परमेश्वर हमारे टूटेपन को चंगा करता है
आदित और उसकी पत्नी, रेशमा, घर में एक तस्वीर लटकाने के लिए, क्राफ्ट स्टोर में घूमते रहे । आदित ने सोचा कि उसे सही वस्तु मिल गयी है और रेश्मा को इसे दिखाने के लिए उसे बुलाया । सिरेमिक शिल्पकृति के दाहिनी ओर शब्द अनुग्रह था । लेकिन बायीं ओर दो लम्बी दरारें थीं । “ये तो टूटा हुआ है!” रेशमा बोली जब वह शेल्फ पर एक अखंडित वस्तु ढूँढने लगी । लेकिन तब आदित ने कहा, “नहीं । यही तो बात है । हम सब टूटे हुए हैं और तब अनुग्रह पहुँचता है──अवधि में ।” उन्होंने दरारों के साथ वाला खरीदने का निर्णय लिया । जब वे भुगतान स्थल पर पहुंचे, दूकानदार बोला, “अरे नहीं, यह तो टूटा है!” “हाँ, हम भी,” रेश्मा फुसफुसाई ।
एक “टूटा” व्यक्ति होने का मतलब क्या है? किसी ने इसे इस तरह परिभाषित किया है : एक बढ़ती जागरूकता कि चाहे हम जितनी भी कोशिश कर लें, जीवन को बेहतर बनाने की हमारी क्षमता बेहतर के बजाय बदतर होती जाती है । यह ईश्वर के लिए हमारी ज़रूरत और हमारे जीवन में उसके हस्तक्षेप की मान्यता है ।
प्रेरित पौलुस ने इन शब्दों में हमारे टूटेपन के बारे में बात किया “अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए” (इफिसियों 2:1) । क्षमा किए जाने और बदल दिए जाने की हमारी ज़रूरत का उत्तर पद. 4 और 5 में मिलता है : “परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण . . . हमें . . . जिलाया । अनुग्रह ही से [हमारा] उद्धार हुआ है ।”
परमेश्वर अपने अनुग्रह से हमारे टूटेपन को चंगा करना चाहता है जब हम स्वीकार करते हैं, “मैं टूटा हूँ ।”
परस्पर मदद करना
चक दे! इन्डिया 2002 की कॉमन वेल्थ गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम की जीत पर आधारित एक काल्पनिक बॉलीवुड फिल्म है l मुख्य दृश्यों में से एक में, कोच का किरदार निभाने वाले अभिनेता शाहरुख़ खान टीम को सखापन और टीम वर्क का भाव विकसित करने में मदद करता है l प्रारंभ में जब खिलाडी अपना परिचय देते हैं, तो वे अपना नाम और फिर अपने गृह राज्य का नाम बताते हैं l हालाँकि वह उन्हें सिखाता है कि वे अब एक राज्य के नहीं हैं, लेकिन वे एक टीम हैं──टीम इन्डिया l पारस्परिक समर्थन का यह मनोभाव उन्हें सफल बनाने में मदद करता है और अंततः विषय मंच पर जीत दिलाता है l
परमेश्वर अपने लोगों से एक दूसरे की मदद करने के लिए संगठित होने की इच्छा रखता है l प्रेरित पौलुस ने थिस्सलुनीकियों से “एक दूसरे की उन्नति का कारण [बनने] का आग्रह किया (1 थिस्सलुनीकियों 5:11) l परमेश्वर ने हमें अपने लोगों के परिवार में हमारे जीवन में समर्थन के लिए रखा है l मसीह में जीवन की राह पर चलते रहने के लिए हमें एक-दूसरे की आवश्यकता है l कभी-कभी इसका मतलब हो सकता है कि किसी ऐसे व्यक्ति की सुनना जो संघर्ष कर रहा है, व्यवहारिक ज़रूरत पूरा करना, या प्रोत्साहन के कुछ शब्द बोलना l हम सफलताओं का जश्न मना सकते हैं, एक कठिनाई में ताकत के लिए प्रार्थना कर सकते हैं, या विश्वास में बढ़ने के लिए एक दूसरे को चुनौती दे सकते हैं l और हर बात में, हम हमेशा “सब से भी भलाई ही की चेष्टा” (पद.15) कर सकते हैं l
यीशु के साथ-साथ परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए हम अन्य विश्वासियों के साथ मिलकर किस तरह के सखापन का आनंद ले सकते हैं!
