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Articles by टिम गस्टफसन

पाखंडियों के लिए परमेश्वर का ह्रदय

“यदि मेरे समूह का कोई सदस्य ऐसा करता तो मैं अत्यधिक निराश हुआ होता,” एक क्रिकेट खिलाड़ी ने दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी के विषय कहा जिसने 2016 में एक मैच में बेईमानी की थी l परन्तु केवल दो वर्षों के बाद, वही खिलाड़ी लगभग  समान अपमान में पकड़ा गया l

कुछ बातें हमें पाखण्ड से अधिक क्रुद्ध करती हैं l परन्तु उत्पत्ति 38 में यहूदा की कहानी में, यहूदा के पाखंडी व्यवहार में घातक परिणाम थे l तामार से विवाह करने के शीघ्र बाद जब उसके दो पुत्रों की मृत्यु हो गयी, यहूदा ने चुपके से उसकी ज़रूरतों को पूरी करने की जिम्मेदारी छोड़ दी (पद.8-11) l निराशा में, तामार ने एक वेश्या का रूप धारण किया और यहूदा ने उसके साथ सम्बन्ध बनाए (पद.15-16) l

फिर भी जब यहूदा को पता चला कि उसकी बहू गर्भवती है, उसकी प्रतिक्रिया प्राणघाती थी l उसने मांग की, “उसको बाहर ले आओ कि वह जलाई जाए” (पद.24) l परन्तु तामार के पास प्रमाण था कि यहूदा ही पिता था (पद.25) l

यहूदा सच्चाई का इनकार कर सकता था l इसके बदले उसने अपना पाखण्ड स्वीकार किया, और यह कहते हुए, “वह तो मुझ से कम दोषी है,” उसकी देखभाल करने की अपनी जिम्मेदारी भी स्वीकार कर ली (पद.26) l

और परमेश्वर ने यहूदा और तामार की कहानी के इस काले अध्याय को हमारे उद्धार की अपनी कहानी में बुन दिया l तामार के बच्चे (पद.29-30) यीशु के पूर्वज बनने वाले थे (मत्ती 1:2-3) l

उत्पत्ति 38 बाइबल में क्यों है? एक कारण है क्योंकि यह हमारे पाखंडी मानवीय हृदयों की कहानी है – और परमेश्वर के प्रेमी, अनुग्रही, और करुणामयी हृदय की कहानी l

मैं कौन हूँ?

डेव अपने काम का आनंद लेता था, परन्तु काफी समय से वह कुछ और के प्रति खिंचाव महसूस कर रहा था l अब वह मिशन के कार्य में कदम रखकर अपने सपने को पूरा करना चाहता था l परन्तु, उसे असाधारण रूप से गंभीर शंका होने लगी थी l  

उसने अपने एक मित्र से कहा, “मैं इसके योग्य नहीं हूँ l मिशन बोर्ड मेरी वास्तविकता को नहीं जानती है l मैं बहुत अच्छा नहीं हूँ l”

डेव की संगति काफी अच्छी है l मूसा का नाम लीजिए और हम अगुवाई, सामर्थ्य, और दस आज्ञा के विषय सोचते हैं l हम भूल जाते हैं कि एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद मूसा मरुभूमि में भाग गया था l हम भगोड़े के रूप में उसके चालीस वर्षों को नहीं देखते l हम उसके क्रोधित होने की समस्या और परमेश्वर को हाँ कहने की उसकी तीव्र हिचकिचाहट को नज़रअंदाज़ करते हैं l

जब परमेश्वर ने आगे बढ़ने के आदेश के साथ आह्वान किया (निर्गमन 3:1-10), मूसा ने मैं-बहुत-अच्छा-नहीं-हूँ वाला पत्ता फेंका l वह परमेश्वर के साथ एक लम्बा तर्क-वितर्क भी किया, और उससे पूछा : “मैं कौन हूँ?” (पद.11) l उसके बाद परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह कौन था : “मैं जो हूँ सो हूँ” (निर्गमन 3:14) l हमारे लिए उस रहस्यमय नाम को समझाना असंभव है क्योंकि हमारा अवर्णनीय परमेश्वर मूसा को अपनी अनंत उपस्थिति बता रहा रहा है l

अपनी निर्बलता को समझना स्वास्थ्यप्रद है l परन्तु यदि हम परमेश्वर को हमें उपयोग करने से रोकने के लिए उसको एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं हम उसका अपमान करते हैं l परमेश्वर बहुत अच्छा नहीं है, यही हम वास्तव में कहना चाह रहे हैं l

प्रश्न यह नहीं कि हम कौन हैं? प्रश्न यह है कि मैं हूँ कौन है?

