समझाया, “और मैं प्रार्थना, उपवास, अपने पापों को कुबूल किया, और बाकी सब कुछ किया जो चंगाई पाने के लिए मुझे करने को कहा गया था l लेकिन मैं अभी भी बीमार हूँ, इसलिए मुझे लगा कि मैं दोषी हूँ l” 

मुझे उस महिला के अंगीकार पर दुःख हुआ l अपनी समस्या को ठीक करने के लिए एक आध्यात्मिक “सूत्र” दिए जाने के बाद, जब सूत्र काम नहीं किया, तो उसने खुद को दोषी माना l इससे भी बुरी बात यह है कि पीड़ा के लिए इस सूत्रात्मक तरीके को पीढ़ियों पहले नामंजूर कर दिया गया था l 

सीधे शब्दों में कहें, तो यह पुराना सूत्र कहता है कि यदि आप पीड़ा सह रहे है, तो इसका अर्थ है कि आपने पाप किया है l जब अय्यूब ने दुखद रूप से अपने पशुधन, बच्चे, और स्वास्थ्य, खो दिया, उसके मित्रों ने उस सूत्र को उस पर उपयोग किया l “क्या तुझे मालूम है कि कोई निर्दोष भी कभी नष्ट हुआ है?” अय्यूब को दोषी समझकर, एलीपज ने कहा (अय्यूब 4:7) l बिलदद ने अय्यूब को यह भी कहा कि उसके बच्चे इसलिए मर गए क्योंकि उन्होंने पाप किये थे (8:4) l अय्यूब के दुःख के वास्तविक कारण से अज्ञान (1:6-2:10), उन्होंने उसको उसकी पीड़ा के लिए एकतरफा कारणों से संतप्त किया, जिसके लिए बाद में उनको परमेश्वर की ताड़ना मिली (42:7) l 

एक पतित संसार में पीड़ा जीवन का एक हिस्सा है l अय्यूब की तरह, यह कई कारणों से हो सकता है जो हम कभी नहीं जान पाएंगे l लेकिन परमेश्वर के पास आपके लिए एक कारण है जो आपके द्वारा सहने वाली पीड़ा के परे जाता है l एकतरफा सूत्रों में पड़कर हताश न हों l 

अलग किया हुआ

भारत की तीन-पहिया टैक्सी, जिसे “टुकटुक” या ऑटोरिक्शा” के रूप में जाना जाता है, कई लोगों के लिए परिवहन का एक सुविधाजनक और आनंदमय साधन है l चेन्नई की रहनेवाली माला को भी एहसास हुआ कि वह एक मिशन फील्ड है l एक दिन ऑटो में, उसकी मुलाकात एक मित्रवत ड्राईवर से हुई  जो धर्म के विषय बातचीत में संलग्न होने में बहुत खुश था l अगली बार, उसने खुद से कहा, वह ड्राईवर से सुसमाचार के बारे में बात करेगी l 

रोमियों की पुस्तक की शुरुआत में पौलुस द्वारा खुद को “परमेश्वर के . . . सुसमाचार के लिए अलग किया हुआ” घोषित करते हुए आरम्भ होता है (रोमियों 1:1) l “सुसमाचार” के लिए यूनानी शब्द इवेंगेलियोन(evangelion) है, जिसका अर्थ “खुश खबरी” है l पौलुस खास तौर पर कह रहा था कि उसका मूल उद्देश्य परमेश्वर का सुसमाचार बताना था l 

यह सुसमाचार क्या है? रोमियों 1:3 कहता है कि परमेश्वर का सुसमाचार उसके “पुत्र . . . के विषय है l” सुसमाचार यीशु है! यह परमेश्वर ही है जो संसार को बताना चाहता है कि यीशु हमें पाप और मृत्यु से बचाने आया, और वह हमें संप्रेषण के अपने साधन के रूप में होने के लिए चुना है l कितनी विनम्र सच्चाई!

