मिटा दिया है
जब उन्होंने पेन्सिल के लिखे हुए को मिटाने वाले (रबर) का आविष्कार किया, ब्रिटिश इंजीनियर एडवर्ड नैर्न इसकी जगह रोटी के टुकड़े को खोज रहे थे। 1770 में रोटी के टुकड़े पेपर पर लिखे हुए को मिटाने के लिए प्रयोग किए जाते थे। गलती से रबड़ के टुकड़े को उठा लेने से नैर्न ने देखा कि इसने रबड़ के छोटे टुकड़े छोड़ते हुए उनकी गलती को मिटा दिया था और उन रबड़ के टुकड़ों को भी हाथ से आसानी से साफ़ किया जा सकता था।
हमारे जीवन की सबसे बुरी गलतियाँ भी मिटाई जा सकती हैं। यह प्रभु-जीवन की रोटी है-जो उन्हें अपने जीवन के द्वारा साफ़ कर देते हैं, और हमें हमारे पापों को कभी फिर याद न रखने की प्रतिज्ञा प्रदान करते हैं। यशायाह कहता है “मैं वही हूँ जो अपने नाम के निमित्त तेरे अपराधों को मिटा देता हूँ और तेरे पापों को स्मरण न करूँगा।”
यह एक बेहतरीन हल प्रतीत होता है- और इसके हम योग्य भी नहीं हैं। अनेक लोगों के लिए यह विश्वास करना कठिन होता है कि हमारे अतीत के पापों को “सुबह की ओस के समान” मिटाया जा सकता है। क्या परमेश्वर, जो सबकुछ जानता है, उन्हें इतनी आसानी से भूल सकता है?
ठीक ऐसा ही परमेश्वर तब करता है जब हम यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करते हैं। हमारे पापों को क्षमा कर देने और “उन्हें याद न रखने” का चुनाव करने के द्वारा हमारा स्वर्गीय पिता हमें आगे बढ़ने के लिए आज़ाद कर देता है। पुराने पापों के द्वारा नीचा न देखने के द्वारा, हमें पाप के अवशेषों से आज़ाद और अभी और सर्वदा के लिए सेवा करने के लिए साफ़ कर दिया गया है।
हाँ, हो सकता है कि परिणाम शेष रह जाएँ। परन्तु परमेश्वर पाप को हटा देते हैं, और हमारे साफ़ और नए जीवन के लिए उनके पास लौट आने के लिए आमन्त्रित करते हैं।
फिका की विचारधारा
मेरे घर के पास के एक नगर में फिका नामक एक कॉफ़ीहाउस है। यह एक स्वीडिश शब्द है जिसका अर्थ कॉफ़ी और पेस्ट्री के साथ, परिवार, सहकर्मियों या मित्रों के साथ थोड़ी देर ठहरना है। मैं स्वीडन से नहीं हूँ, फिर भी फिका की आत्मा एक बात का उल्लेख करती है, जो मुझे यीशु के बारे में बहुत पसन्द है-दूसरों के साथ खाने और आराम करने के लिए ठहरना।
विद्वान बताते हैं कि यीशु का भोजन अनियमित नहीं था। थियोलॉजियन मार्क ग्लैनविल उन्हें इस्राएल के पर्वों और पुराना नियम में त्यौहार मनाने का एक “दूसरा स्तर” कहते हैं। मेज पर यीशु ने वह जीवन जिया , जिसकी इच्छा परमेश्वर ने इस्राएल के लिए की थी: “सम्पूर्ण संसार के लिए आनन्द, ख़ुशी, और न्याय का केन्द्र।”
5,000 को खिलाने से प्रभु भोज तक-यहाँ तक कि पुनरुत्थान के बाद दो विश्वासियों के साथ भोजन (लूका 24:30)-यीशु की मेज़ की सेवा हमें हमारी निरन्तर प्रयास करते रहने को रोकने और उस पर निर्भर होने के लिए आमन्त्रित करती है। वास्तव में, यीशु के साथ खाने तक उन दो विश्वासियों ने नहीं पहचाना कि वह प्रभु थे। “जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया और उसे तोड़कर उनको देने लगा। तब उनकी आँखें (जीवित मसीह के प्रति) खुल गईं (पद 30-31) ।
