जो परमेश्वर देखता है
एक सुबह, मैं एक पारिवारिक-कमरे की खिड़की को थपथपाती हुयी निकली जहां से हमारे घर के पीछे का निर्जन-क्षेत्र दिखाई देता है l अक्सर, मैं एक बाज़ या एक उल्लू को किसी पेड़ पर बैठे हुए, उस क्षेत्र की निगरानी करते हुए देखती थी l एक सुबह मैं चकित हुयी जब मैंने एक बॉल्ड ईगल (एक ख़ास प्रजाति का चील) को एक ऊंची डाली पर निडरतापूर्वक संतुलित बैठे हुए, उस भू-भाग का अन्वेषण करती हुयी देखी मानो समूचा विस्तार उसी का था l कदाचित वह “नाश्ता” ढूँढ रहा था l उसका सम्पूर्ण ध्यान शानदार था l
2 इतिहास 16 में, हनानी भविष्यद्वक्ता (परमेश्वर का नबी) ने राजा को सूचित किया कि उसके कार्यों पर राजसी नज़र है l उसने यहूदा के राजा, आसा से कहा, “तू ने जो अपने परमेश्वर यहोवा पर भरोसा नहीं रखा वरन् आराम के राजा ही पर भरोसा रखा है” (पद.7) l तब हनानी ने समझाया, “देख यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए” (पद.9) आसा के अनुपयुक्त भरोसे के कारण, वह हमेशा युद्ध करता रहेगा l
इन शब्दों को पढ़ते हुए, हमें यह गलत बोध हो सकता है कि परमेश्वर हमारे प्रत्येक गतिविधि पर ध्यान देता है कि वह शिकार करनेवाले एक पक्षी के समान हम पर झपट सकता है l किन्तु हनानी के शब्द सकारात्मक पर केन्द्रित हैं l उसका मकसद है कि हमारा परमेश्वर निरंतर हमपर ध्यान देता है और हमारे लिए इंतज़ार करता है कि हम उसे ज़रूरत पड़ने पर पुकारें l
मेरे पीछे के अहाते में उस बॉल्ड ईगल की तरह, हमें यह गलत बोध हो सकता है, किस प्रकार परमेश्वर की आँखें हमारे संसार में फिरती हैं – अभी भी –आप में और मुझ में विश्वासयोग्यता खोजती है? वह किस प्रकार हमारी ज़रूरत के अनुसार हमें आशा और मदद देगा?
कल के समान नहीं
जब मेरा नाती जे छोटा था उसके माता-पिता ने उसे उसके जन्मदिन पर एक नया टी-शर्ट दिया l उसने उसे उसी समय पहन लिया और उसे पहन कर गर्व से पूरे दिन घूमता रहा l
दूसरे दिन जब वह सुबह के समय उसी शर्ट में था, उसके पिता ने उससे पूछा, “जे, क्या तुम इस शर्ट से खुश हो?”
“कल की तरह नहीं,” जे ने उत्तर दिया l
सामग्री के अभिग्रहण से यही परेशानी है : जीवन की अच्छी वस्तुएं भी हमें गहरा, स्थायी आनंद नहीं दे सकते जिसकी हम प्रबल इच्छा रखते हैं l यद्यपि हमारे पास बहुत सम्पति हो सकती है, फिर भी हम नाखुश रहेंगे l
यह संसार वस्तुओं के अभिग्रहण के द्वारा आनंद को पेश करती है : नए कपड़े, नयी गाड़ी, एक आधुनिक फ़ोन या घड़ी l किन्तु कोई भी भौतिक अभिग्रहण हमें उतना आनंदित नहीं कर सकता जैसे बीते हुए कल में उससे मिला था l यह इसलिए है क्योंकि हम परमेश्वर के लिए बनाए गए थे और उससे कम से काम नहीं बनेगा l
एक दिन, जब यीशु उपवास कर रहा था और भूख से शिथिल हो गया, शैतान उसके निकट आया और रोटी बनाकर उसकी भूख को मिटाने के लिए उसकी परीक्षा की l यीशु ने उसका सामना व्यवस्थाविवरण 8:3 उद्धृत करते हुए किया, “मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुहँ से निकलते हैं” (मत्ती 4:4) l
यीशु का यह मतलब नहीं था कि हम केवल रोटी ही पर जीवित रहें l वह एक सच्चाई का आरम्भ कर रहा है : “हम आत्मिक प्राणी हैं और इसलिए हम केवल भौतिक वस्तुओं पर जीवित नहीं रह सकते हैं l
वास्तविक संतुष्टि परमेश्वर और उसके बहुतायत से मिलती है l
महत्वहीनों की सेवा
विडियो में एक व्यक्ति को अनियंत्रित आग के दौरान एक वयस्त मार्ग के पास घुटने टेके हुए दिखाया गया l वह हाथों से ताली बजाते हुए किसी चीज़ के आने के लिए निवेदन कर रहा था l वह क्या था? एक कुत्ता? कुछ क्षण बाद एक खरगोश कूदकर तस्वीर में आ गया l उस व्यक्ति ने उस डरे हुए खरगोश को उठाया और गति से दौड़कर उसे सुरक्षित स्थान में ले गया l
किस प्रकार एक छोटे चीज़ का बचाया जाना राष्ट्रीय खबर बन गया? इसीलिए l इनके समान सबसे निर्बल के प्रति करुणा दर्शाने के विषय कुछ प्रीतिकर है l सबसे छोटे प्राणी के लिए जगह बनाने के लिए एक बड़ा दिल चाहिए l
