Month: मार्च 2022

प्रकाशन और आश्वासन

2019 में बच्चे का लिंग का खुलासा बहुत ही नाटकीय ढंग से हुआ था। जुलाई में, एक वीडियो में एक कार नीले धुएं का उत्सर्जन करती हुई दिखाई दे रही थी, यह दिखाने के लिए, "यह एक लड़का है!" सितंबर में, एक क्रॉप-डस्टर विमान(फसलों पर कीटनाशक छिड़कने वाला छोटा विमान) ने सैकड़ों गैलन गुलाबी पानी फेंका, यह घोषणा करने के लिए, "यह एक लड़की है!" हालांकि, एक और "खुलासा" था, जिसने दुनिया के बारे में महत्वपूर्ण चीजों को उजागर किया, जिसमें ये बच्चे बड़े होंगे। 2019 के समापन पर, यूवर्जन(YouVersion) ने खुलासा किया कि इसकी ऑनलाइन और मोबाइल बाइबिल पर वर्ष की सबसे अधिक आपस में साझा किया हुआ, चिन्हांकित और बुकमार्क/पुस्तक चिन्ह किया गया वचन फिलिप्पियों 4:6 था, "किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ। "

यह काफी बड़ा रहस्योद्घाटन है। लोग इन दिनों बहुत सी चीजों को लेकर बेचैन हैं─हमारे बेटे और बेटियों की जरूरतों से लेकर असंख्य तरीकों से परिवार और दोस्तों के बीच बंटवारे, प्राकृतिक आपदाओं और युद्धों तक। लेकिन इन सभी चिंताओं के बीच, अच्छा समाचार यह है कि बहुत से लोग एक वचन को पकड़े हुए है जो कहता है, "किसी भी बात की चिंता मत करो।" इसके अलावा, वही लोग दूसरों के साथ-साथ खुद को भी प्रोत्साहित करते हैं कि वे "हर स्थिति में" परमेश्वर के सामने अपने निवेदन प्रस्तुत करे। वह मानसिकता जो उपेक्षा नहीं करती बल्कि जीवन की चिंताओं का सामना करती है, वह है "धन्यवादी" की।

वह वचन जो "वर्ष का वचन" तो नहीं बना, लेकिन उसके बाद ही है─"और ईश्वर की शांति . . . मसीह यीशु में तुम्हारे हृदय और तुम्हारे मन की रक्षा करेगा" (पद.7 )। यह काफी आश्वासन देता है!

सारे जीव बड़े और छोटे

संगीता ने ग्रीन नाम के एक छोटे तोते को जंगल में लौटने के लिए प्रशिक्षित किया। जब वह उसे एक जंगल में छोटी उड़ानों के लिए ले जाती, तो वह जल्दी से उसके पास वापस आ जाता। एक सुबह ग्रीन वापस नहीं आया। संगीता ने सीटी बजाई और हार मानने से पहले छह घंटे तक उसका इंतजार किया। हफ्तों बाद उसे एक पक्षी का कंकाल मिला। वह उसे ग्रीन समझकर रोने लगी।

मेरी आत्मा संगीता और ग्रीन के लिए तड़प उठी। मैंने खुद से कहा, "इसमें से बाहर निकल। वह सिर्फ एक सामान्य, लाल नाक वाला पक्षी है।" लेकिन सच्चाई यह है कि मुझे परवाह थी  ─और ऐसे ही परमेश्वर भी करते हैं। उसका प्रेम सबसे ऊंचे स्वर्ग से लेकर नीचे सबसे छोटे प्राणी तक पहुँचता है, वह हमें पृथ्वी के कुछ चीज़ो का भण्डारी बनने को कहता है (उत्पत्ति 1:28)। वह "जानवरों और मनुष्यों दोनों" को सुरक्षित रखता है (भजन संहिता 36:5-6), "जानवरों और कौवों के लिए भोजन" (147:9) प्रदान करता है।

