ज्योति के रखवाले
वे उन्हें “ज्योति के रक्षक” संबोधित करते हैं l
संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना तट से दूर हैट्टेरस प्रायद्वीप के अंतिम बिंदु पर, 1803 से उन लोगों के लिए एक स्मारक है, जिन्होंने वहाँ के प्रकाश स्तंभों(light house) को संभाला है l तटरेखा के कटाव के कारण मौजूदा संरचना को देश के भीतरी भाग में स्थानांतरित किये जाने के थोड़े ही समय के बाद, रखवालों के नाम पुराने नींव के पत्थरों पर खोदे गए और रंगशाला (ampitheatre) के आकार में व्यवस्थित किये गए जिसके सामने नया स्थान था l इस तरह – जैसे कि एक घोषणा पत्र समझाता है – आज के दर्शक ऐतिहासिक रखवालों के पदचिन्हों का अनुसरण कर सकते हैं और प्रकाश स्तम्भ की “देखरेख भी कर सकते हैं l”
यीशु ही एकमात्र ज्योति देनेवाला है l “जगत की ज्योति मैं हूँ, जो मेरे पीछे हो लेगा वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा” (यूहन्ना 8:12) l यह किसी के लिए भी एक क्रांतिकारी दावा है l लेकिन यीशु ने कहा कि यह उसके स्वर्गिक पिता, प्रकाश और जीवन की सृष्टिकर्ता के साथ उसके रिश्ते की पुष्टि करने के लिए है जिसने उसे भेजा था l
जब हम यीशु की ओर देखते हैं और उसकी शिक्षा का अनुसरण करते हैं, परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता पुनर्स्थापित होता है, और वह हमें नयी सामर्थ्य और उद्देश्य देता है l उसका रूपांतरित करने वाला जीवन और प्रेम – “समस्त मानव की ज्योति” (1:4) – हममें और हमारे द्वारा चमकता है और बाहर अँधेरे में और कभी-कभी खतरनाक संसार में भी l
यीशु के अनुयायी होने के कारण
,
हम “ज्योति के रखवाले है
l”
काश दूसरे उसकी ज्योति को हमारे द्वारा चमकते देख सकें और उस जीवन और आशा को प्राप्त कर सकें जो केवल वही दे सकता है!
जो देखता है
“अरे नहीं!” रसोई में कदम रखते ही मेरी पत्नी की आवाज़ सुनायी दी। जिस क्षण वह बोली, हमारे नब्बे पाउंड का लैब्राडोर “मैक्स” कमरे से उत्तर दिया। मांस का वह टुकड़ा गायब था जो पटल के किनारे बहुत निकट रखा था। मैक्स ने उसे खा लिया था, और खाली बर्तन छोड़ दिया था। वह पलंग के नीचे छिपने का प्रयास कर रहा था। लेकिन केवल उसका सिर और उसके कंधे उसमें समा सके। उसके शरीर का खुला हुआ पिछला भाग और पूँछ ने उसके छिपने को धोखा दिया था जब मैं उसको खोजने गया।
“ओह, मैक्स,” मैं धीमी आवाज़ में बोला, “तुम्हारा ‘पाप’ तुम्हें ढूंढ़ निकालेगा।” यह वाक्यांश मूसा से लिया गया है, जब वह इस्राएल के दो गोत्रों को परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहने और अपना वचन पूरा करने को समझाता है। उसने उनसे कहा : “परन्तु यदि तुम ऐसा न करोगे, तो प्रभु के प्रति पाप करोगे। इस बात को जान लो, तुम्हारा पाप तुम्हें ढूंढ़ निकालेगा” (गिनती 32:23 – Hindi-CL)।
पाप एक क्षण के लिए अच्छा लग सकता है, परन्तु यह परमेश्वर से अलग होने के अंतिम पीड़ा का कारण बनता है। मूसा अपने लोगों को याद दिला रहा था कि परमेश्वर कुछ भी नहीं भूलता है। जिस तरह बाइबल का एक लेखक कहता है, “सृष्टि की कोई वस्तु उससे छिपी नहीं है वरन् जिस से हमें काम है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट है” (इब्रानियों 4:13)
