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Articles by लेस्ली कोह

आपका भाग, परमेश्वर का भाग

जब मेरी दोस्त जेनिस को कुछ ही वर्षों के बाद काम पर अपने विभाग का नेतृत्व करने के लिए कहा गया, तो वह व्याकुल महसूस करने लगी। इस पर प्रार्थना करते हुए, उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसे नियुक्ति स्वीकार करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं - लेकिन फिर भी, उसे डर था कि वह जिम्मेदारी का सामना नहीं कर पाएगी। "मैं इतने कम अनुभव के साथ कैसे नेतृत्व कर सकती हूं?" उसने परमेश्वर से पूछा। "मुझे ऐसे स्थान पर रखना ही क्यों जहाँ मैं असफल होंगी?"

बाद में, जेनिस उत्पत्ति 12 में परमेश्वर द्वारा अब्राम की बुलाहट के बारे में पढ़ रही थी और उसने ध्यान दिया " उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा ... अब्राम चला ..। " (उत्पत्ति 12:1,4)। यह एक क्रांतिकारी कदम था, क्योंकि प्राचीन समय में कोई भी इस तरह से अपनी जड़ से उखाड़ा नहीं गया था। लेकिन परमेश्वर उससे जो कुछ भी अब्राम जानता था उसे छोड़कर उस पर भरोसा करने के लिए कह रहा था, और वह बाकी का काम करेगा। पहचान? तू एक महान राष्ट्र होगा। प्रावधान? मैं तुझे आशीष  दूंगा। प्रतिष्ठा? एक महान नाम। उद्देश्य? तू पृथ्वी पर सभी लोगों के लिए आशीष का कारण होगा। रास्ते में उसने कुछ बड़ी गलतियाँ कीं, लेकिन “विश्वास ही से अब्राहम .. आज्ञा मानकर .. निकल गया, .. और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूँ" (इब्रानियों 11:8 )।

इस एहसास ने जेनिस के दिल से एक बड़ा बोझ उतार दिया। "मुझे अपनी नौकरी में 'सफल' होने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है," उसने यह बात बाद में मुझसे कही। "काम करने में सक्षम बनाने के लिए मुझे केवल परमेश्वर पर भरोसा करने पर ध्यान केंद्रित करना है।" जैसे परमेश्वर हमें वह विश्वास प्रदान करता है जिसकी हमें आवश्यकता है, हम जीवन भर उस पर भरोसा रखें।

भाग जाओ

एकीडो, मार्शल आर्ट का एक पारंपरिक जापानी रूप पर, परिचयात्मक पाठ आंखें खोलने वाला था। सेंसेई या शिक्षक ने हमें बताया कि जब किसी हमलावर का सामना करना पड़ता है, तो हमारी पहली प्रतिक्रिया भागने की होनी चाहिए। “अगर आप भाग नहीं सकते, तो आप लड़ते हैं” उन्होंने गंभीरता से कहा।

भाग जाओ ? मैं दंग रह गया। यह अत्यधिक कुशल आत्मरक्षा प्रशिक्षक हमें लड़ाई से भाग जाने के लिए क्यों कह रहा था? यह उल्टा लग रहा था–जब तक कि उन्होंने यह नहीं समझाया कि आत्मरक्षा का सबसे अच्छा तरीका पहली जगह में लड़ने से बचना है। बेशक!

जब कई लोग यीशु को गिरफ्तार करने के लिए आए, तो पतरस ने जवाब दिया, जैसे अगर हम में से कुछ वहां होते तो ऐसे ही देते, उसने अपनी तलवार खींचकर उनमें से एक पर हमला किया (मत्ती 26:51,यूहन्ना18:10)। परन्तु यीशु ने उस से कहा कि “अपनी तलवार को म्यान में रख”, और कहा “तो पवित्र शास्त्र की यह बात क्योंकर पूरी होगी कि यह इस रीति से होना चाहिए?(मत्ती 26:54)।

