दुश्मनों पर अंगारों का ढेर लगाना
डैन को उसी जेल प्रहरी से रोजाना मार–पीट सहन करनी पड़ती थी। उसने महसूस किया कि यीशु ने उसे इस आदमी से प्यार करने के लिए बाध्य किया है, इसलिए एक सुबह, पिटाई शुरू होने से पहले, डैन ने कहा, “महोदय, अगर मैं जीवन भर आपको हर दिन देखने जा रहा हूं, तो आइये हम दोस्त बन जायें।” गार्ड ने कहा, “नहीं, हम कभी दोस्त नहीं हो सकते।” पर डैन ने अपनी बात पर जोर दिया और अपना हाथ बढ़ाया।
पहरेदार कुछ भी नहीं बोल सका और शान्त खड़ा रहा। वह कांपने लगा, फिर उसने डैन का हाथ पकड़ लिया और छोड़ा नहीं। उसकी आंखों से आँसू बहने लगे। उसने कहा, “डैन, मेरा नाम रोसोक है। मैं आपका दोस्त बनना पसंद करूँगा।” उस दिन या फिर कभी बाद में भी गार्ड ने डैन को नहीं पीटा।
पवित्रशास्त्र हमें बताता है “यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे भोजन खिलाना, यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिला। ऐसा करने से तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा”नीतिवचन 25:21—.22। कोयले की कल्पना मिस्र के एक अनुष्ठान (रिवाज़)को दशौती है जिसमें एक दोषी व्यक्ति अपने सिर पर गर्म अंगारों का कटोरा लेकर अपना पश्चाताप दिखाता है। इसी तरह, हमारी दयालुता हमारे शत्रुओं के चेहरे को शर्मिंदगी से लाल कर सकती है, जो उन्हें पश्चाताप की ओर ले जा सकती है।
आपका दुश्मन कौन है ?आप किसे नापसंद करते हैं? डैन ने पाया कि मसीह की दया इतनी प्रबल थी कि वह किसी भी हृदय को बदल सकती थी — उसके शत्रु का और उसके स्वयं का। हम भी ऐसा कर सकते हैं।
यह अभी खाली है
मेरे भाइयों और हमारे परिवारों ने हमारे माता–पिता के सामान को हमारे बचपन के घर से हटाने में सारा दिन बिताया। दोपहर में देर से, हम आखिरी बार सामान उठाने के लिए वापस गए और यह जानते हुए कि हम अपने पारिवारिक घर में आखिरी बार हैं हमने पीछे के बरामदे में एक तस्वीर खिंचवाने का फेसला किया। मैं आँसुओं को छिपाने की कोशिश कर रहा था कि मेरी माँ ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “अब यह सब खाली है।” इसने मुझे पूरी तरह से भावनातमक तरह से हिला दिया । चौवन साल की यादें समेटे वह घर अब सूना है। मैं इसके बारे में न सोचने की कोशिश करता हूं।
मेरे दिल का दुख यिर्मयाह के विलापगीत के पहले शब्दों के साथ गूँजता है— “जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली है” (1:1); एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि यरूशलेम नगरी अपने बहुत से अपराधों के कारण सूनी थी (पद 5)। परमेश्वर ने अपने लोगों को बाबुल में बंधुआई में भेजा क्योंकि उन्होंने उसके विरुद्ध विद्रोह किया और पश्चाताप करने से इनकार कर दिया (पद 18)। मेरे माता–पिता पाप के कारण आगे नहीं बढ़ रहे थे, कम से कम खुले दिल से तो नहीं । परन्तु अदन की वाटिका में आदम के पाप के बाद से, प्रत्येक व्यक्ति के जीवनकाल में उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई है। जैसे–जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे लिए यह असामान्य नहीं है कि हम छोटे घरों में रहें जिनका रख–रखाव आसान हो।
