बहुत बढ़िया!
जिस स्कूल में मेरे दोस्त विजयन फुटबॉल के कोच थे, वह एक कठिन लड़ाई में राज्य का खिताबी खेल हार गया। उनका प्रतिद्वंद्वी पिछले दो वर्षों से अपराजित था। मैंने विजयन को उनकी प्रशंसा करने के लिए एक संदेश भेजा और एक संक्षिप्त जवाब प्राप्त किया : "बच्चों ने लड़ाई लड़ी!"
खेल के बाद किसी भी कोच ने खिलाड़ियों को शर्मिंदा नहीं किया। रास्ते में उनके हादसों या बुरे फैसलों के लिए कोई उन पर चिल्लाया नहीं। नहीं, कोचों ने युवा खिलाड़ियों की प्रशंसा की, जिसकी प्रशंसा की जा सकती थी।
उसी तरह, यह जानना अच्छा है कि यीशु में विश्वास करने वाले उसकी निंदा के कठोर शब्द नहीं सुनेंगे। जब मसीह आएगा और हम उसके सामने खड़े होंगे, तो वह हमें लज्जित नहीं करेगा। जैसा कि हमने उसका अनुसरण किया है, वह देखेगा कि हमने क्या किया है (2 कुरिन्थियों 5:10; इफिसियों 6:8)। मुझे लगता है कि वह कुछ ऐसा कहेगा, "तुम लड़े! बहुत बढ़िया!" प्रेरित पौलुस ने गवाही दी कि उसने "अच्छी कुश्ती लड़ी" और परमेश्वर के द्वारा स्वागत किए जाने की प्रतीक्षा कर रहा था (2 तीमुथियुस 4:7-8)।
जीवन हमारे विनाश के लिए समर्पित एक भयंकर, अडिग दुश्मन के साथ एक निरंतर संघर्ष है। वह यीशु की तरह बनने और दूसरों से प्यार करने के हमारे हर प्रयास का विरोध करेगा। कुछ अच्छी जीतें और कुछ हृदयविदारक हारें होंगी—परमेश्वर जानता है—लेकिन यीशु में उनके लिए कोई अनन्त दंड नहीं होगा (रोमियों 8:1)। यदि हम परमेश्वर के पुत्र के गुणों में उसके सामने खड़े होते हैं, तो प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर से "[अपनी] सराहना/तारीफ़ प्राप्त करेगा" (1 कुरिन्थियों 4:5)।
परमेश्वर की इच्छा
परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करना कभी-कभी कठिन होता है । वह हमसे सही काम करने के लिए कहता है । वह हमें शिकायत किए बिना कष्ट सहने के लिए कहता है; ख़राब लोगों से प्यार करना; अपने भीतर की आवाज़ पर ध्यान देना जो कहता है, आप ऐसा नही कर सकते; ऐसे कदम लेना जो हम निःसंदेह नहीं लिए होते । इसलिए, हम दिन भर अपने मन से कहें : “हे मन, उत्साह से सुनो । चुपचाप रहो । यीशु जो आप से करने को कह रहा है वही करें ।”
सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेश्वर की ओर मन लगाए हूँ” (भजन 62:1) । “हे मेरे मन, परमेश्वर के सामने चुपचाप रह” (62:5) । ये पद सदृश्य हैं, लेकिन भिन्न । दाऊद अपने मन के विषय कहता है; उसके बाद मन से कुछ कहता है । “चुपचाप” एक निर्णय को संबोधित करता है, एक शांत मन । “चुपचाप रह” दाऊद के मन को उस निर्णय को याद रखने के लिए उकसाता है ।
दाऊद शांति में रहने का मन बनाता है──परमेश्वर की इच्छा के प्रति शांत समर्पण । यह बुलाहट हमारी भी है, वह चीज़ जिसके लिए हम बनाए गए हैं । हम शांति से रहेंगे जब हम सहमत होंगे : “मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो” (लूका 22:42) । यह हमारा प्रथम और सर्वोच्च बुलाहट है जब हम उसे प्रभु मानते हैं और अपने सबसे गहरे आनंद का श्रोत । “हे मेरे परमेश्वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूँ” (भजन 40:8) ।
