अनुग्रह दिखाना
युएस मास्टर्स गोल्फ प्रतियोगिता 1934 में आरंभ हुआ, और उस समय से केवल तीन खिलाड़ियों ने ही लगातार दो बार प्रतियोगिता जीता है l अप्रैल 10, 2016 में, ऐसा प्रतीत हुआ कि 22 वर्षीय जॉर्डन स्पिथ चौथे व्यक्ति होंगे l किन्तु अंत में वे चुक गए और दूसरे के साथ दूसरे स्थान को साझा किया l निराशाजनक हार के बावजूद, स्पिथ प्रतियोगिता के विजेता डैनी विलेथ के प्रति दयालु थे, और “गोल्फ से कुछ अधिक विशेष” उनकी जीत और उनके पहले बच्चे के जन्म पर उनको शुभकामनाएं दीं l
केरेन क्राउस ने द न्यू यॉर्क टाइम्स में लिखा, “एक इनाम(ट्राफी) समारोह में बैठकर किसी और की तस्वीर खीँचते हुए देखने के शीर्घ बाद एक बड़े दृश्य को देखने के लिए अनुग्रह चाहिए l क्राउस ने आगे कहा, “स्पिथ पूरा सप्ताह बॉल को निशाने पर मार न सके, किन्तु उसका चरित्र सुरक्षित था l”
पौलुस ने कुलुस्से में यीशु के अनुयायियों से निवेदन किया ,” बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से व्यवहार करो l तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए” (कुलु. 4:5-6) l
परमेश्वर का अनुग्रह बिना मूल्य प्राप्त करनेवालों के रूप में, हमारे लिए अवसर और बुलाहट है कि हम जीतें अथवा हारें, जीवन की हर स्थिति में उसे प्रगट करें l
जीवन के लिए प्रशिक्षण
लम्बी दौड़ का मेरा प्रशिक्षण ठीक नहीं चल रहा था, और हाल ही की मेरी दौड़ विशेष तौर से निराशाजनक थी l आधे समय तक मैं चलता था और एक बिंदु पर मुझे बैठना पड़ता था l ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं छोटी-जांच में हार चुका था l
तब मुझे याद आया कि प्रशिक्षण का सम्पूर्ण मकसद यही था l यह न ही उतीर्ण होने की जांच थी, न ही कोई पदवी पाने की l इसके बदले, मुझे अपने धीरज को बढ़ाने के लिए बार-बार इसमें से होकर जाना था l
शायद आप किसी आज़माइश का सामना करते हुए बुरा महसूस करते हैं l परमेश्वर हमारी आत्मिक मांसपेशी और धीरज को मजबूत बनाने के लिए हमें ऐसी जांच के समय से निकलने देता है l वह हमें उस पर निर्भरता सिखाता है, और पवित्र बनने के लिए शुद्ध करता है, ताकि हम और भी मसीह के समान बन जाएं l
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि भजनकार परमेश्वर द्वारा इस्राएलियों को आग और पानी में से ले जाने के लिए उसकी प्रशंसा करता है (भजन 68:10-12) जब वे दासत्व और निर्वासन में दुःख उठाए l परमेश्वर ने न केवल उनकी रक्षा की और अति बहुतायत के स्थान में लेकर आया, किन्तु इस प्रक्रिया में उनको विशुद्ध भी किया l
जांच से निकलते हुए, हम परमेश्वर पर सामर्थ्य और दृढ़ता के लिए निर्भर हो सकते हैं l वह हमें हमारे कठिनतम क्षणों के द्वारा परिस्कृत कर रहा है l
शांति और भरोसा
छः वर्ष की उम्र में मैं पहली बार अपने बड़े भाई के साथ रोलर कोस्टर(टेढ़ा-मेढ़ा घुमावदार रेल पथ) का आनंद लिया l जैसे ही वह तीव्र गति से मुड़ा मैंने चिल्लाना शुरू किया : “इसे अभी रोक दो ! मैं उतरना चाहता हूँ!” रोलर कोस्टर नहीं रुका, और मुझे पूरे सैर में “अत्यधिक तनाव में” उसे पूरी ताकत से थामे रहना पड़ा l
कभी-कभी जीवन भी अनचाहे रोलर कोस्टर सैर के समान हो सकता है जिसमें सीधी “ढलान” और दोहरे मोड़ हैं जिनसे हम अज्ञान हैं l जब अनापेक्षित कठिनाइयां आती हैं, बाइबिल हमें याद दिलाती है कि हमारा परमेश्वर पर भरोसा करना ही हमारा सर्वोत्तम उपाय है l वह अशांत समय ही था जब आक्रमण द्वारा उसके देश को धमकी दिए जाने पर नबी यशायाह ने आत्मा से प्रेरित होकर परमेश्वर की ओर से इस प्रबल प्रतिज्ञा को पहचाना : “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है” (यशायाह 26:3) l
