दिसम्बर, 2017 | हमारी प्रतिदिन की रोटी Hindi Our Daily Bread - Part 2

Month: दिसम्बर 2017

आत्मा के लिए धन्य रात

जोसफ मोर और फ्रान्ज़ ग्रूबर द्वारा लोकप्रिय क्रिसमस गीत “धन्य रात, ”लिखे जाने से बहुत पहले एन्जलस सैलेसियास ने एक कविता लिखी थी :

देखो! रात के अँधेरे में परमेश्वर का बेटा जन्मा है,

और सब खोया हुआ और त्यागा हुआ बचा लिया गया l

ओ मानव क्या तुम्हारी आत्मा एक धन्य रात बन सकती है,

परमेश्वर तुम्हारे मन में जन्म लेकर सब कुछ ठीक कर देगा l

पोलैंड का एक सन्यासी, सैलेसियास ने 1657 में यह कविता चेरुबिक पिलग्रिम (लघु कविताओं का संग्रह) में प्रकाशित किया l हमारे चर्च के वार्षिक क्रिसमस आराधना में, संगीत मण्डली ने “काश आपकी आत्मा धन्य रात बन जाए,” गीत का दूसरा रूप गाया l

क्रिसमस का दोहरा रहस्य यह है कि परमेश्वर हममें से एक के समान बन गया कि हम उसके साथ एक हो जाएँ l यीशु ने हमें सही बनाने के लिए सभी अन्याय सहे l इसलिए प्रेरित पौलुस लिख सका, “इसलिए यदि कोई मसीह में है तो वह नयी सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गयी हैं; देखो, सब बातें नयी हो गयी हैं” (2 कुरिं. 5:17-18) l

चाहे हमारे क्रिसमस  में परिवार के लोगों और मित्रों की उपस्थिति हो या न हो, जिसकी हम इच्छा करते हैं, किन्तु हम जानते हैं कि यीशु हमारे लिए जन्म लिया l

अहा, काश आपका हृदय उसके जन्म के लिए एक चरनी होता,

परमेश्वर एक  बार फिर इस धरती पर एक बच्चे के रूप में जन्म लेता l

क्रिसमस

एक साल क्रिसमस के दिनों में मुझे एक ऐसे जगह पर काम करने जाना पड़ा जहां मेरे मित्र मुझे ढूंढ न सके l कार्य-स्थल से अपने कमरे पर लौटते समय, मैंने काला सागर की सर्द हवा का सामना किया l 

अपने कमरे में पहुँचकर, मैं बहुत चकित हुआ l मेरे कला प्रेमी मित्र ने अपने नए प्रोजेक्ट, उन्नीस इंच लम्बी मिट्टी की क्रिसमस ट्री को बना लिया था l  उसमें लगी रंगीन बत्तियों से  हमारा अँधेरा कमरा जगमगा रहा था l उसे देखकर मैंने महसूस किया, काश आज मैं घर में होता!

अपने भाई एसाव से भागकर याकूब भी अपने को एक अपरिचित और अकेला स्थान में पाया l कठोर भूमि पर सोते हुए, सपने में उसकी मुलाकात परमेश्वर से हुई l और परमेश्वर ने उसे एक घर देने की प्रतिज्ञा देते हुए कहा, “जिस भूमि पर तू लेटा है, उसे मैं तुझ को और तेरे वंश को दूँगा . . . तेरे और तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे कुल आशीष पाएँगे”(उत्प.28:13-14)l

निःसंदेह, याकूब से ही प्रतिज्ञात मुक्तिदाता आने वाला था, जो हमें अपने निकट लाने के लिए अपने  घर को  छोड़ा l यीशु ने अपने चेलों से कहा, ”मैं . . . फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहां मैं रहूँ वहां तुम भी रहो” (यूहन्ना 14:3) l

मैं दिसम्बर की उस रात के अँधेरे में अपने कमरे में बैठकर उस क्रिसमस ट्री को देख रहा था l शायद निःसंदेह ही मैंने उस ज्योति के विषय सोचा जो हमें घर का मार्ग दिखाने के लिए पृथ्वी पर आयी थी l

ख़ामोशी तोड़ना

पुराने नियम के अंत में, परमेश्वर शांत दिखाई देता है l चार सौ वर्षों तक यहूदी इंतज़ार करते हैं और चकित होते हैं l ऐसा महसूस हो रहा था जैसे परमेश्वर निष्क्रिय, बेखबर, और उनकी प्रार्थनाओं के प्रति अपने कान बंद कर लिये थे l केवल एक आशा बाकी थी : उद्धारकर्ता के आने की प्राचीन प्रतिज्ञा l उसी प्रतिज्ञा पर यहूदी लोग सब कुछ आधारित करते थे l और उसी समय कुछ महत्वपूर्ण बात होती है l एक बालक के जन्म की घोषणा होती है l