यीशु ने कहा स्वर्ग का राज्य एक व्यक्ति के समान है जिसने एक बड़े भोज का आयोजन किया और आने की इच्छा रखने वाले हर एक के लिए जगह बनायी l केवल प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं परन्तु “कंगालों, टुन्डों, लंगड़ों और अन्धों” लिए (लूका 14:21) l मैं धन्यवादित हूँ कि परमेश्वर निर्बलों और कदाचित् महत्वहीन लोगों पर ध्यान देता है, क्योंकि अन्यथा मुझे कोई अवसर नहीं मिलता l पौलुस ने कहा, “परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है कि बलवानों को लज्जित करे; और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को . . . चुन लिया . . . ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के सामने घमण्ड न करने पाए” (1 कुरिन्थियों 1:27-29) l
मुझ जैसे छोटे व्यक्ति को बचाने के लिए परमेश्वर का हृदय कितना बड़ा होगा! प्रतिउत्तर में, मेरा हृदय कितना बड़ा हो गया है? मैं आसानी से बता सकता हूँ, मैं “महत्वपूर्ण व्यक्तियों” को किस प्रकार प्रसन्न करता हूँ के द्वारा नहीं, किन्तु उन व्यक्तियों की सेवा करके जिन्हें समाज शायद अति महत्वहीन समझता है l
प्रकाश को देखना
लोस एंजेल्स की सड़कों पर, बुरी आदत से संघर्षरत एक बेघर व्यक्ति द मिडनाइट मिशन (मानव सेवा संस्था) मे आकर सहायता मांगी l वहीँ से ब्रायन के आरोग्यता की लम्बी यात्रा आरम्भ हुयी l
आरोग्यता की प्रक्रिया के दौरान ब्रायन ने संगीत के प्रति अपने प्रेम को पुनः ढूढ़ लिया l आखिर में वह स्ट्रीट सिम्फनी (बेघर लोगों के लिए मोह रखनेवाले संगीत पेशेवर) से जुड़ गया l उन्होंनें उससे हैंडल के मसाया से ”द पीपल दैट वाक्ड इन डार्कनेस[The People That Walked in Darkness]”(संकीर्तन) का एकल प्रदर्शन करने को कहा l इस्राएल के इतिहास के तमोयुग के दौरान यशायाह नबी द्वारा लिखित शब्दों में, वह गाया, “जो लोग अंधियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा : और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी” (यशायाह 9:2) l न्यू यॉर्क पत्रिका के लिए एक संगीत आलोचक ने लिखा कि ब्रायन ने “शब्दों को इस प्रकार गाया मानो वे उसके अपने जीवन से लिए गए थे l”
सुसमाचार लेखक मत्ती ने उसी परिच्छेद को उद्धृत किया l अपने ही सह इस्राएलियों को लूटने वाले जीवन से यीशु द्वारा बुलाया गया, मत्ती वर्णन करता है कि किस प्रकार यीशु ने अपने उद्धार को “यर्दन के पार” से “अन्यजातियों[गैर यहूदियों] के गलील” (मत्ती 4:13-15) तक ले जाकर यशायाह की भविष्यवाणी को पूरा किया l
कैसर का कर लेनेवाला एक ठग (देखें मत्ती 9:9), सड़क पर बुरी लत में फिरनेवाला बेघर ब्रायन, अथवा हमारे समान लोगों पर कौन भरोसा कर सकता था कि हमें हमारे अपने ही जीवन में प्रकाश और अंधकार के बीच अंतर दर्शाने का एक मौका मिलेगा?
पुनःस्थापित उर्जा की ताक़त
मैं चौवन वर्ष की आयु में दो लक्ष्यों – दौड़ पूरी करने और पाँच घंटो के भीतर पूरी करने - के साथ मिलवॉकी मेराथन(लम्बी दौड़) में भाग लिया l मेरा समय आश्चर्यचकित करनेवाला होता यदि 13.1 मील वाला दूसरा भाग पहले वाले की तरह अच्छा गया होता l परन्तु दौड़ थकाऊ थी, और पुनःस्थापित उर्जा जिसकी मैं आशा करता था कभी नहीं लौटी l जब तक मैं समापन रेखा तक पहुँचता, मेरे लम्बे कदम पीड़ाकर चाल में बदल गए थे l
दौड़ के मुकाबले ही केवल ऐसी चीज़ नहीं, जीवन की दौड़ को भी पुनःस्थापित उर्जा की ज़रूरत होती है l सहन करने के लिए, थके लोगों को परमेश्वर की सहायता की ज़रूरत होती है l यशायाह 40:27-31 खूबसूरती से काव्य और नबूवत को जोड़कर आवश्यकतामंदों को लगातार चलते रहने के लिए आराम पहुँचाते हैं और प्रेरित करते हैं l शाश्वत शब्द थके और निराश लोगों को स्मरण कराते हैं कि प्रभु पृथक या परवाह नहीं करनेवाला नहीं है (पद.27), कि हमारी दशा उसके ध्यान से बचती नहीं है l ये शब्द आराम और आश्वासन लेकर आते हैं, और हमें परमेश्वर की असीम सामर्थ्य और अथाह ज्ञान याद दिलाते हैं (पद.28) l
पद 29-31 में वर्णित पुनःस्थापित ऊर्जा बिलकुल हमारे लिए है – चाहे हम अपने परिवार की देखभाल और उनके लिए प्रबंध करने की टीस में हैं, भौतिक अथवा आर्थिक बोझ के तले जीवन में संघर्ष कर रहे हैं, अथवा सम्बन्धात्मक तनावों या आत्मिक चुनौतियों द्वारा निराश हैं l उनके लिए ऐसी ही यह सामर्थ्य है – पवित्र वचन पर चिंतन और प्रार्थना के द्वारा – प्रभु की बात जोहते रहें l