अद्भुत कौशल
हमारे कॉलेज गायन समूह के अगुआ ने समूह का निर्देशन किया और उसी समय पियानो पर हमारा साथ देते हुए, कुशलता से उन जिम्मेदारियों को संतुलित किया l एक संगीत कार्यक्रम के समापन पर, वह ख़ास तौर से थके हुए लग रहे थे, इसलिए मैंने उनसे पूछा कि क्या वह ठीक थे l उन्होंने जवाब दिया, “मुझे पहले कभी ऐसा नहीं करना पड़ा l” फिर उन्होंने समझाया l “पियानो धुन से इतना बाहर था कि मुझे पूरे संगीत समारोह में दो अलग-अलग स्वरतान में बजाना पड़ा – मेरा बांया हाथ एक सुर बजा रहा था और दूसरा मेरा दाहिना हाथ!” उसके द्वारा दिखाया गया कौशल चौंकानेवाला था, जिससे मैं अति उत्साहित हुआ, और मैं उस व्यक्तित्व से चकित हुआ जो इंसानों को इस तरह की चीजों के लिए सक्षम बनाता है l
राजा दाऊद ने आश्चर्य का एक और बड़ा भाव व्यक्त किया जब उसने लिखा, “मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिए कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ . . . और मैं इसे भलीभांति जानता हूँ” (भजन 139:14) l चाहे लोगों की क्षमताओं में या प्रकृति के चमत्कारों में, सृजन के चमत्कार हमारे सृष्टिकर्ता की महिमा की ओर इशारा करते हैं l
एक दिन, जब हम परमेश्वर की उपस्थिति में होंगे, हर पीढ़ी के लोग इन शब्दों के साथ उसकी उपासना करेंगे, “हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं और सृजी गयीं” (प्रकाशितवाक्य 4:11) l परमेश्वर ने हमें जो अद्भुत कौशल दिया है और जो महान सुन्दरता परमेश्वर ने बनायी है वह उसकी उपासना करने का पर्याप्त कारण है l
अप्रत्याशित परिवर्तन
जनवरी 1943 में, अमेरिका के दक्षिणी डकोटा में गर्म हवाएं चलीं, जिसे तापमान शीघ्रता से 4० से 45० F (-20० से 7० C) हो गया l मौसम में कठोर बदलाव – 49 डिग्री का उतार-चढ़ाव सिर्फ दो मिनट में हो गया l चौबीस घंटे की अवधि में यू.एस.ए. में दर्ज किया गया व्यापक तापमान परिवर्तन अविश्वसनीय 103 डिग्री है! 15 जनवरी, 1972 को लोमा, मोन्टेना, ने तापमान -54० से 49० F (-48० से 9० C) तक देखा l
हालाँकि, अचानक परिवर्तन, केवल एक मौसम की घटना नहीं है l यह कभी-कभी जीवन की प्रकृति है l याकूब हमें याद दिलाता है, “तुम जो यह कहते हो, ‘आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहाँ एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ कमाएंगे l’ और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा” (4:13-14) l एक अप्रत्याशित हानि l एक आश्चर्जनक जांच l एक वित्तीय उलट l अचानक बदलाव l
जीवन कई अप्रत्याशित अवस्थाओं के साथ एक यात्रा है l निश्चित रूप से इसी कारण याकूब ने हमें अभिमानी योजनाओं” (पद.16) से मुड़ने की चेतावनी दी है, जो सर्वशक्तिमान को ध्यान में नहीं रखते हैं l जैसा कि उसने हमें सलाह दी, “इसके विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, ‘यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे ‘” (पद.15) l हमारे जीवनों की घटनाएं अनिश्चित हो सकती हैं, लेकिन एक बात निश्चित है : जीवन के सभी अप्रत्याशित क्षणों में, हमारे परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ेंगे l जीवन भर वही हमारा अपरिवर्तनशील है l
आंधी का पीछा करना