आप लूका के सुसमाचार में लोगों के प्रतिउत्तर को पढ़कर उनकी उत्तेजना को महसूस कर सकते हैं l यीशु के जन्म के समय की घटनाएं एक आनंद भरा संगीत सा लगता है l अनेक चरित्र दृश्य में दिखाई देते हैं : एक बूढ़े चाचा (लूका 1:5-25), एक चकित कुवांरी (1:26-38), एक बूढ़ी नबिया, हन्ना (2:36) l मरियम एक सुन्दर गीत गाती है (1:46-55) l यीशु का एक चचेरा भाई जो अभी जन्म नहीं लिया है, अपनी माँ के गर्भ में आनंद से उछल पड़ता है (1:41) l

लूका इन घटनाओं को उद्धारकर्ता के विषय पुराने नियम में लिखी बातों से सीधे जोड़ता है l जिब्राइल स्वर्गदूत यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले को “एलिय्याह” भी संबोधित करता है जो प्रभु का मार्ग तैयार करने भेजा गया था (1:17) l स्पष्ट रूप से पृथ्वी पर कुछ हो रहा था l रोमी साम्राज्य के एक एकांत गाँव में निराश, पराजित ग्रामीणों के मध्य कुछ अच्छा होने जा रहा है l

अंतिम उपाय

कुछ साल पहले, मेरे साथी का युवा पुत्र शिकागो में यूनियन स्टेशन पर भीड़ में चलते समय खो गया l बताने की ज़रूरत नहीं कि वह एक भयानक अनुभव था l चिंता में, वह फिर से चलती सीढ़ी से ऊपर गयी और अपने छोटे बेटे को खोजने का प्रयास करती रही l अलगाव के क्षण घंटों में बदल गए l धन्यवाद हो कि अचानक उसका बेटा भीड़ से बाहर उसकी बाहों की सुरक्षा में लौट आया l

मैं अपने मित्र के विषय सोचने लगा जो अपने बच्चे को खोजने के लिए सब कुछ करने को तैयार थी l परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए अद्भुत काम किया जो मुझे फिर से धन्यवाद करने का मन देता है l जब आदम और हव्वा जिसमें परमेश्वर का रूप था, पाप कर दिये, उसने अपने लोगों के साथ संगती नहीं रख सकने पर दुःख महसूस किया l उसने सम्बन्ध को फिर से जोड़ने के लिए अत्यधिक प्रयास किया l उसने अपने पुत्र को “खोए हुओं को ढूढ़ने और उनका उद्धार करने [भेजा]” (लूका 19:10) l यदि यीशु हमें परमेश्वर के पास लाने के लिए जन्म न लेता और हमारे पापों के लिए मरने को तैयार न होता, क्रिसमस के समय उत्सव मनाने के लिए हमारे पास कुछ नहीं होता l

इसलिए इस क्रिसमस के समय, हम धन्यवादित हों कि परमेश्वर ने यीशु को भेजकर अंतिम उपाय किया कि उसके साथ हमारी संगती पुनः स्थापित हो जाए l यद्यपि हम एक समय खो गए थे, यीशु के कारण हम खोज लिए गए हैं l

अनंत आशा

क्रिसमस से एक सप्ताह पहले, यानि कि मेरी माँ की मृत्यु के दो महीने बाद, छुट्टियों में खरीददारी और घर सजाना मेरी वरीयता सूची में सबसे नीचे थे l मैंने अपने पति द्वारा मुझे शांति देने के प्रयासों का विरोध किया क्योंकि हमारे परिवार की विश्वासी कुलमाता की मृत्यु से मैं अत्यंत दुखी थी l मैं बहुत उदास थी, जब मेरा बेटा, ज़ेवियर हमारे घर के अन्दर क्रिसमस की बत्तियाँ सजा रहा था l बिना कुछ कहे, अपने पिता के साथ कुछ और काम करने से पहले, उसने बत्तियाँ जला दी l  

जैसे ही बत्तियाँ जगमगाने लगीं, परमेश्वर ने धीरे से मुझे अन्धकार से बाहर निकाल दिया l चाहे परिस्थितियाँ जितनी भी दुखद हों, मेरी आशा परमेश्वर की सच्चाई की ज्योति में सुरक्षित थी, जो हमेशा उसके अटल चरित्र को प्रगट करता है l