यद्यपि, सभी कुछ देखकर, हमारा पवित्र परमेश्वर हमें प्रेम से अपने पाप को स्वीकार करने के लिए, उससे मन फिराने के लिए (उससे मुँह मोड़ने के लिए), और उसके साथ सही तरीके से चलने के लिए बुलाता है (1 यूहन्ना 1:9)। आज हम प्रेम में होकर उसका अनुसरण करें।
वह जो बचाता है
डेस्मंड को “सबसे बहादुर व्यक्तिजो जीवित है” संबोधित किया गया, लेकिन वह वो नहीं था जो दूसरे अपेक्षा करते थे l वह एक सैनिक था जिसने बन्दुक चलाने से माना कर दिया l एक डॉक्टर के रूप में, उसने एक ही लड़ाई में पचहत्तर घायल सैनिकों को हानि से बचाया, जिनमें से कुछ ने एक बार उन्हें कायर कहा और उनके विश्वास के लिए उनका उपहास किया l भरी गोलाबारी में भागते हुए, इस सैनिक ने लगातार प्रार्थना की, “परमेश्वर, कृपया मुझे एक और मदद करें l” उनकी वीरता के लिए उन्हें मैडल ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया गया l
शास्त्र हमें बताता है कि यीशु को बहुत गलत समझा गया था l जकर्याह नबी द्वारा नबूवत किया गया था (9:9), कि एक दिन, यीशु एक गधे पर सवार होकर यरूशलेम में प्रवेश किया और भीड़ ने “होशाना!” चिलाते हुए डालियों को लहराया (प्रशंसा का एक विस्म्योदगार जिसका अर्थ है “बचाओ!”) l भजन 118:26 का सन्दर्भ देते हुए, वे चिल्लाए : “धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है!” (यूहन्ना 12:13) l लेकिन उस भजन में दूसरा पद “यज्ञपशु को वेदी के सींगों से रस्सियों से बांधो” अर्थात् एक बलिदान लाने की बात करता है (भजन 118:27) l जबकि यूहन्ना 12 में भीड़ एक ऐसे सांसारिक राजा की उम्मीद लगायी थी जो उनको रोमी शासन से स्वतंत्र करेगा, लेकिन यीशु उससे कहीं अधिक था l वह राजाओं का राजा था और हमारा बलिदान – देह में परमेश्वर, स्वेच्छा से हमें हमारे पापों से बचाने के लिए क्रूस को गले लगाने वाला – एक उद्देश्य जिसकी नबूवत सदियों पूर्व की गयी थी l
यूहन्ना लिखता है, “उसके चेले ये बातें पहले न समझे थे l” केवल बाद में “उनको स्मरण आया कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुयी थीं” (यूहन्ना 12:16) l उसके वचन से आलोकित, परमेश्वर के शाश्वत उद्देश्य स्पष्ट हो गए l वह हमें एक शक्तिशाली उद्धारकर्ता भेजने के लिए पर्याप्त प्यार करता है!
पूरी तरह से जाना हुआ
टो ट्रक ड्राईवर (खराब गाड़ी को दूसरी गाड़ी से खींचने वाला) ने मेरी माँ की कार को खड़ी पहाड़ी खड्ड के किनारे से खींचकर बाहर निकालने और दुर्घटना स्थल तक दिखाई देनेवाले टायर के निशानों का अध्ययन के बाद कहा, “आपको अभी यहाँ नहीं होना चाहिए l कोई वहाँ से आपकी निगरानी कर रहा है,” l उस समय मैं उनके गर्भ में था l जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, वह अक्सर उस कहानी को याद करती थी कि किस तरह उस दिन परमेश्वर ने हम दोनों के जीवनों को बचाया था, और उसने मुझे आश्वस्त किया कि परमेश्वर ने मेरे जन्म से पहले ही मुझे महत्त्व दिया था l
