Month: दिसम्बर 2017

वह मैं नहीं हूँ

बीसवीं शताब्दी के एक सबसे मशहूर ऑर्केस्ट्रा संचालक के रूप में, आरटूरो टॉसकनिनी को इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वह उस  व्यक्ति को महत्त्व देते थे जो उसके लायक है l डेविड इवन की पुस्तक डिक्टेटर्स  ऑफ़ द बैटन,  में लेखक वर्णन करता है कि किस तरह न्यू यॉर्क फिलहारमोनिक ऑर्केस्ट्रा के सदस्य बीथहोवेन के  नाइन्थ सिम्फनी (एक प्रकार की संगीत रचना) के अभ्यास के अंत में खड़े होकर टॉसकनिनी की प्रशंसा करने लगे l जब सब शांत हो गए, आरटूरो निराश होकर दुःख से बोला : “वो मैं नहीं हूँ ... वह बीथहोवेन है! . . . टॉसकनिनी कुछ नहीं है l”

नए नियम में प्रेरित पौलुस अपनी पत्रियों में अपनी आत्मिक अंतर्दृष्टि और प्रभाव के लिए श्रेय लेने से इनकार किया l वह जानता था कि मसीह में विश्वास लानेवाले अनेक लोगों का वह आत्मिक आभिभावक था l उसने स्वीकार किया कि उसने अनेक लोगों के विश्वास, आशा और प्रेम को बढ़ाने के लिए अत्यधिक मेहनत किया था और दुःख उठाया था (1 कुरिं. 15:10) l किन्तु अच्छे विवेक के कारण वह उनकी प्रशंसा अस्वीकार कर रहा था जो उसके विश्वास, प्रेम और अंतर्दृष्टि से प्रभावित थे l  

इसलिए अपने पाठकों के लिए और हमारे लिए, पौलुस कहता है, वास्तव में, “भाइयों और बहनों, वह मैं नहीं हूँ, l वह मसीह है . . . पौलुस कुछ भी नहीं है l” हम केवल उसके संदेशवाहक हैं जो हमारी प्रशंसा के योग्य है l

चिंता का इलाज

हम उत्साहित हैं क्योंकि मेरे पति की नौकरी के कारण हमें दूसरी जगह स्थानांतरित होना है l किन्तु मैं अनजान लोग और स्थान की चुनौतियों के कारण चिंतित हूँ l घर के सामान को अलग-अलग करके पैक करना l नए स्थान में रहने के लिए नया घर और अपने लिए एक नौकरी खोजना l नए शहर को जानना और उसमें रहने का प्रयास करना l ये सब विचार . . . बेचैन करनेवाले थे l जब मैंने उन कामों की सूची बनायी जो मुझे करना था, प्रेरित पौलुस के शब्द मुझे याद आए : चिंता न करो, किन्तु प्रार्थना करो (फ़िलि. 4:6-7) l

अनजान बातों और चुनौतियों के विषय पौलुस का चिंतित होना स्वाभाविक था l उसका जहाज़ टूट गया l उसे पीटा गया l वह कैद हुआ l फिलिप्पी की कलीसिया को लिखी अपनी पत्री में, उसने उन मित्रों को उत्साहित किया जो अनजान बातों का सामना कर रहे थे, “किसी भी बात की चिंता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं” (पद.6) l

पौलुस के शब्द मुझे साहस देते हैं l अनिश्चित बातों के बिना जीवन है ही नहीं, चाहे जीवन में एक बड़ा परिवर्तन हो, पारिवारिक समस्या हो, स्वास्थ्य का अकारण भय हो, अथवा आर्थिक समस्या हो l मैं निरंतर सीख रही हूँ कि परमेश्वर चिंता करता है l वह चाहता है कि हम अपनी चिंताओं को उसे दे दें l हमारे ऐसा करने से वह सब कुछ जाननेवाला परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि उसकी शांति जो “सारी समझ से परे है” हमारे हृदय और हमारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी” (पद.7) l

