बाइबल की वह बड़ी कहानी
जब कॉलिन ने रंगीन कांच के टुकड़ों का वह डिब्बा खोला जो उसने ख़रीदा था, उसको वे टुकड़े नहीं मिले जो उसने प्रोजेक्ट के लिए आदेश किया था, उसे अखंड खिड़कियाँ मिलीं l उसने उन मूल खिडकियों के विषय पता किया और जाना कि उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध की बमबारी से बचाने के एक चर्च इमारत से निकला गया था l कॉलिन उसके कार्य की गुणवत्ता पर आचम्भित हुआ और किस तरह “टुकड़ों” से एक सुन्दर तस्वीर बनी थी l
यदि मैं इमानदारी से कहूँ, तो कई बार मैं बाइबल के ख़ास परिच्छेदों को खोलता हूँ──अध्याय जैसे जिसमें वंशावलियों की सूचियाँ हैं──और मैं तुरंत देख नहीं पाता हूँ कि किस तरह वे पवित्रशास्त्र की बड़ी तस्वीर में ठीक बैठती हैं l ऐसा ही उत्पत्ति 11 के साथ है──एक अध्याय जिसमें अपरिचित नामों और उनके परिवारों को दोहराया गया है, जैसे शेम, शेलह, एबेर, नाहोर, और तेरह (पद.10-32) l मैं इन भागों को हल्का लेने और उस भाग पर जाने के लिए प्रवृत्त होता हूँ जिसमें कुछ ऐसा है जो परिचित महसूस होता है और बाइबल के वृतांत की मेरी समझ “खिड़की” में आसानी से अनुकूल बैठती है l
इसलिए कि “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और , , , लाभदायक है(2 तीमुथियुस 3:16), पवित्र आत्मा हमें समझने में बेहतर मदद कर सकता है कि कैसे एक टुकड़ा पूरे में अनुकूल बैठता है, और देखने के लिए हमारी आँखें खोलता है, उदाहरण के लिए, किस तरह शेलह अब्राम से सम्बंधित है (उत्पत्ति 11:12-26), दाऊद का पूर्वज और──अधिक महत्वपूर्ण तरीके से──यीशु (मत्ती 1:2,6,16) l वह हमें एक अखंडित खिड़की की निधि से चकित करने में आनंदित होता है जहाँ छोटे हिस्से भी परमेश्वर के मिशन/उद्देश्य की कहानी को सम्पूर्ण बाइबल में प्रगट करते हैं l
दूसरों तक अनुग्रह फैलाना
हमारा बेटा अपने जीवन का आरंभिक काल एक बालाश्रम में बिताया इससे पूर्व कि हम उसे दत्तक लेते l साथ में घर जाते समय जीर्ण-शीर्ण ईमारत को छोड़ने से पहले हमने उससे अपने समान इकठ्ठा करने को कहा l दुःख की बात है कि उसके पास कुछ नहीं था l हमने उसके पहने हुए कपड़ों की जगह उसे नए पहनाए जो हम उसके लिए लाए थे और कुछ कपड़े दूसरे बच्चों के लिए छोड़ दिये l यद्यपि मुझे इस बात का दुःख था कि उसके पास कितना कम था, मैं आनंदित थी कि अब हम उसकी भौतिक और भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा करने में मदद कर सकेंगे l
कुछ वर्षों के बाद, हमने एक व्यक्ति को ज़रूरतमंद परिवारों के लिए दान मांगते देखा l मेरा बेटा उसे अपने स्टफ्ड एनिमल्स(stuffed animals) और कुछ सिक्के देने को इच्छुक था l उसकी पृष्ठ्भूमि को देखते हुए, हो सकता है कि वह अपने सामानों को कसकर पकड़ने के लिए (संभवतः) अधिक प्रवृत्त रहा हो l
मुझे लगता है कि उसके उदार प्रत्युत्तर का कारण शुरूआती चर्च के समान था : “सब पर बड़ा अनुग्रह था, जिससे उनके बीच कोई भी ज़रूरतमंद नहीं था (प्रेरितों 4:33-34) l लोग अपनी इच्छा से अपनी संपत्ति बेचकर एक दूसरे की ज़रूरतों का प्रबंध करते थे l