कीमत जो भी हो

पॉल, एपोसल ऑफ़ क्राइस्ट(Paul, Apostle of Christ)) फिल्म कलीसिया के आरंभिक दिनों के सताव पर एक निर्भीक अवलोकन है l फिल्म के बाल कलाकार भी प्रगट करते हैं कि यीशु का अनुसरण करना कितना खतरनाक था l नेकनामियों में सूचीबद्ध इन भूमिकाओं पर विचार करें : स्त्री जिसे पीटा गया; पुरुष जिसे पीटा गया; मसीही पीड़ित व्यक्ति 1, 2, और 3 l

मसीह के साथ पहचान अक्सर एक ऊंची कीमत मांगती है l और संसार के अधिकतर भाग में, यीशु का अनुसरण करना अभी भी खतरनाक है l आज कलीसिया में अनेक लोग उस प्रकार के सताव से सम्बंधित हो सकते हैं l हालाँकि, हममें से कुछ एक, समय से पूर्व ही “सताए हुए” महसूस कर सकते हैं – जब भी हमारे विश्वास का उपहास होता है हम क्रोधित होते हैं या हम शंकित होते हैं कि हमारे विश्वास के कारण हमें पदोन्नति नहीं दी गयी l

जाहिर है, सामाजिक प्रतिष्ठा का त्याग और हमारे जीवन का बलिदान करने के बीच भारी अंतर है l वास्तविक रूप से, हालांकि, स्व-हित, वित्तीय स्थिरता और सामाजिक स्वीकृति हमेशा गहन मानव प्रेरक रही है l हम इसे यीशु के कुछ आरंभिक विस्वासियों के कार्यों में देखते हैं l प्रेरित युहन्ना बताता है कि, यीशु के क्रूसीकरण से कुछ दिन पहले, यद्यपि अनेक इस्राएली अब तक उसका तिरस्कार कर रहे थे (युहन्ना 12:37), बहुत से “अधिकारियों में से बहुतों ने उस पर विस्वास किया” (पद.42) l हालाँकि, “[वे] प्रगट रूप में नहीं मानते थे . . . क्योंकि मनुष्यों की ओर से प्रशंसा उनको परमेश्वर की ओर से प्रशंसा की अपेक्षा अधिक प्रिय लगती थी” (पद. 42-43) l

आज भी हम मसीह में अपने विश्वास को छुपाए रखने के लिए सामाजिक तनाव का सामना करते हैं (और उससे भी अधिक) l कीमत कुछ भी हो, हम ऐसे समाज के रूप में एक साथ खड़े रहें जो मनुष्य की प्रशंसा से अधिक परमेश्वर के अनुमोदन के खोजी हों l

पुनः युद्ध में

बचपन में उसने अपने माता-पिता को निन्दीय शब्द कहे थे l वह नहीं जानती थी कि वे शब्द उनके साथ उसका अंतिम संवाद होगा l इस समय, वर्षों की सलाह के बाद, वह अपने को माफ़ नहीं कर पा रही है l दोष भावना और पछतावा उसके जीवन को पंगु बना दिए हैं l

हम सब दोष भावना के साथ जीते हैं – उनमें से कुछ बहुत भयानक हैं l परन्तु बाइबल हमें दोष से निकलने का एक मार्ग बताती है l आइए हम एक उदाहरण देखें l

जो राजा दाऊद ने किया उसपर चाशनी नहीं लगी हुयी है l यह वह समय था जब “राजा लोग युद्ध करने को निकला करते [थे]” परन्तु “दाऊद यरूशलेम में रह गया” (2 शमूएल 11:1) l युद्ध से दूर, उसने दूसरे व्यक्ति की पत्नी को चुराया और हत्या के द्वारा इस कृत्य को छिपाने की कोशिश की (पद.2-5, 14-15) l परमेश्वर ने दाऊद के अधोमुखी पतन को रोक दिया (12:1-13), परन्तु राजा अपने पाप के बोध के साथ अपना बाकी जीवन जीने वाला था l