कोई ग़लतफ़हमी नहीं
एलेक्सा, सिरी और अन्य आवाज़ सहायक हमारे घरों में स्मार्ट उपकरणों में अन्तःस्थापित हैं, जिनको कभी-कभी ग़लतफ़हमी हो जाती है कि हम क्या कह रहे हैं l एक छह साल की लड़की ने अपने परिवार के नए उपकरण से बिस्कुट और गुड़ियाघर के बारे में बात की l बाद में उसकी माँ ने एक ई-मेल प्राप्त किया जिसमें कहा गया था कि सात पौंड बिस्कुट और 170 डॉलर का गुड़िया घर का एक ऑर्डर उसके घर पर पहुँच रहा था l लन्दन में एक बोलने वाले तोता ने, जिसके मालिक ने कुछ भी ऑनलाइन कभी नहीं ख़रीदा था, किसी तरह गोल्डन उपहार डिब्बों का एक पैकेज उनको बताए बगैर ऑर्डर कर दिया l एक व्यक्ति ने अपने उपकरण से “लिविंग रूम की बत्ती जलाने को कहा,” और उसने उत्तर दिया, “कोई भी पुडिंग रूम नहीं है l”
जब हम परमेश्वर से बात करते हैं तो परमेश्वर की ओर से ऐसी ग़लतफ़हमी नहीं होती है l वह कभी भी भ्रांत नहीं है, क्योंकि वह हमारे हृदयों को हमसे बेहतर जानता है l आत्मा हमारे हृदयों को टटोलता है और परमेश्वर की इच्छा को समझता भी है l प्रेरित पौलुस ने रोम की कलीसिया से कहा कि परमेश्वर हमें परिपक्व करने और हमें अपने पुत्र के समान बनाने के अपने भले उद्देश्य को पूरा करेगा (रोमियों 8:28) l यहाँ तक कि “हमारी दुर्बलता” के कारण हम नहीं जानते कि हमारी उन्नति के लिए हमें क्या चाहिए, आत्मा हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुसार प्रार्थना करता है (पद.26-27) l
परमेश्वर के सामने खुद को कैसे अभिव्यक्त करें के विषय समस्या है? समझ नहीं है कि क्या या कैसे प्रार्थना करें? अपने हृदय से जो आप बोल सकते हैं वह बोलें l आत्मा समझकर परमेश्वर का उद्देश्य पूरा करेगा l
प्रेम का सच्चा स्वभाव
महामारी तालाबंदी के दौरान, जेरी को अपना फिटनेस सेन्टर को बंद करने को विवश होना पड़ा और महीनों तक उसको कोई आमदनी नहीं हुई l एक दिन उसके एक मित्र से उसे एक सन्देश प्राप्त हुआ, जो उसे शाम 6.00 बजे उसके प्रतिष्ठान पर मिलने के लिए कह रहा था l जेरी को नहीं मालूम था क्यों लेकिन वह वहां गया l जल्द ही कारें पार्किंग स्थल पर पहुँचने लगीं l पहली कार के ड्राईवर ने इमारत के निकट फूटपाथ पर एक टोकरी रखी l उसके बाद एक के बाद दूसरी (लगभग 50) कारें आयीं l जो कारों के अन्दर थे उन्होंने जेरी को हाथ से इशारा किया या जोर से हेलो बोला, टोकरी के निकट पहुंचकर, और एक कार्ड या नगद डालें l कुछ लोगों ने पैसे दिए; सभी ने उसको प्रोत्साहित करने के लिए अपना समय दिया l