हममें से कोई भी हमारे सर्वज्ञ (सब कुछ जाननेवाला) सृष्टिकर्ता के ध्यान से बच नहीं सकता है l 2,500 साल से अधिक पहले उसने नबी यिर्मयाह से कहा, “गर्भ में रचने से पहले ही मैं ने तुझ पर चित लगाया” (यिर्मयाह 1:5) l परमेश्वर हमें किसी भी व्यक्ति की तुलना में अधिक आत्मीयता से जानता है और किसी भी अन्य के विपरीत हमारे जीवन को उद्देश्य और अर्थ देने में सक्षम है l उन्होंने न केवल हमें अपनी बुद्धि और शक्ति द्वारा रचा, बल्कि वह हमारे अस्तित्व के हर क्षण को भी थामता है – जिसमें व्यक्तिगत विवरण शामिल हैं जो हर पल हमारी जागरूकता के बिना होते हैं : हमारे दिलों की धड़कन से लेकर हमारे दिमाग के जटिल कामकाज तक l इस बात पर चिंतन करते हुए कि हमारे स्वर्गिक पिता हमारे अस्तित्व के हर पहलु को एक साथ कैसे रखते हैं, दाऊद ने कहा, “मेरे लिए तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं!” (भजन 139:17) l
परमेश्वर हमारी अंतिम साँसों की तुलना में हमारे करीब है l उसने हमें बनाया है, हमें जानता है और हमसे प्यार करता है, और वह हमारी आराधना और प्रशंसा के योग्य है l
सबसे कठिन स्थान
जेफ आज उसी शहर में एक युवा पास्टर हैं, जहाँ उन्होंने एक समय हेरोइन(नशीला पदार्थ) का सेवन करते थे l परमेश्वर ने उसके हृदय और उसकी परिस्थितियों को एक असाधारण तरीके से बदल दिया l जेफ़ ने कहा, “मैं बच्चों को उन गलतियों को करने से रोकना चाहता हूँ और जिस दर्द से मैं गुज़रा हूँ, उससे दूर रखना चाहता हूँ l और यीशु उनकी मदद करेगा l” समय के साथ, परमेश्वर ने उन्हें नशे की गुलामी से मुक्त कर दिया और उन्हें उनके अतीत के बावजूद एक महत्वपूर्ण सेवा दी l
परमेश्वर के पास ऐसी परिस्थितियों से अप्रत्याशित भलाई लाने के तरीके हैं जहाँ आशा खो जाती है l यूसुफ को मिस्र में गुलामी में बेच दिया गया और झूठा अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया गया, जहाँ उसे वर्षों तक भुला दिया गया l लेकिन परमेश्वर ने उसे बहाल किया और उसे फिरौन के अधीन सीधे सत्ता के पद पर बिठा दिया, जहाँ वह कई लोगों को बचाने में सक्षम हुआ – जिसमें उसके भाई भी शामिल थे, जिन्होंने उसे छोड़ दिया था l मिस्र में यूसुफ ने विवाह किया और उसके बच्चे हुए l उन्होंने दूसरे का नाम एप्रैम रखा (“दो बार फलदायक” के लिए इब्री शब्द से लिया गया), और इस कारण दिया : “मुझे दुःख भोगने के देश में परमेश्वर ने फलवंत किया है” (उत्पत्ति 41:52) l
जेफ़ और यूसुफ की कहानियाँ, तीन से चार हज़ार साल अलग होने पर, एक ही अपरिवर्तनीय सच्चाई की ओर इशारा करती हैं : यहाँ तक कि हमारे जीवन में सबसे कठिन स्थान परमेश्वर के लिए कई लोगों की मदद और आशीष के लिए उपजाऊ भूमि बन सकती है l हमारे उद्धारकर्ता का प्यार और शक्ति कभी नहीं बदलती है, और वह उन लोगों के लिए हमेशा वफादार रहता है जो उस पर भरोसा करते हैं l
प्रेम करने में कोई पंक्ति नहीं
कभी-कभी जब मेरा कुत्ता ध्यान चाहता है, वह मेरा कुछ लेकर मेरे सामने दिखावा करेगा l एक सुबह जब मैं अपनी पीठ पीछे करके डेस्क पर लिख रहा था, मैक्स मेरा बटुआ छीन कर भाग गया l यह महसूस करते हुए कि मैंने उसे ऐसा करते हुए नहीं देखा था, उसने लौटकर मुझे अपने नाक से ठोकर मारा – बटुआ उसके मुँह में था, आँखें नाँच रही थी, पूंछ हिल रही थी, और वह मुझे अपने साथ खेलने के लिए आकर्षित कर रहा था l