जी हाँ, हमें सदैव परमेश्वर की सहायता मांगनी चाहिए, क्योंकि हमारी “आशा उसी में है” (62:5) । जब हम उसकी सहायता मांगते हैं, वह देता है । परमेश्वर हमसे कोई भी ऐसा काम करने को नहीं देता है जो वह नहीं करेगा या कर नहीं सकता है ।
मसीह का सुखद सुगंध
मैं एक गाँव के प्रचारक को जानता था जिसके दो पोते मेरे सबसे अच्छे मित्र थे l हम उनके साथ शहर जाते थे और इधर-उधर उनका अनुसरण करते थे जब वे खरीददारी करते थे और अपने परिचितों के साथ बातचीत करते थे l वह उन सभों को नाम से जानते थे और उनकी कहानियाँ भी जानते थे l वह यहाँ-वहाँ ठहरकर किसी बीमार बच्चे के बारे में या किसी मुश्किल विवाह के बारे में पूछते, और प्रोत्साहन के कुछ शब्द कहते l वे पवित्रशास्त्र को साझा करते थे और यदि वे ठीक समझते थे तो प्रार्थना करते थे l मैं उस व्यक्ति को भूल नहीं सकता l वह कुछ विशेष थे l वह अपना विश्वास किसी पर थोपते नहीं थे, लेकिन उसे हमेशा पीछे छोड़ते थे l
पौलुस के अनुसार वह वृद्ध प्रचारक अपने चारों ओर “मसीह का सुगंध” रखते थे (2 कुरिन्थियों 2:15) l परमेश्वर ने उन्हें [मसीह] के ज्ञान की सुगंध” फैलाने में उपयोग किया (पद.14) l अब वह परमेश्वर के पास हैं, लेकिन खुशबू लोमेटा में अभी भी ठहरा हुआ है l
सी. एस. ल्युईस ने लिखा, “कोई साधारण लोग नहीं हैं l आपने कभी केवल मनुष्य से बात नहीं की है l” एक और तरीके से समझें, प्रत्येक मानव संपर्क में अनंत प्रभाव है l हर दिन हमारे पास एक विश्वासयोग्य और विनम्र जीवन के शांत साक्षी के द्वारा या एक थके हुए आत्मा को प्रोत्साहित करने वाले शब्दों के द्वारा हमारे आस-पास के लोगों के जीवन में बदलाव करने के अवसर हैं l कभी भी दूसरों पर होने वाले मसीह के समान जीवन के प्रभाव को कम न आंकें l
असली मसीहत
वर्षों पहले मैंने एक मसीही संस्था में एक पद के लिए आवेदन किया था और मेरे समक्ष शराब, तम्बाकू और मनोरंजन के कुछ रूपों के उपयोग से सम्बंधित कानूनी नियमों की एक सूची प्रस्तुत की गयी थी l स्पष्टीकरण था, “हम अपने कर्मचारियों से मसीही व्यवहार की अपेक्षा करते हैं l” मैं इस सूची से सहमत हो सकता था, क्योंकि मैंने, ज्यादातर अपने विश्वास से असंबंधित कारणों से, उन चीजों को नहीं किया था l पर मेरे तर्कवादी पक्ष ने सोचा, उनके पास अंहकारी, असंवेदनशील, कठोर, आत्मिक रूप से उदासीन और आलोचनात्मक न होने की सूची क्यों नहीं है? उनमें से कोई भी संबोधित नहीं किया गया था l
यीशु के पीछे चलना नियमों की सूची द्वारा परिभाषित नहीं किया जा सकता है l यह जिन्दगी का एक रहस्यपूर्ण गुण है जिसे परिमाणित करना मुश्किल है लेकिन उसे सर्वोत्तम रूप से “सुन्दर” वर्णित किया जा सकता है l