जब हम दूसरों की ज़रूरतों के विषय जागरूक हो जाते हैं, भौतिक या अमूर्त, परमेश्वर का अनुग्रह बहुत सामर्थ्य से हममें काम करे ताकि हम उसी तरह प्रत्युत्तर दें जैसे उन्होंने दिया था, ज़रुरतमन्दों को अपनी इच्छा से देना l यह हमें यीशु में “एक चित्त और एक मन” के विश्वासियों के रूप में परमेश्वर के अनुग्रह का माध्यम बनाता है, (पद.32) l
हमारे विश्वास की साझेदारी में “क्या”
महेश सार्वजनिक रूप से बोलने के डर से निपटने के लिए मेरे पास सलाह लेने आया । दूसरों की तरह, उसका दिल भी तीव्रता से धड़कने लगता था, उसका मुंह चिपचिपा और सुखा लगता था, और उसका चेहरा सुर्ख लाल हो जाता था । लोगों में ग्लोसोफोबिया/भाषणभीति (Glossophobia) सबसे आम सामाजिक डर में से एक है──बहुत से लोग मजाक भी करते हैं कि वे मरने की तुलना में सार्वजनिक रूप से बोलने से अधिक डरते हैं! महेश को अच्छा “प्रदर्शन” न करने के अपने डर पर विजय पाने में मदद करने के लिए, मैंने सुझाव दिया कि वह अपने सन्देश के सार पर ध्यान दे, बजाय इसके कि वह इसे कितनी अच्छी तरह पेश करेगा l
क्या साझा किया जाएगा उस पर अपना ध्यान केन्द्रित करना, इसे साझा करने की क्षमता के बजाय, दूसरों को परमेश्वर की ओर इशारा करना पौलुस की दृष्टिकोण के समान है l जब उसने कुरिन्थुस की कलीसिया को लिखा, उसने टिप्पणी की कि उसका संदेश और प्रचार “ज्ञान और लुभानेवाली बातें नहीं [थीं]” (1 कुरिन्थियों 2:4) l उसके बजाय उसने पूरी तरह से यीशु मसीह वरन् क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह पर ध्यान केन्द्रित करने की ठान ली थी (पद.2), अपने शब्दों को सशक्त बनाने के लिए पवित्र आत्मा पर भरोसा करना न कि एक वक्ता के रूप में उसकी वाक्पटुता ।
जब हमनें परमेश्वर को व्यक्तिगत् तौर से जान लिया है, तो हम अपने आस पास के लोगों के साथ उसके बारे में साझा करना चाहेंगे l फिर भी हम कभी-कभी उससे कतराते है क्योंकि हम उसे अच्छी तरह से प्रदर्शित करने से डरते हैं──“सही” या भाषणपटु शब्दों के साथ । “क्या” पर ध्यान केन्द्रित करके──परमेश्वर कौन है का सच और उसके अद्भुत कार्य पर──पौलुस की तरह, हम अपने शब्दों को सशक्त करने और भय या अनिच्छा के बिना साझा करने के लिए परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं l
आत्मिक सिद्धता की ओर बढ़ना
हाल ही में एक सर्वेक्षण ने उत्तर देनेवालों से उस उम्र की पहचान करने को कहा, जब उन्हें विश्वास हुआ कि वे सयाने हो गए l जिन्होंने खुद को सयाना समझा उन्होंने विशेष व्यवहार को अपनी स्थिति के प्रमाण के रूप में इंगित किया । एक बजट होना और एक घर खरीदना “सयाना होना” की सूची में सबसे शीर्ष स्थान पर रहा । सयानेपन की अन्य गतिविधियों में खाना बनाना और अपने खुद के चिकित्सकीय नियोजन भेंट का निर्धारण करना और सबसे ज्यादा हास्यपूर्ण रात के भोजन में स्नैक्स खाना या उतेजना में रात को अकेले बाहर जाने का चुनाव था l
बाइबल कहती है, कि हमें आत्मिक सिद्धता की तरफ भी बढ़ना है । पौलुस ने इफिसुस की कलीसिया के लोगों से यह आग्रह करते हुए लिखा “सिद्ध मनुष्य बन जाएँ और मसीह के पूरे डील-डौल तक . . . बढ़ जाएँ” (इफिसियों 4:13) l जब तक हम अपने विश्वास में “युवा” हैं हम “उपदेश के हर एक झोंके” (पद.14), के सामने असुरक्षित हैं, जो अक्सर हमारे बीच विभाजन में परिणित होता है l इसके बदले, जैसे हम सत्य की अपनी समझ में सिद्ध होते है, हम “उसमें जो सिर है, अर्थात् मसीह” के अधीन संयुक्त देह की तरह काम करते है (पद.15) l
