हमारे लिए गाना
एक युवा पिता ने अपने बच्चे को अपनी बाहों में उठाए हुए था, उसके लिए गा रहा था और उसे लय में झुला रहा था l बच्चे में श्रवण-दोष था, जिससे वह मधुर गीत या शब्द नहीं सुन सकता था l फिर भी पिता ने अपने बेटे के लिए गाया, अपने बेटे के प्रति प्रेम का एक सुंदर, कोमल कार्य किया l और उसका प्रयास उसके छोटे लड़के के आनंदमय मुस्कान से पुरस्कृत किया गया l
पिता-पुत्र की अदला-बदली का अलंकार सपन्याह के शब्दों का असाधारण प्रतिरूप है l पुराने नियम के भविष्यवक्ता का कहना है कि परमेश्वर खुशी-खुशी अपनी बेटी, यरूशलेम के लोगों के लिए गाएगा (सपन्याह 3:17) l परमेश्वर को अपने प्यारे लोगों के लिए अच्छे काम करने में आनंद मिलता है, जैसे कि उनकी सजा को वापस लेना और उनके दुश्मनों को वापस करना (पद.15) l सपन्याह का कहना है कि उनके पास अब डरने की कोई वजह नहीं है और इसके बजाय खुशी मनाने का कारण है l
हम, जो परमेश्वर की संतान के रूप में यीशु मसीह के बलिदान द्वारा छुड़ाए गए हैं, कभी-कभी कम सुनते हैं – असमर्थ, या हमारे लिए परमेश्वर द्वारा उल्लासित प्रेम के गाने की ओर अपने कानों को अनुकूल बनाने में शायद अनिच्छुक होते हैं l हमारे लिए उसका गहरा प्रेम उस युवा पिता की तरह है, जो अपने बेटे की सुनने में असमर्थता के बावजूद अपने बेटे के लिए प्यार से गाया l उसने हमारी सजा भी समाप्त कर दी है, जिससे हमें खुश होने के लिए अतिरिक्त कारण मिला है l शायद हम उसकी आवाज़ में ज़ोर से गूंज रही खुशी को और अधिक बारीकी से सुनने की कोशिश कर सकते हैं l पिता, हमें आपकी स्नेही धुन सुनने और आपकी बाहों में सुरक्षित रूप से रहने के लिए मदद करें l
सामग्री गतिविधि
मिडिल स्कूल की शिक्षिका केरेन ने, अपने छात्रों को एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझने के लिए सिखाने के लिए एक गतिविधि बनाई l “द बैगेज एक्टिविटी” में छात्रों ने कुछ भावनात्मक बोझ लिखे जो वे उठाए हुए थे l नोट्स को गुमनाम रूप से साझा किया गया, जिससे छात्रों को एक-दूसरे की कठिनाइयों के बारे में जानकारी मिली, अक्सर अपने साथियों से अश्रुपूर्ण प्रतिक्रिया के साथ l तब से कक्षा में आपसी सम्मान की गहरी भावना युवा किशोरियों में भर गई है, जो अब एक दूसरे के लिए अधिक सहानुभूति की भावना रखते हैं l
पूरे बाइबल में, परमेश्वर ने अपने लोगों को एक-दूसरे के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और दूसरों के साथ बातचीत और व्यवहार करने में सहानुभूति दिखाने के लिए लिए कहा है (रोमियों 12:15) l जैसे कि लैव्यव्यवस्था की पुस्तक में जैसे लिखा है वैसी ही इस्राएल के इतिहास के आरम्भ में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को सहानुभूति की ओर इंगित किया─विशेष रूप से परदेशियों के साथ उनके व्यवहार में l उसने कहा कि “[उनसे] अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (लैव्यव्यवस्था 19:34) l
