लैब्राडोर स्वर्गदूत
2019 में, कैप डैशवुड और उसका प्यारा काला लेब्राडोर प्राजाति का कुत्ता, शैला कुछ उल्लेखनीय काम किये : लगातार 365 दिनों तक हर दिन एक पर्वत शिखर पर पहुंचना ।
उसके पास बताने के लिए एक मार्मिक कहानी है । उसने सोलह साल की उम्र में घर छोड़ा, बस समझाते हुए, “बुरा पारिवारिक जीवन ।” लेकिन ये पिछले घाव उसे कहीं और चंगाई पाने के लिए ले गए । जानते हैं? इस खोजी के लिए, पर्वतारोहण और उसके काले लेब्राडोर का साथ उसकी “विशिष्ठ वस्तु” का एक बड़ा हिस्सा रहे हैं ।
हममें से उनके लिए, जैसे कि मैं, जो अपने पशु साथियों से बहुत प्यार करते हैं, हम जो करते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा सुखद, पूरी तरह से शर्तहीन प्यार है, जो वे प्रगट करते हैं──एक प्रकार का प्यार जो दुर्लभ है । लेकिन मैं विचार करना चाहती हूँ कि वे जिस प्यार को सहजता से देते हैं, वह दूसरों की असफलताओं की तुलना में बहुत अधिक और गहरी वास्तविकता को इंगित करता है──ईश्वर की अटल, सृष्टि को थामे रखने वाला असीम प्यार ।
भजन 143 में, जैसा कि उसकी कई प्रार्थनाओं में है, उस अपरिवर्तनीय, “अमोघ प्रेम” (पद.12) में केवल दाऊद का विश्वास है जो उसे उस समय में आशा करने के लिए प्रेरित करता है जब वह पूरी तरह अकेला महसूस करता है । लेकिन ईश्वर के साथ चलने का एक जीवनकाल उसे विश्वास करने के लिए पर्याप्त ताकत देता है कि सुबह “[आपकी] करुणा के वचन मुझे [सुनाएगा]” (पद.8) ।
पुनः भरोसा करने के लिए बस पर्याप्त आशा और अज्ञात मार्गों पर परमेश्वर को अगुवाई करने दें (पद.8) ।
वह खाली को भरता है
मनोवैज्ञानिक ने पंद्रह वर्षीय लड़की की “काटनेवाले उपकरण(cutter device)” पर ध्यान दिया──एक लम्बी आस्तीन वाली टी-शर्ट उसकी हाथ पर आधी खिंची हुई थी जो आमतौर पर उन लोगों द्वारा उपयोग की जाती है जो खुद को नुक्सान पहुंचाते हैं । जब युवा लड़की ने अपने आस्तीन वापस खींच ली, तो लवीन यह देख कर घबरा गई कि लड़की ने अपनी भुजा के अगले हिस्से में “खाली” गोदने के लिए एक उस्तुरा का उपयोग किया था । वह दुखी थी, लेकिन आभारी भी कि वह किशोरी गंभीर सहायता पाना चाहती थी जिसकी उसे ज़रूरत थी ।
किशोरी कुछ प्रकार से कई लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जिन्होंने अपने हृदयों पर “खाली” उकेर लिये हैं । यूहन्ना ने लिखा कि यीशु खाली को भरने और “बहुतायत” का जीवन देने आया (यूहन्ना 10:10) । परमेश्वर ने सम्पूर्ण जीवन की अभिलाषा हर एक मानव में डाला, और वह लोगों को उसके साथ एक प्यार भरे रिश्ते का अनुभव करने की लालसा रखता है । लेकिन उसने उन्हें यह भी चेतावनी दी कि “चोर” लोगों, चीजों और परिस्थितियों का उपयोग करके उनके जीवन को नाश करने का प्रयास करेगा (पद.1,10) । हर एक ने जीवन देने के जो दावे किये हैं खोटा और एक नकल होगा । इसकी विरुद्ध, यीशु वास्तविक──”अनंत जीवन” देता है और यह प्रतिज्ञा कि “कोई [हमें उसके] हाथ से छीन न लेगा” (पद.28) ।
केवल यीशु हमारे हृदयों के खाली स्थानों को जीवन से भर सकता है । यदि आप खाली महसूस कर रहे हैं, आज ही उसके पुकारिए । और यदि आप गंभीर संघर्षों का अनुभव कर रहे हैं, ईश्वरीय परामर्श प्राप्त कीजिये । अकेले मसीह जीवन देता है जो बहुतायत का और सम्पूर्ण है──उसमें पाया जानेवाला अर्थपूर्ण जीवन ।