परमेश्वर ने हमें वह कौन है की पूरी समझ में बढ़ने में मदद करने के लिए अपनी आत्मा दिया है (यूहन्ना 14:26), और वह पासवानों और शिक्षकों को हमारे विश्वास की परिपक्वता की ओर निर्देशित करने और अगुवाई करने के लिए सज्जित करता है (इफिसियों 4:11-12) l जैसे कि कुछ विशेषताएँ शारीरिक परिपक्वता के सबूत हैं, उसके शरीर के रूप में हमारी एकता हमारे आत्मिक विकास का सबूत है ।
इंद्रधनुष प्रभामंडल
पहाड़ों में पैदल यात्रा के दौरान, एड्रियन ने खुद को बादलों के ऊपर पाया जो सामान्य से नीचे स्तर पर थे l अपने पीछे सूरज के साथ, एड्रियन ने नीचे देखा और न केवल अपनी छाया देखी, बल्कि एक चमकदार प्रदर्शन जिसे ब्रोकेन स्पेक्टर(Broken Spectre) के रूप में जाना जाता है l यह घटना एक इंद्रधनुष प्रभामंडल के सदृश होता है, जो व्यक्ति की छाया को घेरे रहता है l यह तब होता है जब सूरज की रोशनी नीचे के बादलों से दूर वापस प्रतिबिंबित होती है l एड्रियन ने इसे एक “जादुई” पल के रूप में वर्णित किया’ जिसने उसे बहुत खुशी दी l
हम अंदाजा लगा सकते हैं कि उसी प्रकार नूह के लिए पहली बार इंद्रधनुष को देखना कितनी चौंकाने वाली बात रही होगी l उसकी आंखों के लिए एक खुशी से अधिक, मुड़ा हुआ प्रकाश और उससे निकले हुए रंग परमेश्वर की ओर से एक प्रतिज्ञा के साथ आए l विनाशकारी बाढ़ के बाद, परमेश्वर ने नूह और सभी ‘जीवित शरीरधारी प्राणियों” को आश्वासन दिया, जो तब से जीवित हैं, कि “ऐसा जल प्रलय फिर न होगा जिससे सब प्राणियों का विनाश हो” (उत्पत्ति 9:15) l
हमारी पृथ्वी अभी भी बाढ़ और अन्य भयावह मौसम का अनुभव करती है जिसके परिणामस्वरूप दु:खद नुकसान होता है, लेकिन इंद्रधनुष एक प्रतिज्ञा है कि परमेश्वर कभी भी संसार का न्याय विश्वव्यापी जल प्रलय से नहीं करेगा l उसकी विश्वासयोग्यता की यह प्रतिज्ञा हमें याद दिला सकती है कि यद्यपि हम व्यक्तिगत रूप से इस धरती पर व्यक्तिगत नुकसान और शारीरिक मृत्यु का अनुभव करेंगे─चाहे बीमारी, प्राकृतिक आपदा, गलत काम, या बढ़ती उम्र के कारण─परमेश्वर हमें उन कठिनाइयों के दौरान अपने प्यार और उपस्थिति से संभालता है l जल में होकर धूप का प्रतिबिंबित होना उन लोगों से पृथ्वी को भरना जो उसकी छवि को धारण किये हुए हैं और दूसरों को उसकी महिमा को प्रतिबिंबित करते हैं की एक ताकीद है l
हमारे लिए गाना
एक युवा पिता ने अपने बच्चे को अपनी बाहों में उठाए हुए था, उसके लिए गा रहा था और उसे लय में झुला रहा था l बच्चे में श्रवण-दोष था, जिससे वह मधुर गीत या शब्द नहीं सुन सकता था l फिर भी पिता ने अपने बेटे के लिए गाया, अपने बेटे के प्रति प्रेम का एक सुंदर, कोमल कार्य किया l और उसका प्रयास उसके छोटे लड़के के आनंदमय मुस्कान से पुरस्कृत किया गया l
पिता-पुत्र की अदला-बदली का अलंकार सपन्याह के शब्दों का असाधारण प्रतिरूप है l पुराने नियम के भविष्यवक्ता का कहना है कि परमेश्वर खुशी-खुशी अपनी बेटी, यरूशलेम के लोगों के लिए गाएगा (सपन्याह 3:17) l परमेश्वर को अपने प्यारे लोगों के लिए अच्छे काम करने में आनंद मिलता है, जैसे कि उनकी सजा को वापस लेना और उनके दुश्मनों को वापस करना (पद.15) l सपन्याह का कहना है कि उनके पास अब डरने की कोई वजह नहीं है और इसके बजाय खुशी मनाने का कारण है l