उपहार

लन्दन के रेंदेज्वास कॉफ़ी हाउस में खुबसूरत बत्तियाँ, आरामदायक सोफे हैं और अन्दर कॉफ़ी की खुशबू आती है l यहाँ सब कुछ मुफ्त है l एक स्थानीय कलीसिया ने इस दूकान को व्यवसाय के रूप में शुरू किया था, और एक वर्ष के बाद इस कॉफ़ी हाउस को बदल दिया गया l वहां के प्रबंधकों ने महसूस किया कि परमेश्वर उन्हें कुछ बिलकुल नया करने को बुला रहा है अर्थात् व्यंजन सूची में सब कुछ मुफ्त l वर्तमान में आप बिना कोई कीमत चुकाए कॉफ़ी, केक, अथवा सैंडविच मंगवा सकते हैं l किसी तरह का दान भी नहीं है l सब उपहार है l

मैंने प्रबंधक से पुछा कि वे इतना उदार क्यों हैं l उनका जवाब था, “जिस तरह परमेश्वर ने हमारे साथ व्यवहार किया उसी तरह हम भी लोगों के साथ व्यवहार करते हैं l वह हमारे साथ कल्पना से परे उदार है l”

यीशु हमें हमारे पापों से बचाने के लिए और परमेश्वर के साथ मेल करने के लिए मरा l वह कब्र से जी उठा और अब जीवित है l इस कारण, हमारे द्वारा किये गए गलत कार्य भी क्षमा किये जा सकते हैं, और आज हम नया जीवन पा सकते हैं (इफिसियों 2:1-5) l और इन सब के विषय सबसे आश्चर्जनक बात यह है कि ये सब मुफ्त है l हम कीमत देकर यीशु द्वारा दिया जानेवाला नया जीवन खरीद नहीं सकते l हम उसकी कीमत चुकाने के लिए कुछ दान भी नहीं दे सकते हैं (पद.8-9) l सब मुफ्त है l

रेंदेज्वास कॉफ़ी हाउस के लोग कॉफ़ी और केक परोस कर परमेश्वर की उदारता की एक झलक प्रस्तुत करते हैं l आप और मैंने भी बिना कीमत चुकाए अनंत जीवन प्राप्त किया है क्योंकि यीशु ने पूरी कीमत चुका दी है l

जीत में बदली हुई हार

हमारे चर्च में अतिथि बैंड स्तुति और आराधना में अगुआई कर रहा था, और प्रभु के लिए उनका उत्साह हृदय स्पर्शी था l हम उनके जोश को देख रहे थे और अनुभव कर रहे थे l

तब उन संगीतज्ञों ने बताया कि वे सब पूर्व कैदी रह चुके हैं l अचानक उनके गीतों में एक नया अर्थ दिखाई दिया, और मैंने महसूस किया कि क्यों उनकी प्रशंसा उनके लिए इतना महत्वपूर्ण थी l उनकी प्रशंसा ऐसे टूटे हुए जीवनों की गवाही थी जो अब नए बन चुके थे l

संसार सफलता को गले लगा सकता है l  किन्तु बीती हार की कहानियाँ लोगों को आशा भी देती हैं l ये कहानियाँ हमें भरोसा देती हैं कि हमारे समस्त हार के बाद भी परमेश्वर हमसे प्रेम करता है l पासवान गैरी इनरिंग कहते हैं कि इब्रानियों 11 में जिसे हम विश्वास का भवन पुकारते हैं, परमेश्वर का ऐसा भवन भी हो सकता है जहाँ हार जीत में बदल गयी हो l उनका मानना है, “शायद ही उस अध्याय में ऐसा कोई व्यक्ति है जिसके जीवन में गंभीर दोष न रहा हो l किन्तु परमेश्वर हारे हुए जीवनों को नया बनाने के कार्य में लगा हुआ है . . . यह परमेश्वर के अनुग्रह का महान सिद्धांत है l”

मैं भजन 145 का सुख पसंद करता हूँ, जो परमेश्वर के “आश्चर्यकर्मों”(पद.5-6)  की और महिमामय राज्य(पद.11) की चर्चा करता है l वह उसकी करुणा (पद.8-9) और विश्वासयोग्यता (पद.13) का वर्णन करता है, उसके तुरंत बाद वह भजन हमें बताता है कि परमेश्वर गिरते हुओं को संभालता है (पद.14) l जब वह हमें उठाता है उसके सारे गुण दिखाई देते हैं l वह नया बनाने के कार्य में ही लगा हुआ है l

