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Articles by सिंडी हेस कैस्पर

योजनाएं हैं?

लगभग अठारह वर्ष का एक युवक, कैडेन, एक अकादमिक छात्रवृत्ति पर अपनी पहली पसंद के कॉलेज में पढ़ने  की  उम्मीद कर रहा था l वह हाई स्कूल में एक कैंपस सेवकाई में शामिल था और नए वातावरण में इसी तरह की सेवकाई में भागदारी के लिए उत्सुक था l उसने अपने अंशकालिक नौकरी से पैसे बचाए थे और एक नई नौकरी में भी उसकी श्रेष्ठ बढ़त थी l उसने कुछ महान लक्ष्य स्थापित किए, और सब कुछ ठीक समय पर पूरा हो रहा था l

और फिर 2020 के वसंत में एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट ने सब कुछ बदल दिया l

स्कूल ने कैडेन को बताया कि उसका पहला सेमेस्टर शायद ऑनलाइन होगा  l कैंपस सेवा क्रमभंग हो चुकी थी  l व्यवसाय बंद होने पर नौकरी की संभावना ख़त्म हो गई  l  जब वह निराश हुआ,  उसके दोस्त ने एक प्रसिद्ध पेशेवर बॉक्सर के शब्दों को धाराप्रवाह रूप से उद्धृत किया  : “हाँ,   सभी के पास एक योजना होती है जब तक कि उन्हें अपने मुँह की नहीं खानी पड़ती है l”

नीतिवचन 16 हमें बताता है कि जब हम सब कुछ ईश्वर को समर्पित कर देते हैं,तो वह हमारी योजनाओं को स्थापित करेगा और अपनी इच्छा के अनुसार पूरा करेगा (पद. 3-4)  l हालांकि,  सच्ची प्रतिबद्धता कठिन हो सकती है   l इसमें ईश्वर के निर्देशन के लिए एक खुले  ह्रदय के साथ, अपने मार्ग की  रूप-रेखा तैयार करने की स्वतंत्रता का विरोध करना शामिल है (9; 19:21)  l

सपने जो मूर्त रूप नहीं लेते हैं वे निराशा ला सकते हैं, लेकिन भविष्य के लिए हमारी सीमित दृष्टि कभी भी परमेश्वर के सर्वज्ञ तरीकों का मुकाबला नहीं कर सकती है  l जब हम खुद को उसको समर्पित कर देते हैं,  तो हम निश्चित हो सकते हैं कि वह तब भी हमारे कदमों  को प्यार से निर्देशित कर रहा है जब हम आगे का रास्ता नहीं देख सकते हैं (16:9)  l

सुख दुःख में

28 जनवरी, 1986 को,  यूएस स्पेस शटल चैलेंजर(Challenger) उड़ान(take-off) के सैंतालीस सेकंड के बाद टूटकर बिखर गया l राष्ट्र को सांत्वना के एक भाषण में,  राष्ट्रपति रीगन ने “हाई फ्लाइट(HighFlight)” कविता से उद्धृत किया,  जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के पायलट जॉन गिलेस्पी मैगे ने “अंतरिक्ष की उच्च अपराजित पवित्रता” और अपना हाथ बढ़ाकर “परमेश्वर का चेहरा” स्पर्श करने के भाव के विषय लिखा था l

हालाँकि,  हम सचमुच ईश्वर के चेहरे को छू नहीं सकते हैं,  लेकिन हम कभी-कभी मोहक  सूर्यास्त या प्रकृति में ध्यान की एक ऐसी जगह का अनुभव करते हैं जो हमें एक बड़ा अभिभूत करने वाला आभास देता है कि वह निकट है l कुछ लोग इन क्षणों को “संकरा स्थान(thin places)” कहते हैं l स्वर्ग और पृथ्वी को अलग करने वाला अवरोध थोड़ा कम होता हुआ महसूस होता है l परमेश्वर थोड़ा और निकट महसूस होता है l

