Month: दिसम्बर 2023

अंधकार और ईश्वर का प्रकाश

जब ऐलेन को विकसित कैंसर का पता चला, तो वह और उसके पति चक जानते थे कि उसे यीशु के पास जाने में देर नहीं लगेगा। उन दोनों ने भजन 23 की प्रतिज्ञा को संजोया कि जब वे अपने चौवन वर्षों के साथ की सबसे गहरी और सबसे कठिन घाटी से यात्रा करेंगे तब परमेश्वर उनके साथ रहेगा। उन्होंने उस तथ्य पर आशा किया कि ऐलेन यीशु से मिलने के लिए तैयार थी, क्योंकि उसने दशकों पहले यीशु में अपना विश्वास रखी थी।

 

अपने पत्नी के स्मारक सभा में, चक ने साझा किया कि वह अभी भी "घोर अंधकार से भरी हुई तराई में” यात्रा कर रहा था (भजन 23:4)। उसकी पत्नी का जीवन स्वर्ग में पहले ही शुरू हो गया था। लेकिन

"घोर अंधकार" अभी भी उसके और अन्य लोगों के साथ था जो ऐलेन से बहुत प्यार करते थे।

 

जब हम “घोर अंधकार से भरी हुई तराई में” यात्रा करते हैं, तो हम अपने प्रकाश के स्रोत को कहाँ ढूँढ़ सकते हैं? प्रेरित यूहन्ना ने घोषणा किया की कि “परमेश्‍वर ज्योति है और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं” (1 यूहन्ना 1:5)। और यूहन्ना 8:12 में, यीशु ने घोषणा की : “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”

 

यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम (उसकी) उपस्थिति के प्रकाश में चलते हैं" (भजन संहिता 89:15)। हमारे परमेश्वर ने हमारे साथ रहने और हमारे प्रकाश का स्रोत बनने का वादा किया है, भले ही हम घोर अंधकार में से होकर गुज़रें।

यीशु को समर्पित करना

1951 में, जोसेफ स्टालिन के डॉक्टर ने उन्हें अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपने कार्यभार को कम करने का सलाह दिया। सोवियत संघ के शासक ने चिकित्सक पर जासूसी का आरोप लगाया और उसे गिरफ्तार कर लिया। जिस अत्याचारी ने झूठ के साथ इतने लोगों पर अत्याचार किया था, वह सत्य का पालन नहीं कर सका—और जैसा उसने कई बार किया था—उसने उस सत्य बताने वाले को हटा दिया। वैसे भी सत्य का जीत हुआ। स्टालिन की मृत्यु 1953 में हुयी।

 

यिर्मयाह भविष्यवक्ता, जिसे अपने भयानक भविष्यवाणियों के लिए गिरफ्तार किया गया और जंजीरों में रखा गया (यिर्मयाह 38:1–6; 40:1), यहूदा के राजा को ठीक-ठीक बताया कि यरूशलेम का क्या होगा। उसने राजा सिदकिय्याह से कहा, “जो कुछ मैं तुझसे कहता हूँ उसे यहोवा की बात समझकर मान ले” (38:20)। शहर के आसपास की सेना के सामने आत्मसमर्पण करने में विफल रहने से स्थिति और भी बदतर हो जाएगी। “तेरी सब स्त्रियाँ और बाल-बच्चे कसदियों के पास निकाल कर पहुँचाए जाएँगे,” यिर्मयाह ने चिताया “और तू भी कसदियों के हाथ से न बचेगा” (पद 23)।

 

सिदकिय्याह उस सत्य पर कार्य करने में असफल रहा। आखिरकार बेबीलोनियों ने राजा को पकड़ लिया, उसके सभी बेटों को मार डाला, और शहर को जला दिया (अध्याय 39)।

 

एक मायने में, हर इंसान सिदकिय्याह की दुविधा का सामना करता है। हम पाप और घटिया विकल्पों के अपने स्वयं के जीवन की दीवारों में फँसे हुए हैं। अक्सर, हम उन लोगों से जो हमें अपने बारे में सच्चाई बताते हैं से बचकर काम को बदतर बना देते हैं। हमें केवल उसकी इच्छा के प्रति समर्पण करने की आवश्यकता है जिसने कहा, "मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।" (यूहन्ना 14:6)।

