मसीह में मजबूत समर्थन
लन्दन मैराथन(लम्बी दौड़) में एक धावक ने अनुभव किया कि बड़ी/लम्बी दौड़ में अकेले दौड़ना क्यों महत्वपूर्ण नहीं है l महीनों की कठिन तैयारी के बाद, वह आदमी जोरदार अंत करना चाहता था l लेकिन जैसे ही वह समापन रेखा की ओर लड़खड़ाने लगा, उसने खुद को दोगुना थका हुआ और गिरने की कगार पर पाया l इससे पहले कि वह भूमि पर गिरता, दो साथी मैराथन धावकों ने उसकी बाँहें पकड़ लीं—एक बायीं ओर से और एक दायीं ओर से—और संघर्षरत धावक को दौड़ पूरी करने में मदद की l
उस धावक की तरह, सभोपदेशक का लेखक हमें कई महत्वपूर्ण फायदों की याद दिलाता है जो दूसरों को हमारे साथ जीवन की दौड़ में दौड़ने से मिलते हैं l सुलैमान ने यह सिद्धांत निर्धारित किया कि “एक से दो अच्छे हैं”(सभोपदेशक 4:9) l उसने संयुक्त प्रयासों और आपसी परिश्रम के फायदों पर प्रकाश डाला l उसने यह भी लिखा कि साझेदारी से “उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है”(पद.9) l कठिनाई के समय में, एक साथी “[दूसरे को उठाने]” के लिए उपस्थित रहता है(पद.10) l जब रातें अँधेरी और ठंडी होती हैं, तो मित्र “गर्म [रहने]” के लिए इकठ्ठा हो सकते हैं(पद.11) l और, खतरे के मध्य, दो लोग एक हमलावर का “सामना कर [सकते हैं]”(पद.12) l जिनका जीवन एक साथ बुना हुआ है, उनमें अत्यधिक शक्ति हो सकती है l
हमारी सभी कमजोरियों और निर्बलताओं के बावजूद, हमें यीशु में विश्वास करने वाले समुदाय के मजबूत समर्थन और सुरक्षा की ज़रूरत है l आइये एक साथ आगे बढ़ें क्योंकि वह हमारा नेतृत्व करता है l
आज्ञाकारिता एक चुनाव/विकल्प है
नीदरलैंड में सर्दियां शायद ही कभी बहुत अधिक बर्फ लाती हैं, लेकिन, अधिक ठण्ड होने पर नहरों पर बर्फ जम जाती है l जब मेरे पति, टॉम, वहाँ बड़े हो रहे थे, तो उनके माता-पिता का पारिवारिक नियम था : “जब तक बर्फ इतनी मोटी न हो जाए कि घोड़े का वजन सह सके, तब तक बर्फ से दूर रहें l” क्योंकि घोड़े अपनी उपस्थिति का सबूत पीछे छोड़ देते थे, टॉम और उसके मित्रों ने सड़क से कुछ खाद/मिट्टी उठाकर पतली बर्फ के सतह पर डाला और उस पर जाने का जोखिम उठाया l उन्हें कोई हानि नहीं पहुँची, न ही किसी को पता चला, परन्तु वे अपने मन में जानते थे कि वे अनाज्ञाकारी थे l
आज्ञाकारिता हमेशा स्वाभाविक रूप से नहीं आती l आज्ञापालन करने या न करने का विकल्प कर्तव्य की भावना या सज़ा के डर से उत्पन्न हो सकता है l लेकिन हम अपने ऊपर अधिकार रखने वालों के प्रति प्रेम और सम्मान के कारण उनकी आज्ञा का पालन करना भी चुन सकते हैं l
यूहन्ना 14 में, यीशु ने यह कहकर अपने शिष्यों को चुनौती दी, “यदि कोई मुझ से प्रेम रखेगा तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा . . . जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता”(पद.23-24) l आज्ञा मानना हमेशा आसान विकल्प नहीं होता है, लेकिन हमारे भीतर रहने वाली आत्मा की सामर्थ्य हमें उसकी आज्ञा मानने की इच्छा और क्षमता देती है(पद.15-17) l उसकी सक्षमता से, हम उसकी आज्ञाओं का पालन करना जारी रख सकते हैं जो हमसे सबसे अधिक प्यार करता है—सजा के डर से नहीं, बल्कि प्रेम से l
आत्मिक तंदुरूस्ती