हालही में फिका में एक मित्र के साथ बैठे गर्म चाकलेट और रोल्स का आनन्द लेते हुए, हम ने एक-दूसरे को यीशु की बातें करते हुए पाया। वह जीवन की रोटी है। प्रभु करे कि हम उसकी मेज़ पर जाएँ और उसे और अधिकता से प्राप्त करें।
परमेश्वर के द्वारा देख लिया गया
मेरे पहले चश्मे ने मेरी आँखों को एक साफ़ संसार के लिए खोल दिया था। मुझे निकट की वस्तुएँ साफ़ और स्पष्ट दिखाई देती हैं। परन्तु चश्मे के बिना कमरे से बाहर या कुछ दूरी पर चीज़ें धुंधली दिखाई देती हैं। बारह साल की आयु में, मेरे पहले चश्मे से ब्लैकबोर्ड पर शब्दों को, पेड़ पर छोटे-छोटे पत्तों को और सबसे अच्छा लोगों के चेहरों पर बड़ी मुस्कुराहट को देखकर आश्चर्यचकित हो गई थी।
जब मैंने मित्रों का अभिनन्दन किया तो वे मेरी ओर पलट कर मुस्कुराए, तब मैंने सीख लिए कि दिखाई देना भी देखने की आशीष जितना ही बड़ा उपहार है।
दासी हाजिरा ने जान लिया था कि जैसे ही वह अपनी मालकिन सारै की दयाहीनता से भागी। हाजिरा अपनी संस्कृति में कुछ भी नहीं थी, वह गर्भवती थी अकेली थी और बिना सहायता और आशा के मरुभूमि में भाग रही थी। परमेश्वर को देख लेने के बदले में परमेश्वर के द्वारा देख लिए जाने पर वह सशक्त की गई थी। एक अनजान सिद्धांत के स्थान पर परमेश्वर उसके लिए वास्तविक बन गया इतना वास्तविक कि उसने परमेश्वर को एक नाम एल रोई दे दिया जिसका अर्थ है “तू एक ऐसा परमेश्वर है, जो मुझे देखता है।” उसने कहा, “अब मैंने उसे देख लिया है जो मुझे देखता है” (उत्पत्ति 16:13) ।
हमारा देखने वाला परमेश्वर हम में से प्रत्येक को देखता है। जो अपने आप को अनदेखा, अकेला या नाचीज़ अनुभव करते हैं? परमेश्वर आपको और आपके भविष्य को देखता है। उसके बदले में परमेश्वर करे कि हम उसे हमारी अनन्त आशा, प्रोत्साहन, उद्धार और आनन्द-हमारे आज और हमारे कल के लिए-के रूप में देखें। देखने के इस अद्भुत उपहार, उस सच्चे और जीवित परमेश्वर को देखने के लिए आज हम उसकी स्तुति करें।
एक बड़ी बात
परिवार के एक सदस्य को दिसम्बर का किराया चुकाने के लिए सहायता की आवश्यकता थी। परन्तु उसके परिवार को वह विनती एक बोझ जैसी प्रतीत हुई—विशेष रूप से वर्ष के अन्त में अपने अनापेक्षित खर्चों के कारण। परन्तु उन्होंने अपनी बचत को निकाला और परमेश्वर की उपलब्धता के लिए धन्यवादी हुए—और अपने सम्बन्धी के आभार से भी आशीषित हुए।
उसने उन्हें एक धन्यवाद का कार्ड प्रदान किया जिसपर आभार के शब्द लिखे हुए थे। “तुम लोगों ने यह फिर से किया...भले कार्य करते हुए, इसे ऐसे निपटा दिया जैसे यह कोई बड़ी बात नहीं थी।”
