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Articles by ऐनी सिटास

एक आनंददायक उत्सव

मेरे मित्र शेरोन का निधन मेरे मित्र डेव की किशोर बेटी मेलिस्सा की मृत्यु से एक साल पहले हुयी l वे दोनों दुखद कार दुर्घटनाओं में मारे गए थे । एक रात शेरोन और मेलिस्सा दोनों ही मेरे सपने में थे l वे खिलखिलाते और बातें करते हुए एक बड़े उत्सव हॉल में सजावट कर रहे थे और मेरे उस हॉल में प्रवेश करने पर उन्होंने मुझे अनदेखा किया l सफेद टेबल क्लोथ के साथ एक लंबी मेज पर सुनहरी प्लेटें और कटोरे सजे हुए थे l मैंने पूछा कि क्या मैं सजाने में मदद कर सकती हूँ, लेकिन वे मुझे नहीं सुने और काम करते रहे l
लेकिन फिर शेरोन ने कहा, यह पार्टी मेलिस्सा के विवाह का स्वागत समारोह है l
“दूल्हा कौन है?” मैंने पूछा l
दोनों में से किसी ने जवाब नहीं दिया, लेकिन मुस्कुराती हुयीं एक दूसरे को जानबूझकर देखा l अंत में, मुझे समझ में आया – यह यीशु है!
“यीशु दूल्हा है,” उठते समय मैं फुसफुसायी l
मेरा सपना हर्षित उत्सव की बात मन में लाता है जो यीशु में विश्वासी उसके लौटने पर एक दूसरे के साथ साझा करेंगे l यह प्रकाशितवाक्य में एक भव्य भोज के रूप में चित्रित किया है जिसे “मेम्ने के विवाह [का] भोज” संबोधित किया गया है (19:9) l यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, ने जिसने मसीह के पहले आगमन के लिए लोगों को तैयार किया था, उसे “परमेश्वर का मेम्ना . . . जो जगत का पाप उठा ले जाता है” संबोधित किया था (यूहन्ना 1:29) l उसने यीशु को “दूल्हा” और खुद को “दोस्त” (बेस्टमैन/bestman की तरह) भी संदर्भित किया जो उसके लिए इंतजार कर रहा था (3:29) l
उस भोज के दिन और समस्त अनंत काल के लिए हम यीशु, हमारे दूल्हे, और शेरोन और मेलिस्सा और परमेश्वर के सभी लोगों के साथ अटूट स्थायी सहभागिता का आनंद लेंगे l

खोद कर बाहर निकालें

जब रेबेका के भाई और भाभी को शादी की समस्या होने लगी,  तो रेबेका ने उनके सुलह के लिए ईमानदारी से प्रार्थना की l लेकिन उन्होंने तलाक दे दिया l तब उसकी भाभी ने बच्चों को राज्य से बाहर ले गयी और उनके पिता ने विरोध नहीं किया l रेबेका ने फिर कभी भी भतीजियों को नहीं देखा जिनसे वह बहुत प्यार करती थी l वर्षों बाद उसने कहा, “ "इस दुःख को अपने दम पर संभालने की कोशिश करने के कारण,  मैंने अपने दिल में कड़वाहट की एक जड़ उगने  दी,  और यह मेरे परिवार और दोस्तों में फैलने लगी l”

रूथ की किताब नाओमी नाम की एक महिला के बारे में बताती है जो दुःख के साथ संघर्ष करती है जो कड़वाहट में बदल जाती है l उसके पति की एक विदेशी भूमि में मृत्यु हो गई, और दस साल बाद उनके दोनों बेटों की मृत्यु हो गई l वह अपनी बहुओं,  रूत और ओरपा (1:3–5) के साथ बेसहारा रह गई थी l जब नाओमी और रूत नाओमी के स्वदेश लौटे,  तो पूरा शहर उन्हें देखने के लिए उत्साहित था l लेकिन नाओमी ने अपने दोस्तों से कहा : “सर्वशक्तिमान ने मुझ को बड़ा दुःख दिया है . . . . सर्वशक्तिमान ने मुझे दुःख दिया है” (पद.20-21) l यहां तक ​​कि उसने उन्हें उसे “मारा,” संबोधित करने को कहा अर्थात् कड़वाहट l

