Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by एमी बाउचर पाई

इंतज़ार

“क्रिसमस में और कितना समय बाकी है?” जब मेरे बच्चे छोटे थे, वे बार-बार यह प्रश्न पूछते थे l वे क्रिसमस का दिन गिनने के लिए यीशु मसीह के जन्म से सम्बंधित दैनिक कैलेंडर का उपयोग करते थे l फिर भी इंतज़ार करना उनके लिए कष्टदायक होता था l

हम सरलता से समझ सकते हैं कि एक बच्चे के लिए इंतज़ार करना एक संघर्ष हो सकता है, किन्तु हम परमेश्वर के सभी लोगों के लिए इंतज़ार करने की चुनौती को कम आँक सकते हैं l उदाहरण के लिए, उन लोगों के विषय सोचें जिन्होंने मीका का सन्देश सुना था l मीका ने प्रतिज्ञा दी थी कि बैतलहम में से एक पुरुष निकलेगा जो “इस्राएलियों पर प्रभुता करनेवाला होगा” (5:2) जो “खड़ा होकर यहोवा की दी हुयी शक्ति से, ... उनकी चरवाही करेगा” (पद.4) l इस नबूवत की आरंभिक पूर्ति लोगों के 700 वर्षों तक इंतज़ार करने के बाद बैतलहम में यीशु के जन्म के रूप में हुयी (मत्ती 2:1) l किन्तु कुछ एक नबुवतों का पूरा होना अभी भी बाकी है l हम यीशु के वापस आने का इंतज़ार कर रहे हैं, जब परमेश्वर के सब लोग “सुरंक्षित रहेंगे’ और “वह पृथ्वी की छोर तक महान् ठहरेगा” (मीका 5:4) l उस समय हम अति आनंदित होंगे, क्योंकि हमारा इंतज़ार समाप्त हो जाएगा l

हममें से ज़यादातर लोगों के लिए इंतज़ार कठिन होता है, किन्तु हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर हमारे साथ रहने की अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरी करेगा (मत्ती 28:20) l इसलिए कि जब यीशु ने छोटे बैतलहम में जन्म लिया, वह जीवन की  संपूर्ण परिपूर्णता में अर्थात् दण्ड रहित जीवन में  प्रवेश किया (देखें यूहन्ना 10:10) l हम वर्तमान में हमारे साथ उसकी उपस्थिति का आनंद लेते हुए उत्सुकता से उसके वापस आने का इंतज़ार करते हैं l

हमारा सामर्थी परमेश्वर

एक दिन समुद्र के निकट, मैंने कुछ लोगों को विशेष प्रकार के पटरे पर खड़े होकर समुद्र की लहरों से खेलते हुए देखा जो हवा के दबाव से पानी पर तैर रहे थे l एक से मैंने उसके अनुभव के विषय पूछा कि वह अनुभव कठिन तो नहीं था जैसा दिखाई देता था l उसने कहा, “नहीं, सामान्य तौर पर पटरे पर फिसलना सरल है क्योंकि आप हवा की शक्ति को नियंत्रित कर लेते हैं l”

बाद में समुद्र तट के निकट टहलते समय, पटरे को चलाने के लिए ही नहीं किन्तु मेरे बालों को मेरे चेहरे पर उड़ाने की शक्ति के विषय सोचकर, मैंने हमारे सृष्टिकर्ता पर विचार किया l जैसे हम पुराने नियम के आमोस की पुस्तक में देखते हैं, वह जो “पहाड़ों का बनानेवाला” है “भोर को अन्धकार” में बदल देता है (पद.13) l

इस नबी के द्वारा, प्रभु ने अपने लोगों को वापस अपने पास लौटाकर उन्हें अपनी सामर्थ्य के विषय याद दिलाया l इसलिए कि उन्होंने उसकी आज्ञाएँ नहीं मानी थी, उसने कहा कि वह उन पर खुद को प्रगट करेगा (पद.13) l यद्यपि हम यहाँ पर उसके न्याय को देखते हैं, हम बाइबिल में अन्यत्र उसके बलिदानी प्रेम को भी देखते हैं जब उसने हमें बचाने के लिए अपने पुत्र को भेजा (देखें यूहन्ना 3:16) l

दक्षिण इंग्लैंड में इस दिन हवा की शक्ति ने मुझे प्रभु की कोरी विशालता याद दिलायी l  जब आप हवा को महसूस करें, क्यों न रुककर सर्वसामर्थी परमेश्वर पर विचार करें?