कभी-कभी हम जो बोझ ढोते हैं, वह हमें विदेशियों की तरह महसूस कराता है─अकेले और गलत समझे गए─अपने साथियों के बीच भी l हमारे पास हमेशा ऐसा ही अनुभव नहीं होता है जैसा कि इस्राएलियों ने परदेशियों के साथ किया था l फिर भी हम हमेशा उन लोगों के साथ आदर और समझ के साथ व्यवहार कर सकते हैं जिन्हें परमेश्वर हमारे मार्गों में लाता है जो हम, भी, चाहते हैं l चाहे एक आधुनिक विद्यार्थी, एक इस्राएली, या बीच में कुछ भी, हम परमेश्वर का आदर करते हैं जब हम ऐसा करते हैं l
विश्राम करने के लिए कारण
यदि आप लंबे समय तक जीना चाहते हैं, तो छुट्टी लें! मध्यम आयु वर्ग के एक अध्ययन के चालीस साल बाद, पुरुष अधिकारियों में से प्रत्येक को हृदय रोग का खतरा था, फिनलैंड में शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन प्रतिभागियों के साथ आगे का कार्य करते रहे l वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा खोजा, जिसकी वे अपने मूल निष्कर्षों में तलाश नहीं कर रहे थे : उन लोगों में मृत्यु दर कम थी जिन्होंने छुट्टियों के लिए समय निकाला था l
कार्य जीवन का एक आवश्यक हिस्सा है─ एक हिस्सा जिसे परमेश्वर ने उत्पत्ति 3 में हमारे सम्बन्ध खंडित होने से पूर्व हमारे लिए ठहराया l सुलैमान ने परमेश्वर के आदर के लिए काम नहीं करने वाले लोगों द्वारा काम के अनुभव की अर्थहीनता के बारे में लिखा─उसके “”मन लगा लगाकर परिश्रम” और “दुःख और खेद” को पहचाना (सभोपदेशक 2:22–23) l वह कहता है, “यहां तक कि जब वे सक्रिय रूप से काम नहीं कर रहे होते हैं, उनका “मन चैन नहीं पाता” है क्योंकि वे सोच रहे होते हैं कि अभी भी क्या करना बाकी है (पद.23) l
हम भी कभी-कभी ऐसा महसूस करते हैं कि हम “वायु को [पकड़]” रहे हैं (पद.17) और अपने काम को "खत्म" करने में असमर्थता से निराश हैं l लेकिन जब हमें याद आता है कि परमेश्वर हमारे श्रम का हिस्सा है─हमारा उद्देश्य है─हम कड़ी मेहनत कर सकते हैं और आराम करने के लिए समय भी निकाल सकते हैं l हम उसे हमारा प्रदाता होने के लिए भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि वह सभी चीजों का दाता है l सुलैमान स्वीकार करता है कि उसके बिना कौन “खा-पी और सुख भोग सकता है?” (पद.25) l शायद खुद को उस सच्चाई की याद दिलाने के द्वारा, हम उसके लिए कर्मठतापूर्वक काम कर सकते हैं (कुलुस्सियों 3:23) और खुद को आराम का समय भी दे सकते हैं l
ऊपर देखना
भेंगा (अलग-अलग आकार की आँखें) स्क्विड(एक प्रकार का जल जंतु/घोंघा) समुद्र के “गोधुली क्षेत्र” में रहता है, जहाँ सूर्य की किरणें मुश्किल से पहुँचती हैं l स्क्विड का उपनाम उसकी दो बेहद अलग आंखों के लिए एक संदर्भ है : बाईं आंख का समय के साथ विकसित होकर दाएं से काफी बड़ा हो जाना - लगभग दोगुना बड़ा l इस जंतु का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि स्क्विड अपनी दाहिनी आंख, छोटी वाली आँख का उपयोग नीचे गहरे अँधेरे में देखने के लिए करता है l बड़ी वाली, बांयी आँख से, ऊपर सूर्य की किरणों की ओर देखती है l