ट्रे(Tre) फ़िटनेस सेंटर में नियमित है और यह प्रगट है l उसके कंधे चौड़े हैं, उसकी मांसपेशियाँ उभरी भुजाएँ मेरी जांघों के आकार के करीब हैं l उसकी शारीरिक स्थिति ने मुझे उसे आत्मिक बातचीत में शामिल करने के लिए प्रेरित किया l मैंने उससे पुछा कि क्या शारीरिक फिटनेस के प्रति उसकी प्रतिबद्धता किसी तरह से परमेश्वर के साथ स्वस्थ सम्बन्ध को दर्शाती है l हालाँकि हम बहुत गहराई तक नहीं गए, ट्रे(Tre) ने “अपने जीवन में परमेश्वर को स्वीकार किया(माना) l हमने काफी देर तक बात की और उसने मुझे अपनी चार सौ पौंड वजनी, अनुपयुक्त, अस्वस्थ संस्करण की तस्वीर दिखायी l उनकी जीवनशैली में बदलाव ने शारीरिक रूप से अद्भुत काम किया l
1 तीमुथियुस 4:6-10 में, शारीरिक और आध्यात्मिक प्रशिक्षण केंद्र-बिंदु(focus) में आता है l “भक्ति की साधना कर l क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिए लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिए है”(पद.7-8) l किसी की बाहरी फिटनेस परमेश्वर के साथ हमारी स्थिति को नहीं बदलती है l हमारी आध्यात्मिक फिटनेस हृदय का मामला है l इसका आरम्भ यीशु पर विश्वास करने के निर्णय से होती है, जिसके द्वारा हमें क्षमा मिलती है l उस बिंदु से, ईश्वरीय जीवन के लिए प्रशिक्षण आरम्भ होता है l इसमें “विश्वास और उस अच्छे उपदेश की बातों से . . . पालन पोषण”(पद.6) शामिल है(पद.6) और, परमेश्वर की सामर्थ्य से, ऐसा जीवन जीना जो हमारे स्वर्गिक पिता का सम्मान करता हो l
मदद पहुँचाना
जब हेदर(Heather) की नौकरी उसे टिम के घर ले गयी, तो उसने उससे खाने की थैली में गांठ खोलने में मदद करने के लिए कहा l टिम को कुछ साल पहले दौरा(stroke) पड़ा था और अब वह स्वयं इस गाँठ को नहीं खोल पाता था l हेदर ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार की l अपने पूरे दिन में, हेदर के विचार बार-बार टिम के पास लौटते रहे और वह उसके लिए एक देखभाल पैकेज तैयार करने के लिए प्रेरित हुयी l जब बाद में टिम को गर्म कोको और लाल-कम्बल मिला जो वह उत्साहवर्धक शब्दों के साथ उसके दरवाजे पर छोड़ गयी थी, तो उसकी आँखों में आंसू आ गए l
हेदर का यह उसको मदद पहुँचना उसके मूल अनुमान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गयाl यही बात तब सच थी जब यिशै ने अपने छोटे बेटे दाऊद को अपने भाइयों को भोजन देने के लिए भेजा था जब इस्राएलियों ने “इकट्ठे होकर . . . युद्ध के लिए पलिश्तियों के विरुद्ध पांति बाँधी [थी]”(1 शमूएल 17:2) l जब दाऊद रोटी और पनीर लेकर पहुँचा, तो उसे पता चला कि गोलियत अपने दैनिक ताने देकर परमेश्वर के लोगों में भय पैदा कर रहा था (पद.8-10, 1 6, 24) l गोलियत द्वारा “जीवित परमेश्वर की सेना” की आज्ञा न मानने से दाऊद क्रोधित हुआ(पद.26) और उसने जवाब देने के लिए प्रेरित होकर राजा शाऊल से कहा, “किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा”(पद.32) l
परमेश्वर कभी-कभी हमें उन स्थानों पर रखने के लिए हमारे दैनिक जीवन की परिस्थितियों का उपयोग करता है जहां वह हमारा उपयोग करना चाहता है l आइये यह देखने के लिए अपनी आँखें(और हृदय!) खुली रखें कि वह कहाँ और कैसे चाहता है कि हम किसी की सेवा करें l