हम, जो परमेश्वर की संतान के रूप में यीशु मसीह के बलिदान द्वारा छुड़ाए गए हैं, कभी-कभी कम सुनते हैं – असमर्थ, या हमारे लिए परमेश्वर द्वारा उल्लासित प्रेम के गाने की ओर अपने कानों को अनुकूल बनाने में शायद अनिच्छुक होते हैं l हमारे लिए उसका गहरा प्रेम उस युवा पिता की तरह है, जो अपने बेटे की सुनने में असमर्थता के बावजूद अपने बेटे के लिए प्यार से गाया l उसने हमारी सजा भी समाप्त कर दी है, जिससे हमें खुश होने के लिए अतिरिक्त कारण मिला है l शायद हम उसकी आवाज़ में ज़ोर से गूंज रही खुशी को और अधिक बारीकी से सुनने की कोशिश कर सकते हैं l पिता, हमें आपकी स्नेही धुन सुनने और आपकी बाहों में सुरक्षित रूप से रहने के लिए मदद करें l
सामग्री गतिविधि
मिडिल स्कूल की शिक्षिका केरेन ने, अपने छात्रों को एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझने के लिए सिखाने के लिए एक गतिविधि बनाई l “द बैगेज एक्टिविटी” में छात्रों ने कुछ भावनात्मक बोझ लिखे जो वे उठाए हुए थे l नोट्स को गुमनाम रूप से साझा किया गया, जिससे छात्रों को एक-दूसरे की कठिनाइयों के बारे में जानकारी मिली, अक्सर अपने साथियों से अश्रुपूर्ण प्रतिक्रिया के साथ l तब से कक्षा में आपसी सम्मान की गहरी भावना युवा किशोरियों में भर गई है, जो अब एक दूसरे के लिए अधिक सहानुभूति की भावना रखते हैं l
पूरे बाइबल में, परमेश्वर ने अपने लोगों को एक-दूसरे के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और दूसरों के साथ बातचीत और व्यवहार करने में सहानुभूति दिखाने के लिए लिए कहा है (रोमियों 12:15) l जैसे कि लैव्यव्यवस्था की पुस्तक में जैसे लिखा है वैसी ही इस्राएल के इतिहास के आरम्भ में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को सहानुभूति की ओर इंगित किया─विशेष रूप से परदेशियों के साथ उनके व्यवहार में l उसने कहा कि “[उनसे] अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (लैव्यव्यवस्था 19:34) l
कभी-कभी हम जो बोझ ढोते हैं, वह हमें विदेशियों की तरह महसूस कराता है─अकेले और गलत समझे गए─अपने साथियों के बीच भी l हमारे पास हमेशा ऐसा ही अनुभव नहीं होता है जैसा कि इस्राएलियों ने परदेशियों के साथ किया था l फिर भी हम हमेशा उन लोगों के साथ आदर और समझ के साथ व्यवहार कर सकते हैं जिन्हें परमेश्वर हमारे मार्गों में लाता है जो हम, भी, चाहते हैं l चाहे एक आधुनिक विद्यार्थी, एक इस्राएली, या बीच में कुछ भी, हम परमेश्वर का आदर करते हैं जब हम ऐसा करते हैं l
विश्राम करने के लिए कारण
यदि आप लंबे समय तक जीना चाहते हैं, तो छुट्टी लें! मध्यम आयु वर्ग के एक अध्ययन के चालीस साल बाद, पुरुष अधिकारियों में से प्रत्येक को हृदय रोग का खतरा था, फिनलैंड में शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन प्रतिभागियों के साथ आगे का कार्य करते रहे l वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा खोजा, जिसकी वे अपने मूल निष्कर्षों में तलाश नहीं कर रहे थे : उन लोगों में मृत्यु दर कम थी जिन्होंने छुट्टियों के लिए समय निकाला था l
