मिथुन एक छोटा लड़का था जो सुरक्षा के लिए हमेशा अपने पसंदीदा स्टफ्ड टेडी (खिलोना) को कसकर पकड़े हुए रहता था। वह इसे हर जगह ले जाता था और आराम के लिए इसकी आवश्यकता पर शर्मिंदा नहीं होता था। उसकी बहन मेघा को यह आदत पसंद नहीं थी और वह अक्सर इसे छुपाती रहती थी। हालाँकि मिथुन यह भी जानता था कि उसे अपने टेडी पर कम निर्भर रहना चाहिए और उसे समय-समय पर जाने देना चाहिए, लेकिन वह हमेशा इसे पकड़े हुए रहता था।

एक क्रिसमस में एक चर्च के बच्चों के प्रोग्राम में जिसका शीर्षक था ‘क्रिसमस क्या है?’ मिथुन को एक कथावाचक के रूप में लिया गया था, और जैसे ही उसने लूका 2:8-14 का पाठ करने के लिए कदम आगे बढ़ाया, विशेष रूप से शब्द “मत डरो,” उसने अपने टेडी को गिरा दिया──वह चीज जिसे, जब वह डरता था तो उससे हमेशा चिपका रहता था।

क्रिसमस के बारे में ऐसा क्या है जो हमें याद दिलाता है कि हमें डरने की जरूरत नहीं है? चरवाहों को दिखाई देनेवाले स्वर्गदूतों ने कहा, “मत डरो . . . तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा हुआ है” (लूका 2:10-11)।

यीशु “परमेश्वर हमारे साथ” है (मत्ती 1:23)। हमारे पास उसकी उपस्थिति उसकी पवित्र आत्मा, सच्चे दिलासा देने वाले (यूहन्ना 14:16) के माध्यम से है, इसलिए हमें डरने की आवश्यकता नहीं है। हम अपने “सुरक्षा कंबल” को छोड़ सकते हैं और उस पर भरोसा कर सकते हैं।