एक दिन संगीता अपने घर के पास के जंगल में चल रही थी और उसके आश्चर्य के लिए, वहाँ ग्रीन था! उसे अपने जैसे अन्य पक्षियों से भरे पेड़ पर एक नया परिवार मिल गया था और वह बहुत खुश दिख रहा था। वह उड़कर संगीता के कंधे पर आया। वह मुस्कुराई, "तुम भली भांति दिख रहे हो। तुम्हारा एक सुन्दर परिवार है।" वह चहचहाया, और अपने नए घर को उड़ गया।

मुझे सुखद अंत पसंद है, खासकर मेरा अपना! यीशु ने वादा किया है कि जैसे उसका पिता पक्षियों को खिलाता है, वैसे ही वह हमारी जरूरत की हर चीज की आपूर्ति करेगा (मत्ती 6:25-26)। तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना एक भी गौरैया भूमि पर नहीं गिर सकती।. . . इसलिएडरो मत; तुमबहुत गौरैयों से बढ़कर हो” (10:29-31))।

सुंदर पाँव

जॉन नैश को गणित में उनके अग्रणी कार्य को मान्यता देते हुए 1994 में, अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसके समीकरणों का उपयोग दुनिया भर के व्यवसायों द्वारा प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता की गतिशीलता को समझने के लिए किया गया है। एक किताब और एक पूरी फिल्म ने उनके जीवन का दस्तावेजीकरण किया है और उन्हें "एक सुंदर दिमाग" वाले के रूप में संदर्भित किया है─इसलिए नहीं कि उनके मस्तिष्क में कोई विशेष कलात्मक अपील थी, बल्कि उन्होंने जो किया था उसके कारण।

पुराने नियम के भविष्यवक्ता यशायाह सुंदर शब्द का उपयोग पैरों का वर्णन करने के लिए करते हैं─यह किसी भी दृश्य शारीरिक विशेषता के कारण नहीं, बल्कि इसलिए कि उनके द्वारा जो किया गया उसमें उन्होंने सुंदरता देखी। "पहाड़ों पर उनके पांव क्या ही सुहावने हैं जो शुभ सुसमाचार लाते हैं" (यशायाह 52:7)। परमेश्वर के प्रति विश्वासघाती होने के परिणामस्वरूप, बाबुल में सत्तर वर्षों की बन्धुवाई के बाद, संदेशवाहक उत्साहजनक शब्दों के साथ आए कि परमेश्वर के लोग जल्द ही घर लौट आएंगे क्योंकि “यहोवा ने . . . यरूशलेम को छुड़ा लिया" (पद. 9)।

खुशखबरी का श्रेय इस्राएलियों की सैन्य शक्ति या किसी अन्य मानवीय प्रयास को नहीं दिया गया। बल्कि यह उनकी ओर से परमेश्वर की "पवित्र भुजा" का कार्य था (पद.10)। आज भी यह सत्य है, जैसे हमारे लिए मसीह के बलिदान के द्वारा हमारे आत्मिक शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। जवाब में, हम खुशखबरी के दूत बन जाते हैं, हमारे आसपास के लोगों के लिए शांति, खुशखबरी और उद्धार का प्रचार करते हैं। और हम ऐसा सुंदर पैरों के साथ करते हैं।

प्रतीक्षा करने के लिए तैयार

प्रतीक्षा करना हमारी शांति को चुराने का एक अपराधी हो सकता है। कंप्यूटर वैज्ञानिक रमेश सीतारमन के अनुसार, कुछ चीजें इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में "सार्वभौमिक निराशा और क्रोध को प्रेरित करती हैं" जैसे एक सुस्त वेब ब्राउज़र के लोड होने की प्रतीक्षा। उनकी खोज बताती है कि हम ऑनलाइन वीडियो लोड होने के लिए औसतन दो सेकंड प्रतीक्षा कर सकते हैं। पांच सेकंड के बाद, परित्याग दर लगभग पच्चीस प्रतिशत है, और दस सेकंड के बाद, आधे उपयोगकर्ता अपने प्रयासों को छोड़ देते हैं। हम निश्चित रूप से एक बेसब्र समूह हैं!