मैक्स की हरकतों ने मुझे हँसाया, लेकिन उसने मुझे अपनी सीमाओं की भी याद दिलाई, जब यह दूसरों के प्रति चौकस रहने की बात होती है l अक्सर मैं परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताना चाहता हूँ, लेकिन अन्य चीजें मेरे समय और जागरूकता पर कब्ज़ा कर लेती है; और इससे पहले कि मैं जानु दिन बीत जाता है और प्यार अधूरा रह जाता है l
यह जानकार कितना सुकून मिलता है कि हमारा स्वर्गिक पिता इतना महान है कि वह सबसे अन्तरंग तरीके से हम में से हर एक का ध्यान रखने में सक्षम हैं – यहाँ तक कि हमारे जीवित रहने तक, हमारे फेफड़ों में हर साँस को बनाए रखता है l वह अपने लोगों से वादा करता है, “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूँगा l मैं ने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिए फिरता रहूँगा; मैं तुम्हें उठाए रहूँगा और छुड़ाता रहूँगा” (यशायाह 46:4) l
परमेश्वर के पास सर्वदा हमारे लिए समय होता है l वह हमारी परिस्थितियों के हर विवरण को समझता है – चाहे वह कितना भी जटिल या कठिन क्यों न हो – और जब भी हम प्रार्थना में उसे बुलाते हैं, वह वहाँ मौजूद होता है l हमें अपने उद्धारकर्ता के असीमित प्रेम के लिए कभी भी पंक्ति में उसकी प्रतीक्षा नहीं करनी होगी l
प्रार्थना करने के लिए प्रेरित
“कई साल पहले मैं आपके लिए अक्सर प्रार्थना करने के लिए प्रेरित हुयी, और मुझे आश्चर्य है कि क्यों l”
पुराने मित्र का वह नोट एक फोटो के रूप में आया जो उसने अपने बाइबल में रखा था : “जेम्स के लिए प्रार्थना करो l मन, विचारों, शब्दों को ढांक लो l” मेरे नाम के आगे उसने तीन अलग-अलग वर्षों को रिकॉर्ड किया है l
मैंने वर्षों को देखकर अपनी साँसें रोक लीं l मैंने वापस लिखकर पूछा कि उसने किस माह में प्रार्थना करना आरम्भ की थी l “जुलाई में किसी समय l”
वही महिना था जब मैं विदेश में विस्तारित अध्ययन करने के लिए घर छोड़ने की तैयारी कर रहा था l मैं एक अपरिचित संस्कृति और भाषा का सामना करने वाला था और मेरे विश्वास को ऐसी चुनौती मिलने वाली थी जैसी पहले कभी नहीं मिली थी l जब मैंने उस नोट को देखा, मुझे एहसास हुआ कि मुझे उदार प्रार्थना का अनमोल उपहार मिला है l
मेरे मित्र की दयालुता ने मुझे प्रार्थना करने के लिए एक और “उकसावे” की याद दिला दी l अपने युवा मिशनरी मित्र तीमुथियुस के लिए पौलुस का निर्देश : “अब मैं सब से पहले यह आग्रह करता हूँ कि विनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद सब मनुष्यों के लिए किए जाएँ” (1 तीमुथियुस 2:1) l वाक्याँश “सबसे पहले” सर्वोच्च प्रार्थमिकता को दर्शाता है l पौलुस समझाता है कि हमारी प्रार्थनाएं मायने रखती हैं, क्योंकि परमेश्वर “चाहता है कि सब मनुष्यों का उद्धार हो, और वे” यीशु के विषय “सत्य को भली भांति पहचान लें” (पद.4) l
परमेश्वर दूसरों को प्रोत्साहित करने और उन्हें अपने पास खींचने के लिए अनगिनत तरीकों से विश्वासयोग्य प्रार्थना के द्वारा आगे बढ़ता है l हम किसी की परिस्थितियों को नहीं जानते होंगे जब वे हमारे मन में आती हैं, लेकिन परमेश्वर जानता है l और जब हम प्रार्थना करेंगे वह उस व्यक्ति की सहायता करेगा!