इस्राएलियों ने एक “संकरा स्थान” का अनुभव किया होगा जब उन्होंने रेगिस्तान के जंगल में परमेश्वर की निकटता को महसूस किया था l परमेश्वर ने मरुभूमि में उनकी अगुवाई करने में दिन में बादल का एक स्तंभ और रात में आग के खंभे का प्रबंध किया (निर्गमन 40:34-38) l  जब वे डेरे में ठहरे हुए थे, “यहोवा का तेज निवासस्थान में भर गया” (पद.35) l अपनी सारी यात्रा के दौरान,  वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है l

जब हम ईश्वर की रचना के अविश्वसनीय सौंदर्य का आनंद लेते हैं,  तो हम सचेत हो जाते हैं कि वह हर जगह मौजूद है l जब हम प्रार्थना में उसके साथ बात करते हैं,  उसे सुनते हैं,  और पवित्रशास्त्र पढ़ते हैं,  हम कभी भी और कहीं भी उसके साथ संगति का आनंद ले सकते हैं l

स्नेही सुधार

पचास से अधिक वर्षों तक, मेरे पिताजी ने अपने संपादन में उत्कृष्टता के लिए प्रयास किया l उनका जुनून केवल गलतियों की तलाश करना नहीं था, बल्कि प्रतिलिपि को स्पष्टता, तर्क, प्रवाह, और व्याकरण के संदर्भ में बेहतर बनाना था l पिताजी ने अपने सुधारों के लिए बजाय एक लाल के, हरे रंग के कलम का इस्तेमाल किया । हरे रंग का कलम जो उन्हें “मित्रवत” लगा, जबकि लाल रंग के काट(slash) एक नौसिखिया या कम आत्मविश्वास वाले लेखक के लिए अप्रिय हो सकते हैं l उनका उद्देश्य धीरे-धीरे एक बेहतर तरीका बताना था l
जब यीशु ने लोगों को सुधारा, तो उसने प्यार में ऐसा किया l कुछ परिस्थितियों में - जैसे कि जब वह फरीसियों के पाखंड का सामना कर रहा था (मत्ती 23)—उसने उन्हें कठोरता से डांटा, फिर भी उनके लाभ के लिए l लेकिन अपने मित्र मार्था के मामले में, केवल एक सौम्य सुधार की ज़रूरत थी (लूका 10:38–42) l जबकि फरीसियों ने उनकी फटकार का असंतोषजनक रूप से प्रत्युत्तर दिया, मार्था सबसे प्यारे मित्रों में से एक बनी रही (यूहन्ना 11:5) l
सुधार असहज हो सकता है और हम में से कुछ ही इसे पसंद करते हैं l कभी-कभी, हमारे अभिमान के कारण, इसे शालीनता से ग्रहण करना कठिन होता है l नीतिवचन की पुस्तक बुद्धि के बारे में बहुत बात करती है और संकेत करती है कि “सुधार पर मन लगाना” बुद्धि और समझ का प्रतीक है (15:31–32) l
परमेश्वर का प्रेमपूर्ण सुधार हमें अपनी दिशा को समायोजित करने और अधिक निकटता से उसका अनुसरण करने में मदद करता है l जो लोग इसका इनकार करते हैं उन्हें कड़ी चेतावनी दी जाती है (पद.10), लेकिन जो लोग पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा इसका प्रत्युत्तर देते हैं वे बुद्धि और समझ प्राप्त करेंगे (पद.31-32) l