मत्ती 5:3-10 के धन्य वचन उस सुन्दरता को समेटते हैं :जिन लोगों में यीशु का आत्मा निवास करता है और जो उस पर निर्भर हैं वे दीन और अत्यधिक विनम्र होते हैं l वे दूसरों की पीड़ा द्वारा गहराई से प्रभावित होते हैं l वे कोमल और दयालु होते हैं l वे खुद में और दूसरों में भलाई की लालसा रखते हैं l वे उन पर कृपालु होते है जो संघर्ष करते हैं और असफल होते हैं l वे यीशु के लिए अपने प्रेम में एकचित होते हैं l वे शांतिपूर्ण होते हैं और शांति की विरासत पीछे छोड़ते हैं l वे उन पर दयालु होते हैं जो उनका दुस्र्पयोग करते हैं, बुराई के बदले भलाई लौटाते हैं । और वे धन्य हैं, एक शब्द जिसका गहराई में अर्थ है “आनंदित l”
इस तरह का जीवन दूसरों का ध्यान आकर्षित करता है और उनका होता हैजो यीशु के पास आते हैं और उसे उससे मांगते हैं l
शामिल किया गया
मेरा बूढ़ा कुत्ता मेरे पास बैठता है और दूर आसमान को घूरता है l बताओ तुम क्या सोच रहे हो l एक बात मुझे पता है कि वह मरने के बारे में नहीं सोच रहा है क्योंकि कुत्ते “समझते” नहीं हैं l वे भविष्य की चीजों के बारे में नहीं सोचते हैं l लेकिन हम सोचते हैं l कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारी उम्र या स्वास्थ्य या धन क्या है, हम किसी बिंदु पर मृत्यु के बारे में सोचते हैं l यह इसलिए क्योंकि भजन 49:20 के अनुसार, जानवरों के विपरीत, हमारे पास, “समझ” है l हम जानते हैं कि हम मरेंगे, और इसके बारे में हम कुछ नहीं कर सकते l “कोई अपने भाई को किसी भाँति छुड़ा नहीं सकता है; और न परमेश्वर को उसके बदले प्रायश्चित में कुछ दे सकता है” (पद.7) l किसी के पास इतना पैसा नहीं है कि वह खुद को कब्र से बाहर निकाल सके l
लेकिन मृत्यु की अंतिम स्थिति से बाहर निकलने का एक तरीका है : “परमेश्वर मेरे प्राण को अधोलोक के वश से छुड़ा लेगा, क्योंकि वही मुझे ग्रहण कर अपनाएगा” (पद.15) l (शाब्दिक रूप से, “वह मुझे शामिल कर लिया”) l रॉबर्ट फ्रॉस्ट(अमरीकी कवि) ने कहा, “ घर वह स्थान है जहाँ, जब आपको जाना होगा, तो उन्हें आपको अंदर ले लेना होगा l” परमेश्वर ने हमें अपने पुत्र के द्वारा मृत्यु से छुड़ाया है, “जिसने अपने आप को सब के छुटकारे के दाम में दे दिया” (1 तीमुथियुस 2:6) l इस प्रकार यीशु ने वादा किया कि जब हमारा समय आएगा, वह हमारा स्वागत करेगा और हमें शामिल कर लेगा (यूहन्ना 14:3) l
जब मेरा समय आएगा, तो यीशु, जिसने परमेश्वर को मेरे जीवन की कीमत दी, वह खुले बाहों से अपने पिता के घर में मेरा स्वागत करेगा l
अपने काम पर ध्यान देना
वर्षों पहले, मेरे बेटे जोश और मैं एक पहाड़ी रास्ते पर जा रहे थे जब हमने हवा में उठते धूल का एक बादल देखा l हम आगे बढ़े और एक जानवर को मिटटी के एक ढेर में एक बिल बनाने में व्यस्त देखा l उसके सिर और कंधे बिल में थे और वह अपने सामने के पंजे से जोर से खुदाई कर रहा था और अपने पिछले पैरों से बिल में से मिटटी बाहर निकाल रहा था l वह अपने काम में इतना मग्न था कि उसने हमें सुना नहीं l
मैं रुक नहीं सकता था और पास में पड़ी एक लंबी छड़ी से उसे उकसाया l मैंने जानवर को चोट नहीं पहुंचाई, लेकिन उसने सीधे हवा में छलांग लगा दी और हमारी ओर बढ़ा l जोश और मैंने सौ-गज दौड़ के लिए नए विश्व रिकॉर्ड बनाए l
