सामर्थ की ओर भागना
पैरी फोर!” जब मैंने तलवारबाजी सीखना शुरू किया तो मेरे कोच वार के प्रतिकूल बचाव की स्थिति (“पैरी”) ऊंची आवाज़ में बताते थे। जब वह अपना हथियार बढ़ाते तो मुझे सुनकर तुरंत प्रतिक्रिया देनी होती थी।
इस प्रकार सक्रिय होकर सुनना, यौन प्रलोभन में तत्काल आज्ञापालन की बात याद दिलाता है,। 1कुरिन्थियों 6:18 में पौलुस लिखते हैं, “ व्यभिचार से बचे रहो”। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में हमें स्थिर रहना होता है (गलातियों 5:1; इफिसियों 6:11), परन्तु इस स्थान पर बाइबिल व्यावहारिक रूप से हमारे सर्वश्रेष्ठ बचाव का सकेंत देती है। "भाग जाओ!"
संकट में पड़ने से पहले सही कदम उठाना बचाव है। छोटे-छोटे समझौते विनाशकारी हार ला सकते हैं। अनैतिक विचार, इंटरनेट पर गलत चित्र देखना और छेड़ खानी भरी मित्रता-यह ऐसे कदम है जो हमें विनाश के मार्ग पर ले जाते हैं और परमेश्वर और हमारे बीच में दूरी लाते हैं।
प्रलोभन में परमेश्वर भागने का मार्ग भी प्रदान करते हैं। क्रूस पर यीशु की मृत्यु के माध्यम से वह हमें आशा क्षमा और एक नया आरम्भ प्रदान करते हैं-चाहे हम जहां भी रहे हों और हमने जो भी किया हो। जब हम अपनी कमजोरियों में यीशु की ओर भागते हैं, वह हमें मुक्त कर देते हैं मुक्त कर देते हैं जिससे जीवन उनके सामर्थ में जी सकें।
सच्ची आशा
कुछ समय पहले मैं एक मित्र के साथ एम्पायर स्टेट बिल्डिंग में गया। लाइन छोटी लग रही थी, बस कोने तक ही। परन्तु अन्दर पहुंचे तो देखा, लाइन लॉबी से लेकर सीढ़ियों तक और एक अन्य कमरे तक फैली हुई थी । हर मोड़ और भी दूरी को बता रहा था।
आकर्षणस्थलों और थीम पार्क की लाइनों के रूट ऐसे बनाए जाते हैं जिससे भीड़ कम दिखे। फिर भी हर मोड़ पर वास्तविक दशा से निराशा हाथ आती है।
कभी कभी जीवन की निराशाएं और अधिक गंभीर हो जाती हैं। जो नौकरी मिलने की आशा हो वह नहीं मिलती, जिन मित्रों पर भरोसा किया उन्हीं ने धोखा दिया, जो संबंध बनाए वे नकाम हुए। लेकिन इन पलों में, परमेश्वर पर हमारी आशा रखने के बारे में वचन एक सत्य कहता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा, "क्लेश से धीरज और धीरज से खरा निकलना..."। (रोमियों 5:3-5)
जब उनपर हम विश्वास रखते हैं, तो परमेश्वर अपनी आत्मा द्वारा, धीरे से बता देते हैं कि वे हमें बिना शर्त प्रेम करते हैं और एक दिन हम उनके साथ होंगे-चाहे कैसी भी बाधाओं का हमें सामना करना पड़े। एक ऐसे संसार में जो अक्सर हमें निराश करता है, यह जानना कितना भला है कि परमेश्वर हमें सच्ची आशा देते हैं।
पिछला पहला होगा
हाल ही में मैं एक बड़े विमान में चढ़नेवाला अंतिम यात्री था जिसे कोई सीट भी नहीं मिली थी l विमान के अन्दर उसके पंख के पास दो सीटों के बीच में एक सीट मुझे मिली किन्तु मुझे अपना सामान बिलकुल पीछे की कतार के सीट के ऊपर बने स्थान में रखना पड़ा l अर्थात् सब लोगों के बाहर निकलने के बाद ही मैं अपना सामान निकाल सकता था l
मैं अपनी सीट पर बैठते समय मुस्कराने लगा और उसी समय मानों प्रभु की ओर से एक विचार आया : “ठहरने से तुम्हारी कुछ भी हानि नहीं होगी l इससे तुम्हारा भला होगा l” इसलिए मैंने अतिरिक्त समय का आनंद उठाने का निर्णय किया, और विमान के उतरने के बाद दूसरे यात्रियों को उनके सामान उतरवाने में और एक विमान परिचारक को सफाई करने में सहायता भी की l जब मैंने अपना बैग उतारा, मुझे फिर हंसी आयी क्योंकि किसी ने सोचा कि मैं विमान-कंपनी के लिए काम करता था l
उस दिन के अनुभव से मैं यीशु द्वारा शिष्यों से कहे गए शब्दों पर विचार करने को विवश हुआ : “यदि कोई बड़ा होना चाहे, तो सब से छोटा और सब का सेवक बने” (मरकुस 9:35) l
मैं ठहरा रहा क्योंकि मेरी मजबूरी थी, किन्तु यीशु के “उलटे” राज्य में, उनके लिए आदर का एक स्थान है जो अपने आप से आगे बढ़कर दूसरों की ज़रूरतों में सहायता करते हैं l
यीशु हमारे उतावली, और जहां लोग पहले सेवा की मांग करते हैं, वाले संसार में “इसलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, परन्तु इसलिए आया कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिए आने प्राण दे” (मत्ती 20:28) l हम दूसरों की सेवा करके ही उसकी सर्वोत्तम सेवा कर सकते हैं l हम जितना झुकेंगे, उतना ही उसके निकट रहेंगे l
लुका छुपी
“आप मुझे नहीं देख सकते हैं!”