एक अच्छा अंत

बत्तियाँ बंद होने के बाद जैसे ही हमने अपोलो 13, देखने की तैयारी की, मेरी सहेली ने  सांस रोककर कहा, “शर्मनाक, वे सब मर गए l” मैं भय के साथ 1970 के अन्तरिक्ष यान के विषय फिल्म देख रही थी, और त्रासदी के घटित होने का इंतज़ार कर रही थी, और अन्त के निकट मुझे महसूस हुआ कि मुझे धोखा मिला हो l इस सत्य कहानी का अंत मैं नहीं जानती थी या मुझे याद नहीं था-कि यद्यपि सभी अन्तरिक्ष यात्री कठिनाई सहे थे, पर  वे जीवित घर पहुंचे थे l

मसीह में, हम कहानी का अंत जान सकते हैं-कि हम भी जीवित घर पहुंचेंगे l इससे मेरा मतलब है कि हम अपने स्वर्गिक पिता के साथ सर्वदा के लिए रहेंगे, जैसा हम प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में देखते हैं l प्रभु “[नया] आकाश और नयी पृथ्वी” बनाएगा जैसे कि वह सब कुछ नया कर देता है (21:1, 5) l इस नए नगर में, प्रभु परमेश्वर अपने लोगों को बिना डर और बिना अन्धकार के अपने साथ रहने के लिए आमंत्रित करेगा l हम कहानी का अंत जानकार आशा से भर जाते हैं l

इससे क्या अंतर होता है? यह अति दुःख के समय को बदल सकता है, जैसे जब लोग अपने प्रिय को खो देते हैं अथवा स्वयं की मृत्यु l यद्यपि हम मृत्यु के विचार से घबराते हैं, फिर भी अनंत की प्रतिज्ञा के आनंद को गले लगा सकते हैं l हम उस नगर का इंतज़ार कर रहे हैं जहाँ श्राप न होगा, जहाँ हम सर्वदा परमेश्वर के उजियाले में निवास करेंगे (22:5) l

परमेश्वर में जड़वत

मेरे मित्र के अपने नए घर में जाने के बाद, उन्होंने अपने बाड़े के निकट एक विशेष फूल का पौधा लगाकर पांच वर्ष का पौधा हो जाने के बाद खुशबूदार फूल की इच्छा की l उन्होंने दो दशकों तक उस पौधे का आनंद लिया, और सावधानी पूर्वक उसको छांटते और उसकी देखभाल करते रहे l किन्तु पड़ोसियों द्वारा बाड़े की दूसरी ओर कुछ कीटनाशक डालने के कारण अचानक वह पौधा मर गया l विष पौधे के जड़ों तक चला गया और पौधा मर गया-या मेरे मित्रों की सोच यही थी l अचानक, अगले वर्ष भूमि में से कुछ कोपलें निकलीं l

यिर्मयाह नबी द्वारा भरोसा करनेवाले परमेश्वर के लोग अथवा उसके मार्गों को त्यागने वालों के विषय बताते समय हम फलते-फूलते और बर्बाद होते पेड़ों की तस्वीर देखते हैं l परमेश्वर का अनुसरण करनेवाले अपनी जड़े जल के निकट फैलाएंगे और फलदायी होंगे (यिर्मयाह 17:8), किन्तु अपनी इच्छा पर चलनेवाले मरुभूमि में अधमरे पेड़ के समान होंगे (पद.5-6) l नबी की चाहत है कि परमेश्वर के लोग सच और जीवित परमेश्वर पर निर्भर होंगे, कि वे “उस वृक्ष के समान [होंगे] जो नदी के किनारे लगा” है (पद.8) l

हम जानते हैं कि “पिता किसान है” (यूहन्ना 15:1) और कि हम उसमें भरोसा करके प्रतीति करते हैं (यिर17:7) l  हम टिकनेवाले फल उत्पन्न करते हुए सम्पूर्ण हृदय से उसका अनुसरण करें l

भेष बदले हुए यीशु

मेरी एक सहेली अपने लाचार सास की देखभाल करते समय, उससे पूछी कि उसकी सबसे बड़ी इच्छा क्या है l उसकी सास बोली, “मेरे पैर धो दो l” मेरी सहेली ने स्वीकारा कि  इस काम से वह बहुत घृणा करती थी! उनका मुझे यह काम बताने पर मैं नाराज़ होकर परमेश्वर से बोली कि मेरी भावनाएं उनसे छिपा दें l