विश्वास का निवेश

अपने बारहवें क्रिसमस पर, लड़के को ट्री के नीचे रखे उपहारों के खुलने का बेसब्री से इंतजार था l वह एक नई बाइक के लिए लालायित था, लेकिन उसकी उम्मीदें टूट गईं - उसे जो आखिरी उपहार मिला वह एक शब्दकोश था l पहले पन्ने पर, उसने पढ़ा : “मम्मी और डैडी की और से चार्ल्स के लिए, 1958 l स्कूल में तुम्हारे बेहतरीन काम के लिए प्यार और उच्च आशाओं के साथ l
अगले दशक में, इस लड़के ने स्कूल में अच्छा प्रदर्शन किया l वह कॉलेज से स्नातक किया और बाद में विमान प्रशिक्षण प्राप्त किया l वह विदेशों में काम करने वाला एक पायलट बन गया, जो जरूरतमंद लोगों की मदद करने और उनके साथ यीशु के बारे में लोगो को बताने के काम को पूरा किया l अब इस उपहार को प्राप्त करने के लगभग साठ साल के बाद, उसने अपने पौत्रों के साथ अपना जीर्ण-शीर्ण शब्दकोश साझा किया l वह उसके लिए उसके भविष्य में उसके माता-पिता के प्यार भरे निवेश का प्रतीक बन गया था, और वह अब भी उसे संजोता है l लेकिन वह अपने माता-पिता को उसे परमेश्वर और पवित्रशास्त्र के बारे में सिखाकर उसके विश्वास के निर्माण में किए गए दैनिक निवेश के लिए और भी अधिक आभारी है l
व्यवस्थाविवरण 11 बच्चों के साथ पवित्रशास्त्र के शब्दों को साझा करने के लिए हर अवसर को उपयोग्य करने के महत्व के बारे में बात करता है : “और तुम घर बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते इनकी चर्चा करके अपने बच्चों को सिखाया करना” (पद.19) l
इस लड़के के लिए, जब वह बच्चा था शाश्वत मूल्य तब स्थापित किये गए जो अपने उद्धारकर्ता के लिए जीवन भर परमेश्वर की सक्षमता से सेवा करने के लिए उमड़ा l कौन जनता है हमारा आत्मिक निवेश किसी के आत्मिक जीवन में कितना बढौती लायेगाl

छोटी मछली

कई वर्षों तक,  भारत में रहने वाले एक जोड़े ने अपने शहर के एक व्यक्ति के साथ एक मजबूत मित्रता विकसित की और उसके साथ कई बार यीशु के प्रेम और उद्धार की कहानी साझा की l  हालाँकि, उनके मित्र,  भले ही यह समझ गये थे कि मसीह में विश्वास “अधिक महान सत्य था,” वे एक अन्य धर्म के प्रति आजीवन निष्ठा रखने में अनिच्छुक थे l  उनकी चिंता आंशिक रूप से वित्तीय थी,  क्योंकि वे अपने मत/धर्म में एक नेता थे और उन्हें मिलनेवाले मुआवजे पर निर्भर थे l उन्हें अपने समुदाय के लोगों के बीच अपनी प्रतिष्ठा खोने का भी डर था l

दुख के साथ,  उन्होंने समझाया, “ "मैं नदी में अपने हाथों से मछली पकड़ने वाले आदमी की तरह हूँ l मैंने एक में एक छोटी मछली पकड़ रखी है लेकिन एक बड़ी मछली पास ही तैर रही है l बड़ी मछली को पकड़ने के लिए,, मुझे छोटी को जाने देना होगा!”

धनी युवा शासक जिसके विषय मत्ती ने मत्ती 19 में लिखा के पास ऐसी ही समस्या थी l जब वह यीशु के पास गया,  तो उसने पूछा, “मैं कौन सा भला काम करूँ कि अनंत जीवन पाऊं?” (पद.16) l वह ईमानदार लग रहा था,  लेकिन वह अपने जीवन को पूरी तरह से यीशु को सौंपना नहीं चाहता था l वह धनी था, केवल धन में नहीं, लेकिन नियम-अनुयायी के अपने अहंकार में भी l यद्यपि वह शाश्वत जीवन चाहता था,  लेकिन वह कुछ और को अधिक प्यार करता था और उसने मसीह के शब्दों को खारिज कर दिया l

जब हम विनम्रतापूर्वक अपने जीवन को यीशु के सामने समर्पित करते हैं और उसके उद्धार का उपहार स्वीकार कर लेते हैं,  तो वह हमें आमंत्रित करता है,  "आकर, मेरे पीछे हो ले” (पद.21) l

अनवरत प्रेम

हेडी और जेफ गर्म जलवायु वाले एक बाहरी देश में एक निर्धारित कार्य के बाद घर आए और अमेरिका के मिशिगन राज्य में परिवार के साथ कई महीनों तक रहे – बस सर्दियों का समय आने वाला था l यह पहली बार होगा जब उनके दस बच्चों में से कई ने बर्फ की प्राकृतिक सुंदरता देखी होगी ।