जब आप आगे न बढ़ सकें
2006 में, मेरे पिताजी को एक न्यूरोलॉजिकल(तंत्रिका सम्बन्धी) बिमारी का पता चला था, जिसने उनकी स्मृति, वाणी, और शरीर की गतिविधियों पर नियंत्रण छीन लिया । वह 2011 में शय्याग्रस्त(bedridden) हो गए और तब से मेरी माँ घर पर निरंतर उनकी देखभाल करती है । उनकी बिमारी का आरम्भ बहुत बुरा समय था । मैं भयभीत था : मैं एक बीमार व्यक्ति की देखभाल के बारे में कुछ नहीं जानता था, और मैं अपनी वित्तीय स्थिति और अपनी माँ की सेहत के विषय चिंतित था ।
विलापगीत 3:22 के शब्दों ने मुझे कई सुबह उठने में मदद की जब प्रकाश मेरे हृदय की स्थिति के समान निराशाजनक था : “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है ।” “मिट नहीं गए” के लिए इब्री शब्द का अर्थ है “पूरी तरह से उपयोग हो जाना” या “अंत में पहुँच जाना ।”
ईश्वर का महान प्रेम हमें दिन का सामना करने के लिए उठने में सक्षम बनाता है । हमारे परीक्षण भारी लग सकते हैं, लेकिन हम उनके द्वारा नष्ट नहीं किए जाएंगे क्योंकि ईश्वर का प्यार कहीं अधिक है!
कई बार मैं यह याद कर सकता हूँ जब परमेश्वर ने मेरे परिवार के प्रति अपना वफादार, प्रेमपूर्ण तरीके दिखाए हैं । मैंने सम्बन्धियों और मित्रों की दयालुता, डॉक्टरों की समझदारी से परामर्श, वित्तीय प्रबंध, और हमारे हृदयों में याद दिलाने वाले कि──एक दिन──मेरे पिताजी फिर से स्वर्ग में सम्पूर्ण होंगे, इन बातों में उसका प्रावधान देखा ।
यदि आप अँधेरे समय से गुज़र रहे हैं, तो उम्मीद मत खोइए । आप जिसका सामना करेंगे उससे आप भस्म नहीं होंगे । आप के लिए ईश्वर के वफादार प्यार और प्रबंध पर भरोसा रखें ।
परमेश्वर हमारे टूटेपन को चंगा करता है
आदित और उसकी पत्नी, रेशमा, घर में एक तस्वीर लटकाने के लिए, क्राफ्ट स्टोर में घूमते रहे । आदित ने सोचा कि उसे सही वस्तु मिल गयी है और रेश्मा को इसे दिखाने के लिए उसे बुलाया । सिरेमिक शिल्पकृति के दाहिनी ओर शब्द अनुग्रह था । लेकिन बायीं ओर दो लम्बी दरारें थीं । “ये तो टूटा हुआ है!” रेशमा बोली जब वह शेल्फ पर एक अखंडित वस्तु ढूँढने लगी । लेकिन तब आदित ने कहा, “नहीं । यही तो बात है । हम सब टूटे हुए हैं और तब अनुग्रह पहुँचता है──अवधि में ।” उन्होंने दरारों के साथ वाला खरीदने का निर्णय लिया । जब वे भुगतान स्थल पर पहुंचे, दूकानदार बोला, “अरे नहीं, यह तो टूटा है!” “हाँ, हम भी,” रेश्मा फुसफुसाई ।
एक “टूटा” व्यक्ति होने का मतलब क्या है? किसी ने इसे इस तरह परिभाषित किया है : एक बढ़ती जागरूकता कि चाहे हम जितनी भी कोशिश कर लें, जीवन को बेहतर बनाने की हमारी क्षमता बेहतर के बजाय बदतर होती जाती है । यह ईश्वर के लिए हमारी ज़रूरत और हमारे जीवन में उसके हस्तक्षेप की मान्यता है ।
प्रेरित पौलुस ने इन शब्दों में हमारे टूटेपन के बारे में बात किया “अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए” (इफिसियों 2:1) । क्षमा किए जाने और बदल दिए जाने की हमारी ज़रूरत का उत्तर पद. 4 और 5 में मिलता है : “परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण . . . हमें . . . जिलाया । अनुग्रह ही से [हमारा] उद्धार हुआ है ।”
परमेश्वर अपने अनुग्रह से हमारे टूटेपन को चंगा करना चाहता है जब हम स्वीकार करते हैं, “मैं टूटा हूँ ।”