छोटे बच्चे “लुका छुपी” खेलते समय विश्वास करते हैं कि अपनी आँखों को बंद करने से वे छिप जाते हैं l वे मानते हैं कि यदि वे आपको नहीं देख सकते हैं, तो आप भी उन्हें नहीं देख सकते हैं l
चाहे वयस्कों को वह जितना भी भोला महसूस हो, हम कभी-कभी परमेश्वर के साथ भी ऐसा ही करते हैं l जब हम जानते हुए कुछ गलत करने की इच्छा करते हैं, हमारा अभिप्राय अपने मन की करते हुए परमेश्वर को अलग करना हो सकता है l
नबी यहेजकेल ने परमेश्वर से दर्शन में बेबीलोन में निर्वासित अपने लोगों के विषय यह देखा l प्रभु ने उससे कहा, “क्या तूने देखा है कि इस्राएल के घराने के पुरनिये अपनी नक्काशीवाली कोठरियों के भीतर अर्थात् अंधियारे में क्या कर रहे हैं? वे कहते हैं कि यहोवा हम को नहीं देखता” (यहेज. 8:12) l
किन्तु परमेश्वर सब कुछ देखता है, और यहेजकेल का दर्शन इसका प्रमाण है l फिर भी उनके पाप करने पर, परमेश्वर ने अपने पश्च्तापी लोगों को एक नयी प्रतिज्ञा दी : “मैं तुमको नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नयी आत्मा उत्पन्न करूँगा” (36:26) l
हमारे लिए, परमेश्वर ने क्रूस पर पूर्ण दंड चुकाकर अपनी कोमल करुणा से टूटापन और पाप का विद्रोह ख़त्म किया l यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर हमें केवल नया आरंभ ही नहीं देता है, किन्तु जब हम उसके पीछे चलते हैं वह हमारे हृदय परिवर्तन के लिए हमारे अन्दर काम भी करता है l परमेश्वर कितना अच्छा है! जब हम खोए हुए थे और अपने पाप में छिपे हुए थे, परमेश्वर, यीशु के द्वारा, हमें “ढूढ़ने और [हमारा] उद्धार करने आया” (लूका 19:10; रोमि. 5:8) l
हमारी प्रार्थना, परमेश्वर का समय
कभी-कभी परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देने में समय लेता है, और हमें इसे समझने में कठिनाई होती है l
याजक जकरयाह की यही स्थिति थी, जब जिब्राइल स्वर्गदूत एक दिन यरूशलेम के मंदिर में एक वेदी के निकट उसके सामने प्रगट हुआ l जिब्राइल ने उससे कहा, “हे जकरयाह, भयभीत न हो, क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गयी है ; और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिए एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना” (लूका 1:13, तिरछे अक्षर जोड़े गए हैं) l
किन्तु शायद जकरयाह ने वर्षों पहले परमेश्वर से पुत्र माँगा होगा, और उसने जिब्राइल के सन्देश से संघर्ष किया क्योंकि इलीशिबा के बच्चे जनने का समय समाप्त हो चुका था l फिर भी, परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली l
परमेश्वर की करूणा सिद्ध है l वह हमारी प्रार्थना को केवल वर्षों तक ही नहीं किन्तु हमारे समय से परे पीढ़ियों तक याद रख सकता है l वह उन्हें कभी नहीं भूलता है और हमारे द्वारा उसके सामने अपने निवेदनों को लाने के बहुत समय बाद उत्तर दे सकता है l कभी-कभी उसका उत्तर “नहीं” हो सकता है और दूसरे समय में “ठहरो”-किन्तु उसका उत्तर प्रेम से पूर्ण होता है l परमेश्वर के मार्ग हम समझते नहीं हैं, किन्तु हम भरोसा कर सकते हैं कि वे अच्छे हैं l