दूसरों की सहायता करना एक बड़ी बात है, परन्तु परमेश्वर के लिए है। नबी यशायाह ने इस्राएल राष्ट्र का ध्यान इसी ओर किया। लोग उपवास रख रहे थे परन्तु फिर भी लड़ाई झगड़ा कर रहे थे। इसलिए नबी यशायाह ने कहा: “अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहनेवालों का जूआ तोड़कर उनको छुड़ा लेना... अपनी रोटी भूखों को बाँट देना, अनाथ और मारे–मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना, और अपने जातिभाइयों से अपने को न छिपाना?” (यशायाह 58:6-7)।
यशायाह कहता है कि इस प्रकार का बलिदान परमेश्वर के तेज को बांटता है, परन्तु यह हमारे टूटे होने को भी चंगा करता है (पद 8)। जिस प्रकार उस परिवार ने अपने सम्बन्धी की सहायता की, उन्होंने अपने खर्चों की और भी देखा, और देखा कि वे पूरे वर्ष किस प्रकार एक उत्तम प्रबन्ध कर सकते थे। उदार होने के लिए यह परमेश्वर की प्रतिज्ञा थी: “तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, यहोवा का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा।” (पद 8)। अन्त में, अपने सम्बन्धी को देने ने उन्हें और आशिषित किया। और परमेश्वर को? उसने तो पहले ही अपना सबकुछ दे दिया था--सप्रेम।
अगुआ का अनुसरण
हमारे घर के ऊपर आसमान में तीन लड़ाकू जेट विमान शोर करते है – तीनों इतने निकट हैं कि एक दिखाई देते हैं l “वाह,” मैं अपने पति, डैन से बोली l वह मुझसे सहमत हुआ, “प्रभावशाली l” हम एक एयर फ़ोर्स बेस के निकट रहते हैं और ऐसे दृश्य सामान्य हैं l
हर समय जेट विमानों के उड़ने पर, हालाँकि, मेरे पास एक ही प्रश्न होता है : कैसे वे इतने निकट उड़ते हुए भी नियंत्रण में रहते हैं? एक स्पष्ट कारण, दीनता है l इस बात पर भरोसा करके कि लीड पायलट सही गति और प्रक्षेपवक्र पर उड़ रहा रहा है, विंग पायलट निर्देशों को बदलने या अपने अगुआ के पथ पर सवाल करने की इच्छा को लीड पायलट की इच्छा के आधीन करते हैं l इसके बदले वे विन्यास में रहकर निकट से अनुसरण करते हैं l परिणाम? एक और शक्तिशाली टीम l
यीशु के अनुयायियों के लिए भिन्न बात नहीं है l वह कहता है, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आपे से इन्कार करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले” (लूका 9:23) l
उसका मार्ग आत्म-समर्पण और पीड़ा उठाना था, जिसका अनुसरण करना कठिन हो सकता है l किन्तु उसके प्रभावशाली अनुयायी होने के लिए, हमें भी अपनी स्वार्थी इच्छाएँ अलग करने और प्रतिदिन आत्मिक बोझ उठाने के लिए नेवता दिया गया है अर्थात् खुद से अधिक दूसरों की सेवा, जैसे – जब हम निकटता से उसका अनुसरण करते हैं l
यह बहुत अच्छा दृश्य है , दीन होकर, परमेश्वर के साथ चलना है l उसके नेतृत्व में चलना, और निकट रहना, हम यीशु के साथ एक दिखाई दे सकते हैं l तब दूसरे हमें नहीं देख सकेंगे, वे उसे देखेंगे l इस प्रकार के दृश्य के लिए यह सरल शब्द है : “वाह!”