सुसमाचार को साझा करना यीशु में सभी विश्वासियों को प्राप्त एक सुअवसर है l हमें इस विश्वास में दूसरों को बुलाने के लिए “अनुग्रह” मिला है (पद.5-6) l परमेश्वर ने हमें अपने चारों-ओर के लोगों तक सुसमाचार का यह उत्तेजक समाचार ले जाने के लिए अलग किया है, चाहे टुकटुक में या जहाँ भी हम हैं l हम भी, माला की तरह, अपने दैनिक जीवन में दूसरों को सुसमाचार जो यीशु में है बताने के अवसर ढूंढें l 

जांच

पहली बार जब मैं कम से कम 14,000 फीट ऊंचे पहाड़ पर अपने बेटों को एक लम्बी पैदल सैर पर ले गया──वे घबरा गए l क्या वे पूरा कर पाएंगे? क्या वे चुनौती के लिए तैयार थे? मेरा छोटा बेटा कई बार लम्बे अवकाश के लिए रुका l “डैड, मैं और नहीं चल सकता हूँ,” उसने बार-बार कहा l लेकिन मेरा विश्वास था कि यह जांच उनके लिए अच्छा हो सकता था, और मैं चाहता था कि वे मुझ पर भरोसा रखें l शिखर से एक मील दूर, मेरा बेटा जो आगे नहीं जाना चाहता था थकान के बाद पुनः ऊर्जा प्राप्त करके शिखर पर हमसे पहले पहुँच गया l वह बहुत आनंदित था कि भय के बीच भी उसने मुझ पर भरोसा किया l 

मैं इसहाक का अपने पिता पर भरोसा रखने से अचंभित हूँ जब वे पहाड़ पर चढ़ रहे थे l उससे कहीं अधिक, मैं अब्राहम का परमेश्वर पर भरोसा रखने से अभिभूत हूँ जब वह अपने पुत्र पर छुरी उठा’ ली (उत्पत्ति 22:10) l अपने भ्रमित और अत्यंत कष्टदायी हृदय के साथ भी, अब्राहम ने आज्ञा मानी l सौभाग्य से, एक स्वर्गदूत ने उसे रोक दिया l “उस लड़के पर हाथ न बढ़ा,” परमेश्वर के संदेशवाहक ने कहा (पद.12) l परमेश्वर कभी भी इसहाक की मृत्यु नहीं चाहता था l 

जब हम सावधानी से इस अनूठी कहानी से हमारी अपनी कहानी के साथ तुलना करते हैं, आगे की पंक्ति पर ध्यान देना अति महत्वपूर्ण है : “परमेश्वर ने अब्राहम [की] परीक्षा की” (पद.1) l अपनी जांच से, अब्राहम ने सीखा कि वह परमेश्वर पर कितना अधिक भरोसा करता था l उसने उसके प्रेमी हृदय और अथाह प्रबंध को देखा l 

हमारे भ्रान्ति, अंधकार, और जांच में, हम अपने विषय और परमेश्वर के विषय सच्चाई को सीखते हैं l और हम यह भी पाएंगे कि हमारी जांच हमें उसमें और गहरे भरोसे में ले जाता है l 

बात करें, भरोसा करें, अनुभव करें

फ्रेडरिक ब्युवचर ने अपने शक्तिशाली संस्मरण टेलिंग सीक्रेट्स(Telling Secrets) में कहा, “बात न करें, भरोसा न करें, अनुभव न करें ही वह नियम था जिसके अनुसार हम जीते थे, और उस पर श्राप जिसने उसे तोड़ा l” ब्युवचर अपने अनुभव का वर्णन कर रहे हैं जिसे वह कहते हैं,  “परिवारों का अलिखित नियम जो किसी न किसी कारण से अब सार्थक नहीं है l” उसके अपने परिवार में, उस “नियम” का मतलब था कि ब्युवचर को अपने पिता की आत्महत्या के विषय बात करना या उस पर शोक करने की अनुमति नहीं थी, जिससे वह अपने दुःख के साथ किसी पर भरोसा नहीं कर सकता था l 