“कोलकाता और अन्य स्थानों के कुछ मौसम के प्रति उत्साही लोगों के लिए “चक्रवात का पीछा करना” एक शौक है, वे तूफानों के नमूनों को समझने और बिजली की चमक की फोटो खींचने और उसके बाद परिणामों को समझने के लिए इनका अध्ययन करना चाहते हैं l जबकि हम में से अधिकाँश संभावित घातक मौसम के बीच खुद को डालने से बचते हैं, इनमें से कुछ अनुसरणकर्ताओं(aficionados) ने विभिन्न शहरों में इन चक्रवातों का पीछा करने और पीछा करने के लिए सोशल मिडिया के माध्यम से अमुह बनाए हैं l
मेरे अनुभव में, हालाँकि, मुझे जीवन में तूफानों का पीछा करने की ज़रूरत नहीं है – वे मेरा पीछा करते हुए लगते हैं l यह अनुभव भजन 107 में दिखाई देता है जब वह तूफ़ान में फंसे नाविकों का वर्णन करता है l उनके अपने ही गलत निर्णयों के परिणाम उनका पीछा कर रहे थे लेकिन भजनकार कहता है, “वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उनको सकेती से निकालता है l वह आंधी को शांत कर देता है और तरंगें बैठ जाती हैं l तब वे उनके बैठने से आनंदित होते हैं, और वह उनको मन चाहे बंदरगाह में पहुँचा देता है” (भजन 107:28-30) l
चाहे जीवन के तूफ़ान हमारे स्वयं के हों या टूटे हुए संसार में रहने के परिणामस्वरूप, हमारे पिता इनसे अधिक महान है l जब तूफान हमारा पीछा कर रहे हैं, तो वह अकेले उन्हें शांत करने में सक्षम है – या हमारे भीतर के तूफ़ान को शांत करने के लिए l
आभार का आचरण
अमेरिका में मेरे राज्य में, सर्दी शून्य से नीचे तापमान और कभी न ख़त्म होनेवाले बर्फ के साथ क्रूर हो सकती है l एक अत्यंत ठन्डे दिन में, जब मैं जमी हुयी बर्फ को बेलचा से हटा रहा था तो मुझे महसूस हुआ मानो मैंने हज़ार बार हटाया हो l उसी समय हमारा डाकिया अपना चक्कर लगाते हुए थोड़ा रुक कर पूछा कि मैं कैसा हूँ l मैंने उससे कहा कि मुझे सर्दी नापसंद है और इस भारी बर्फ से परेशान हूँ l तब मैंने टिप्पणी की कि ऐसे अति ठन्डे मौसम में उसकी नौकरी बहुत कठिन होगी l उसका प्रत्युत्तर था, “हाँ, लेकिन कम से कम मेरे पास एक नौकरी है l बहुत सारे लोगों के पास नहीं है l मैं आभारी हूँ कि मेरे पास काम है l”
मुझे यह स्वीकार करना होगा कि आभार के उनके व्यवहार से मैंने खुद को काफी दोषी महसूस किया l सब कुछ जिनके लिए हमें धन्यवादी होना चाहिए जीवन की परिस्थितियों के अप्रिय होने पर हम कितनी आसानी से उनको अपनी आँखों से ओझल कर देते हैं l
पौलुस ने कुलुस्से के विश्वासियों से कहा, “मसीह की शांति जिसके लिए तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे; और तुम धन्यवादी बने रहो” (कुलुस्सियों 3:15) l उसने थिस्सलुनीकियों को लिखा, “हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है” (1 थिस्सलुनीकियों 5:18) l
यहाँ तक कि हमारे वास्तविक संघर्ष और पीड़ा के समय में, हम परमेश्वर की शांति को जान सकते हैं और इसे हमारे हृदयों पर राज करने की अनुमति दे सकते हैं l और उस शांति में, हम इन सब के ताकीद पाएंगे जो हमें मसीह में दी गए हैं l उसमें, हम वास्तव में शुक्रगुजार हो सकते हैं l
एक का अनुमोदन
जब प्रसिद्द संगीतकार गुइसेप्पी वर्डी (1813-1901) युवा थे, तो अनुमोदन की भूख ने उन्हें सफलता की ओर खींचा l वोरेन विएर्स्बी ने उनके बारे में लिखा : “जब वर्डी ने फ्लोरेंस में अपना पहला opera(संगीत-नाटक) तैयार किया, तो संगीतकार खुद अँधेरे में खड़े थे और दर्शकों में एक आदमी के चेहरे पर अपनी नज़र गड़ाए रखे थे – महान रोस्सिनी l यह वर्डी के लिए मायने नहीं रखता था कि हॉल के लोग उसकी तारीफ कर रहे थे या उसका मज़ाक बना रहे थे; वह केवल मास्टर संगीतकार की मंजूरी की मुस्कान का अनुमोदन चाहते थे l”