जब दाऊद राख से उठ रहा था, उसका सेनापति, योआब उस युद्द को जीत रहा था जिसका नेत्रित्व दाऊद को करना चाहिए था (12:26) l योआब ने दाऊद को चुनौती दी, “अब रहे हुए लोगों को इकठ्ठा करके नगर के विरुद्ध छावनी डालकर उसे भी ले ले”(पद.28) l दाऊद आख़िरकार परमेश्वर द्वारा नियुक्त स्थान राष्ट्र और अपनी सेना का अगुवा बन गया (पद.29) l

हम अपने अतीत को हमें कुचलने देकर, परिणामस्वरूप परमेश्वर से कह रहे होते हैं कि उसका अनुग्रह पर्याप्त नहीं है l हमने क्या किया है की बजाए, हमारा पिता हमें अपनी सम्पूर्ण क्षमा देता है l दाऊद की तरह, हम भी युद्ध में पुनः वापसी के लिए प्रयाप्त अनुग्रह प्राप्त कर सकते हैं l

एक क्षण में

मैं एम्बुलेंस के अन्दर था और उसका फाटक बंद होने वाला था l बाहर, मेरा बेटा मेरी पत्नी से बात कर रहा था l अपने मस्तिष्काघात के धुंध में से, मैंने उसका नाम पुकारा l जैसे कि वह उस क्षण को याद करता है, मैंने धीरे से बोला था, “अपनी माँ से कह दो मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ l”

प्रत्यक्ष रूप से मैंने सोचा यह अलविदा है, और मैं उन शब्दों को जुदाई के शब्द मानना चाहता था l उस क्षण, वही मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण था l

जब यीशु अपने सबसे अंधकारमय क्षण को सह रहा था, उसने केवल यह नहीं कहा वह हमसे प्रेम करता है; उसने इसे ख़ास तरीकों से प्रगट किया l उसने उन ठट्ठा करनेवाले सैनिकों को भी दिखाया जिन्होंने उसे उसी समय क्रूसित किया था : “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं” (लूका 23:34) l उसने उसके साथ क्रूसित एक अपराधी को आशा दी : “आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा” (पद.43) l अंत के समय, उसने अपनी माता की ओर देखकर उससे कहा, “यह तेरा पुत्र है,” और अपने प्रिय मित्र यूहन्ना से बोला, “यह तेरी माता है” (यूहन्ना 19:26-27) l उसके बाद, जब उसकी मृत्यु हुयी, अपने पिता पर भरोसा यीशु के प्रेम का अंतिम कार्य था : “मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ” (लूका 23:46) l

यीशु ने अपने पिता के प्रति आज्ञाकारिता दर्शाने के उद्देश्य से – और हमारे लिए अपने प्रेम की गहराई प्रगट करने के लिए - क्रूस का चुनाव किया l बिलकुल अंत तक, उसने हमें अपना अनवरत प्रेम दिखाया l

एक चिह्न से कहीं अधिक

टीम के लिए इतिहास बनाने की कगार पर आयोवा विश्वविद्यालय के बास्केटबाल के सितारे जॉर्डन बोहेनन ने जानबूझकर फ्री थ्रो को छोड़ दिया जो स्कूल के पच्चीस साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ देता। कुछ दिनों बाद 1993 में आयोवा के क्रिस स्ट्रीट ने लगातार चौंतीस फ्री थ्रो लिए, परन्तु उन्होंने अपना जीवन एक कार-दुर्घटना में गवाँ दिया। बोहेनन ने उनके रिकॉर्ड को न तोड़कर स्ट्रीट की याद का सम्मान करने का चुनाव किया। 