याकूब ने यीशु में विश्वासियों को प्रोत्साहित किया कि वे उसके दूसरे आगमन की प्रतीक्षा करते हुए उसे त्यागे नहीं। मसीह का दूसरा आगमन उन्हें दुख का सामना करने के लिए दृढ़ रहने और एक दूसरे से प्रेम करने और सम्मान करने के लिए प्रेरित करेगा  (याकूब 5:7-10)। याकूब ने अपनी बात समझाने के लिए किसान के उदाहरण का इस्तेमाल किया। किसान की तरह, जो धैर्यपूर्वक "शरद ऋतु और वसंत ऋतु की बारिश" (पद. 7) और भूमि से उसकी बहुमूल्य फसल उगने की प्रतीक्षा करता है, याकूब ने विश्वासियों को यीशु के वापस आने तक उत्पीड़न के समय धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित किया। और जब वह लौटेगा, तो सब गलत को सही , और शालोम, शान्ति लाएगा।

कभी-कभी, हम यीशु की प्रतीक्षा करते हुए उसे त्यागने की परीक्षा में पड़ जाते हैं। परन्तु जैसे-जैसे हम प्रतीक्षा करते हैं, हम "जागते रहें" (मत्ती 24:42), विश्वासयोग्य बने रहें (25:14-30), और उसके चरित्र और मार्गों को जीएँ (कुलुस्सियों 3:12)। यद्यपि हम नहीं जानते कि यीशु कब लौटेंगे, हम धैर्यपूर्वक उसकी प्रतीक्षा करें, चाहे इसमें कितना ही समय लगे।

जीभ- प्रार्थना में बंधित

जब मेरे छोटे भाई की सर्जरी हुई, तो मैं चिंतित थी । मेरी माँ ने समझाया कि "जीभ-बंधक" (एंकिलोग्लोसिया/ankyloglossia) एक ऐसी अवस्था है जिसके साथ वह पैदा हुआ था और बिना मदद के, उसकी खाने और अंततः बोलने की क्षमता बाधित हो सकती थी। आज हम जीभ-बंधक शब्द का उपयोग यह वर्णित करने के लिए करते है कि हमारे पास शब्दों की घटी है या बोलने में शर्मिले हैं।

कभी-कभी प्रार्थना में बिना ये जाने कि क्या बोलना है हमारी जुबान बंधी रह सकती है। हमारी जीभ बार-बार एक ही आत्मिक कथन और दोहराए जाने वाले वाक्यांशों में बंधी होती है। हम अपनी भावनाओं को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं, यह सोचते हुए कि क्या वे परमेश्वर के कानों तक पहुंचेंगे। हमारे विचार एक केंद्र-रहित राह पर भटकते रहते है ।

मसीह में पहली सदी के रोमी विश्वासियों को लिखते हुए, प्रेरित पौलुस हमे आमंत्रित करता है कि हम पवित्र आत्मा से सहायता पाए जब हम इस बात में संघर्ष करते है कि हमें किस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए। “आत्मा हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करता है। क्योंकि हम नहीं जानते कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो बयान से बाहर हैं, हमारे लिये विनती करता है" (रोमियों 8:26)। यहां "सहायता" का संदर्भ भारी बोझ उठाने से है।  और "बिना शब्द कराहना" एक निवेदन करने वाली उपस्थिति को दिखाता  है जब पवित्रआत्मा हमारी आवश्यकताओं को परमेश्वर तक ले जाता है।

जब प्रार्थना में हमारी जीभ बंधी होती है, तो परमेश्वर का आत्मा हमारे भ्रम, दर्द और व्याकुलता को सही आकार देकर ऐसी सिद्ध प्रार्थना में बदलने में मदद करता है जो हमारे दिलों से परमेश्वर के कानों तक जाती है। वह सुनता है और उत्तर देता है, और हमारी आवयश्कता के अनुसार ठीक वैसी ही शान्ति हमें देता है जिसे हम स्वयं नहीं जानते होते जब तक कि हम उसे अपने लिए प्रार्थना करने को नहीं कहते।