हम किसका अनुमोदन चाहते हैं? माता-पिता का? मालिक/बॉस का? प्रेम रूचि का? पौलुस के लिए, केवल एक ही उत्तर था l उसने लिखा, “जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं, और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है, प्रसन्न करते हैं” (1 थिस्सलुनीकियों 2:4) l
परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करने का क्या अर्थ है? कम से कम दो बातें शामिल हैं : दूसरों की वाहवाही की इच्छा से मुहं फेर लेना और उसकी आत्मा को हमें मसीह की तरह बनाने की अनुमति देना – वह जो हमें प्रेम करता था और हमारे लिए खुद को दे दिया l जब हम अपने भीतर और हमारे द्वारा उसके सिद्ध उद्देश्यों के प्रति समर्पित होते हैं, हम एक दिन की बाट जोह सकते हैं जब हम उसके अनुमोदन की मुस्कान का अनुभव करेंगे – जो सबसे अधिक मायने रखता है l
सख्ती और कोमलता
कवि कार्ल सैंडबर्ग ने पूर्व अमेरिकी राष्टपति अब्राहम लिंकन के बारे में लिखा, “कभी-कभी ही मानव जाति की कहानी में पृथ्वी पर आनेवाला एक व्यक्ति सख्त और कोमल दोनों होता है, . . . जिसके हृदय और मस्तिष्क में भयानक तूफ़ान और बयान से बाहर और सिद्ध शांति का विरोधाभास होता है l” “सख्ती और कोमलता” वर्णन करता है कि किस प्रकार लिंकन ने स्वतंत्रता की लालसा रखनेवाले व्यक्तियों के लिए चिंता के साथ अपने पद की ताकत को संतुलित किया l
सम्पूर्ण इतिहास में केवल एक व्यक्ति ने सामर्थ्य और कोमलता, ताकत और करुणा को पूर्णतया संतुलित किया l वह व्यक्ति यीशु मसीह है l युहन्ना 8 में, जब धार्मिक अगुओं ने एक दोषी स्त्री को अपराधी ठहराने के लिए यीशु का सामना किया, उसने सख्ती और कोमलता दोनों ही प्रदर्शित किया l उसने रक्त-पिपासु भीड़ की मांगों का विरोध किया, और इसके बदले उनकी आलोचनात्मक दृष्टि को उन्हीं की ओर कर दिया l उसने उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे” (पद.7) l उसके बाद यीशु ने स्त्री से यह कहते हुए, “मैं भी तुम पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना” (पद.11) करुणा की कोमलता का नमूना दर्शाया l
पिता का हमें यीशु के समान बनाने के कार्य को हम उसकी “सख्ती और कोमलता” को हमारे अपने प्रत्युत्तर में प्रतिबिंबित करके प्रगट कर सकते हैं l हम संसार को उसका हृदय दिखा सकते हैं जो करुणा की कोमलता और न्याय की सख्ती दोनों ही का भूखा है l
निम्न महसूस करना
अनेक फिल्म आलोचक डेविड लीन की फिल्म लॉरेंस ऑफ़ अरेबिया(Lawrence of Arabia) को अब तक की महान फिल्मों में से एक मानते हैं l अरब के प्रत्यक्ष मरुभूमि के अंतहीन परिदृश्यों के साथ, इसने फिल्म निर्माताओं की एक पीढ़ी को प्रभावित किया है – अकादमी अवार्ड विजेता निदेशक स्टीवन स्पीलबर्ग को मिलाकर l “मैं पहली बार ही लॉरेंस को देखकर प्रेरित हुआ,” स्पीलबर्ग ने कहा l “यह मुझे निम्न महसूस कराता है l यह मुझे अभी भी निम्न महसूस कराता है l और यह उसकी महानता का एक माप है l”
जो मुझे निम्न महसूस कराता है वह सृष्टि का विस्तार है – जब मैं समुद्र को निहारता हूँ, विमान द्वारा ध्रुवीय बर्फ छोटी के ऊपर से उड़ता हूँ, या खरबों तारों से झिलमिलाते हुए रात के आकाश का अवलोकन करता हूँ l यदि रचित सृष्टि इतनी व्यापक है, वह सृष्टिकर्ता कितना महान होगा जिसने अपने शब्दों से इन्हें रच दिया!