जबकि न्याय को समझना महत्वपूर्ण है, वैसे ही परमेश्वर के उद्देश्य और राज्य को समझना–एक उल्टा राज्य  जो हमें अपने शत्रुओं से प्रेम करने और दया के साथ बुराई के बदले भलाई करने को कहता है (5:44)। यह दुनिया की प्रतिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है, फिर भी यह एक प्रतिक्रिया है जिसे परमेश्वर हम में पोषित करना चाहते हैं। लूका 22:51 यहाँ तक वर्णन करता है कि यीशु ने उस व्यक्ति का कान चंगा किया जिसे पतरस ने काट दिया था। हम कठिन परिस्थितियों का जवाब देना सीखें जैसे उसने किया, हमेशा शांति और बहाली की तलाश करें क्योंकि परमेश्वर हमें वह प्रदान करता है जिसकी हमें आवश्यकता होती है।

पार्किंग स्थल झगड़ा

पार्किंग स्थल का दृश्य देखने में हास्यास्पद होता यदि वह उतना त्रासदीपूर्ण नहीं होता l दो वाहन चालक एक कार के रास्ता रोकने के कारण ऊंची आवाज में झगड़ा कर रहे थे, जिसमें वह एक दूसरे को बुरा भला कह रहे थे।

इसे इस बात ने और भी ख़ास दर्दनाक बना दिया कि यह झगड़ा चर्च के पार्किंग स्थल में हो रहा था l शायद अभी-अभी इन दो आदमियों ने प्रेम, धीरज, या क्षमा के विषय उपदेश सुना था, लेकिन उस क्रोध के क्षण में वे सब कुछ भूल गए थे l  

गुज़रते हुए, मैंने अपना सिर हिलाया─फिर तुरंत अनुभव किया कि मैं भी बेहतर नहीं था l मैंने भी बाइबल को बहुत बार पढ़ा था, कुछ क्षण बाद केवल एक निर्दय विचार के साथ पाप में गिरने के लिए? कितनी बार मैंने उस व्यक्ति की तरह व्यवहार किया था जो “उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है l इसलिए कि वह अपने आप को देखकर चला जाता और तुरंत भूल जाता है कि मैं कैसा था”(याकूब 1:23-24)?

याकूब अपने पढ़ने वालों से अपील कर रहा था कि न केवल पढ़ें और परमेश्वर के निर्देशों पर विचार करें, बल्कि उसके कहे अनुसार करें भी (पद.22) l उसने ध्यान दिया कि एक संपूर्ण विश्वास का अर्थ वचन को जानना और उसे कार्य रूप देना है l 

जो वचन में लिखा है उसे जीवन की परिस्थितियां लागू करने में कठिन बना सकती हैं। परंतु यदि हम पिता से सहायता मांगते हैं तो वह अवश्य ही अपने वचन को मानने में एवं अपने कार्य द्वारा उसे प्रसन्न करने में मदद करेगा l

एक नई शुरुआत

तमिल परिवारों द्वारा हर जगह मनाया जाने वाला तमिल नव वर्ष ऋतुओं के परिवर्तन से जुड़ा है। आमतौर पर जनवरी के मध्य में कहीं गिरते हुए, परिवार के पुनर्मिलन के लिए यह समय कई परंपराओं के साथ आता है-कुछ बहुत महत्वपूर्ण हैं। नए कपड़े खरीदना और दान करना, हमारे घरों को अच्छी तरह से साफ करना, और सभी को घर का खाना खिलाना, इस प्रकार रिश्तों को सुधारना। यह हमें अतीत को पीछे छोड़ने की याद दिलाता है और साल की शुरुआत एक साफ स्लेट के साथ करता है।

ये परंपराएं मुझे मसीह में हमारे नए जीवन की भी याद दिलाती हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कौन थे या हमने क्या किया है, हम इसे अपने पीछे रख सकते हैं। हम अपने अतीत के लिए खुद को पीटना बंद कर सकते हैं और अपने अपराध बोध को छोड़ सकते हैं, यह जानते हुए कि हमें यीशु की क्रूस पर मृत्यु के कारण पूरी तरह से क्षमा कर दिया गया है। और हम नए सिरे से शुरुआत कर सकते हैं, यह जानते हुए कि हम प्रतिदिन पवित्र आत्मा पर भरोसा कर सकते हैं ताकि हमें यीशु की तरह और अधिक बनाया जा सके।