उस कठिन सुबह के समय परमेश्वर ने जो मुझे याद दिलाया, भजन 146 उसकी पुष्टि करता है : मेरी अनंत आशा “परमेश्वर यहोवा पर है,” जो मेरा सहायक, मेरा सर्वशक्तिमान और करुणामय परमेश्वर है (पद.5) l सबका सृष्टिकर्ता होने के कारण, वह “अपना वचन सदा के लिए पूरा करता रहेगा” (पद.6) l वह “पिसे हुओं का न्याय चुकाता है, और भूखों को रोटी देता है” (पद.7) l “यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है” (पद.8) l वह “रक्षा करता है,” “संभालता है” और ..., “पीढ़ी पीढ़ी राज्य करता रहेगा” (पद.9-10) l

कभी-कभी, क्रिसमस के दिनों में, हमारे दिन बहुत ही आनंद भरे होंगे l कभी-कभी, हमें हानि होगी, हम दुःख का अनुभव करेंगे, अथवा अकेलापन महसूस करेंगे l किन्तु परमेश्वर हमेशा अन्धकार में ज्योति बनने की और वास्तविक सहायता और अनंत आशा देने की प्रतिज्ञा की है l

नम्रता

जीवन की परेशानियाँ हमें चिड़चिड़ा और तुनक मिजाज बना देती है, किन्तु हमें ऐसे बुरे आचरण से बार-बार होनेवाले प्रभाव से बचना चाहिए, क्योंकि ये हमारे प्रेमियों के हृदयों के उत्साह को कम करके हमारे चारों ओर दुःख फैलाते हैं l अगर हम दूसरों के प्रति मनोहर नहीं हैं हमनें अपना कर्तव्य पूरा नहीं किया l

नया नियम उस सद्गुण के लिए नम्रता  शब्द उपयोग करता है जो हमारे मनमुटाव को ठीक कर सकता है, अर्थात् जो एक दयालू और अनुग्रहकारी हृदय को दर्शाता है l इफिसियों 4:2 हमें याद दिलाता है , “सारी दीनता और नम्रता सहित, ... एक दूसरे की सह लो l”

नम्रता  दूसरों के प्रति क्रोध प्रगट किये बगैर अपनी सीमाओं और पीड़ाओं को स्वीकार करने की इच्छा है l यह सबसे छोटी सेवा के लिए धन्यवादित होना है, और जिन्होंने हमारी अच्छी तरह सेवा नहीं की उनको सहन करना है l यह तंग करनेवालों को विशेषकर शोर मचानेवालों, उपद्रवी बच्चों को सहन करने की शक्ति देती है; क्योंकि बच्चों के प्रति दयालुता दिखाना भले और नम्र लोगों के जीवनों का उत्तम चिन्ह है l यह उत्तेजना का सामना नम्रता से करता है l यह शांत भी रह सकता है l  शांति के लिए, कठोर शब्दों का उत्तर अचल शांति से देना सर्वोत्तम है l

यीशु “नम्र और मन में दीन है” (मत्ती 11:29) l यदि हम उससे कहते हैं, वह ठीक समय में हमें अपने स्वरुप में बदल देगा l स्कॉटलैंड का लेखक जॉर्ज मैकडॉनल्ड कहता है, हमने दूसरों को परेशान किया, जिससे दूसरों को दुःख हुआ l परमेश्वर हमारे अन्दर की ऐसी आवाज़ नहीं सुनना चाहता है . . . यीशु ऐसे पापों से और सभी पापों से हमें छुड़ाने आया l”

बड़ा संसार, उससे बड़ा परमेश्वर

जब हम अपनी गाड़ी से उत्तरी मिशिगन से होकर जा रहे थे, मारलीन आश्चर्य से बोली, “विश्वास नहीं होता कि संसार इतना बड़ा है!” उसने यह बात तब कही जब हम उस संकेत को पार किये जो भूमध्य रेखा और उत्तरी ध्रुव के बीच है l  हम आपस में बातचीत किये कि हम कितने छोटे हैं और हमारा संसार कितना विशाल है l फिर भी, विश्व के आकर से तुलना करने पर, हमारा छोटा गृह धूल का एक कण है l

यदि हमारा संसार बड़ा है, और विश्व उससे भी कहीं बड़ा, इसका बनानेवाला कितना बड़ा होगा जिसने इसे अपनी शक्ति से बनाया? बाइबल हमसे कहती है, “क्योंकि [यीशु में] सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हों अथबा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएं, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिए सृजी गयी हैं” (कुलुस्सियों 1:16)

सुसमाचार यह है कि यही यीशु जो इस विश्व का सृष्टिकर्ता है हमें हमारे पापों से प्रतिदिन और हमेशा के लिए बचाने आया l जिस दिन यीशु मरा उसके पहले वाली रात, यीशु ने कहा, “मैं ने ये बातें तुम से इसलिए कहीं हैं कि तुम्हें मुझ में शांति मिले l संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है” (यूहन्ना 16:33) l