देने में बढ़ना
“मैं तुम्हारे लिए एक एक उपहार लाया हूँ!” मेरे दो वर्ष के पोते ने मेरे हाथों में एक बॉक्स रखते हुए उत्साह से चिल्लाया l “मेरी पत्नी मुस्कराती हुयी बोली, “उसने इसे खुद से चुना है l”
मैंने बॉक्स को खोलकर पाया कि उसमें उसके प्रिय कार्टून चरित्र की क्रिसमस सजावट है l “क्या मैं देख सकता हूँ?” उसने उत्सुकता से पूछा l फिर वह शाम के बाकी समय में “मेरे” उपहार के साथ खेलता रहा, और मैं उसको देखकर मुस्कुराता रहा l
मैं मुस्कुराया क्योंकि मैंने याद किया कि मैंने अपने प्रियों को अतीत में उपहार दिए थे, जैसे कि संगीत एल्बम जो मैंने अपने बड़े भाई को एक क्रिसमस में दिया था जब मैं हाई स्कूल में था क्योंकि मैं वास्तव में चाहता था (और दिया भी) l और मैंने महसूस किया कि कैसे बर्षों बाद परमेश्वर अभी भी मुझे खींच रहा था और मुझे और अधिक निःस्वार्थ रूप से देना सिखा रहा था l
देना एक ऐसी बात है जिसमें हम उन्नति करते हैं l पौलुस ने लिखा, “इसलिए जैसे तुम हर बात में . . . बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ” (2 कुरिन्थियों 8:7) l अनुग्रह हमारे देने को भर देता है जैसा कि हम समझते हैं कि जो कुछ हमारे पास है वह परमेश्वर की ओर से है, और उसने हमें दिखाया है कि “लेने से देना धन्य है” (प्रेरितों 20:35) l
परमेश्वर ने उदारता से हमें सबसे निःस्वार्थ उपहार दिया : उसका एकलौता पुत्र, जो हमारे पापों के लिए मर कर जीवित होनेवाला था l जो इस परम उपहार को प्राप्त करता है, वह माप से परे समृद्ध होता है l जब कि हमारे हृदय उस पर केन्द्रित हैं, हमारे हाथ दूसरों के लिए प्यार में खुलते हैं l
चेतावनी वृत्त (Alert Circles)
सावन्नाह(वन्यजीव आश्रय) में आराम करने के दौरान अफ़्रीकी मृग सहज रूप से चेतावनी वृत्त (alert circles) बनाती हैं l वे प्रत्येक जानवर के साथ कुछ अलग दिशा में बाहर की ओर मुँह करके समूहों में इकठ्ठा होते हैं l यह उन्हें क्षितिज को पूर्ण 360 डिग्री पर बारीकी से देखने (scan) और खतरों या अवसरों के करीब पहुँचने के बारे में संवाद करने में सक्षम बनाता है l
केवल अपने लिए बाहर देखने के बजाय, समूह के सदस्य एक दूसरे का ख्याल रखते हैं l यह यीशु के अनुयायियों के लिए परमेश्वर की बुद्धि भी है l बाइबल हमें प्रोत्साहित करती है, “और प्रेम और भले कामों में उसकाने के लिए हम एक दूसरे की चिंता किया करें, और एक दूसरे के साथ इकठ्ठा होना न छोड़ें” (इब्रानियों 10:24-25) l
इब्रानियों का लेखक बताता है कि मसीहियों को बिना किसी की सहायता के कोई काम नहीं करना चाहिए l एक साथ हम मजबूत हैं l हम “एक दूसरे को [प्रोत्साहित] कर सकते हैं” (पद.25), “जो [शांति] परमेश्वर हमें देता है [उन्हें वह] शांति दे [सकते हैं] जो किसी प्रकार के क्लेश में [हैं]” (2 कुरिन्थियों 1:4), और हमारा शत्रु शैतान जो “गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए” के प्रयासों के प्रति एक दूसरे को सचेत रहने में सहायता कर सकते हैं (1 पतरस 5:8) l
एक दूसरे के लिए हमारी देखभाल का लक्ष्य अस्तित्व से बहुत अधिक है l यह हमें यीशु की तरह बनाने के लिए है : इस संसार में परमेश्वर के प्रेमी और प्रभावशाली सेवक – वे लोग जो मिलकर उसके आनेवाले राज्य की आशा के लिए आत्मविश्वास से तत्पर रहते हैं l हम सब को प्रोत्साहन की ज़रूरत है, और परमेश्वर हमें एक दूसरे की सहायता करने में मदद करेंगे जब हम प्रेम में उसके निकट आते हैं l