परमेश्वर की महानता और हमारी निरर्थकता का भाव दाऊद के शब्दों में प्रतिध्वनित होता है, तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?” (भजन 8:4) परन्तु यीशु ने हमें निश्चित किया, “आकाश के पक्षियों को देखो ! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है l क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते? (मत्ती 6:26) l
मैं छोटा और महत्वहीन महसूस कर सकता हूँ, परन्तु मैं अपने पिता की नज़रों में बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण हूँ – ऐसा महत्त्व जो हर बार प्रमाणित होता है जब मैं क्रूस की ओर देखता हूँ l अपनी संगति को मेरे साथ पुनःस्थापित करने के लिए जो कीमत वह देने को तैयार था वही प्रमाण है कि वह मुझे कितना महत्त्व देता है l
प्रेम या पैसे के लिए
आयरिश कवि ऑस्कर वाइल्ड ने कहा, “जब मैं जवान था मैं सोचता था कि पैसा जीवन में सबसे महत्वपूर्ण वस्तु थी; अब जब कि मैं बूढ़ा हो गया हूँ मैं जानता हूँ कि वह है l” उसकी टिप्पणी मज़ाक बन गयी, वह छियालीस वर्ष की उम्र तक जीवित रहा, इसलिए वास्तव में वह “बूढ़ा” हुआ ही नहीं l वाइल्ड ने पूरी तरह समझ लिया कि जीवन पैसे के विषय नहीं है l
पैसा अस्थायी है; वह आता है और वह चला जाता है l इसलिए जीवन अवश्य ही पैसे से और जो पैसा खरीद सकता है से अधिक होगा l यीशु ने अपनी पीढ़ी के लोगों – धनी और निर्धन दोनों ही को –एक पुनः जांची हुए उपयोगिता पद्धति के प्रति चुनौती दी l लूका 12:15 में यीशु ने कहा, “चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता l” हमारी संस्कृति में, जहाँ और अधिक और नया और बेहतर की ओर स्थायी ध्यान है, संतोष के लिए और पैसा और सम्पति के विषय हमारा दृष्टिकोण क्या है, दोनों ही के लिए कुछ कहा जाना चाहिए l
यीशु से मुलाकात करके, एक जवान धनी व्यक्ति उदास होकर चला गया क्योंकि उसके पास बहुत अधिक सम्पति थी जिसे वह छोड़ना नहीं चाहता था (देखें लूका 18:18-25), परन्तु कर अधिकारी जक्कई अधिकाधिक सम्पति/पैसा त्याग दिया जिसे उसने इकठ्ठा करने में अपना जीवन लगाया था (लूका 19:8) l मसीह के हृदय को गले से लगाना ही अंतर है l उसके अनुग्रह में, हम अपने अधिकार में की वस्तुओं के प्रति एक स्वस्थ दृष्टिकोण रख सकते हैं – ताकि वे हम पर नियंत्रण करनेवाली वस्तुएँ न बन जाएँ l
फुटबॉल और चरवाहे
इंग्लिश फुटबॉल का एक लुभावना पहलु प्रत्येक मैच के आरंभ में प्रशंसकों द्वारा गाया जानेवाला टीम का गान है l ये गीत आनंद (“Glad All Over”) से लेकर चंचल/मनमौजी (“I’m Forever Blowing Bubbles”) से लेकर आश्चर्यजनक तक होते हैं l उदाहरण के लिए “भजन 23,” वेस्ट ब्रोमविच ऐल्बियोन के क्लब का गान है l इस भजन के शब्द टीम के स्टेडियम के अन्दर अग्रभाग पर दिखाई देते हैं, जो “वेस्ट ब्रोम बैगिज़” को देखनेवाले सभी दर्शकों से अच्छे, महान, और प्रधान चरवाहे की देखभाल की घोषणा करते हैं l
भजन 23 में, दाऊद ने अपना शाश्वत वचन कहा, “यहोवा मेरा चरवाहा है” (पद.1) l बाद में, सुसमाचार का लेखक, मत्ती हमसे कहनेवाला था, “जब [यीशु ने] भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे” (मत्ती 9:36) l और यूहन्ना 10 में, यीशु ने अपने युग के लोगों “भेड़” के लिए अपना प्रेम और चिंता घोषित किया l “उसने कहा, “अच्छा चरवाहा मैं हूँ” l अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिए अपना प्राण देता है” (पद.11) l यीशु की करुणा भीड़ के साथ थी, उनकी ज़रूरतों के प्रति उसका प्रतिउत्तर था, और, अंततः, उनके (और हमारे) लिए उसका बलिदान l
“यहोवा मेरा चरवाहा है” एक प्राचीन गीतकाव्य या एक दक्ष स्लोगन से कहीं अधिक है l यह हमारा परमेश्वर हमें जानता है और प्रेम करता है – और उसके पुत्र द्वारा बचाए जाने की सार्थकता बतानेवाला एक भरोसेमंद कथन है l