लेकिन सर्दियों के मौसम में बाहरी गर्म कपड़ों की ज़रूरत होती है, जिसमें कोट, दास्ताने, जूते शामिल हैं l एक बड़े परिवार के लिए, यह काफी महंगा उपक्रम होगा जो उन्हें आगे आने वाले ठंड के महीनों के लिए तैयार करेगा । लेकिन परमेश्वर ने प्रबंध किया । पहले, एक पड़ोसी ने जूते लाए, फिर बर्फ वाले पेंट, फिर टोपी और दस्ताने । फिर, एक मित्र ने अपने चर्च में दूसरों से परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए सभी बारह साइजों में विभिन्न प्रकार के गर्म कपड़े इकट्ठा करने का आग्रह किया । जब बर्फीला मौसम आया, तब तक परिवार के पास उनकी ज़रूरत के अनुकूल सब था l

जिन तरीकों से हम परमेश्वर की सेवा करते हैं, उनमें से एक है ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करना । पहला यूहन्ना 3:16-18 हमें खुद की संपत्ति की प्रचुरता से दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है । सेवा करने से हमें यीशु की तरह बनने में मदद मिलती है क्योंकि हम लोगों को उसके दृष्टिकोण से प्यार करना और देखना आरम्भ कर देते हैं l

परमेश्वर अक्सर अपने बच्चों का उपयोग जरूरतों को पूरा करने और प्रार्थनाओं का जवाब देने के लिए करता है l और जब हम दूसरों की सेवा करते हैं हमारे अपने हृदयों को प्रोत्साहन मिलता है  जैसे हम उन लोगों को प्रोत्साहित करते हैं जिनकी हम सेवा करते हैं । परिणामस्वरूप, हमारा अपना विश्वास बढ़ेगा जब परमेश्वर हमें नए तरीकों से सेवा के लिए सुसज्जित करता है

(पद.18) ।

लोग भूल जाते हैं

एक महिला ने अपने पास्टर से शिकायत की कि उसने उनके धर्मोपदेशों में बहुत दोहराव देखा है । "आप ऐसा क्यों करते हैं”? उसने प्रश्न क्या l उपदेशक ने उत्तर दिया, "लोग भूल जाते हैं।"

हमारे भूलने के अनेक कारण हैं - समय, उम्र में बढ़ना, या बस व्यस्त होने के कारण । हम पासवर्ड, लोगों के नाम भूल जाते हैं, या यहां तक ​​कि जहां हमने अपनी कार पार्क की थी l मेरे पति कहते हैं, "केवल इतना ही मैं अपने मस्तिष्क में रख सकता हूं । मुझे कुछ नया याद करने से पहले कुछ हटाना होगा ।”

उपदेशक सही था । लोग भूल जाते हैं । इसलिए हमें अक्सर याद दिलाने के लिए ताकीद  की ज़रूरत है कि परमेश्वर ने हमारे लिए क्या किया है । इस्राएलियों में उसी तरह की प्रवृत्ति थी । यहां तक ​​कि उनके द्वारा देखे गए कई चमत्कारों के बावजूद, उन्हें अभी भी उसकी देखभाल की याद दिलाने की आवश्यकता थी । व्यवस्थाविवरण 8 में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को याद दिलाया कि उन्हें जंगल में भूख का अनुभव करने दी गयी, लेकिन फिर हर दिन उनके लिए एक अद्भुत सुपरफूड दिया गया - मन्ना । उसने ऐसे कपड़े दिए जो कभी नहीं पुराने हुए l उसने जंगल में उनका नेतृत्व किया जहाँ साँप और बिच्छू थे और एक चट्टान से पानी पिलाया l उन्होंने विनम्रता सीखी, क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वे किस प्रकार परमेश्वर की देखभाल और प्रावधान पर पूरी तरह से निर्भर थे (पद.2–4, 15-18) ।

परमेश्वर की विश्वसनीयता “पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है” (भजन 100: 5) । जब भी हम अपने आप को भूलते हुए पाते हैं, हम उन तरीकों के बारे में सोच सकते हैं जैसे उसने हमारी प्रार्थनाओं के उत्तर दिए हैं, और यह हमें उसकी अच्छाई और भरोसेमंद वादों की याद दिलाता है ।