किन्तु एक दिन अचानक उसका कुड़कुड़ानेवाला आचरण बदल गया l जैसे ही उसने चिलमची, और तौलिया लेकर अपनी सास के पाँव धोने के लिए झुकी, उसने कहा, “मैंने ऊपर देखा, और एक क्षण मैंने महसूस किया कि मैं स्वयं यीशु के पाँव धो रही हूँ l वह यीशु के वेश में थी!” उसके बाद, उसने अपनी सास के पाँव धोने में सम्मान अनुभव किया l

इस दिल को छूनेवाली घटना के विषय सुनकर, मैंने अंत समय के विषय यीशु की कहानी के विषय विचार की जो उसने जैतून के पहाड़ के ढलान पर बतायी थी l राजा यह कहकर अपने राज्य में अपने पुत्र और पुत्रियों का स्वागत करता है, कि जब उन्होंने बीमारों से मुलाकात की और भूखों को भोजन खिलाया, “तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया” (मत्ती 25:40) l हम भी यीशु ही की सेवा करते हैं जब हम बंदियों से बंदीगृह में मुलाकात करते हैं और ज़रुरतमंदों को वस्त्र पहनाते हैं l

आज, आप भी मेरी सहेली के साथ कहेंगे, जो किसी भी नए व्यक्ति से मिलकर विचार करती है, “क्या आप भेष बदले हुए यीशु तो नहीं?”

अच्छा चरवाहा

मैं चिंतित होकर अपने पति के साथ हॉस्पिटल के कमरे में बैठी थी l मेरे छोटे बेटे की आंख की दोषनिवारक शल्यचिकित्सा हो रही थी और मैंने घबराहट और चिंता में अपने पेट में झटके महसूस किये l मैंने परमेश्वर की शांति के लिए प्रार्थना करने की कोशिश की l बाइबिल खोलकर मैंने परिचित परिच्छेद यशायाह 40 खोलकर अपने लिए कुछ नया खोजना चाही l  

पढ़ते समय, मैं ठहर गयी, क्योंकि उन प्राचीन शब्दों ने मुझे याद दिलाया कि प्रभु “चरवाहे के समान अपने झुण्ड को [चरते हुए] “भेड़ों के बच्चों को अँकवार में लिए रहेगा” (पद.11) l उस क्षण मेरी चिंता चली गयी और मैंने प्रभु को हमें संभालते हुए, अगुवाई करते हुए, और देखभाल करते हुए महसूस किया l प्रभु, मुझे इसकी ही ज़रूरत थी, मैंने धीमे से प्रार्थना की l मैंने खुद को शल्यचिकित्सा के दौरान और उसके बाद(जो सफल रही) परमेश्वर की शांति से घिरी हुई पायी l

परमेश्वर ने नबी यशायाह के द्वारा अपने लोगों का उनके दैनिक जीवन में सुख देनेवाला चरवाहा बनने की प्रतिज्ञा की l हम भी उसको अपनी चिंता बताकर और उसके प्रेम और शांति को खोजकर उसके कोमल देखभाल का अनुभव कर सकते हैं l हम जानते हैं कि वह हमें अपने हृदय के निकट रखकर हमें अपने अँकवार में उठानेवाला हमारा अच्छा चरवाहा है l

हमारे ऊपर मंडराना

बेट्टी की बेटी विदेश दौरे से अस्वस्थ्य होकर घर लौटी l दर्द असहनीय होने पर बेट्टी और उसके पति उसे हॉस्पिटल के एमरजेंसी कमरे में ले गए l डॉक्टर्स और नर्सेज उसका इलाज करने लगे, फिर कुछ घंटे बाद एक नर्स ने बेट्टी से बोली, “वह ठीक हो जाएगी! हम उसकी अच्छी देखभाल करेंगे और वह स्वस्थ्य हो जाएगी l” उस क्षण बेट्टी ने शांति और प्रेम महसूस किया l उसने जाना कि जब वह अपनी बेटी के विषय चिंतित थी, प्रभु अपने बच्चों की देखरेख करनेवाला, कठिन समय में शांति देनेवाला सिद्ध पालक है l

व्यवस्थाविवरण की पुस्तक में, प्रभु ने अपने लोगों को याद दिलाया कि मरुभूमि में फिरते समय उसने पालक की तरह अपने बच्चों को संभालता रहा l उसने उनको नहीं छोड़ा, किन्तु उकाब की तरह, जो “अपने बच्चों के ऊपर ऊपर मंडलाता है, वैसे ही अपने पंख फैलाकर उनको अपने परों पर उठा लिया” (32:11) l वह चाहता था कि वे याद रखें कि उनके मरुभूमि में कठिनाई और संघर्ष के बावजूद, उसने उनको नहीं छोड़ा l