मैंने अपनी दुस्साहस से कुछ सीखा : कभी-कभी अन्य लोगों के काम में न झाँकना ही सबसे उत्तम होता है l यीशु में सहविश्वासियों के साथ संबंधों में यह विशेष रूप से सच है l प्रेरित पौलुस ने थिस्सलुनीकियों को “चुपचाप रहने और अपना-अपना काम काज करने और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न” करने हेतु प्रोत्साहित किया (1 थिस्सलुनीकियों 4:11) l हमें दूसरों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और परमेश्वर के अनुग्रह से वचन साझा करने की कोशिश करनी चाहिए और कभी-कभी हमें सुधार के एक कोमल शब्द की पेशकश करने के लिए कहा जा सकता है l लेकिन एक शांत जीवन जीना सीखना और दूसरों के जीवन में दखल न देना महत्वपूर्ण है l यह उन लोगों के लिए एक उदाहरण बन जाता है जो अभी परमेश्वर के परिवार में नहीं हैं (पद.12) l हमारी बुलाहट “आपस में प्रेम रखना [है]” (पद.9) l
ओज़ का जादूगर बहुत अद्भुत नहीं
द वंडरफुल विजार्ड ऑफ ओज़ (एक किताब पर आधारित एक अंग्रेजी नाटक) में, डोरोथी, एक बिजूखा(scarecrow), द टिन मैन, और कायर शेर डंडे वाली झाड़ू(broomstick) के साथ जिसने पश्चिम के दुष्ट जादूगरनी को सशक्त बनाया ओज़ को लौटते हैं l जादूगरनी ने वादा किया था, कि झाड़ू के बदले में, वह चारों को उनकी सबसे तीव्र इच्छाएं देगी : डोरोथी के लिए एक सवारी घर, बिजूखा के लिए एक मस्तिष्क, टिन मैन के लिए एक हृदय, और कायर शेर के लिए साहस l लेकिन जादूगरनी टालमटोल करते हुए उन्हें अगले दिन वापस आने के लिए कहती है l
जब वे जादूगर से विनती करते हैं, डोरोथी का कुत्ता टोटो पर्दा हटाता है, जिसके पीछे से जादूगरनी यह प्रकट करने के लिए बोलती है, कि जादूगर बिल्कुल भी जादूगर नहीं है, वह नेब्रास्का का एक भयभीत, बेचैन आदमी है l
यह कहा गया है कि लेखक, एल. फ्रैंक बॉम को परमेश्वर के साथ एक गंभीर समस्या थी, इसलिए वह यह संदेश देना चाहता था कि केवल हमारे पास अपनी समस्याओं को हल करने की शक्ति है l
इसके विपरीत, प्रेरित यूहन्ना “पर्दा” के पीछे वास्तविक रूप से अद्भुत व्यक्तित्व को प्रगट करने के लिए आवरण हटाता है l शब्द यूहन्ना को विफल कर देते हैं (परिच्छेद में पूर्वसर्ग सा, के समान के बार-बार उपयोग पर ध्यान दें), लेकिन बिंदु अच्छी तरह से स्थापित किया गया है : परमेश्वर अपने सिंहासन पर विराजमान है, और कांच के एक समुद्र से घिरा हुआ है (प्रकाशितवाक्य 4:2, 6) l मुसीबतों के बावजूद जो हमें यहां धरती पर परेशान करती हैं (अध्याय 2-3), परमेश्वर अपने पाँव से धरती नहीं नाप रहा और अपने नाखून नहीं चबा रहा है l वह हमारी भलाई के लिए क्रियाशीलता से कार्य कर रहा है, ताकि हम उसकी शांति का अनुभव कर सकें l
परमेश्वर पर परिणाम छोड़ दें
वर्षों पहले, मुझे विश्वविद्यालय के एक छात्रावास में रहनेवालों से बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था । वे असभ्य व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थे इसलिए मैं समर्थन के लिए एक दोस्त को साथ ले गया था । वे एक जश्न मनाने के मूड में थे, क्योंकि उन्होंने अभी-अभी एक फुटबॉल चैम्पियनशिप जीता था । रात के खाने में, अराजकता का प्रभाव था! आखिरकार, छात्रावास के अध्यक्ष ने घोषणा की : "यहां दो लोग हैं जो ईश्वर के बारे में बात करना चाहते हैं ।"