किसे निराशा का सामना नहीं करना पड़ा और कड़वाहट की ओर ललचाया गया?  कोई व्यक्ति कुछ आहत करनेवाली बात कहता है, कोई अपेक्षा पूरी नहीं होती, अथवा दूसरों की मांग हमें क्रोधित कर देता है l जब हम अपने आप के और परमेश्वर के सामने स्वीकार करते हैं कि हमारे दिल की गहराई में क्या हो रहा है,  तो हमारा दयालु माली कड़वाहट की किसी भी जड़ को खोदकर निकालने में मदद कर सकता है - चाहे वे अभी भी छोटे हैं या वर्षों से बढ़ रहे हैं - और उनके स्थान पर एक मधुर,  हर्षित आत्मा दे सकता है l

आप जो हैं

उसका नाम ज्ञान है, और वह खुद को संसार का छात्र मानता है । और वह कहता है, "यह सभी शहरों और नगरों का एक बहुत बड़ा स्कूल है जिनसे होकर वह गुज़रा है l उसने लोगों से मिलने और सीखने के लिए 2016 में अपनी साइकिल पर चार साल की यात्रा शुरू की । जब कोई भाषा अवरोध होता है,  तो वह महसूस करता है कि कभी-कभी लोग केवल एक-दूसरे को देखकर समझ सकते हैं । वह संवाद करने के लिए अपने फोन पर अनुवाद ऐप पर भी निर्भर होता है । वह अपनी यात्रा को उस मील की दूरी जो उसने तय की है या उसके देखे गए स्थानों से नहीं मापता है । इसके बजाय, वह इसे उन लोगों में मापता है,  जिन्होंने उसके दिल पर एक छाप छोड़ी है : "शायद मैं आपकी भाषा नहीं जानता,  लेकिन मैं यह जानना चाहूंगा कि आप कौन हैं ।"

यह एक बहुत बड़ा संसार है,  फिर भी ईश्वर इसके बारे में और इसमें मौजूद लोगों को पूरी तरह से जानता है – पूरी तरह से और पूर्ण रूप से । भजनहार दाऊद ईश्वर के विस्मय में था जब उसने उसके हाथों के सभी कार्यों पर विचार किया : आकाश, चंद्रमा और तारागण की रचना (भजन 8:3) । उसने सोचा, "तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?”  (पद.4) ।

कोई और आपको जितना जानता है परमेश्वर आपको उससे कहीं अधिक जानता है और वह आपकी परवाह करता है । हम केवल प्रत्युत्तर दे सकते हैं, "हे यहोवा, हे हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है!” (पद.1,9) ।

क्रिसमस सेल

एक माँ को लगा कि वह परिवार के क्रिसमस उपहारों पर अतिव्यय कर रही है, इसलिए एक साल उसने कुछ अलग करने की सोची l छुट्टी से पहले कुछ महीनों तक, उसने सेकंड-हैंड बिक्री के जरिए सस्ती, प्रयुक्त वस्तुएँ ढूंढ़ी l उसने सामान्य से अधिक खरीदा लेकिन बहुत कम पैसे में । क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, उसके बच्चों ने उत्साहपूर्वक एक उपहार के बाद दूसरा फिर तीसरा उपहार खोला । अगले दिन और भी थे! माँ ने नए उपहार नहीं लाने के लिए दोषी महसूस किया था, इसलिए क्रिसमस की सुबह उसके पास अतिरिक्त उपहार थे । बच्चों ने उन्हें खोलना शुरू किया, लेकिन जल्दी से शिकायत की, "हम और उपहारों को खोलने के लिए बहुत थक गए हैं!" आपने हमें बहुत अधिक दिया है! " क्रिसमस की सुबह बच्चों की ओर से यह आदर्श प्रत्युत्तर नहीं है!