प्रेरित पौलुस के अनुसार, प्रेम का सच्चा स्वरूप बलिदानी है l उसने कुरिन्थियों को समझाया कि मकिदुनिया के लोगों ने “अपनी सामर्थ्य भर वरन् सामर्थ्य से भी बाहर” दिया ताकि वे प्रेरितों और दूसरों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दे सकें (2 कुरिन्थियों 8:3) l उन्होंने पौलुस से उनको और परमेश्वर के लोगों को देने के सुअवसर के लिए “निवेदन” किया l उनके देने का आधार स्वयं यीशु का बलिदानी हृदय था l वह स्वर्ग के धन को छोड़कर एक दास बनने और अपने ही जीवन को देने इस धरती पर आया l “वह धनी होकर भी [हमारे] लिए कंगाल बन गया” (पद.9) l
हम भी परमेश्वर से अनुरोध करें ताकि हम भी “इस दान के काम में भी बढ़ते जाएँ” (पद.7) जिससे दूसरों की आवश्यकताओं को प्रेमपूर्वक पूरा कर सकें l
सुने और सीखें
सड़क के एक तरफ एक घर मालिक अपने प्रांगन में शान से एक बड़ा राजनीतिक झंडा फहराता है l एक बड़ा ट्रक सड़क पर खड़ा है l उसके बगल की खिड़की पर झंडा पेंट किया हुआ है और पीछे का बम्पर देशभक्ति स्टीकर से भरा हुआ है l सड़क के ठीक उस पार एक पडोसी के अहाते में कुछ चिन्ह हैं जो समाचार में सामाजिक न्याय के सामयिक मामलों के स्लोगन्स को विशिष्टता से दर्शा रहे हैं l
क्या इन घरों में रहने वाले लोग शत्रु हैं या ये मित्र हैं? हमें सन्देह हो सकता है । क्या यह सम्भव है कि दोनों परिवार यीशु में विश्वासी हैं? परमेश्वर हमें याकूब 1:19 के शब्दों को जीने के लिए बुलाता है : “हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीर और क्रोध में धीमा हो ।” बहुतबार हम अपने विचारों को पकड़ के हठ करते हैं और जो दूसरे सोच रहें है उनकी सोच पर विचार करने के लिए इक्छुक नहीं होते हैं । मैथ्यू हेनरी की टीका का यह कहना है कि “हमें सब तरफ से कारण और सच्चाई सुनने के लिए तत्पर, और बोलने में धीमा . . . और, जब हम बोलते हैं, तो क्रोध होना ही नहीं चाहिए l”
किसी ने कहा है, “सीखने के लिए सुनने की आवश्यकता होती है l” याकूब की पुस्तक में परमेश्वर के व्यवहारिक शब्द तब ही पूरे किये जा सकते हैं जब हम परमेश्वर के प्रेमी आत्मा से भरे हुए हैं और दूसरों का आदर करने का चुनाव करते हैं l वह हमें हमारे दिल और व्यवहार में बदलाव लाने में मदद करने के लिए इच्छुक है । क्या हम सुनने और सीखने के लिए तैयार हैं?