मैं रबड़ के समान शक्तिहीन टांगों पर खड़ा हुआ, और उन्हें ईश्वर के प्रेम के बारे में बताने लगा, और कमरा शांत हो गया । आनन्दमय ध्यानाकर्षण दिखायी दिया l उसके बाद एक जोरदार और ईमानदार प्रश्नोत्तरी का समय आया l बाद में, हमने वहाँ बाइबल अध्ययन शुरू किया और बाद के वर्षों में कईयों ने यीशु में उद्धार पाया ।
मैं ऐसे कई दिनों को याद करता हूँ जब मैंने “शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरा हुआ देखा” (लूका 10:18), लेकिन अन्य दिन भी थे जब मैं गिरा था – मुँह के बल l
लूका 10 यीशु के शिष्यों को एक मिशन से लौटकर एक महान सफलता की सूचना देते हुए बताता है l कईयों को राज्य में लाया गया था, दुष्टात्माएं भाग गए, और लोग चंगे हुए l शिष्य उत्तेजित हुए! यीशु ने उत्तर दिया, "मैंने देखा कि शैतान स्वर्ग से बिजली की तरह गिर रहा है ।" लेकिन फिर उन्होंने एक चेतावनी जारी की : "आनन्द मत करो कि आत्माएं तुम्हारे वश में हैं, परन्तु इस से आनंदित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं” (पद.20) ।
हम सफलता में खुश होते हैं । लेकिन जब हम असफल होने लगते हैं तो हम निराश हो सकते हैं । ईश्वर ने आपको जो करने के लिए कहा है, उसे करते रहिए और उसके परिणामों को उस पर छोड़ दीजिए । उसने आपका नाम अपनी पुस्तक में रखा है l
क्या हम मायने रखते हैं?
कुछ महीनों से मैं एक ऐसे युवा के साथ पत्रव्यवहार कर रहा हूं, जो विश्वास के बारे में गहराई से सोच रहा है । एक अवसर पर उसने लिखा, “हम इतिहास के समय पर नन्हा, छोटा, अतिसूक्ष्म प्रकाश बिंदु से अधिक नहीं हैं । क्या हम मायने रखते हैं?”
इस्राएल का नबी, मूसा, सहमत होगा : “हमारी आयु के वर्ष . . . जल्दी कट [जाते] हैं और हम जाते रहते हैं” (भजन 90:10) l जीवन की लघुता हमें चिंतित कर सकती है और हमें सोचने पर विवश कर सकती है कि क्या हम मायने रखते हैं l
हम मायने रखते हैं l हम इसलिए मायने रखते हैं क्योंकि हमें रचनेवाला परमेश्वर हमसे गहराई से और अनंत रूप से प्यार करता है l इस भजन में, मूसा प्रार्थना करता है, “हमें अपनी करुणा से तृप्त कर (पद.14) । हम इसलिए मायने रखते हैं क्योंकि हम परमेश्वर के लिए मायने रखते हैं ।
हम इसलिए भी मायने रखते हैं क्योंकि हम दूसरों को परमेश्वर का प्यार दिखा सकते हैं । यद्यपि हमारे जीवन छोटे हैं, वे निरर्थक नहीं हैं यदि हम परमेश्वर के प्रेम की विरासत छोड़ते हैं l हम पैसे कमाने और स्टाइल में सेवानिवृत होने के लिए धरती पर नहीं हैं, लेकिन दूसरों को परमेश्वर का प्रेम दिखाकर “उसको दिखाने” के लिए हैं l
और अंततः, हालांकि यहां पृथ्वी पर जीवन क्षणिक है, हम अनंत काल के प्राणी हैं । क्योंकि यीशु मृतकों में से जी उठा, हम हमेशा के लिए जीवित रहेंगे । मूसा का यही मतलब था जब उसने हमें आश्वासन दिया था कि परमेश्वर “भोर को हमें अपनी करुणा से तृप्त [करेगा] l” “उस सुबह” हम जीवित रहने और प्रेम करने और प्रेम किये जाने के लिए जीवित रहेंगे l और अगर इसमें अर्थ नहीं दिखाई देता है, तो मुझे नहीं मालूम किसमें अर्थ दिखाई देगा l