बोहेनन ने अपनी बढ़ोत्तरी से महत्वपूर्ण बातों की एक तीव्र जागरुकता का प्रदर्शन किया। हम ऐसे ही मूल्य युवा योद्धा दाऊद के जीवन में भी देखते हैं। अपनी छिन्न-भिन्न सेना के साथ एक गुफ़ा में छिपे हुए, दाऊद को अपने गृह-नगर के कूएँ से पानी पीने की लालसा की, परन्तु उस स्थान पर भयानक फिलिश्तियों का कब्ज़ा था (2 शमूएल 23:14–15)।

साहस के एक स्तब्ध कर देने वाले कार्य में दाऊद के तीन योद्धा “पलिश्तियों की छावनी पर टूट पड़े” पानी भरा और उसे दाऊद के सामने ले आए। परन्तु दाऊद इसे पीने के लिए अपने पास नहीं ला पाया। परन्तु इसके स्थान पर उसने “यहोवा के सामने अर्घ करके उंडेला और कहा “क्या मैं उन मनुष्यों का लहू पीऊँ जो अपने प्राणों पर खेलकर गए थे?” ( पद 16–17)।

एक ऐसे संसार में जो उन लोगों को प्रतिफल देता है जो वह सबकुछ हड़प लेते हैं, जो वे हड़प सकते हैं फिर प्रेम और बलिदान के कार्य कितने शक्तिशाली हो सकते हैं! ऐसे कार्य मात्र चिह्नों से कहीं अधिक होते हैं।

युद्ध

जब एक तोप का गोला धरती को हिला देने वाली धम्म की आवाज़ के साथ उसके पास गिरा, तो एक युवा सैनिक ने उत्सुकता के साथ प्रार्थना की, “प्रभु यदि तू मुझे यहाँ से बाहर निकाल दे, तो मैं उस बाइबल स्कूल में चला जाऊँगा, जिसमें माँ मुझे भेजना चाहती थी। परमेश्वर ने उसकी पूरी तरह से केन्द्रित प्रार्थना का सम्मान किया। मेरे पिता विश्व युद्ध II में जीवित बच गए, मूडी बाइबल इंस्टिट्यूट में गए और अपना जीवन सेवा के लिए दे दिया।

एक अन्य योद्धा ने एक भिन्न प्रकार की मुसीबत का सामना किया, जो उसे परमेश्वर की ओर ले आई, परन्तु उसकी कठिनाइयाँ बढ़ गई, जब उसने लड़ाई से बचना चाहा। जब राजा दाऊद की सेना अमोरियों के साथ युद्ध लड़ रही थी,दाऊद अपने महल में दूसरे की पत्नी पर एक झलक से ज्यादा नज़र डाल रहा था (देखें 2 शमूएल 11) । भजन 39 में दाऊद इसके परिणामस्वरूप हुए भयंकर पाप से पुनर्स्थापन की प्रक्रिया के इतिहास का वर्णन करता है। वह लिखता है “मेरी पीड़ा बढ़ गई।” “मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था।” (पद 2-3)।

दाऊद की टूटी हुई आत्मा ने उसे इस बात पर ध्यान दिलाया: “हे यहोवा, ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालूम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिससे मैं जान लूँ कि मैं कैसा अनित्य हूँ!” (पद 4)। अपने नए बने केन्द्र में दाऊद निराश नहीं हुआ। वह कहीं और नहीं जा सकता था। “अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूँ? मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है। (पद 7) । दाऊद इस आन्तरिक लड़ाई में विजयी होगा और परमेश्वर की सेवा करता रहेगा।

हमारे प्रार्थना के जीवन को क्या प्रोत्साहित करता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, जब तक हमारी प्रार्थना का केन्द्र है। परमेश्वर ही हमारी आशा का स्रोत है। वह चाहता है कि हम अपने मन की बात उसे बताएँ। 

प्रभावित करने का प्रयत्न

जब एक कॉलेज की क्लास एक सांस्कृतिक भ्रमण पर गई, तो निर्देशक ने अपने एक सितारे विद्यार्थी को बिलकुल भी नहीं पहचाना। कक्षा में उसने अपनी पैंट के नीचे छ: इंच की एड़ी के जूते पहने हुए थे। परन्तु अपने वाकिंग बूट्स में वह पाँच फुट से भी कम लम्बी थी। “मेरी जूती की एड़ियाँ बिलकुल वैसी ही हैं, जैसी मैं होना चाहती हूँ,” उसने हँसकर बताया। “परन्तु मेरे बूट्स ठीक वैसे ही हैं, जैसी मैं वास्तव में हूँ।”