परमेश्वर की सामर्थ्य
रेबेका और रसल के डॉक्टरों ने उनसे कहा कि उनको बच्चे नहीं हो सकते । परन्तु परमेश्वर के पास दूसरी योजना थी──और दस साल बाद रेबेका गर्भवती हुई । वह गर्भावस्था स्वस्थ था; और जब संकुचन शुरू हुआ, दम्पति उत्साह से अस्पताल पहुंचे l फिर भी प्रसव-काल के घंटे अधिक लम्बे और बहुत गम्भीर हो गए, और रेबेका का शरीर अभी भी प्रसव के लिए प्रयाप्त प्रगति नहीं कर रहा था । अंत में, डॉक्टर ने निर्णय किया कि उन्हें एक आपातकालीन सी-सेक्शन(C-section) करना होगा l भयभीत, रेबेका बच्चे के लिए और खुद के लिए सिसकियाँ भरने लगी l डॉक्टर शांतिपूर्वक उसे आश्वस्त करते हुए बोली, ‘मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगी, पर हम परमेश्वर से प्रार्थना करने जा रहे हैं क्योंकि वह अधिक कर सकता है l” उसने रेबेका के साथ प्रार्थना किया, और पन्द्रह मिनट बाद, एक स्वस्थ बच्चा ब्रूस, ने जन्म लिया l
डॉक्टर ने परमेश्वर पर और उसकी सामर्थ्य पर अपनी निर्भरता को समझ लिया । उसने पहचाना कि यद्यपि उसके पास शल्यचिकित्सा करने के लिए प्रशिक्षण और कौशल था, फिर भी उसके हाथों के मार्गदर्शन के लिए उसे परमेश्वर की बुद्धि, सामर्थ्य और मदद की आवश्यकता थी (पद.1-2) l
अत्यधिक कुशल लोगों, या किसी के बारे में सुनना उत्साहजनक है, जो यह स्वीकार करते हैं कि उन्हें उसकी जरूरत है──क्योंकि वास्तव में हमें ज़रूरत है l वह परमेश्वर है; हम नहीं l केवल वह “हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है” (इफिसियों 3:20) । आइये हम उससे सीखने और प्रार्थना में उस पर भरोसा करने के लिए एक नम्र हृदय रखें क्योंकि जो हम कभी कर पाते की तुलना में वह “अधिक काम कर सकता है l”
यीशु के अलोकप्रिय विचार
पंद्रह वर्षों तक, माइक बर्डन ने अपने छोटे से शहर में स्मरणीय वस्तुओं की दुकान में घृणा से भरी बैठकें कीं l लेकिन 2012 में जब उसकी पत्नी ने उसकी भागीदारी पर सवाल उठाना शुरू किया, तो उनका हृदय नरम हो गया l उसने महसूस किया कि उसके जातिवादी विचार कितने गलत थे और वह अब वह व्यक्ति नहीं होना चाहता था l उग्रवादी समूह ने उसके परिवार को उस अपार्टमेंट से बाहर निकाल कर बदला लिया जो वे उनमें से एक सदस्य से किराये पर ले रखा था l
वह मदद के लिए कहाँ गया? हैरानी की बात है, वह एक स्थानीय काले पास्टर के पास गया, जिसके साथ उसका संघर्ष हुआ था l पास्टर और उनके चर्च ने कुछ समय के लिए माइक के परिवार के लिए आवास और किराने के सामान का प्रबंध किया l जब उनसे पूछा गया कि वह मदद करने के लिए क्यों सहमत थे, तो पास्टर कैनेडी ने समझाया, “यीशु मसीह ने कुछ बहुत ही अलोकप्रिय काम किये l जब मदद करने का समय आता है, तो आप वही करते हैं जो परमेश्वर चाहता है कि आप करें l” बाद में माइक ने कैनेडी के चर्च में बोला और नफरत फैलाने में अपने हिस्से के लिए अश्वेत समुदाय से माफी मांगी l
यीशु ने पहाड़ी उपदेश में कुछ अलोकप्रिय विचारों की शिक्षा दी : “जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे ... अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो” (मत्ती 5:42,44) l यह सोचने का उल्टा तरीका है परमेश्वर जिसका अनुसरण करने के लिए हमें बुलाता है l यद्यपि यह कमजोरी की तरह दिखता है, यह वास्तव में परमेश्वर की सामर्थ्य को कार्य्वान्वित करना है l