स्क्विड वर्तमान संसार में रहने का मतलब है और भविष्य की निश्चितता में भी हम उन लोगों के रूप में प्रतीक्षा करते हैं, जो “मसीह के साथ जिलाए गए [हैं]” का अविश्वसनीय चित्रण हैं (कुलुस्सियों 3:1) l कुलुस्सियों को लिखे गए पौलुस की पत्री में, उन्हे जोर देकर कहता है कि हमें “स्वर्गीय वस्तुओं पर [अपना] ध्यान लगाना है” क्योंकि हमारा जीवन “मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है” (पद. 2-3) l
पृथ्वीवासी के रूप में जो स्वर्ग में अपने जीवन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, हम अपनी वर्तमान वास्तविकता में हमारे आस-पास क्या हो रहा है, पर अपनी एक आँख प्रशिक्षित करते हैं l लेकिन जिस तरह से स्क्विड की बायीं आंख समय के साथ विकसित होती है, जो एक बड़ी और ऊपर क्या हो रहा है के प्रति संवेदनशील हो जाती है, हम, भी, परमेश्वर के आत्मिक क्षेत्र में काम करने के तरीकों के बारे में हमारी जागरूकता में वृद्धि कर सकते हैं l हम अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि यीशु में जीवित होने का क्या मतलब है, लेकिन जब हम “ऊपर” देखते हैं, हमारी आँखें इसे अधिकाधिक देखना शुरू कर देंगी l
बताने के लिए दौड़ना
आधुनिक मैराथन(लम्बी दौड़) एक यूनानी दूत, फाईडीपीडस की कहानी पर आधारित है l किंवदंती के अनुसार, 490 ई.पू. में वह अपने दुर्जेय शत्रु, हमलावर फारसियों के खिलाफ यूनानियों की जीत की घोषणा करने के लिए मैराथन से एथेंस तक लगभग पच्चीस मील (चालीस किलोमीटर) दौड़ा l आज, लोग एक एथलेटिक उपलब्धि की व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए मैराथन दौड़ते हैं, लेकिन फाईडीपीडस का उसके प्रयास के पीछे एक बड़ा उद्देश्य था : उसके प्रत्येक कदम उसके अपने लोगों को खुशखबरी देने के वास्तविक खुशी के लिए आगे बढ़े थे!
लगभग पाँच सौ साल बाद, दो महिलाएँ भी खुशखबरी देने के लिए दौड़ पड़ीं - इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण खबर l जब मरियम और मरियम मगदलीनी उस कब्र पर पहुंचीं जहां यीशु को उसकी सूली पर चढ़ाने के बाद रखा गया था, तो उन्होंने इसे खाली पाया l एक स्वर्गदूत ने उन्हें बताया कि यीशु “”मृतकों में से जी उठा [है]” और उन्हें “उसके शिष्यों को समाचार देने के लिए” दौड़कर जाना है (मत्ती 28:7) l महिलाएँ, जो उन्होंने पाया था “भय और बड़े आनंद के साथ,” शिष्यों को बताने के दौड़ीं (पद.8) l
यीशु के पुनरुत्थान के सम्बन्ध में हमारे पास वही हर्षित उत्साह हो, और वह हमें दूसरों के साथ खुशखबरी साझा करने के लिए मज़बूर करे l हमें अपने उद्धारकर्ता के बारे में किसी व्यक्ति को बताने के लिए जिसे हमारे उद्धारकर्ता के विषय जानना ज़रूरी है अगले दरवाजे से आगे “दौड़” लगाने की भी आवश्यकता नहीं है l उसने मृत्यु के विरुद्ध लड़ाई जीत ली है, ताकि हम हमेशा के लिए उसके साथ विजयी रह सकते हैं!