जीवन की बड़ी और छोटी चुनौतियों का सामना करते हुए, हम संसार के सृष्टिकर्ता को पुकारते हैं जिसने मृत्यु सही और मुर्दों में से जी उठा, और संसार के टूटेपन पर विजयी हुआ l हमारे संघर्ष के समय, वह सामर्थ्य के साथ हमें अपनी शांति देता है l

नायक से बढ़कर

जब स्टार वार्स  (star Wars) फिल्म के प्रशंसक उत्सुकता से 8 वीं कड़ी, “द लास्ट जेडी,” के जारी होने का इंतज़ार कर रहे हैं, लोग 1977 से लेकर अभी तक इन फिल्मों की अद्भुत सफलता की लगातार जांच कर रहे हैं l सी.एन.एन. मनी(CNNMoney) के लिए काम करनेवाले मीडिया रिपोर्टर, फ्रैंक पालोटा कहते हैं कि स्टार वार्स  अनेक के साथ संपर्क साधते हैं जो “ऐसे समय में जब संसार को नायक/हीरो चाहिए एक नयी आशा और हित के प्रभाव” की चाहत रखते हैं l

यीशु के जन्म के समय, इस्राएली शोषित थे और मुक्तिदाता का इंतज़ार कर रहे थे जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने वर्षों पहले की थी l अनेक लोग रोमी अत्याचार से मुक्त करनेवाले एक नायक/हीरो की राह देख रहे थे, किन्तु यीशु एक राजनीतिक नायक/हीरो की तरह नहीं आया l इसके बदले, वह बैतलहम नगर में एक बालक के रूप में जन्म लिया l परिणामस्वरूप, अनेक उसे पहचान न सके l प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, “वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया” (यूहन्ना 1:11) l

नायक/हीरो से बढ़कर, यीशु हमारा मुक्तिदाता बनकर आया l वह अन्धकार में परमेश्वर की ज्योति लेकर आया और अपना प्राण देने आया ताकि जो कोई उसे ग्रहण करता है क्षमा प्राप्त करके पाप के ताकत से छुटकारा पाएगा l यूहन्ना ने कहा “[वह] अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा” (पद.14) l

“परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं” (पद.12) l वास्तव में, यीशु ही वह एकमात्र आशा है जो संसार को चाहिए l

परमेश्वर की सहायता से

मैं जैसे-जैसे बूढ़ी हो रही हूँ, मैं विशेषकर सर्दियों के मौसम में जोड़ों का दर्द महसूस करती हूँ l मैं खुद को विजेता कम और एक वरिष्ठ नागरिक की चुनौतियों से अधिक पराजित महसूस करती हूँ l

इसलिए मेरा हीरो एक बूढ़ा व्यक्ति कालेब है अर्थात् वह भेदिया जिसे मूसा ने कनान यानि प्रतिज्ञात देश का भेद लेने भेजा था (गिनती 13:-14) l जब दूसरे भेदियों ने बुरा रिपोर्ट दिया, कालेब और यहोशू बारहों में से ऐसे दो भेदिये थे जिनके रिपोर्ट के आधार पर परमेश्वर ने उनको प्रतिज्ञात देश में जाने को कहा l अब, यहोशू 14 में, वह समय आ गया जब देश में कालेब को उसका भाग मिलना है l  किन्तु अभी भी शत्रु हैं जिन्हें देश से बाहर करना है l कालेब ने न  खुद सेवा छोड़ना चाहता था और न ही युद्ध को अपनी युवा पीढ़ी के हाथों में छोड़ना चाहता था l इसलिए उसने कहा, “तू ने तो उस दिन सुना होगा कि उसमें अनाक्वंशी रहते हैं, और बड़े बड़े गढ़वाले नगर भी हैं; परन्तु क्या जाने संभव है कि यहोवा मेरे संग रहे, और उसके कहने के अनुसार मैं उन्हें उनके देश से निकाल दूँ” (यहोशू 14:12) l

“कि यहोवा मेरे संग रहे l” इसी तरह का मनोभाव कालेब को युद्ध के लिए तैयार रखा l वह अपनी सामर्थ्य और अपने बुढ़ापे की बजाए परमेश्वर पर केन्द्रित था l परमेश्वर उसे ज़रूरी काम करने में मदद करनेवाला था l

हममें से अनेक लोग एक ख़ास उम्र के बाद कोई बड़ा काम नहीं करना चाहते हैं l किन्तु चाहे हम कितने भी बूढ़े हो जाएं हम परमेश्वर के लिए महान कार्य कर सकते हैं l जब कालेब की तरह अवसर हमारे सामने आते हैं, हमें उनसे दूर नहीं भागना है l परमेश्वर की सहायता से हम जीत सकते हैं!