वह जो हमें सिखाता है ही वह है जो यह उल्टा जीवन के लिए जैसे वह हमसे मांग करता है हमें जीने की शक्ति देता है l
आपके लिए यीशु की प्रतिज्ञा
रोहित ऊंची आवाज़ में रोने लगा जब उसके माता-पिता ने उसे शीला के हवाले किया l यह उस बच्चे के लिए संडे स्कूल में पहली बार था जब उस अवधि में माँ और पिताजी उपासना में भाग लिये─और वह खुश नहीं था l शीला ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह ठीक हो जाएगा l उसने खिलौनों और किताबों के साथ, एक कुर्सी में उसे डुलाने, इधर उधर घूमाने, एक जगह शांत खड़े रहने, और उससे बात करते हुए कि उसे कितना मजा आएगा, उसे शांत करने की कोशिश की l लेकिन और बड़े आँसू के साथ और जोर से रोना जारी रहा l फिर उसने उसके कान में चार सरल शब्द फुसफुसाए, "मैं तुम्हारे साथ रहूँगी l” शांति और सुकून जल्दी आ गया l
यीशु ने अपने मित्रों को अपने क्रूस पर चढ़ने के सप्ताह के दौरान आराम के शब्द कहे : “पिता . . . तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे─सत्य का आत्मा” (यूहन्ना 14:16-17) l अपने पुनरुत्थान के बाद उसने उन्हें यह प्रतिज्ञा दी : “और देखो, मैं जगत के अंत तक सदा तुम्हारे संग हूँ” (मत्ती 28:20) l यीशु जल्द ही स्वर्ग जानेवाला था, लेकिन वह आत्मा को “रहने” के लिए और अपने लोगों के भीतर निवास के लिए भेजने वाला था l
जब हमारे आंसू बहते हैं तो हम आत्मा का दिलासा और शांति का अनुभव करते हैं l जब हम विचार करते हैं कि हम क्या करें उस समय हम उसका मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे (यूहन्ना 14:26) l वह परमेश्वर के बारे में और अधिक समझने के लिए हमारी आँखें खोलता है (इफिसियों 1:17-20), और वह हमारी कमजोरी में मदद करता है और हमारे लिए प्रार्थना करता है (रोमियों 8: 26–27) l
वह हमेशा हमारे साथ रहता है l
परमेश्वर की कहानी की किताब
खूबसूरत दिन का आनंद लेने की इच्छा से, मैं टहलने के लिए निकला और जल्द ही एक नए पड़ोसी से मिला l उसने मुझे रोका और अपना परिचय दिया : “मेरा नाम उत्पत्ति है, और मैं साढ़े छह साल का हूँ l”
“उत्पत्ति एक शानदार नाम है! यह बाइबल की एक पुस्तक है, “मैंने उत्तर दिया l
“बाइबल क्या है?” उसने पूछा l
“यह परमेश्वर की कहानी की किताब है कि उसने दुनिया और लोगों को कैसे बनाया और कैसे वह हमसे प्यार करता है l”
उसकी जिज्ञासु प्रतिक्रिया ने मुझे मुस्कुराने को विवश किया : “उसने संसार और लोगों और कारों और घरों को क्यों बनाया? और क्या मेरी तस्वीर उसकी किताब में है?”
जबकि मेरे नए मित्र उत्पत्ति या हम बाकी लोगों की आक्षरिक तस्वीर शास्त्र में नहीं है, हम परमेश्वर की कहानी की किताब का एक बड़ा हिस्सा हैं l हम उत्पत्ति 1 में देखते हैं कि “परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उनको उत्पन्न किया” (पद.27) l परमेश्वर उनके साथ बगीचे में टहलता था, और फिर उन्हें स्वयं का ईश्वर होने के प्रलोभन में हार मान लेने की चेतावनी दी (अध्याय 3) l बाद में अपनी पुस्तक में, परमेश्वर ने बताया कि कैसे, प्यार में, उसका पुत्र, यीशु, फिर से हमारे साथ चलने आया और हमारी क्षमा और अपनी सृष्टि की आरोग्यता/बहाली के लिए एक योजना लाया l
जैसा कि हम बाइबल में देखते हैं, हम सीखते हैं कि हमारा सृष्टिकर्ता चाहता है कि हम उसे जानें, उसके साथ बात करें और यहाँ तक कि उससे अपने प्रश्न पूछें l हमारी कल्पना से अधिक वह हमारी देखभाल करता है l