इसलिए पौलुस विश्वासियों को याद दिलाता है "पुराना चला गया, नया आ गया!" (2 कुरिन्थियों 5:17) । हम भी सरल लेकिन शक्तिशाली सत्य के कारण यह कह सकते हैं: परमेश्वर ने हमें मसीह के द्वारा अपने साथ मिला लिया है और अब हमारे पापों को हमारे विरुद्ध नहीं गिना (v 19) ।

हमारे आस-पास के अन्य लोग हमारे अतीत के पापों को भूलने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं, परन्तु हम हृदय से लगा सकते हैं कि परमेश्वर की दृष्टि में अब हम दोषी नहीं हैं (रोमियों 8:1)। जैसा कि पौलुस बताता है, "यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोध कौन कर सकता है?" (v 31). आइए उस नई शुरुआत का आनंद लें जो परमेश्वर ने हमें यीशु के माध्यम से दी है।

एक सार्थक प्रतीक्षा

लंबे घंटों और एक अनुचित बॉस के साथ तनावपूर्ण नौकरी में फंसे अभिनव की इच्छा थी कि वह नौकरी छोड़ दे। लेकिन उसकी कुछ चीज गिरवी थी, एक पत्नी और एक छोटे बच्चे की देखभाल करनी थी। फिर भी वह इस्तीफा देने के लिए ललचा रहा था, लेकिन उसकी पत्नी ने उसे याद दिलाया : "आइए रुकें और देखें कि परमेश्वर हमें क्या देंगे।"

कई महीने बाद, उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया गया। अभिनव को एक नई नौकरी मिली जिसमें उन्हें मज़ा आया और उन्हें परिवार के साथ अधिक समय मिला। "वे महीने लंबे थे," उसने मुझसे कहा, "लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने परमेश्वर के समय में उसकी योजना के प्रकट होने की प्रतीक्षा की।"

मुसीबत के बीच में परमेश्वर की सहायता की प्रतीक्षा करना कठिन है; पहले अपना समाधान खोजने की कोशिश करना लुभावना हो सकता है। इस्राएलियों ने ठीक वैसा ही किया: अपने शत्रुओं की धमकी के कारण, उन्होंने परमेश्वर की ओर मुड़ने के बजाय मिस्र से सहायता मांगी (यशायाह 30:2)। परन्तु परमेश्वर ने उनसे कहा : यदि केवल वे पश्चाताप करेंगे और उस पर भरोसा रखेंगे, तो उन्हें बल और उद्धार मिलेगा (पद 15)। वास्तव में, उसने आगे कहा, "प्रभु तुम पर अनुग्रह करना चाहता है" (पद 18)।

परमेश्वर की प्रतीक्षा में विश्वास और धैर्य की आवश्यकता होती है। लेकिन जब हम इस सब के अंत में उसका उत्तर देखते हैं, तो हम महसूस करेंगे कि यह इसके लायक था : "धन्य हैं वे जो उसपर आशा लगाए रहते हैं!" (पद 18)। और इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि परमेश्वर, हमारे उसके पास आने की प्रतीक्षा कर रहा है!

स्वीकार्य और अनुमोदित

एक बच्चे के रूप में, टेनी ने असुरक्षित महसूस किया । उसने अपने पिता से अनुमोदन माँगा, लेकिन उसे कभी नहीं मिला । ऐसा प्रतीत हुआ कि उसने जो भी किया, चाहे स्कूल या घर में, वह कभी भी अच्छा नहीं था । जब वह व्यस्क हो गया, वह असुरक्षा कायम रहा । वह निरंतर सोचता रहा, क्या मैं लायक हूँ? 