जकरयाह ने यह सीख लिया l उसने एक पुत्र माँगा, किन्तु परमेश्वर ने उससे कहीं अधिक दिया l उसका पुत्र बड़ा होकर उद्धारकर्ता की सूचना देनेवाला नबी बनने वाला था l
जकरयाह का अनुभव एक ख़ास सच्चाई को प्रगट करनेवाला था जो हमारी प्रार्थना के समय हमें उत्साहित कर सकता है : परमेश्वर का समय कभी-कभी ही हमारे मन के अनुसार होता है, किन्तु इसके लिए इंतज़ार करना लाभदायक है l
जब खूबसूरती ख़त्म नहीं होती
मुझे ग्रैंड घाटी देखना पसंद है l जब मैं घाटी के किनारे खड़ा होता हूँ, मैं परमेश्वर की चौंकानेवाली कृति देखता हूँ l
यद्यपि वह भूमि में एक (बहुत बड़ा) “गड्ढा” है, ग्रैंड घाटी मुझे स्वर्ग पर विचार करने हेतु विवश करता है l एक बारह वर्षीय ईमानदार युवक ने एक बार मुझ से पूछा, “क्या स्वर्ग अरुचिकर नहीं होगा? क्या आप नहीं सोचते कि हम हमेशा परमेश्वर की प्रशंसा करते हुए थक जाएंगे?” किन्तु यदि भूमि में एक “गड्ढा” इतना जबरदस्त खुबसूरत है और हम उसे देखते नहीं थकते हैं, हम खूबसूरती के श्रोत-हमारे प्रेमी सृष्टिकर्ता-को नयी सृष्टि के सम्पूर्ण असली आश्चर्य में एक दिन देखने की कल्पना ही कर सकते हैं l
“एक वर मैंने यहोवा से माँगा है, उसी के यत्न में लगा रहूँगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊं, जिससे यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूँ,” (भजन 27:4) दाऊद ने इन शब्दों को लिखते हुए यह इच्छा प्रगट की l परमेश्वर की उपस्थिति से सुन्दर कुछ नहीं, जो इस पृथ्वी पर हमारे निकट आती है जब हम भविष्य में उसका चेहरा आमने-सामने देखने की चाह में उसे विश्वास से खोजते हैं l
उस दिन हम अपने अद्भुत प्रभु की प्रशंसा करते हुए नहीं थकेंगे, क्योंकि हम उसकी उत्तम भलाई और उसके हाथों के कार्य के आश्चर्य की तरोताज़गी, और नयी खोज के अंत में कभी नहीं पहुंचेंगे l उसकी उपस्थिति उसकी खूबसूरती और उसके प्रेम का असाधारण प्रकाशन प्रगट करेगी l
सही प्रार्थना सहयोगी
आपसे प्रेम और आपके लिए प्रार्थना करनेवाले की आवाज़ सुनना मधुर है l किसी मित्र का आपके लिए करुणा और परमेश्वर द्वारा प्रदत्त अंतर्दृष्टि से प्रार्थना करते सुनना स्वर्ग का पृथ्वी को स्पर्श करने जैसा है l
यह जानना कितना अच्छा है कि हमारे प्रति परमेश्वर की भलाई के कारण हमारी प्रार्थनाएँ स्वर्ग को भी स्पर्श कर सकती हैं l कभी-कभी प्रार्थना करते समय हम शब्दाभाव और अयोग्यता महसूस करते हैं, किन्तु यीशु ने अपने अनुगामियों को सिखाया कि हमें “ [सदा] प्रार्थना करना [चाहिए] और हियाव न[हीं] छोड़ना चाहिए” (लूका 18:1) l परमेश्वर का वचन हमें दिखाता है कि ऐसा संभव है, क्योंकि “मसीह ... हमारे लिए निवेदन भी करता है” (रोमियों 8:34) l
हम कभी भी अकेले प्रार्थना नहीं करते, क्योंकि यीशु हमारे साथ प्रार्थना करता है l वह हमें प्रार्थना करते हुए सुनकर हमारे पक्ष में पिता से बातें करता है l हमें अपने वाक्पटुता की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यीशु की तरह हमें कोई नहीं समझता l वह हर प्रकार से हमारी मदद करके हमारी ज़रूरतें परमेश्वर के समक्ष प्रस्तुत करता है l वह सिद्ध बुद्धिमत्ता और प्रेम के साथ हमारे प्रत्येक निवेदन का सही उत्तर सही समय पर देना जानता है l