मुक्तिदाता की अपेक्षा करें
मैकेनिक हमारी कार जो स्टार्ट नहीं हो रही थी, के समाधान के लिए बहुत युवा दिखाई दिया l मेरे पति, डैन, ने शक प्रगट करते हुए फुसफुसाया, “वह तो बच्चा है
l” उस युवा में उसका अविश्वास नासरत के कुड़कुड़ाहट की तरह महसूस हो रहा था जहाँ नगरवासियों ने शक किया कि यीशु कौन है l
यीशु द्वारा आराधनालय में शिक्षा देते वक्त उन्होंने पूछा, “क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं?” (मत्ती 13:55) l वे उपहास करते हुए, सुनकर आश्चर्यचकित हुए कि जिसे वे जानते थे वह चंगाई और शिक्षा देता था l उन्होंने पूछा, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले? (पद.54) l यीशु में भरोसा करने के बजाय, वे उस अधिकार से नाराज थे जो उसने प्रदर्शित किया (पद.15,58) l
इस प्रकार, हम भी विशेषकर अपने दैनिक जीवनों के परिचित और साधारण विवरणों में अपने उद्धारकर्ता की बुद्धि और सामर्थ्य में विश्वास करने में संघर्ष कर सकते हैं l उसकी सहायता की उम्मीद करने में नाकाम रहने के बाद, हम उसके जीवन रूपांतरण करने के आश्चर्य से चूक जा सकते हैं जो हमारे जीवन को बदल सकता है (पद.58) l
जैसे डैन, मेरा पति चाहता था, उसका मदद उसके सामने थी l अंततः उस युवा की सहायता स्वीकार करने के बाद, मेरे पति ने उसे हमारी पुरानी कार की बैटरी देखने दिया l केवल एक बोल्ट बदलने के बाद, मैकेनिक ने कार को कुछ ही क्षणों में स्टार्ट कर दिया- इंजन चालु हो गया और बत्तियां जलने लगीं l “वह तो क्रिसमस की तरह चमक उठा,” डैन बोला l
इसी प्रकार हम भी उम्मीद और अनुभव करते हैं कि मुक्तिदाता ताज़ा प्रकाश, जीवन और हमारे दैनिक यात्रा में अपने साथ मदद लेकर आएगा l
सहायता की माँग
एक लम्बे दिन के अंत में उसका ई-मेल मिला l सच में, मैंने उसे नहीं पढ़ा l मैं अतिरिक्त समय लेकर एक परिवार के सदस्य की गंभीर बिमारी में उसकी सहायता कर रही थी l इसलिए सामाजिक ध्यान भटकाव के लिए मेरे पास समय नहीं था l
अगली सुबह, हालाँकि, मैंने सहेली का ई-मेल पढ़ा : “क्या मैं किसी प्रकार तुम्हारी सहायता कर सकती हूँ?” शर्मिंदा होकर, मैं नहीं कहना चाही l उसके बाद एक सम्बी साँस लेकर ठहर गयी l मैंने ध्यान दिया कि उसका प्रश्न दिव्य भले ही न हो किन्तु परिचित था l
इसलिए कि यीशु ने पूछा था l यरीहो के मार्ग पर, पुकार रहे एक अंधे भिखारी की आवाज़ सुनकर, यीशु रूककर उस व्यक्ति, बर्तिमाई से उसी तरह का प्रश्न पूछा l क्या मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ? या जिस प्रकार यीशु ने कहा था, , “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करूँ?” (मरकुस 10:51) l
यह प्रश्न चकित करनेवाला है l यह प्रगट करता है कि चंगाई देनेवाला, यीशु हमारी मदद करना चाहता है l किन्तु सर्वप्रथम, हमें अपनी ज़रूरत दर्शाना होगा अर्थात् दीन कदम उठाना होगा l वह “पेशेवर” भिखारी आवश्यक्तामंद था, वास्तव में गरीब, अकेला, और संभवतः भूखा और त्यागा हुआ l किन्तु नया जीवन पाने की इच्छा से, उसने सरलता से अपनी मूल ज़रूरत यीशु को बता दी l “रबी,” उसने कहा, “यह कि मैं देखने लगूं l”
एक अंधे के लिए यह एक ईमानदार निवेदन था l यीशु ने उसे तुरंत ठीक कर दिया l मेरी सहेली मुझसे ऐसी ही ईमानदारी चाहती थी l इसलिए मैंने उससे वादा किया कि मैं अपनी मूल ज़रूरत समझने के लिए प्रार्थना करुँगी, और इससे भी महत्वपूर्ण, कि मैं दीनता पूर्वक उसे बताऊंगी l क्या आप अपनी मूल आवश्यकता जानते हैं? जब आपका मित्र आपसे पूछे, तो उसे बता दीजिए l तब उसके बाद अपना निवेदन और भी ऊँचे पायदान पर ले जाइए l परमेश्वर को बता दीजिए l