क्या आप पहले हार का सामना कर चके हैं? क्या आप नये बनाए गए हैं? सभी छुटकारा पाए हुए लोग परमेश्वर के अनुग्रह की कहानियाँ हैं l

जीत में बदली हुई हार

हमारे चर्च में अतिथि बैंड स्तुति और आराधना में अगुआई कर रहा था, और प्रभु के लिए उनका उत्साह हृदय स्पर्शी था l हम उनके जोश को देख रहे थे और अनुभव कर रहे थे l

तब उन संगीतज्ञों ने बताया कि वे सब पूर्व कैदी रह चुके हैं l अचानक उनके गीतों में एक नया अर्थ दिखाई दिया, और मैंने महसूस किया कि क्यों उनकी प्रशंसा उनके लिए इतना महत्वपूर्ण थी l उनकी प्रशंसा ऐसे टूटे हुए जीवनों की गवाही थी जो अब नए बन चुके थे l

संसार सफलता को गले लगा सकता है l  किन्तु बीती हार की कहानियाँ लोगों को आशा भी देती हैं l ये कहानियाँ हमें भरोसा देती हैं कि हमारे समस्त हार के बाद भी परमेश्वर हमसे प्रेम करता है l पासवान गैरी इनरिंग कहते हैं कि इब्रानियों 11 में जिसे हम विश्वास का भवन पुकारते हैं, परमेश्वर का ऐसा भवन भी हो सकता है जहाँ हार जीत में बदल गयी हो l उनका मानना है, “शायद ही उस अध्याय में ऐसा कोई व्यक्ति है जिसके जीवन में गंभीर दोष न रहा हो l किन्तु परमेश्वर हारे हुए जीवनों को नया बनाने के कार्य में लगा हुआ है . . . यह परमेश्वर के अनुग्रह का महान सिद्धांत है l”

मैं भजन 145 का सुख पसंद करता हूँ, जो परमेश्वर के “आश्चर्यकर्मों”(पद.5-6)  की और महिमामय राज्य(पद.11) की चर्चा करता है l वह उसकी करुणा (पद.8-9) और विश्वासयोग्यता (पद.13) का वर्णन करता है, उसके तुरंत बाद वह भजन हमें बताता है कि परमेश्वर गिरते हुओं को संभालता है (पद.14) l जब वह हमें उठाता है उसके सारे गुण दिखाई देते हैं l वह नया बनाने के कार्य में ही लगा हुआ है l

क्या आप पहले हार का सामना कर चके हैं? क्या आप नये बनाए गए हैं? सभी छुटकारा पाए हुए लोग परमेश्वर के अनुग्रह की कहानियाँ हैं l

बाहर का भाग अन्दर?

“परिवर्तन : अन्दर का भाग बाहर अथवा बाहर का भाग अन्दर?” मुख्य समाचार में यही लिखा था और वर्तमान का प्रचलित चलन दर्शा रहा था कि बाहरी बदलाव जैसे सौन्दर्य प्रसाधन द्वारा बदलाव अथवा बेहतर ढंग अन्दर की भावनाओं को जानने का और जीवन बदलने का भी एक सरल तरीका हो सकता है l

एक आकर्षक विचार कहता है कि कौन नहीं चाहता कि हमारे जीवन नए रूप की तरह अत्यंत सरल हो जाएँ? हममें से अनेक लोगों ने कठिन तरीके से सीखा है कि पुरानी आदतों को  छोड़ना लगभग असम्भव होता है l सरल बाहरी बदलाव पर ध्यान लगाने से आशा दिखाई देती है कि हमारे जीवनों में सुधार लाने का एक तेज़ तरीका है l