मैं उन यादों के लिए शुक्रगुजार हूं जिन्होंने हमारे साधारण घर को खास बनाया। दुख दर्द प्यार की कीमत है। मुझे पता है कि अगली अलविदा मेरे माता–पिता के घर के लिये नहीं, बल्कि मेरे माता–पिता के लिए होगी। और मैं रोता हूं, मैं यीशु को आने के लिए पुकारता हूं, कि वह आये और इस अलविदा को समाप्त करे, और सभी चीजों को बहाल करे । मेरी आशा उस पर है।
यीशु उत्तर है
यह कहानी बताई जाती है कि अल्बर्ट आइंस्टीन के व्याख्यान दौरे पर एक और पड़ाव के बाद, उनके ड्राईवर ने उल्लेख किया कि उन्होंने उनके भाषण के बारे में पर्याप्त सुना है जो वह दे सकते थे। आइंस्टीन ने सुझाव दिया कि वे अगले कॉलेज में जगह बदल लें, क्योंकि वहां किसी ने उनकी तस्वीर नहीं देखी थी। ड्राईवर सहमत हो गया और एक अच्छा व्याख्यान दिया। फिर आया सवाल-जवाब का दौर। एक आक्रामक जिज्ञासु के लिए, ड्राइवर ने उत्तर दिया, "मैं देख सकता हूं कि आप एक शानदार प्रोफेसर हैं, लेकिन मुझे आश्चर्य है कि आप एक इतना सरल प्रश्न पूछेंगे कि मेरा ड्राइवर भी इसका उत्तर दे सकता है।" तब उनके "ड्राइवर" - अल्बर्ट आइंस्टीन ने स्वयं इसका उत्तर दिया! इस प्रकार मजेदार लेकिन काल्पनिक कहानी समाप्त होती है।
दानियेल के तीन दोस्त सही मायने में खतरे में थे। राजा नबूकदनेस्सर ने धमकी दी कि यदि वे उसकी मूर्ति की पूजा नहीं करेंगे तो वे उन्हें धधकते भट्ठी में फेंक देंगे। उसने पूछा, “कौन सा देवता तुझे मेरे हाथ से छुड़ा सकेगा?” (दानिय्येल 3:15)। मित्रों ने फिर भी झुकने से इनकार कर दिया, इसलिए राजा ने भट्ठी को सात गुना अधिक गर्म किया और उन्हें उसमें झोंक दिया।
वे अकेले नहीं गए। एक "स्वर्गदूत" (पद. 28), शायद स्वयं यीशु, उनके साथ आग में शामिल हो गया, उन्हें नुकसान से बचाते हुए और राजा के प्रश्न का निर्विवाद उत्तर प्रदान करते हुए (पद. 24-25)। नबूकदनेस्सर ने "शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर" की प्रशंसा की और स्वीकार किया कि "कोई अन्य देवता इस प्रकार नहीं बचा सकता" (पद. 28-29).
कई बार, हम अपने सिर के ऊपर परेशानी महसूस कर सकते हैं। लेकिन यीशु उनके साथ खड़ा है जो उसकी सेवा करते हैं। वह हमें ले जाएगा।
जाने देना
ऑगस्टाइन की आत्मकथात्मक स्वीकारोक्ति यीशु के लिए उनकी लंबी और घुमावदार यात्रा का वर्णन करती है। एक अवसर पर, वह सम्राट के लिए चापलूसी भरा भाषण देने के लिए महल में जा रहे थे। वह अपनी भ्रामक तालियों की पंक्तियों पर चिंतन ही कर रहे थे जब उनका ध्यान एक नशे में धुत भिखारी पर गया जो "मजाक कर रहा था और हंस रहा था"। उन्होंने महसूस किया कि नशे में उस व्यक्ति के पास पहले से ही वह क्षणभंगुर खुशी थी जो की उसका कुटिल जीवन देने पाता है, और वो भी कुछ ज्यादा प्रयास किए बिना । इसलिए ऑगस्टाइन ने सांसारिक सफलता के लिए प्रयास करना बंद कर दिया।