परमेश्वर ने हमें बहुत आशीष दी है, लेकिन ऐसा लगता है कि हम हमेशा अधिक तलाश रहे होते हैं : एक बड़ा घर, एक बेहतर कार, एक बड़ा बैंक खाता, या [रिक्त स्थान भरें] । पौलुस ने तीमुथियुस को अपनी मंडली में लोगों को यह याद दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया कि “न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं l यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर संतोष करना चाहिए” (1 तीमुथियुस 6:7–8) ।

परमेश्वर ने हमें हमारी जरूरतों की पूर्ति के अलावा हमारी सांस और जीवन दिया है । उसके उपहारों के साथ आनंद लेने और संतुष्ट होने के लिए यह कितना तरोताज़ा हो सकता है और यह कहना, आपने हमें बहुत कुछ दिया है! हमें और अधिक की आवश्यकता नहीं है l संतोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है (पद.6) l

यदि केवल हम कर सकते

उसके बगीचे का बड़ा पेड़ तूफान की तेज हवाओं में झूल रहा था l रेजी उस पेड़ से प्यार करती थी जिसने न केवल गर्मियों में सूरज से आश्रय प्रदान किया था, बल्कि उसके परिवार को छाया भी दिया था । अब भयंकर तूफान ज़मीन से जड़ों को उखाड़ रहा था । जल्दी से, रेजी, अपने पंद्रह वर्षीय बेटे को खींचते हुए, पेड़ को बचाने की कोशिश करने के लिए दौड़ी । उसने अपने हाथों और नब्बे पाउंड के शरीर से मजबूती से अपने बेटे के साथ ताकत लगाकर इसे गिरने से बचाने की कोशिश की । लेकिन वे पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं थे l

जब राजा दाऊद ने दूसरे प्रकार के तूफान में परमेश्वर को पुकारा तो परमेश्वर उसकी शक्ति था (भजन 28:8) । कुछ टिप्पणीकारों का कहना है कि उसने यह उस दौरान लिखा था जब उसकी दुनिया बिखर रही थी । उसका अपना बेटा उसके खिलाफ विद्रोह किया और सिंहासन को अपने कब्जे में करने की कोशिश की (2 शमूएल 15) । उसने इतना असुरक्षित और कमजोर महसूस किया कि वह भयभीत हो गया कि परमेश्वर निशब्द हो जाएगा, और उसकी मृत्यु हो जाएगी  (भजन 28: 1) । “जब मैं तेरी दोहाई दूँ . . . तब मेरी गिड़गिड़ाहट . . . सुन ले,” उसने परमेश्वर से कहा (पद.2) l परमेश्‍वर ने दाऊद को आगे बढ़ने की ताकत दी, बावजूद इसके कि  उसके बेटे के साथ उसका रिश्ता कभी नहीं सुधरा ।

बुरी चीजों को होने से रोकने के लिए हम कितनी आशा रखते हैं! लेकिन हमारी कमजोरी में, परमेश्वर वादा करता है कि हम हमेशा उसे अपनी चट्टान होने के लिए पुकार सकते हैं (पद.1–2) । जब हमारे पास ताकत नहीं होगी, तो वह हमारा चरवाहा है और हमें हमेशा के लिए थामेगा (पद.8-9) l

खोयी हुई : बुद्धि

अमेरिका में एक दो साल का बच्चा लापता हो गया । फिर भी उसकी माँ के आपातकालीन कॉल के तीन मिनट के भीतर, एक वकील ने उसे मेले में घर से सिर्फ दो भवन समूह दूर पाया । उसकी माँ ने वादा किया था कि वह उस दिन बाद में अपने दादाजी के साथ जा सकता था l  लेकिन उसने अपना खिलौना ट्रैक्टर वहाँ तक चलाया था, और उसे अपनी पसंदीदा झूले के निकट खड़ा कर दिया था । जब लड़का सुरक्षित घर आया, तो उसके पिता ने समझदारी से खिलौने की बैटरी निकाल दी ।