किन्तु यद्यपि ये बदलाव हमारे जीवनों में सुधार ला सकते हैं, बाइबिल चाहती है कि हम एक गंभीर बदलाव का प्रयास करें जो खुद पर भरोसा करने से संभव नहीं है l वास्तव में, गलातियों 3 में भी पौलुस का तर्क है कि परमेश्वर की व्यवस्था अर्थात् अनमोल उपहार जिसके द्वारा उसकी इच्छा प्रगट हुई, भी परमेश्वर के लोगों के टूटेपन को चंगा नहीं कर सका (पद.19-22) l वास्तविक चंगाई और छुटकारे के लिए ज़रूरी था कि वे विश्वास और पवित्र आत्मा के द्वारा ((5:5) मसीह को “पहिन” लें (पद.27) l उसके द्वारा चुने जाकर और रूप पाकर, उनकी पहचान मूल्यवान हो जाएगी अर्थात् हर एक विश्वासी परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं का बराबर से हक़दार होगा (3:28-29) l

हम आसानी से आत्म-सुधार तकनीक में अत्यधिक ऊर्जा खर्च कर सकते हैं l किन्तु उस प्रेम को जो ज्ञान से परे है और जो सब कुछ बदल सकता है, को जानने से ही हम अपने हृदयों में गहरा और अत्यधिक संतोषजनक बदलाव अनुभव कर सकते हैं (इफि. 3:17-19) l

अनपेक्षित अनुग्रह

जब मैं हाई स्कूल का विद्यार्थी था, एक शनिवार को बहुत सुबह मेरे मन आया कि मैं नाइनपिन्स(एक खेल) के अभ्यास स्थल में जाकर काम पर लग जाऊं l पिछली शाम को मैंने देर तक मटमैले फर्श की सफाई की थी क्योंकि चौकीदार बीमार हो गया था l मैंने अपने मालिक को चौकीदार के विषय बताना ज़रूरी नहीं समझा क्योंकि मैं उनको चकित करना चाहता था l आखिरकार, मैंने सोचा, “क्या गड़बड़ी हो सकती थी? ”

जब मैं कार्यस्थल के अन्दर आया, मैंने देखा कि उस स्थान पर पानी भरा था, टॉयलेट पेपर, अंक लिखनेवाले कागज़ व खेल के अन्य सामन पानी में तैर रहे थे l तब मुझे समझ में आया कि मैंने क्या गलती की थी : फर्श साफ़ करते समय, मैंने पानी की एक बड़ी टोंटी खुली छोड़ दी थी जिससे पूरी रात पानी बहता रहा!  आश्चर्यजनक रूप से मेरे मालिक ने “मेरे प्रयास” को देखते हुए एक बड़ी मुस्कराहट के साथ मुझे गले लगाया l

जब दमिश्क के मार्ग पर पौलुस का सामना यीशु से हुआ (प्रेरितों 9:3-4), वह सक्रियता से मसीहियों को दण्डित करने और परेशान करने में लगा हुआ था (पद.1-2) l यीशु ने पौलुस का सामना किया जो गुनाहगार था और जो जल्द ही प्रेरित बनने वाला था l अपने अनुभवों के कारण दृष्टिहीन शाउल/पौलुस को एक मसीही व्यक्ति, हनन्याह की ज़रूरत थी जो साहस और  अनुग्रह के साथ उसकी दृष्टि लौटा सकता था (पद.7) l

शाउल और मैं, दोनों को अनापेक्षित  अनुग्रह मिला l 

अनेक लोगों को मालूम है कि उनके जीवन बिगड़े हुए हैं l उनको छुटकारा के लिए भाषण की जगह आशा चाहिए l कठोर चेहरा अथवा कड़वे वचन उस आशा के प्रति उनकी दृष्टि रोक सकती हैं l यीशु के अनुयायी, हनन्याह, या मेरे मालिक, को जीवन की बदलती परिस्थितियों में अनुग्रह का रूप बनना था l

प्रथम बातें प्रथम

आपकी विमान यात्रा से पूर्व, विमान के उड़ान भरने से पहले विमान कंपनी का एक कार्यकर्त्ता विमान में किसी खराबी आने की स्थिति में सुरक्षा के उपाय बताता है l यात्रिओं से ओक्सीजन मुखौटा(मास्क) पहनने को कहा जाता है जो उनकी सीट के ऊपर एक कक्ष से नीचे आएगा l किन्तु दूसरों की सहायता करने से पहले उन्हें मुखौटा पहनना होगा l क्यों? इसलिए कि दूसरों की सहायता करने से पहले आपको शारीरिक रूप से सचेत होना होगा l