लेकिन वह अभी भी वासना के गुलाम थे। वह जानते थे कि वह पाप से मुड़े बिना यीशु की ओर नहीं मुड़ सकते, और वह अभी भी यौन अनैतिकता से जूझ रहे थे। इसलिए उसने प्रार्थना की, “मुझे पवित्रता प्रदान करो। . . लेकिन अब तक नहीं।"
ऑगस्टाइन ठोकर खाते चले, उद्धार और पाप के बीच जूझते रहे, जब तक अंतः उनके लिए यह बहुत हुआ। दूसरों से प्रेरित होकर जो यीशु की ओर फिरे थे, उन्होंने बाइबिल में रोमियों 13:13-14 पढ़ा। “आइए शालीनता से व्यवहार करें . . . न रंगरेलियों और मतवालेपन में, न व्यभिचार में। . . . बल्कि प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और यह न सोचो कि शरीर की लालसाओं को कैसे तृप्त किया जाए।”
उनके लिए यह काम कर गया। परमेश्वर ने ऑगस्टाइन की वासना की जंजीरों को तोड़ने के लिए उन प्रेरित शब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें ले आए “पुत्र के राज्य में . . . जिसमें हमें छुटकारा अर्थात् पापों की क्षमा मिली है" (कुलुस्सियों 1:13-14)। ऑगस्टाइन एक बिशप बन गए जो प्रसिद्धिता और वासना की परीक्षा में बने रहे, लेकिन अब वह जानते थे कि जब उसने पाप किया तो उसे किसकी ओर देखना है। वह यीशु की ओर मुड़े। क्या आप मुड़े है ?
हम अकेले नहीं हैं
फ्रेड्रिक ब्राउन की लघु रोमांचक कहानी “नॉक”(दस्तक/Knock) में उन्होंने लिखा, पृथ्वी (गृह/planet) पर का आखिरी आदमी एक कमरे में अकेला बैठा थाl दरवाजे पर दस्तक हुयीl” हाँ! वे कौन हो सकते हैं,और वे क्या चाहते हैं? उसके लिए कौन रहस्यमय प्राणी आया है? आदमी अकेला नहीं है l
हम भी नहीं हैं l
लौदीकिया की कलीसिया ने अपने द्वार पर दस्तक सुनीI (प्रकाशितवाक्य 3:20) उनके लिए कौन सा अलौकिक प्राणी आया था? उसका नाम यीशु था, “प्रथम और अंतिम . . . जो जीवता हैI” (1:17-18) उसकी आखें आग की तरह प्रज्वलित थीं, और उसका मुख “ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है” (पद.16) जब उसके सबसे अच्छे मित्र यूहन्ना ने उसकी महिमा की एक झलक देखी, तो वह “उसके पांवों पर मुर्दा सा गिर पड़ा” (पद.17) मसीह में विश्वास का आरम्भ परमश्वर के भय से होती हैl
हम अकेले नहीं हैं,और यह सुकून देने वाला भी हैl यीशु “परमेश्वर की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है,और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है”(इब्रानियों 1:3) फिर भी मसीह हमें मारने के लिए नहीं बल्कि हमसे प्रेम करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता हैl उसका निमंत्रण सुने, “यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ” (प्रकाशितवाक्य 3:20) हमारा विश्वास डर से शुरू होता है—दरवाजे पर कौन है?—और यह एक स्वागत और मजबूत आलिंगन में समाप्त होता है l यीशु हमेशा हमारे साथ रहने की प्रतिज्ञा करता है, भले ही हम पृथ्वी पर अंतिम व्यक्ति हों l ईश्वर का धन्यवाद हो, हम अकेले नहीं हैं l
आपका क्या नाम है?