केवल जब टेनी ने यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार  कर लिया उसने सुरक्षा और अनुमोदन प्राप्त किया जिसकी वह लम्बे समय से अभिलाषा करता था । उसने सीखा कि परमेश्वर──उसको रचने के बाद──उससे प्रेम करता था और उसे अपने पुत्र की तरह दुलारता था । टेनी आख़िरकार उस भरोसे के साथ जी सकता था कि वास्तव में उसका महत्त्व था और वह अधिमुल्यित था । 

यशायाह 43:1-4 में, परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों से बोला कि, उनको बनाने के बाद, वह उन्हें छुड़ाने के लिए अपनी सामर्थ्य और प्रेम का उपयोग करेगा । “मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है,” उसने घोषणा की । इसलिए कि वह उनसे प्यार करता था वह उनके पक्ष में कार्य करेगा (पद.4) । 

परमेश्वर जिनसे प्रेम करता है उन पर जो मूल्य रखता है वह हमारे द्वारा किये गए कार्यों के कारण नहीं है, लेकिन सरल और शक्तिशाली सच्चाई से कि उसने हमें अपना बनाने के लिए चुना है । 

यशायाह 43 में ये शब्द टेनी को केवल महान सुरक्षा ही नहीं दिया, बल्कि जो भी कार्य करने के लिए उसे बुलाया गया था, उसमें परमेश्वर के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ करने के भरोसे के साथ उसे सामर्थी बनाया । आज वह एक पास्टर है जो इस जीवन-सत्य के साथ दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए वह सब करता है : हम यीशु में स्वीकृत और अनुमोदित हैं । आज हम इस सच्चाई को भरोसा के साथ जीएँ । 

दूसरों के लिए

कोविड-19 महामारी के दौरान, कई सिंगापुरी संक्रमित होने से बचने के लिए घर में ही रहे l लेकिन भरोसा करते हुए कि सब सुरक्षित है, मैं आनंदपूर्वक तैरता रहा l 

मेरी पत्नी, हालाँकि, भयभीत थी कि मैं एक सार्वजनिक तरणताल में संक्रमित हो सकता हूँ और अपनी वृद्ध माँ को संक्रमित कर सकता हूँ──जो, दूसरे वरिष्ठों की तरह, इस वायरस के चपेट में आ सकती थी l “क्या आप मेरे लिए, कुछ समय के लिए तैरना छोड़ सकते हैं?” उसने कहा l 

पहले, मैं बहस करना चाहता था कि जोखिम बहुत कम था l फिर मुझे एहसास हुआ कि यह उसकी भावनाओं से कम मायने रखता है l मैं तैरने पर जोर क्यों दूँ──शायद ही एक ज़रूरी चीज़──जब इसने व्यर्थ उसको चिंतित किया?  

रोमियों 14 में, पौलुस कुछ ऐसे मामलों को संबोधित किया जैसे कि मसीह में विश्वासियों को कुछ ख़ास भोजन खाना चाहिए या ख़ास त्योहारों को मानना चाहिए l वह चिंतित था कि कुछ लोग अपने विचार दूसरों पर थोप रहे थे l 

पौलुस ने रोम में चर्च को, और हमें, याद दिलाया, कि मसीह में विश्वासी स्थितियों को दूसरे तरीके से देख सकते हैं l हमारी पृष्ठ्भूमि भी विविध हैं जो हमारे दृष्टिकोण और प्रथाओं को रंग देती हैं l उसने लिखा, “हम एक दूसरे पर दोष न लगाएँ, पर तुम ठान लो कि कोई अपने भाई [या बहिन] के सामने ठोकर खाने का कारण न रखे” (पद.13) l

परमेश्वर के अनुग्रह से हमें बहुत स्वतंत्रता मिलती है, जब यह सह विश्वासियों के प्रति उसके प्रेम को वक्त करने में मदद करता है l हम इस स्वतंत्रता का उपयोग नियमों और प्रथाओं को अपने स्वयं के विश्वासों से ऊपर दूसरों की आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर सकते हैं जो कि सुसमाचार में पाए गए आवश्यक सत्य के विपरीत नहीं है (पद.20) l 

पवित्र आत्मा से मदद

जबकि मेरे सहपाठी और मैं विश्वविद्यालय में कभी-कभी होने वाले व्याख्यान को छोड़ देते थे, साल के अंत की परीक्षा से पूर्व सप्ताह में प्रोफ़ेसर क्रिस के व्याख्यान में अवश्य ही सभी उपस्थित होते थे l यह वह समय होता था जब वह परीक्षा प्रश्नों के विषय जो उन्होंने बनाया था हमेशा बड़े संकेत देते थे l 