कार्य जीवन का एक आवश्यक हिस्सा है─ एक हिस्सा जिसे परमेश्वर ने उत्पत्ति 3 में हमारे सम्बन्ध खंडित होने से पूर्व हमारे लिए ठहराया l सुलैमान ने परमेश्वर के आदर के लिए काम नहीं करने वाले लोगों द्वारा काम के अनुभव की अर्थहीनता के बारे में लिखा─उसके “”मन लगा लगाकर परिश्रम” और “दुःख और खेद” को पहचाना (सभोपदेशक 2:22–23) l वह कहता है, “यहां तक कि जब वे सक्रिय रूप से काम नहीं कर रहे होते हैं, उनका “मन चैन नहीं पाता” है क्योंकि वे सोच रहे होते हैं कि अभी भी क्या करना बाकी है (पद.23) l
हम भी कभी-कभी ऐसा महसूस करते हैं कि हम “वायु को [पकड़]” रहे हैं (पद.17) और अपने काम को "खत्म" करने में असमर्थता से निराश हैं l लेकिन जब हमें याद आता है कि परमेश्वर हमारे श्रम का हिस्सा है─हमारा उद्देश्य है─हम कड़ी मेहनत कर सकते हैं और आराम करने के लिए समय भी निकाल सकते हैं l हम उसे हमारा प्रदाता होने के लिए भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि वह सभी चीजों का दाता है l सुलैमान स्वीकार करता है कि उसके बिना कौन “खा-पी और सुख भोग सकता है?” (पद.25) l शायद खुद को उस सच्चाई की याद दिलाने के द्वारा, हम उसके लिए कर्मठतापूर्वक काम कर सकते हैं (कुलुस्सियों 3:23) और खुद को आराम का समय भी दे सकते हैं l
ऊपर देखना
भेंगा (अलग-अलग आकार की आँखें) स्क्विड(एक प्रकार का जल जंतु/घोंघा) समुद्र के “गोधुली क्षेत्र” में रहता है, जहाँ सूर्य की किरणें मुश्किल से पहुँचती हैं l स्क्विड का उपनाम उसकी दो बेहद अलग आंखों के लिए एक संदर्भ है : बाईं आंख का समय के साथ विकसित होकर दाएं से काफी बड़ा हो जाना - लगभग दोगुना बड़ा l इस जंतु का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि स्क्विड अपनी दाहिनी आंख, छोटी वाली आँख का उपयोग नीचे गहरे अँधेरे में देखने के लिए करता है l बड़ी वाली, बांयी आँख से, ऊपर सूर्य की किरणों की ओर देखती है l
स्क्विड वर्तमान संसार में रहने का मतलब है और भविष्य की निश्चितता में भी हम उन लोगों के रूप में प्रतीक्षा करते हैं, जो “मसीह के साथ जिलाए गए [हैं]” का अविश्वसनीय चित्रण हैं (कुलुस्सियों 3:1) l कुलुस्सियों को लिखे गए पौलुस की पत्री में, उन्हे जोर देकर कहता है कि हमें “स्वर्गीय वस्तुओं पर [अपना] ध्यान लगाना है” क्योंकि हमारा जीवन “मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है” (पद. 2-3) l
पृथ्वीवासी के रूप में जो स्वर्ग में अपने जीवन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, हम अपनी वर्तमान वास्तविकता में हमारे आस-पास क्या हो रहा है, पर अपनी एक आँख प्रशिक्षित करते हैं l लेकिन जिस तरह से स्क्विड की बायीं आंख समय के साथ विकसित होती है, जो एक बड़ी और ऊपर क्या हो रहा है के प्रति संवेदनशील हो जाती है, हम, भी, परमेश्वर के आत्मिक क्षेत्र में काम करने के तरीकों के बारे में हमारी जागरूकता में वृद्धि कर सकते हैं l हम अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि यीशु में जीवित होने का क्या मतलब है, लेकिन जब हम “ऊपर” देखते हैं, हमारी आँखें इसे अधिकाधिक देखना शुरू कर देंगी l