हमारी शारीरिक दिखावट यह नहीं बताती कि हम कौन हैं; यह हमारा हृदय ही है जो महत्वपूर्ण है। यीशु के उन लोगों के लिए बहुत ही कठोर शब्द थे जो दिखावे के गुरु कहलाते थे—अत्यधिक धार्मिक “फरीसी और व्यवस्था के शास्त्री।” उन्होंने यीशु से पूछा कि उसके शिष्य भोजन से पहले हाथ क्यों नहीं धोते हैं, जैसा उनकी धार्मिक परम्पराएँ बताती हैं (मत्ती 15:1-2)। यीशु ने पूछा, “तुम भी अपनी परम्पराओं के कारण क्यों परमेश्‍वर की आज्ञा टालते हो?” (पद 3)। फिर उसने बताया कि अपने माता-पिता की देखभाल करने के स्थान पर उन्होंने उनकी सम्पत्ति लेने के लिए किस प्रकार एक वैधानिक बचाव बना रखा है (पद 4-6), इस प्रकार वे अपने माता-पिता का अनादर करते और पाँचवीं आज्ञा का उल्लंघन करते हैं (निर्गमन 20:12)।

यदि हम अपने दिखावे  से अभिभूत हैं और परमेश्वर की स्पष्ट आज्ञाओं में बच निकलने का रास्ता खोजते हैं, तो हम उसकी व्यवस्था के आत्मा का उल्लंघन कर रहे हैं। यीशु ने कहा कि “बुरे विचार, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलती है (मत्ती 15:19)। केवल परमेश्वर, अपने पुत्र यीशु की धार्मिकता के द्वारा हमें एक साफ़ मन प्रदान कर सकता है।

मात्र एक और दिन?

क्रिसमस एवरी डे  में, विलियम डीन होवेल्स एक छोटी लड़की की कहानी बताता है जिसकी इच्छा पूरी होती है l एक लम्बे, भयानक वर्ष के लिए यह वास्तव में हर दिन क्रिसमस है l तीन दिनों के बाद 24 दिसम्बर से 6 जनवरी का समय फीका पड़ने लगा है l जल्द ही मिश्री किसी को भी अच्छी नहीं लग रही है l टर्की पक्षी दुर्लभ हो गया है और मनमानी कीमत पर बिक रहा  है l उपहार धन्यवाद के साथ अब स्वीकारे नहीं जा रहे हैं और यहाँ वहाँ उनके ढेर लगे हैं l लोग एक दूसरे पर नाराज़ होते है l

शुक्र है कि, होवेल की कहानी सिर्फ एक व्यगात्मक कहानी है l लेकिन यह कितना अविश्वसनीय आशीष है कि बावजूद इसके कि हम उसे सम्पूर्ण बाइबल में देखते हैं, क्रिसमस उत्सव का विषय हमें कभी भी नहीं थकाता है l

यीशु के अपने पिता के पास स्वर्गारोहित होने के बाद, येरुशलम में मंदिर के निकट प्रेरित पतरस ने एक भीड़ को संबोधित किया कि यीशु ही वह था जिसके विषय मूसा ने कहा था, “प्रभु परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिए मुझ सा एक भविष्यवक्ता उठाएगा” (प्रेरितों 3:22; व्यवस्थाविवरण 18:18) l अब्राहम को परमेश्वर का वादा, “तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे घराने आशीष पाएंगे” (प्रेरितों 3:25, उत्पत्ति 22:18) l पतरस ने ध्यान दिया, “जितने भविष्यवक्ता बोले उन सब ने इन दिनों का सन्देश दिया है” – उद्धारकर्ता का आगमन (प्रेरितों 3:24) l

हम क्रिसमस की भावना को उत्सव के समापन के बहुत बाद तक जीवित रख सकते हैं l बाइबल की सम्पूर्ण कहानी में मसीह को देखकर यह सराहना कर सकते हैं कि क्रिसमस केवल एक दिन से कहीं अधिक है l