उद्धारकर्ता की ओर उन्मुख होने से प्राप्त शांति “समझ से परे है” (फ़िलि. 4:7) l मैं स्तन कैंसर पीड़ित महिला के शब्द भूल नहीं सकता हूँ l एक शाम हमारी कलीसिया के एक समूह द्वारा उसके लिए प्रार्थना करने के बाद, उसने कहा, “मैं नहीं जानती क्या होगा, किन्तु मैं जानती हूँ कि मैं ठीक हो जाउंगी, क्योंकि आज शाम प्रभु हमारे साथ था l”
जीवन के पास अपनी परेशानियाँ होंगी, किन्तु जीवन की अपेक्षा हमसे अधिक प्रेम करनेवाला हमारा प्रभु, उन सबसे महान है l
एक साल में बाइबिल
अपने विद्यार्थियों की खराब लेखन आदतों से परेशान, प्रसिद्ध लेखक और कॉलेज प्रोफेसर डेविड फ़ॉस्टर वालस ने उनके कौशल को सुधारने का विचार किया l उसी क्षण एक चौंकाने वाले प्रश्न से उसका सामना हुआ l प्रोफेसर ने खुद से पूछा कि क्यों एक विद्यार्थी उसके जैसा “आत्म संतुष्ट, संकुचित, पाखंडी, [और] दूसरों को नीचा दिखाने वाले” की सुने l वह जानता था कि वह अहंकारी था l
वह प्रोफेसर बदल सकता था और बदल भी गया किन्तु अपने किसी विद्यार्थी के समान नहीं बन सका l तथापि जब यीशु इस धरती पर आया, वह हममें से एक के समान बनकर हमें नम्रता दिखा दिया l सभी सीमाओं को लांघकर, यीशु सेवा, शिक्षा, और अपने पिता की इच्छा पूरा करते हुए हर स्थान को अपने घर जैसा बना दिया l
उसी प्रकार क्रूसित होते समय भी, यीशु ने अपने हत्यारों के लिए क्षमा मांगी (लूका 23:34) l हर एक तकलीफदेह श्वास लेने का प्रयास करते समय भी उसने अपने साथ मरते हुए एक अपराधी को अनंत जीवन प्रदान किया(पद. 42-43) l
यीशु ने ऐसा क्यों करना चाहा? क्यों उसने अपने जीवन के अंत में भी हमारे समान लोगों की सेवा की? प्रेरित यूहन्ना बताता है l प्रेम के कारण! वह लिखता है, “हम ने प्रेम इसी से जाना कि उसने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए l” तब वह हमें इसे स्वीकार करने हेतु बाध्य करता है l “और हमें भी भाइयों के लिए प्राण देना चाहिए” (1 यूहन्ना 3:16) l
यीशु ने हमें दिखाया कि उसका प्रेम हमारे अहंकार को, हमारी आत्म-संतुष्टि को, दूसरों को नीचा दिखाने वाला हमारे स्वभाव को समाप्त कर देता है l
नोज़ोमी की आशा
2011 में, टोकियो के उत्तरपूर्व क्षेत्र में 9 माप का भूकंप आया और परिणाम स्वरूप सुनामी ने लगभग 19,000 जानें ले लीं और 2,30,000 घर बर्बाद हो गए l उसके बाद, नोज़ोमी प्रोजेक्ट, जापानी शब्द “आशा” के लिए रखा गया नाम दीर्घकालिक आय, समुदाय, इज्ज़त, और प्रावधान करनेवाले परमेश्वर में आशा के लिए जन्म लिया l
नोज़ोमी स्त्रियाँ घरों के मलबे एवं साज़-सामानों में चीनी मिटटी के टुकड़े खोजकर और छानकर निकालती हैं और उन्हें रगड़कर ज़ेवर बनाने में लगाती हैं l ये ज़ेवर विश्व में बेचे जाते हैं, और स्त्रियों को जीविका देने के साथ-साथ मसीह में उनके विश्वास के प्रतीक भी लोगों में बांटे जाते हैं l
नए नियम के काल में, मिट्टी के साधारण अनिश्चित बरतनों में कीमती वस्तुओं को छिपाने का रिवाज़ था l पौलुस वर्णन करता है कि कैसे सुसमाचार का धन मसीह के अनुयायियों के मानवीय भंगुरता में रखा हुआ है : मिट्टी के बरतनों में (2 कुरिं. 4:7) l वह सलाह देता है कि वास्तव में हमारे जीवन रुपी तुच्छ और कभी-कभी टूट्रे हुए बर्तन भी - हमारी अपूर्णताओं की तुलना में परमेश्वर की सामर्थ्य को प्रगट कर सकते हैं l
जब परमेश्वर हमारे जीवनों के अपूर्ण और टूटे भागों में प्रवेश करता है, उसकी सामर्थ्य की आशा भरी चंगाई अक्सर दूसरों के सामने अधिक प्रत्यक्ष होती है l अवश्य ही, हमारे हृदयों में उसका सुधार कार्य अक्सर दरार के दाग़ छोड़ता है l किन्तु शायद हमारी सीख की ये रेखाएं हमारे व्यक्तित्वों में उकेरी हुई बातें ही हैं जो दूसरों में उसके चरित्र को और प्रगट करती हैं l