यीशु सही प्रार्थना सहयोगी है-मित्र जो हमारे लिए असीमित दया के साथ विनती करता है l हमारे लिए उसकी प्रार्थना का हम ब्यान नहीं कर सकते, और इसलिए हम धन्यवादी होकर प्रार्थना करने का उत्साह प्राप्त करें l
नया विश्वास
मेरे पुत्र के नशीले पदार्थों से संघर्ष करते समय, मुझे विश्वास करने में कठिनाई होती थी कि एक दिन परमेश्वर हमारे अनुभुव द्वारा संघर्ष करनेवालों को उत्साहित करेगा l परमेश्वर के पास कठिन परिस्थितियों से भलाई निकालने का तरीका है जो उस समय देखना कठिन है जब हम उसमें होते हैं l
प्रेरित थोमा को भी परमेश्वर से अपने विश्वास की महानतम चुनौती अर्थात् यीशु के क्रूसीकरण से कुछ भलाई निकलने की आशा न थी l अपने पुनरुत्थान के बाद जब यीशु शिष्यों से मिलने आया थोमा वहाँ नहीं था, और अपने गहरे दुःख में दृढ़ता से बोला, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद न देख लूँ, और कीलों के छेदों में अपनी ऊँगली न डाल लूँ, ... मैं विश्वास नहीं करूँगा” (यूहन्ना 20:25) l किन्तु बाद में, जब यीशु सभी शिष्यों के पास आया, परमेश्वर का आत्मा थोमा के शक से विश्वास का एक असाधारण कथन निकलने दिया l थोमा चिल्लाया, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!” (पद.28), वह इस सच्चाई को स्वीकार रहा था कि यीशु देह में परमेश्वर है, जो उसके सामने खड़ा है l यह विश्वास का एक दृढ़ कथन जो आनेवाले हर एक शताब्दी में विश्वासियों को उत्साहित करनेवाला था l
ऐसे क्षणों में भी जब हम कम आशा करते हैं, परमेश्वर हमारे हृदयों में नया विश्वास उत्पन्न कर सकता है l हम सदैव उसकी विश्वासयोग्यता की आशा कर सकते हैं l उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं है!
सर्वोत्तम भाग
“उसका टुकड़ा मेरे से बड़ा है!”
बचपन में घर में बनी मिठाई के टुकड़े माँ से मिलने पर हम भाई एक दूसरे से लड़ते थे l एक दिन पिता ने अपनी भौंवें चढ़ाकर हमारे हरकत देखे, और अपना प्लेट उठाकर माँ को देखकर मुस्कराए : “कृपया मुझे अपने हृदय के बराबर टुकड़ा दो l” हम दोने भाई हैरान होकर माँ को हँसते हुए उनको सबसे बड़ा टुकड़ा देते हुए देखा l
परायी सम्पत्ति पर ध्यान देने से बहुत बार ईर्ष्या होती है l फिर भी परमेश्वर का वचन हमारे ध्यान को सांसारिक सम्पत्ति से कुछ अधिक मूल्यवान पर ले जाता है l भजनकार लिखता है, “यहोवा मेरा भाग है; मैंने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है l मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है” (भजन 119:57-58) l पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर लेखक ने सच्चाई बतायी कि परमेश्वर के निकट रहना सबसे महत्वपूर्ण है l
हमारे प्रेमी और असीम सृष्टिकर्ता से अधिक हमारा बेहतर भाग और क्या हो सकता है? संसार की किसी वस्तु से उसकी तुलना नहीं, और कुछ भी उसे हमसे छीन नहीं सकता l मानवीय इच्छा बड़ा खालीपन है; किसी के पास संसार का “सब कुछ” हो सकता है और फिर भी अभागा l किन्तु जब परमेश्वर हमारा आनंद है, हम वास्तव में संतुष्ट हैं l हमारे अन्दर एक खाली स्थान है जिसे केवल परमेश्वर ही भर सकता है l वही हमारे हृदयों में अनुकूल शांति दे सकता है l