पौलुस ने तीमुथियुस को समझाया कि दूसरों की सहायता करने और उनकी सेवा करने से पहले उसे अपने आत्मिक स्वास्थ्य को ठीक रखना महत्वपूर्ण है l उसने तीमुथियुस को, जो एक पासवान था, अनेक जिम्मेदारियाँ याद दिलायीं : झूठी शिक्षाओं के साथ संघर्ष करना होगा (1 तीमु. 4:1-5) और गलत सिद्धांतों को सही करना होगा (पद.6-8) l किन्तु अपने कर्तव्यों को पूरा करते समय उसे “अपनी और अपने उपदेश की चौकसी” करना सबसे महत्वपूर्ण होगा (पद.16) l दूसरों की सहायता करने से पहले उसे प्रभु के साथ अपना सम्बन्ध ठीक रखना होगा l

तीमुथियुस से कही गयी पौलुस की बातें आज हम पर भी लागू होती हैं l प्रतिदिन हमारा सामना ऐसे लोगों से होता है जो प्रभु को नहीं जानते हैं l जब पहले हम परमेश्वर के वचन, प्रार्थना, और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से आत्मिक ओक्सीजन से भरे रहेंगे, हम परमेश्वर के साथ सही सम्बन्ध में होंगे l उस स्थिति में हम आत्मिक रूप से दूसरों की सहायता करने में सतर्क रहेंगे l

यद्यपि के बावजूद परमेश्वर पर भरोसा

1992 में एक दुर्घटना में लगी एक चोट के कारण, मुझे पीठ के ऊपरी भाग, कन्धों, और गले में दर्द होता है l सबसे कष्टदायक और निराशा भरे क्षणों में, हमेशा प्रभु पर भरोसा करना अथवा उसकी प्रशंसा करना सरल नहीं है l किन्तु जब मेरी स्थिति सहन से बाहर हो जाती है, परमेश्वर की अटल उपस्थिति मुझे आराम देती है l वह मुझे सामर्थी बनाता है और अपनी अटल भलाई, असीमित सामर्थ्य, और थामनेवाले अनुग्रह का भरोसा देता है l और जब अपने प्रभु पर शक करने की परीक्षा आती है, मैं शद्रक, मेशक, और अबेदनगो के दृढ़ विश्वास से उत्साह पाता हूँ l उन्होंने आशाहीन स्थिति के बाद भी परमेश्वर की उपासना की और भरोसा किया कि वह उनके साथ है l

राजा नबूकदनेस्सर ने शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को सच्चे परमेश्वर का इनकार करके उसके द्वारा बनायी गयी सोने की मूर्ति की उपासना नहीं करने पर उनको धधकती भट्ठी में फेंक देने की धमकी दी (दानि. 3:13-15) l इसके बावजूद इन तीन पुरुषों ने साहसी और भरोसेमंद विश्वास को दर्शाया l “भले ही” परमेश्वर उनको मौजूदा संकट से न छुड़ाए(पद.18), पर उन्होंने हमेशा माना कि परमेश्वर उनकी आराधना के योग्य है (पद. 17) l और परमेश्वर ने उनको उनकी ज़रूरत के समय अकेला नहीं छोड़ा; वह उनके साथ जुड़कर भट्ठी में उनकी सुरक्षा की (पद.24-25) l

परमेश्वर हमें भी अकेला नहीं छोड़ता है l वह नबूकदनेस्सर की भट्ठी की तरह घातक महसूस होनेवाली हमारी परीक्षाओं में हमारे संग रहता है l यदि अनंत के इस ओर हमारे दुःख का अंत न भी हो, परमेश्वर है और हमेशा शक्तिशाली, भरोसेमंद, और भला है l हम उसके अटल और प्रेममय उपस्थिति पर भरोसा कर सकते हैं l