उपस्थित रहना
जब मनोरंजन उद्यान(theme park) के कर्मचारी जेन ने रोहित को अचानक जमीन पर झुककर आंसू बहाते देखा, तो वह मदद के लिए दौड़ी । रोहित, स्वलीनता(Autism-एक प्रकार की बीमारी) से पीड़ित एक युवा लड़का था जो सिसक रहा था, क्योंकि वह जिस झूले का आनंद लेने के लिए दिन भर इंतजार किया था वह टूट गया था l उसे अपने पैरों पर जल्दी खड़ा होने में मदद करने या उसे बेहतर महसूस करने का आग्रह करने के बजाय, जेन उसकी भावनाओं की पुष्टि करने और उसे रोने का समय देते हुए. रोहित के साथ बैठ गयी l
जेन की क्रियाएं इस बात का एक सुंदर उदाहरण हैं कि हम उन लोगों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं जो दुःखी या पीड़ित हैं । बाइबल हमें अय्यूब के घर की हानि, उसके पशुओं के झुण्ड(उसकी आय), उसका स्वास्थ्य, और उसके दस बच्चों की एक साथ हुई मौत के बाद उसके गंभीर दुःख के बारे में बताती है l जब अय्यूब के मित्रों को उसकी पीड़ा का पता चला, तो “वे आपस में यह ठानकर कि हम अय्यूब के पास जाकर . . . उसको शांति देंगे, अपने अपने यहाँ से उसके पास चले” (अय्यूब 2:11) l अय्यूब शोक में धरती पर बैठ गया l जब वे पहुंचे, तो उसके मित्र — सात दिनों तक — उसके साथ निशब्द बैठे रहे क्योंकि उन्होंने उसके दुख की गहराई देखी ।
बाद में, अपनी मानवता में, अय्यूब के मित्रों ने उसे असंवेदनशील सलाह दी । लेकिन पहले सात दिनों के लिए, उन्होंने उसे उपस्थिति का शब्दहीन और कोमल उपहार दिया । हम शायद किसी के दुःख को नहीं समझ सकेंगे, लेकिन हमें केवल उनके साथ रहकर उन्हें अच्छी तरह से प्यार करने के लिए समझने की आवश्यकता नहीं है ।
उधार के जूते
एक विद्यार्थी के रूप में एक हाई स्कूल के छात्र ने अपने पड़ोस में लगी आग के दौरान अपने घर से भागने के कोलाहल में, राज्य-क्वालिफाइंग क्रॉस-कंट्री रेस(एक प्रकार की लम्बी दौड़) में भाग न ले सका, जिसके लिए वह प्रशिक्षण ले रहा था । इस प्रतियोगिता को छोड़ने का मतलब था कि उसे राज्य प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका नहीं मिलने वाला था - उसके चार साल के प्रशिक्षण की अंतिम घटना । परिस्थितियों के मद्देनजर, राज्य एथलेटिक्स बोर्ड ने इस छात्र को एक और मौका दिया : उसे एक कठिन ट्रैक/दौड़ने के मार्ग पर, "स्ट्रीट शूज़/सामान्य जूतों" में खुद से क्वालिफाइंग समय में चलना होगा, क्योंकि उसके दौड़ने वाले जूते उसके घर के चारपाई के नीचे जले हुए मलबे में थे । जब वह "दौड़" के लिए आया, तो वह अपने प्रतिद्वंद्वियों द्वारा आश्चर्यचकित हुआ, जो उसे उचित जूते देने के लिए आए थे और उसके साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसने राज्य प्रतियोगिता में प्रवेश करने के लिए आवश्यक शर्तें बनायी रखी थी ।
प्रतियोगी उसकी मदद करने के लिए बाध्य नहीं थे l वे अपनी स्वाभाविक इच्छाओं को पूरी कर सकते थे (गलतियों 5:13); ऐसा करने से शायद जीतने के अपने सुअवसर में सुधार ला सकते थे l लेकिन पौलुस ने हमें अपने जीवनों में आत्मा के फल प्रगट करने का आग्रह करता है – “प्रेम में एक दूसरे के दास बनो” और “कृपा” और “भलाई” प्रदर्शित करो (पद.13, 22) l जब हम अपनी सहज प्रवृत्ति पर कार्य नहीं करने में हमारी मदद करने के लिए आत्मा पर झुक जाते हैं, तो हम अपने आसपास के लोगों से बेहतर तरीके से प्यार करने में सक्षम होते हैं ।
सूखे से बच जाना