मैंने हमेशा आश्चर्य किया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, जब तक मुझे एहसास नहीं हुआ कि प्रोफेसर क्रिस चाहते थे कि हम अच्छा करें l उनके पास उच्च मानक थे, लेकिन उनको पूरा करने में वे हमारी मदद करते थे l हमें केवल आकर सुनना था ताकि हम उचित तरीके से तैयारी कर सकते थे l 

मेरे मन में भी अचानक आया कि परमेश्वर भी वैसा ही है l परमेश्वर अपने मानक से समझौता नहीं कर सकता है, लेकिन इसलिए कि उसकी इच्छा है कि हम उसके समान बने, उसने हमें उन मानकों को पूरा करने के लिए पवित्र आत्मा दिया है l 

यिर्मयाह 3:11-14 में, परमेश्वर ने अविश्वासयोग्य इस्राएल से अपना दोष स्वीकार कर उसके पास लौटने का आग्रह किया l लेकिन यह जानकार कि वे कितने अड़ियल और कमजोर है, वह उनकी मदद करने वाला था l वह उनके भटकने को सुधारने की प्रतिज्ञा करता है (पद.22), और उसने उनको सिखाने और मार्गदर्शित करने के लिए चरवाहे भेजे (पद.15) l 

यह जानना कितना आरामदायक है कि चाहे हम कितने बड़े पाप में फंसे हों या हम परमेश्वर से कितनी ही दूर चले गए हों, वह हमारी अविश्वसनीयता को चंगा करने के लिए तैयार है l हमें सिर्फ अपने गलत मार्ग को स्वीकार करना है और पवित्र आत्मा को हमारे हृदयों को बदलने के लिए पवित्र आत्मा को अनुमति देना है l 

हर एक सांस

जब टी अन्न एक दुर्लभ स्व-संक्राम्य(autoimmune) बीमारी के साथ आया, जिसने उसकी सभी मांसपेशियों को कमजोर कर दिया था और लगभग उसे मरणासन्न कर दिया था तो उसने महसूस किया कि सांस लेने में सक्षम होना एक उपहार था l एक हफ्ते से अधिक समय तक, एक मशीन को हर कुछ सेकंड में उसके फेफड़ों में हवा पंप करना पड़ता था, जो उसके उपचार का एक पीड़ादायक हिस्सा था l
टी अन्न ने एक चमत्कारी पुनर्प्राप्ति की, और आज वह खुद को जीवन की चुनौतियों के बारे में शिकायत नहीं करने की याद दिलाता है l वह कहता है, “मैं बस एक गहरी साँस लूँगा और परमेश्वर को धन्यवाद दूँगा कि मैं ले सकता हूँ l”
अपनी आवश्यकताओं या इच्छाओं पर ध्यान देना कितना आसान है, और हम भूल जाते हैं कि कि कभी-कभी जीवन की सबसे छोटी चीज़ें सबसे बड़े चमत्कार हो सकते हैं l यहेजकेल के दर्शन में (यहेजकेल 37:1-14), परमेश्वर ने भविष्यवक्ता को दिखाया कि केवल वह सूखी हड्डियों को जीवन दे सकता है l यहां तक ​​कि नस, मांस और त्वचा के आने के बाद भी, “उनमें साँस कुछ न थी” (पद.8) l केवल जब परमेश्वर ने उन्हें सांस देता तब वे फिर से जीवित हो सकते थे (पद.10) l
यह दर्शन इस्राएल को तबाही से बचाने के लिए परमेश्वर के वादे को दर्शा दिया l यह मुझे यह भी याद दिलाता है कि मेरे पास जो कुछ भी है, बड़ा या छोटा है, वह बेकार है जब तक कि परमेश्वर मुझे सांस न दे l
आज जीवन में सबसे साधारण आशीषों के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना कैसा रहेगा? दैनिक संघर्ष के मध्य, कभी-कभी गहरी साँस लेने के लिए ठहरें, और “सब के सब याह की स्तुति करें!” (भजन 150:6) l