मजबूत और साहसी

प्रत्येक रात, जब छोटे केलब ने अपनी आँखें बंद कीं, उसने महसूस किया कि अंधेरा उसे ढक रहा है । कोस्टा रिका में लकड़ी के घर की चरमराहट से उसके कमरे की चुप्पी लगातार स्थगित हो जाती थी l फिर अटारी में चमगादड़ अधिक सक्रिय हो गए । उसकी माँ ने उसके कमरे में  नाईट लाइट लगा दी थी, लेकिन छोटे लड़के को अभी भी अंधेरे का डर था । एक रात केलब के पिता ने उसके बिस्तर के पावदान पर बाइबल का पद लिख दिया l उसमें लिखा था : “मजबूत और साहसी बनो l भय न खा . . . क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा” (यहोशु 1:9) l केलब ने हर रात उन शब्दों को पढ़ना शुरू किया — और उसने अपने फुटबोर्ड पर लिखा वादा परमेश्वर से मिला हुआ महसूस किया जब तक वह कॉलेज नहीं गया ।

यहोशू 1 में, हमने मूसा के मरने के बाद यहोशू को दिए गए नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पढ़ा l  “मजबूत और साहसी” बनने की आज्ञा यहोशु और इस्राएलियों को कई बार दोहराई गई थी ताकि इसके महत्व पर जोर दिया जा सके (पद.6–7, 9) । निश्चित रूप से, उन्होंने एक अनिश्चित भविष्य का सामना करने के साथ ही घबराहट महसूस की, लेकिन परमेश्वर ने आश्वस्त होकर कहा, “जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूँगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझ को छोडूंगा” (यहोशु 1:5) l

भय का होना स्वाभाविक है, लेकिन लगातार भय की स्थिति में रहना हमारे शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । जिस तरह परमेश्‍वर ने पुराने समय के अपने सेवकों को प्रोत्साहित किया, उसी तरह हम भी उसके कारण जिसने हमेशा हमारे साथ रहने का वादा करता है मज़बूत और साहसी हो सकते हैं ।

भटक जाना

मवेशियों के खेतों के पास रहते हुए, माइकल नामक एक हँसानेवाला(Comedian) देखा करता था कि किस तरह चरते-चरते गायों के भटक जाने की सम्भावना रहती थी l एक गाय अच्छे "हरे चरागाहों" की तलाश में आगे बढ़ती है l खेत के किनारे पर, गाय को एक छायादार पेड़ के नीचे कुछ अच्छी ताजा घास मिल जाती है l बाड़े के एक टूटे हिस्से के ठीक उस पार खाने लायक स्वादिष्ट वनस्पति है । फिर गाय बाड़ से परे सड़क तक चली जाती है । वह धीरे-धीरे “चरते हुए” खो जाती है l

घूमने की समस्या में गाय अकेले नहीं होती हैं । भेड़ें भी भटकती हैं, और इस बात की संभावना है कि लोगों में भटकने की सबसे बड़ी प्रवृत्ति है ।

शायद यही एक कारण है कि परमेश्वर बाइबल में हमारी तुलना भेड़ों से करता है । लापरवाह समझौता और मूर्खतापूर्ण निर्णयों के द्वारा दिशाहीन होकर “मार्ग भटक जाना” सरल हो सकता है, और ध्यान नहीं देना कि हम सच्चाई से कितनी दूर भटक गए हैं l 

यीशु ने फरीसियों को एक खोई हुई भेड़ की कहानी सुनाई । भेड़ चरवाहे के लिए इतनी कीमती थी कि उसने अपनी दूसरी भेड़ों को पीछे छोड़ दिया जबकि उसने भटकी भेड़ को खोजा l और जब उसने भटकी हुई को खोज लिया, उसने जश्न मनाया! (लूका 15:1-7) ।

परमेश्वर की ऐसी प्रसन्नता उन लोगों पर है जो उनकी ओर फिरते हैं । यीशु ने कहा, “मेरे साथ आनंद करो, क्योंकि मेरी खोयी हुई भेड़ मिल गयी है”(पद.6) । परमेश्वर ने हमें बचाने और हमें घर लाने के लिए एक उद्धारकर्ता भेजा है ।