मई 2019 में मानसून की विफलता के कारण चेन्नई शहर को पानी की बड़ी कमी का सामना करना पड़ा । सड़कों पर प्लास्टिक के बर्तनों की कतारें पानी के ट्रकों का इंतजार करती थीं, जो सूखे से पीड़ित स्थानीय लोगों को सीमित मात्रा में पानी पहुंचाती थीं । उपनगरों में जहां माना जाता है कि हरियाली होनी चाहिये, सूखी घास और सूखे पौधे अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की बूंदों का इंतजार करते थे ।
सूखे पौधे और खरपतवार ही हैं, जिसकी मैं कल्पना करता हूँ जब मैं यिर्मयाह में एक व्यक्ति का वर्णन पढ़ता हूं, “जिसका मन यहोवा से भटक जाता है” (यिर्मयाह 17: 5) । वह कहता है कि जो लोग “मनुष्य” से अपनी ताकत पाते हैं, वे "निर्जल देश के अधमरे पेड़ के समान [होंगे]” और कभी भलाई न [देखेंगे]” (पद.5-6) l इसके ठीक उलट वे लोग हैं जो लोगों के बजाय परमेश्वर पर अपना भरोसा रखते हैं, पेड़ों की तरह, उनकी मजबूत, गहरी जड़ें उससे ताकत खींचती हैं, जिससे वे जीवन से भरे रहते हैं, यहां तक कि सूखे जैसी परिस्थितियों में भी ।
सूखे पौधे और पेड़ दोनों की जड़ें होती हैं, फिर भी यदि पौधे अपने जीवन-स्रोत से जुड़े नहीं रहते, तो वे सूख जाते हैं और मर जाते हैं । दूसरी ओर, पेड़ अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, जिससे वे फलने-फूलने और जीवित रहने में सक्षम होते हैं, जो कि कठिनाई के समय उन्हें बनाए रख सकता है । जब हम परमेश्वर के लिए उपवास रखते हैं, और बाइबल में उपस्थित बुद्धि से ताकत और हौसला बढ़ाते हैं और प्रार्थना में उससे बात करते हैं, हम भी जीवन-यापन, जीवन-निर्वाह के पोषण का अनुभव कर सकते हैं ।
हमारे हृदयों पर अंकित
1450 में जब जोहानस गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस को जंगम/चल प्रकार के साथ जोड़ा, तो उन्होंने पश्चिम में बड़े पैमाने पर जन संचार के युग की शुरुआत की और नए सामजिक क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार किया l दुनिया भर में साक्षरता बढ़ी और नए विचारों ने सामजिक और धार्मिक सन्दर्भों में तेजी से बदलाव लाए l गुटेनबर्ग ने बाइबल का पहला मुद्रित संस्करण प्रस्तुत किया l इससे पहले, बाइबल की प्रति कड़ी मेहनत से हाथ से नक़ल करके बनायी जाती थी, और शास्त्री उत्पादन करने के लिए एक साल तक का समय लेते थे l
सदियों से, प्रिंटिंग प्रेस ने आपके और मेरे जैसे लोगों को पवित्रशास्त्र तक सीधी पहुँच का विशेषाधिकार प्रदान किया है l जबकि हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक संस्करण भी उपलब्ध हैं, उसके आविष्कार के कारण हम में से कई लोग अक्सर अपने हाथों में एक भौतिक बाइबल रखते हैं l बाइबल की दूसरी प्रति तैयार करने में सर्वथा कीमत और समय लगाने के बावजूद भी जो दुर्लभ थी आज हमारी ऊँगलियों पर आसानी से मौजूद है l
परमेश्वर के सत्य तक पहुँच एक अद्भुत विशेषाधिकार है l नीतिवचन के लेखक से संकेत मिलता है कि हमें पवित्रशास्त्र में उसके निर्देशों का पालन करना चाहिये जैसे कि कुछ “अभिलाषित” हो जैसे “[हमारी] आँख की पुतली” (नीतिवचन 7:2) और उसकी बुद्धिमत्ता के शब्दों को “[हमारे] हृदय की पटिया पर लिख लेना” (पद.3) l जैसा कि हम बाइबल को समझना चाहते हैं और उसकी बुद्धि के अनुसार जीना चाहते हैं, हम, शास्त्रियों की तरह, परमेश्वर की सच्चाई को अपनी “ऊँगलियों” से अपने हृदयों में उतार रहे हैं, और हम जहां भी जाते हैं, हम अपने साथ ले जाते हैं l