सद्भावना का निर्माण

जब हम सर्वोत्तम व्यवसायिक अभ्यास  के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले जो बात दिमाग में आती है वह शायद दया और उदारता जैसे गुण नहीं हैं। लेकिन उद्यमी जेम्स री के अनुसार यह होना चाहिए। वित्तीय तबाही के कगार पर एक कंपनी में सीईओ(ceo) के रूप में री के अनुभव में, जिसे वह "सद्भावना"—"दयालुता की संस्कृति" और “देने की भावना” को प्राथमिकता देता है—ने कंपनी को बचाया और उसके उत्कर्ष का नेतृत्व किया। इन गुणों को केंद्र में रखने से लोगों को आशा और प्रेरणा मिली जो उन्हें एकजुट, नया और समस्या-समाधान करने के लिए आवश्यक था। री बताते हैं कि "सद्भावना . . . एक वास्तविक संपत्ति है जो संयोजित कर सकती और बढ़ा सकती है।“

 

दैनिक जीवन में भी, हमारी अन्य प्राथमिकताओं के विचार के बाद,  दयालुता जैसे गुणों को अस्पष्ट और अदृश्‍य के रूप में सोचना आसान है। लेकिन, जैसे प्रेरित पौलुस ने सिखाया, ऐसे गुण सबसे अधिक मायने रखते हैं।

 

नए विश्वासियों को लिखते हुए, पौलुस ने बल दिया कि विश्वासियों के जीवन का उद्देश्य आत्मा के द्वारा मसीह के शरीर के परिपक्व सदस्यों में परिवर्तन करना है (इफिसियों 4:15)। उस सीमा तक, प्रत्येक शब्द और प्रत्येक कार्य का मूल्य केवल तभी होता है जब यह दूसरों को बनाता और लाभ पहुंचाता है (पद. 29)। यीशु में केवल दया, करुणा और क्षमा को दैनिक प्राथमिकता देने के द्वारा ही परिवर्तन हो सकता है (पद.32)।

 

जब पवित्र आत्मा हमें मसीह में अन्य विश्वासियों के पास खींचता है, तो हम एक दूसरे से सीखते हुए बढ़ते और परिपक्व होते हैं।

सब के लिए परमेश्वर का हृदय

नौ वर्षीय महेश अपने सबसे अच्छे दोस्त नीलेश के साथ अपने सहपाठी के बर्थडे पार्टी में पहुंचा। हालांकि, जब जन्मदिन के लड़के की मां ने महेश को देखा, तो उन्होंने उसे प्रवेश करने से मना कर दिया। उसने जोर देकर कहा, “पर्याप्त कुर्सियां ​​नहीं हैं  हैं l” नीलेश ने अपने दोस्त, जो गरीब दिख रहा था, के लिए जगह बनाने के लिए फर्श पर बैठने की पेशकश की, लेकिन माँ ने मना कर दिया। निराश होकर, नीलेश ने उसके पास अपने उपहार छोड़ दिए और महेश के साथ घर लौट आया । इस अस्वीकृति की चोट ने उसके दिल को दहला दिया।

 

अब, दशकों बाद, नीलेश एक शिक्षक हैं जो अपनी कक्षा में एक खाली कुर्सी रखते हैं। जब छात्र पूछते हैं क्यों, तो वह समझाते हैं कि यह उसका अनुस्मारक है कि "कक्षा में हमेशा किसी के लिए जगह हो।"

 

यीशु के स्वागत करने वाले जीवन में सभी लोगों के लिए एक हृदय देखा जा सकता है : “हे सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती 11:28)। यह निमंत्रण यीशु की सेवकाई के “पहले तो यहूदी,” (रोमियों 1:16) के दायरे के विपरीत प्रतीत हो सकता है। लेकिन उद्धार का उपहार उन सभी लोगों के लिए है जो यीशु में अपना विश्वास रखते हैं। पौलुस ने लिखा, “सब विश्वास करनेवालों के लिये है। क्योंकि कुछ भेद नहीं" (3:22 )।

 

सभी के लिए मसीह के निमंत्रण पर हम आनंदित होते हैं : "मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो, क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ, और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे" (मत्ती 11:29)। उसके विश्राम की तलाश करने वाले सभी के लिए, उसका खुला हृदय प्रतीक्षा कर रहा है।