क्या आप हमदर्दी प्रगट कर सकते हैं? हममें से कई लोग किसी न किसी तरीके से प्रेम के विकृत संस्करण के साथ जीना सीख लिए हैं, एक जो हमें नुक्सान पहुँचाया है के बारे में बेईमानी या चुप्पी की मांग करता है l इस तरह का “प्रेम’ नियंत्रण के लिए डर पर निर्भर होता  है──और एक तरह की गुलामी है l 

जिस तरह के सशर्त प्रेम का हम अक्सर अनुभव करते हैं, उससे अलग यीशु के प्यार के निमंत्रण को हम भूल नहीं सकते──एक तरह का प्यार जिससे हम हमेशा डरते हैं कि हम खो सकते हैं l जैसे कि पौलुस बताता है, मसीह के प्रेम के माध्यम से हम आखिरकार समझ सकते हैं कि डर में नहीं रहने का क्या मतलब है (रोमियों 8:15) और श्रेष्ठ स्वतंत्रता की तरह समझना शुरू कर देते हैं (पद.21) जो संभव है जब हम जानते हैं कि हम गहराई से, सही मायने में बिना शर्त प्यार किये जाते हैं l हम बात करने के लिए, भरोसा करने के लिए, और फिर महसूस करने के लिए स्वतंत्र हैं──यह जानने के लिए कि बेख़ौफ़ जीने का क्या मतलब है l 

बुद्धिमान मसीही

कोरोनावायरस महामारी के परिणामस्वरूप संसार भर में स्कूल बंद हो गए l चीन में, शिक्षकों ने डिंगटॉक के साथ प्रत्युत्तर दिया, एक ऑनलाइन ऐप जिसने कक्षा को ऑनलाइन आयोजित करने में सक्षम बनाया l तब उनके विद्यार्थियों को पता लगाया कि अगर डिंगटॉक की रेटिंग बहुत कम हो जाती है, तो यह ऐप स्टोर से हटा दिया जा सकता है l रातों रात हज़ारों एक-स्टार समीक्षाओं ने डिंगटॉक के स्कोर को गिरा दिया l 

यीशु अपनी जिम्मेदारियों से किनारा करनेवाले विद्यार्थियों से प्रभावित नहीं होता, लेकिन वह उनकी सरलता की प्रशंसा कर सकता है l उसने एक बर्खास्त किये गए प्रबंधक के बारे में एक असामान्य कहानी बताई, जिसने अपने कार्य के अंतिम दिन अपने स्वामी के देनदारों के कर्ज कम कर दिये l यीशु ने प्रबंधक की बेईमानी की प्रशंसा नहीं की l इसके बजाय उसने उसकी चतुराई की प्रशंसा की और चाहा कि उसके अनुयायी भी उसी तरह चतुर बनें : “मैं तुम से कहता हूँ कि अधर्म के धन से अपने लिए मित्र बना लो, ताकि जब वह जाता रहे तो वे तुम्हें अनंत निवासों में ले लें” (लूका 16:9) l 

जब धन/पैसे की बात आती है, कई लोग यह देखते हैं कि वे कितना खो सकते हैं l बुद्धिमान लोग देखते हैं कि वे क्या उपयोग कर सकते हैं l यीशु कहता है कि दूसरों को देने से “मित्र [बनते हैं],” जो सुरक्षा और प्रभाव देते हैं l किसी समूह में अगुआ कौन है? जो भुगतान करता हैं l देने से “अनंत निवास” प्राप्त होता है क्योंकि अपने धन से अलग होना यीशु में हमारे भरोसे को दर्शा सकता है l 

अगर आपके पास धन/पैसा नहीं भी है, हमारे पास समय, प्रतिभा, या सुननेवाला एक कान है l आइये परमेश्वर से हमें बताने को कहें कि हम यीशु के लिए दूसरों की सेवा रचनात्मकता से कैसे कर सकते हैं l