हम भी अनेक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद इस बात से ढाढ़स प्राप्त कर सकते हैं कि हमारा परमेश्वर हमें नहीं छोड़ेगा l जब हम पराजय महसूस करें, प्रभु एक उकाब की तरह अपने पंख फैलाकर हमें उठा लेगा (पद.11) जब वह शांति लेकर आएगा l

तम्बुओं में निवास

अनेक सुन्दर झीलों के लिए प्रसिद्ध, मिनेसोटा में जहां मेरा पालन पोषण हुआ, मैं परमेश्वर की रचना की अद्भुत बातों का आनंद लेने हेतु कैम्पिंग करती थी l किन्तु पतले तम्बू में सोना मुझे नहीं पसंद है-जब रात्रि वर्षा और टपक्नेवाले तम्बू से स्लीपिंग बैग गीला हो जाए l

मैं सोचकर ताज्जुब करती हूँ कि हमारे विश्वास का एक शूरवीर तम्बूओं में सौ  वर्ष बिताया l पचहत्तर वर्ष की उम्र में, परमेश्वर ने अब्राहम के द्वारा एक नए राष्ट्र का निर्माण करने के लिए उसे अपना देश छोड़ने को कहा (उत्पत्ति 12:1-2) l उसने प्रतिज्ञा पूरी करनेवाले परमेश्वर पर भरोसा करके उसकी आज्ञा मान ली l और अपने बाकी जीवन में, 175 वर्षों तक अर्थात् अपनी मृत्यु तक (25:7), अपने देश से दूर तम्बुओं में निवास किया l

हम अब्राहम की तरह शायद खानाबदोश का जीवन जीने के लिए नहीं बुलाये गए हों, किन्तु जब हम इस संसार से और उसमें के लोगों से प्रेम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं, हमें घर की गहरी चाहत अर्थात् संसार में रहने की चाहत हो सकती है l अब्राहम की तरह, जब आंधी हमारे अस्थायी घर को हानि पहुंचाए, अथवा बारिश का पानी टपके, हम विश्वास से भावी नगर की आशा कर सकते हैं जिसका “बनानेवाला परमेश्वर है” (इब्रा. 11:10) l और अब्राहम की तरह, हम आशा कर सकते हैं कि परमेश्वर अपनी सृष्टि को नया कर रहा है, “एक उत्तम अर्थात [भावी]स्वर्गीय देश” तैयार कर रहा है (पद.16) l

पत्र लेखन

मेरी माँ और उनकी बहने शीघ्र लुप्त हो रही कला रूप - पत्र लेखन करती हैं l  दोनों ही लगातार एक दूसरे को व्यक्तिगत पत्र लिखतीं हैं इस कारण पत्र नहीं होने पर डाकिया चिंतित होता है! उनके पत्र में जीवन, आनंद और दुःख के साथ-साथ मित्रों और परिवार में होनेवाली दैनिक घटनाएँ होती हैं l

मुझे अपने परिवार की इन महिलाओं के साप्ताहिक अभ्यास पर विचार करना पसंद है l इससे मैं प्रेरित पौलुस के शब्दों को कि यीशु के विश्वासी “मसीह की पत्री” हैं जो “स्याही से नहीं परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से ... लिखी है” की प्रशंसा कर पाता हूँ (2 कुरिं. 3:3) l उसके सन्देश को नहीं माननेवाले झूठे शिक्षकों के प्रतिउत्तर में (देखें 2 कुरिं. 11), पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया को उसके उपदेश के अनुसार सच्चे और जीवते परमेश्वर का अनुसरण करने हेतु उत्साहित किया l ऐसा करके, उसने यादगार ढंग से विश्वासियों को मसीह का पत्र कहा, जो किसी और लिखित पत्र की तुलना में पौलुस की सेवा द्वारा अपने बदले हुए जीवनों से पवित्र आत्मा के अधिक सामर्थी गवाह थे l

कितना अद्भुत है कि परमेश्वर का आत्मा हममें अनुग्रह और छुटकारे की कहानी लिखता है! हमारे जीवन लिखित अर्थपूर्ण शब्दों से अधिक सुसमाचार की सच्चाई का सबसे उत्तम साक्षी है, क्योंकि वे हमारी दयालुता, सेवा, धन्यवाद, और आनंद द्वारा अत्यधिक बोलते हैं l हमारे शब्द और कार्य द्वारा, प्रभु जीवनदायक प्रेम फैलता है l आज आप क्या सन्देश फैला रहे हैं?