अपने पहले पति की मृत्यु के बाद जीना ने दूसरी शादी कर ली। उनके नए पति के बच्चों ने उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया, और अब जब उनका भी निधन हो गया है, तो वे उनसे नफरत करते हैं क्योंकि वह उनके बचपन के निवास स्थान में रह रही है। उनके पति ने उन्हें प्रावधान के लिए एक मामूली राशि छोड़ी; उनके बच्चों का कहना है कि वह उनकी विरासत चुरा रही है। जीना स्वाभाविक रूप से निराश है, और वह कड़वी हो गयी है।
नाओमी का पति परिवार को मोआब ले गया, जहाँ वह और उसके दो पुत्र मर गए। वर्षों बाद, नाओमी सिर्फ़ अपनी बहू रूत के साथ खाली हाथ बेतलेहेम लौट आई। नगर में हलचल मच गई और उन्होंने पूछा, “क्या यह नाओमी है?” (रूत 1:19) उसने कहा कि उन्हें उस नाम का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसका अर्थ है "मेरा सुखद।" उन्हें उसे "मारा" कहना चाहिए, जिसका अर्थ है "कड़वा", क्योंकि "मैं भरी पूरी चली गई थी, परन्तु यहोवा ने मुझे छूछी करके लौटाया हैI" (पद. 20-21)
क्या आपका नाम “कड़वा” होने की कोई संभावना है? आप अपने मित्रों, परिवार या गिरते स्वास्थ्य से निराश हुए हैं। आप कुछ बेहतर पाने के पात्र थे। परन्तु आपको वह नहीं मिला। अब आप कड़वे हो गए हो।
नाओमी बेतलेहेम में कड़वी होकर लौटी, परन्तु वह लौट आई। आप भी घर आ सकते हैं। बेतलहम में पैदा हुए रूत के वंशज यीशु के पास आओ। उसके प्रेम में विश्राम करो।
समय के साथ, परमेश्वर ने नाओमी की कड़वाहट को उसकी सिद्ध योजना की आनन्दपूर्ण पूर्ति से बदल दिया (4:13-22) वह आपकी कड़वाहट को भी बदल सकता है। उसके पास घर आओ।
आनंद चुनें
सामान खरीदते हुये कीथ अच्छा महसूस नही कर रहा था। उनके हाथ पार्किंसंस रोग के पहले लक्षणों से कांप रहे थे। उसके जीवन की गुणवत्ता कितनी जल्दी कम होने लगी? उसकी पत्नी और बच्चों के लिए इसका क्या अर्थ होगा? कीथ की उदासी, हँसी से टूट गई—व्हीलचेयर में बैठे, हंसते हुए अपने बेटे को एक आदमी ने आलू के ऊपर धकेल दिया। उस आदमी ने झुक कर अपने बेटे से धीमी आवाज में कुछ कहा जो अपना मुस्कुराना बंद नहीं कर सका। उसकी हालत कीथ की तुलना में काफी खराब थी फिर भी वह और उसके पिता,जहां भी हो सकता था खुशी पा रहे थे ।
अपने मुकदमे के परिणाम की प्रतीक्षा करते हुये, जब प्रेरित पौलुस जेल से या घर में नजरबंद होकर लिख रहा था, तो लगता था कि प्रेरित पौलुस को आनन्दित होने का कोई अधिकार नहीं था (फिलिप्पियों 1 12–13)। उस समय सम्राट नीरो था, जो एक दुष्ट व्यक्ति था, जो हिंसा और क्रूरता के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध था, इसलिए पौलूस के चिंतित होने का कारण था। वह यह भी जानता था कि ऐसे उपदेशक थे जो उसकी अनुपस्थिति का फायदा उठाकर अपने लिए गौरव हासिल कर रहे थे। उन्होंने सोचा था कि वे पौलुस के लिए “ मुसीबत खड़ी कर सकते हैं” जब वह कैद में था (पद 17)।
तौभी पौलुस ने आनन्दित होना चुना (पद 18–21), और उसने फिलिप्पियों से उसके उदाहरण का अनुसरण करने के लिए कहा: “प्रभु में सदा आनन्दित रहो। मैं फिर कहता हूंरू आनन्दित रहो!” (4:4) । हमारी स्थिति अंधकारमय लग सकती है, फिर भी यीशु इस समय हमारे साथ है, और उसने हमारे गौरवशाली भविष्य की गारंटी दी है। मसीह, जो अपनी कब्र से बाहर निकल आया, अपने अनुयायियों को अपने साथ रहने के लिए, उठाने के लिए वापस आएगा। जब हम इस नए साल की शुरुआत करते हैं, हम आनन्दित हों!