यह छोटा लड़का वास्तव में स्मार्ट था, जहां वह जाना चाहता था, लेकिन दो साल के बच्चे एक और महत्वपूर्ण गुण भूल रहे हैं : बुद्धि l और वयस्कों के रूप हमें भी कभी-कभी इसकी कमी होती है । सुलैमान, जिसे अपने पिता दाऊद द्वारा राजा नियुक्त किया गया था(1 राजा  2), ने स्वीकार किया कि वह एक बच्चे की तरह महसूस कर रहा था l परमेश्वर ने उसे एक सपने में दिखाई दिया और कहा, “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूँ, वह मांग” (3:5) । उसने जवाब दिया, “मैं छोटा लड़का सा हूँ जो भीतर बाहर आना जाना नहीं जानता . . . तू अपने दास को अपनी प्रजा का न्याय करने के लिए समझने की ऐसी शक्ति दे, कि मैं भले बुरे को परख सकूँ : क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?” (पद.7–9) । परमेश्वर ने सुलैमान को “परमेश्वर ने सुलैमान को . . . समुद्र तट की बालू के किनकों के तुल्य अनगिनित हूँ दिए” (4:29) ।

हमें वह ज्ञान कहाँ से मील सकता है जिसकी हमें आवश्यकता है? सुलैमान ने कहा कि परमेश्वर का भय मानना “बुद्धि” का आरंभ हैं (नीतिवचन 9:10) l इसलिए हम उसे हमें सिखाने से आरम्भ कर सकते हैं कि हमें अपने विषय सिखाएँ और हमारी बुद्धि से परे हमें बुद्धि दें l

अतार्किक भय

इसका कोई तार्किक अर्थ नहीं है, लेकिन जब मेरे माता-पिता तीन महीने की अवधि के भीतर मर गए, तो मुझे डर था कि वे मुझे भूल जाएंगे l बेशक वे अब धरती पर नहीं थे, लेकिन इसने मुझे बड़ी अनिश्चितता के साथ छोड़ दिया l मैं एक युवा, अविवाहित वयस्क थी और सोचता थी कि उनके बिना जीवन को कैसे चलाऊंगी l वास्तव में अविवाहित और अकेला महसूस करते हुए, मैंने परमेश्वर को तलाशा l

एक सुबह मैंने उसे अपने तर्कहीन भय और उसके द्वारा लाई गई उदासी के बारे में बताया (भले ही वह उसे पहले से जानता था) l उस दिन मैंने ध्यान के लिए पवित्रशास्त्र का जो पाठ पढ़ा था, वह यशायाह 49 था : “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपीते बच्चे को भूल जाए . . . ? हाँ, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता” (पद.15) l परमेश्वर ने यशायाह के द्वारा अपने लोगों को आश्वस्त किया कि वह उन्हें नहीं भूला है और बाद वह अपने पुत्र यीशु को भेजने के द्वारा उन्हें अपने पास पुनर्स्थापित करने का वचन दिया l लेकिन ये शब्द मेरे दिल को भी भा गए l माता या पिता के लिए अपने बच्चे को भूलना दुर्लभ है, फिर भी यह संभव है l लेकिन परमेश्वर? बिल्कुल नहीं l “मैंने तेरा चित्र अपनी हथेलियों पर खोदकर बनाया है,” उसने कहा l

मेरे लिए परमेश्वर का जवाब अधिक भय ला सकता था l लेकिन उसने खुद मुझे याद किया  जिससे मुझे शांति मिली, और वह वही था जिसकी मुझे जरूरत थी l यह इस खोज की शुरुआत थी कि परमेश्वर किसी माता-पिता या किसी और से भी अधिक निकट है, और वह हमें हर चीज से मदद करने का तरीका जानता है - यहां तक ​​कि हमारे अतार्किक भय भी l

खुबसूरत इनाम

अमेरिका में एक शिक्षक डोनेलन, हमेशा एक पाठक(Reader) थी,  लेकिन एक दिन इसका पूरा लाभ मिला l वह अपनी लंबी बीमा पॉलिसी की समीक्षा कर रही थी जब पृष्ठ 7 पर उसे एक अद्भुत इनाम मिला l उनके “It Pays to Read(पढ़ने से मिलता है)” प्रतियोगिता के हिस्से के रूप में,  कंपनी पहले व्यक्ति को उस अनुबंध को इतनी दूर तक पढ़ने के लिए $ 10,000 (लगभग 72 लाख) दे रही थी l  उन्होंने बच्चों की साक्षरता के लिए उसके क्षेत्र के स्कूलों को हजारों डॉलर का दान दिया l वह कहती है,  “मैं हमेशा वह व्यक्ति रही हूं जो अनुबंध(contract) पढ़ती है l मैं सबसे ज्यादा किसी के बाबत हैरान थी!”