पापियों के लिए एक अस्पताल
काठमांडू में एक मित्र के चर्च की यात्रा के दौरान, मैंने एक चिन्ह देखा जो उसने द्वार पर लगाया था। यह कहा, “चर्च पापियों के लिए एक अस्पताल है न कि संतों के लिए एक संग्रहालय”। हालांकि मैं संग्रहालय शब्द के बारे में निश्चित नहीं हूं, लेकिन मुझे अस्पताल की उपमा पसंद है। मेरे विचार से यह एकदम सही है।
डॉक्टर, नर्स, प्रशासनिक कर्मचारी, मरीज और कई अन्य लोग अस्पताल बनाते हैं। अस्पताल में हम लगभग सभी ज्ञात भावनाएँ पा सकता है। हम, यहां तक कि डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ को भी अस्पताल में मरीज बनने की प्रवृत्ति होती है और उनमें से कई लोग होते भी हैं।
सी. एस. लुईस ने कहा था, “मुझे उसी अस्पताल में साथी मरीज समझो। लेकिन कुछ समय पहले भर्ती हुआ इसलिये कुछ सलाह दे सकता था।” किसी प्रकार की पूर्णता से नहीं, बल्कि एक साथी रोगी के रूप में, फरीसियों के विपरीत, जो स्वयं धर्मी अहंकार के ऊंचे आसन से बोलते हैं जो कहते हैं, “मैं न कभी बीमार हुआ हूं और न कभी होऊंगा”
यीशु ‘यद्यपि उन्होंने पाप नहीं किया’ जो ‘पाप बन गया’ के रूप में बोला और ऐसा ही ‘कर लेने वालों और पापियों’ का मित्र था। प्रश्न यह है कि क्या हम उन पापियों के मित्र हैं जिन्हें उनके अनुग्रह और दया की आवश्यकता है?
नरक से आशा
1979 में, पुरातत्वविद्(archeologist/आर्केओलोजिस्ट) गेब्रियल बार्के ने चाँदी के दो छोटे घूँघर/खर्रा(scroll/स्क्रोलl) खुदाई से निकाले l धातु के स्क्रोल को नाजुक ढंग से खोलने में वर्षों लग गए, और प्रत्येक में गिनती 6:24-26 से आशीष इब्री में उकेरी हुयी देखी गयी, “यहोवा तुझे आशीष दे और तेरी रक्षा करे; यहोवा तुझ पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए, और तुझ पर अनुग्रह करे; यहोवा अपना मुख तेरी ओर करे; और तुझे शांति दे l” विद्वानों ने स्क्रोल को सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व का बताया है l वे संसार में बाइबल के सबसे पुराने ज्ञात अंश हैं l
जिस स्थान पर वे पाए गए वह उतना ही दिलचस्प है l बार्के हिन्नोम की घाटी में एक गुफा की खुदाई कर रहे थे, वही स्थान जहाँ नबी यिर्मयाह ने यहूदा के लोगों से कहा था कि परमेश्वर उनको अपने बच्चों को बलि चढ़ाने के कारण मार डालेगा (यिर्मयाह 19:4-6) l यह घाटी ऐसी दुष्टता की जगह थी कि यीशु ने नरक के चित्र के रूप में “गेहन्ना/Gehenna” (“हिन्नोम की घाटी” के लिए इब्री नाम का एक यूनानी रूप) शब्द का प्रयोग किया था (मत्ती 23:33) l
इस जगह, लगभग उस समय यिर्मयाह अपने राष्ट्र पर परमेश्वर का न्याय घोषित कर रहा था, कोई और अपनी भावी आशीष को चाँदी के स्क्रोल पर उकेर रहा था l यह उनके जीवनकाल में घटित नहीं होने वाला था, लेकिन एक दिन—बेबीलोन के आक्रमण के दूसरी ओर—परमेश्वर अपना मुख अपने लोगों की ओर करनेवाला था और उन्हें आशीष देनेवाला था l
हमारे लिए सबक स्पष्ट है l बावजूद इसके कि हम जिसके लायक हैं वह होनेवाला/घटनेवाला है, हम परमेश्वर की आशीष को थामें रह सकते हैं l उसका हृदय हमेशा उसके लोगों के लिए लालायित रहता है l