भजनकार चाहता था कि उसकी आँखें परमेश्वर के बारे में “अद्भुत बातें” देखने के लिए खुल जाएँ (भजन 119:18) l उसके पास एक समझ ज़रूर थी कि परमेश्वर चाहता है कि वह जाना जाए, और इसलिए वह उसके(परमेश्वर) साथ गहरी निकटता की चाह रखता था l उसकी इच्छा यह देखने की अधिक थी कि परमेश्वर कौन है,  उसने पहले से क्या दिया है,  और उसका अनुसरण और अधिक निकटता से कैसे करें (पद.24,98) l उसने लिखा, "आहा! मैं तेरी व्यवस्था से कैसी प्रीति रखता हूँ” (पद.97) l

हमारे पास भी परमेश्वर, उसके चरित्र और उसके प्रावधानों के बारे में विचार करने और उसके बारे में जानने के लिए समय निकालने का विशेषाधिकार है – उसके विषय में जानना और उसके निकटता में उन्नति करना l परमेश्वर चाहता है कि वह हमें निर्देश दे, मार्गदर्शित करे, और वह कौन है के प्रति हमारे हृदयों को खोल दे l जब हम उसे खोजते हैं,  तो वह हमें अधिक आश्चर्यचकित करता है कि वह कौन है और उसकी उपस्थिति का आनंद क्या है!

दयालुता का आदमी

निराश और अधिक सार्थक जीवन चाहते हुए, लिओन ने वित्त(finance) में अपनी नौकरी छोड़ दी l फिर एक दिन उसने एक बेघर आदमी को एक गली के कोने पर इस चिन्ह को पकडे हुए देखा : “दयालुता सबसे अच्छी औषधि है(KINDNESS IS THE BEST MEDICINE) l” लियोन कहते हैं, “वे शब्द सीधे मेरे अन्दर धुस गए l” यह एक दिव्य प्रकाशन था l

लियोन ने दयालुता को बढ़ावा देने के लिए एक अन्तराष्ट्रीय संगठन बनाकर अपना नया जीवन शुरू करने का फैसला किया l वह दुनिया भर में यात्रा करता है, अजनबियों पर भरोसा करते हुए उन्हें भोजन, गैस और रहने के लिए जगह का प्रबंध करता है l फिर वह अपने संगठन के माध्यम से उन्हें पुरस्कार देता है, अच्छे कार्यों जैसे कि अनाथ बच्चों को खिलाने के लिए या सुविधा से वंचित स्कूल में निर्माण करने के लिए l वे कहते हैं, “यह कभी-कभी नरमदिल होना दिखाई देता है l लेकिन दया एक गंभीर ताकत है l”

परमेश्वर के रूप में मसीह भलाई, इसलिए दया स्वभाविक रूप से उससे बहती है l जब यीशु ने एक विधवा के इकलौते बेटे के अंतिम संस्कार के जुलुस में जो किया (लूका 7:11-17) वह  कहानी मुझे बहुत पसंद है l दुखी महिला आर्थिक सहायता के लिए संभवतः अपने बेटे पर निर्भर थी l हम उस कहानी में नहीं पढ़ते कि किसी ने यीशु को हस्तक्षेप करने के लिए कहा था l विशुद्ध रूप से अपने स्वभाव की भलाई से (पद.13), वह चिंतित हुआ और उसके बेटे को पुनः जीवन दान दिया l लोगों ने मसीह के बारे में कहा, “परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपादृष्टि की है” (पद.16) l